हर साल 10 जुलाई को भारत में राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाया जाता है। यह दिवस देश में मछली किसानों, मछुआरों और मछली पालन से जुड़े अन्य हितधारकों के काम को सम्मान और समर्थन देता है। इस साल 2024 में पूरे देश में 24वां राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाया जाएगा।
राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस का इतिहास
10 जुलाई 1957 के दिन प्रोफेसर डॉ. हीरालाल चौधरी और उनके सहयोगी डॉ. अलीकुन्ही ने ओडिशा के अंगुल में प्रमुख कार्प्स के सफल प्रेरित प्रजनन में कार्प पिट्यूटरी हार्मोन को निकालने में सफलता हासिल की थी। ऐसा देश में पहली बार किसी ने किया था। 10 जुलाई, 1957 को दोनों वैज्ञानकों ने हाइपोफिजेशन का प्रदर्शन किया था, जो भारतीय मेजर कार्प्स में प्रजनन को प्रेरित करने की एक तकनीक है। इनके इसी योगदान को रेखांकित करने के लिए हर साल भारत में 10 जुलाई को मत्स्य किसान दिवस मनाया जाता है।
पहली बार राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाया गया?
साल 2001 में, भारत सरकार द्वारा 10 जुलाई को राष्ट्रीय मछली पालन दिवस के रूप में नामित किया था। परिणामस्वरू, 2001 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने देश का पहला राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस का समारोह आयोजित किया। इस अवसर पर मत्स्य पालन शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान -सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन भी शामिल हुआ।
राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस क्यों मनाया जाता है?
राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस देश के मत्स्य उद्योग के विकास के लिए मछली किसानों, एक्वाप्रेन्योर (जल क्षेत्र में व्यवसायी) और मछुआरों द्वारा किए गए योगदान को पहचानने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस एक्वाकल्चर में शामिल लोगों, जैसे- मछुआरे, मछली किसान, मत्स्य विशेषज्ञ और अन्य हितधारकों के प्रति के लिए समर्थन व्यक्त करता है। इसका एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य स्थायी मत्स्य पालन स्टॉक और मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करने के लिए देश के मत्स्य पालन संसाधनों का प्रबंधन करने के तरीके को बदलने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस का महत्व
मत्स्य उद्योग से राष्ट्र की अर्थव्यवस्था और सामान्य विकास बहुत प्रभावित होता है। मत्स्य उद्योग, जिसे कभी नवोदित विकासशील उद्योग (sunrise sector) के रूप में जाना जाता है, विकास के माध्यम से भारी क्षमता पैदा करने की स्थिति में है जो न्यायसंगत और समावेशी दोनों है। इसलिए राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस इतना महत्व रखता है।
राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस 2024 कैसे मनाया जाएगा?
10 जुलाई, 2023 को महाबलीपुरम में राष्ट्रीय मछली किसान दिवस 2024 उत्सव कार्यक्रम में देश भर के 30 असाधारण स्टार्टअप की एक प्रदर्शनी होगी, जो देश में मत्स्य पालन नवप्रवर्तकों में से सर्वश्रेष्ठ का प्रदर्शन करेगी। स्टार्टअप्स को अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने में मदद करने के लिए क्यूरेटेड सत्रों की भी व्यवस्था की जाएगी।
भारत के मत्स्य पालन उद्योग से जुड़े मुख्य तथ्य
भारत में मत्स्य पालन उद्योग से जुड़े कुछ मुख्य तथ्य हैं :
- भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है।
- जलीय कृषि के मामले में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है।
- गुजरात समुद्री मछली के उत्पादन में देश में सबसे आगे है।
- राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के एक हालिया अनुमान के अनुसार, अकेले मछली पकड़ने के उद्योग से 334.41 अरब रुपए का निर्यात राजस्व हासिल हुआ है। इसमें 145 मिलियन लोग कार्यरत हैं, और इसका भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7% योगदान है।
- 2.8 करोड़ से अधिक मछुआरे, किसान, कर्मचारी, विक्रेता और अन्य लोग अपने जीवन यापन के लिए सीधे मछली पालन उद्योग पर निर्भर हैं।
- 2014 से 2020 के बीच, सामान्य आर्थिक मंदी के बावजूद, मछली पालन उद्योग ने 10% से अधिक की वार्षिक विकास दर बनाए रखी।
- COVID-19 महामारी का भारत के मत्स्य निर्यात पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।
- 2019-2020 में वैश्विक मत्स्य निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 8.0% थी।
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राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) क्या है?
राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड/एनएफडीबी) की स्थापना 2006 में देश में मत्स्य उत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि करने एवं एकीकृत तथा समग्र रीति से मत्स्य पालन विकास के समन्वय हेतु की गई थी। इसे मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक स्वायत्त संगठन के रूप में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य देश में मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए और एकीकृत और व्यापक तरीके से मत्स्य उन्नति का समन्वय करना है।
FAQs
राष्ट्रीय मछली किसान दिवस किसानों के समर्पण को स्वीकार करता है और वे किस प्रकार देश की खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कुशलतापूर्वक काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय मछली किसान दिवस 2023 10 जुलाई 2023 को मनाया जाता है।
मत्स्य और समुद्री खाद्य पदार्थ नीली क्रांति से संबंधित हैं।
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