स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले असंख्य स्वतंत्रता सेनानी रहे, जिनमें से एक सरदार पटेल भी थे। भारत को अखंड और स्वतंत्र बनाने के लिए जिन महान स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सर्वस्व मातृभूमि के प्रति समर्पित किया, उन्हीं में से एक लोहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जी भी थे। सरदार पटेल के ही अथक प्रयासों का परिणाम था कि भारतीय संघ में, भारत की सभी रियासतों का सफलता पूर्वक विलय हो पाया था। इस विलय ने भारत को एक राष्ट्र के रूप में सशक्त और समृद्ध बनाया था, साथ ही सरदार पटेल ने अपनी अंतिम सांस तक राष्ट्रहित सर्वोपरि के अपने संकल्प के माध्यम से युवाओं को प्रेरित करने का काम किया। इस ब्लॉग के माध्यम से आप आसानी से जान पाएंगे कि सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु कब हुई थी, जिसके लिए आपको ये ब्लॉग अंत तक पढ़ना पड़ेगा।
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सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु कब हुई?
भारत को अखंड बनाए रखने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल जी ने, स्वतंत्रत भारत की हर छोटी-बड़ी रियासत को एकता सूत्र में बांधने का काम किया। 15 दिसंबर 1950, को मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से सरदार पटेल ने अपने जीवन की अंतिम सांस ली, इस खबर से देश में शोक की लहर दौड़ गई और सदी के महान नेता, भारत माता के लाल “लोहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल” पंचतत्व में विलीन हुए। वर्ष 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किन-किन समितियों का नेतृत्त्व किया?
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय संविधान सभा की विभिन्न समितियों का नेतृत्त्व किया, जो कुछ इस प्रकार हैं;
- प्रांतीय संविधान समिति।
- मौलिक अधिकारों पर सलाहकार समिति।
- अल्पसंख्यकों और जनजातीय व बहिष्कृत क्षेत्रों पर समिति।
सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा समाज में किए गए सुधार
सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा समाज में किए गए सुधार को नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं;
- शराब के सेवन, छुआछूत, जातिगत भेदभाव और महिला मुक्ति के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल ने व्यापक पैमाने पर काम किया और इन समाजिक सुधारों के लिए एक मुख्य भूमिका निभाई।
- राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के साथ-साथ सरदार वल्लभ भाई पटेल ने खेड़ा सत्याग्रह ( जो कि वर्ष 1918 में हुआ) और बारदोली सत्याग्रह (जो कि वर्ष 1928 में हुआ) में किसान हितों को एकीकृत किया। उनके नेतृत्व से किसानों को बल मिला और कृषि में सामाजिक सुधारों पर एक चर्चा आरंभ हुई।
- सरदार वल्लभ भाई पटेल के सामाजिक सुधारों को देखते हुए ही बारदोली की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि दी, जिसका अर्थ ‘एक प्रमुख या एक नेता’ होता है।
- आधुनिक अखिल भारतीय सेवाओं की स्थापना करने हेतु सरदार वल्लभ भाई पटेल को ‘भारतीय सिविल सेवकों के संरक्षक संत’ के रूप में भी जाना जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल के अथक प्रयासों के चलते ही सिविल सेवकों के जीवन में सुधार हो पाया।
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FAQs
सरदार पटेल की मृत्यु 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में हुई थी।
सरदार पटेल की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की शादी वर्ष 1893 में हुई थी।
पटेल जी की मृत्यु बिगड़ते स्वास्थ्य और दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।
पटेल का असली नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल था।
सरदार पटेल को गांधीजी के साथ जनवरी 1932 से मई 1933 तक लगभग सोलह महीने तक के लिए यरवदा जेल में रखा गया था। इसके बाद सरदार वल्लभभाई पटेल ने एक और साल नासिक जेल में बिताया।
सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि महात्मा गांधी ने नीतिगत दृढ़ता के लिए दी थी।
आशा है कि आपको ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु कब हुई’ पर आधारित यह ब्लाॅग जानकारी से भरपूर लगा होगा। इसी तरह के अन्य जनरल नॉलेज के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।