Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi : प्रेम-पुलकमय जन-जन हो, नूतन का अभिनंदन हो!

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Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi

Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi को पढ़कर विद्यार्थियों को साहित्य को समझने का एक शुभ अवसर मिल सकता है, जिसके बाद आप साहित्य के सौंदर्य से प्रेरणा पा सकेंगे। समाज की चेतना को जागृत करने के लिए हर सदी में कई ऐसे कवि हुए हैं, जिन्होंने नवीन पीढ़ी को साहस और समर्पण भाव के साथ जीवन जीना सिखाया है। ऐसे ही महान कवियों की श्रेणी में “फणीश्वरनाथ रेणु” का भी नाम आता है, फणीश्वरनाथ रेणु की कविताएं आज भी सामाजिक सद्भावना को बढ़ाने का प्रयास करती हैं।

इस पोस्ट के माध्यम से आप Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi पढ़ने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं। फणीश्वरनाथ रेणु की कविताएं विद्यार्थियों के जीवन में सकारात्मक भूमिका निभाने का कार्य तो करेंगी ही, साथ ही उन्हें साहित्य के प्रति सम्मान करना भी सिखाएंगी। साहित्य की अद्भुत अनुभूति करने के लिए विद्यार्थियों को यह ब्लॉग अंत तक पढ़ना चाहिए।

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Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi  

हिंदी साहित्य के आँगन में पोषित Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi आपके जीवन को सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ाने का सफल प्रयास करती हैं। इस ब्लॉग में Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi पर प्रकाश डाला गया है, जिनका उद्देश्य साहित्य के साथ आपका परिचय करवाना है। फणीश्वरनाथ रेणु की कविताएं कुछ इस प्रकार है;

नूतन वर्षाभिनंदन

Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi से आपका परिचय साहित्य से करवाएंगी। Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi की श्रृंखला में पहली कविता “नूतन वर्षाभिनंदन” है, जो कुछ इस प्रकार है:

नूतन का अभिनंदन हो
प्रेम-पुलकमय जन-जन हो!
नव-स्फूर्ति भर दे नव-चेतन
टूट पड़ें जड़ता के बंधन;
शुद्ध, स्वतंत्र वायुमंडल में
निर्मल तन, निर्भय मन हो!

प्रेम-पुलकमय जन-जन हो,
नूतन का अभिनंदन हो!

प्रति अंतर हो पुलकित-हुलसित
प्रेम-दिए जल उठें सुवासित
जीवन का क्षण-क्षण हो ज्योतित,
शिवता का आराधन हो!
प्रेम-पुलकमय प्रति जन हो,
नूतन का अभिनंदन हो!

-फणीश्वरनाथ रेणु

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने आशावाद का सूर्य उदय करने का प्रयास किया है। यह कविता एक आशावादी कविता है जिसने निराशाओं के तमस को जड़ से मिटाने का काम किया है। इस कविता की पृष्ठभूमि में भारत-चीन युद्ध के बाद का मुश्किल दौर है, जिसमें कवि की कविता नव वर्ष के अवसर पर देशवासियों को प्रेरणा देने का काम करती है। इस कविता में कवि ने नव वर्ष को “नवजीवन” और “नवसृष्टि” के रूप में चित्रित किया गया है। “नूतन वर्षाभिनंदन” एक प्रेरणादायक कविता है जो हमें अपनी कमियों को स्वीकार करने, चुनौतियों का सामना करने के साथ-साथ, एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करती है।

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एक संभाव्य भूमिका

Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi ही आपसे भावनाओं के संगम में डुबकी लगवाएंगी। Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi की श्रृंखला में एक कविता “एक संभाव्य भूमिका” है, जो कुछ इस प्रकार है:

आपने दस वर्ष हमें और दिए
बड़ी अनुकंपा की!

हम नतशिर हैं!
हममे तो आस्था है : कृतज्ञ होते
हमें डर नहीं लगता कि उखड़ न जाएँ कहीं!

दस वर्ष और!
पूरी एक पीढ़ी!
कौन सत्य अविकल रूप में
जी सका है अधिक?
अवश्य आप हँस ले :
हँसकर देखें फिर साक्ष्य इतिहास का
जिसकी दुहाई आप देते हैं।

बुद्ध के महाभिनिष्क्रमण को
कितने हुए थे दिन
ठैर महासभा जब जुटी ये खोजने कि
सत्य तथागत का
कौन-कौन मत-संप्रदायों में बिला गया?
और ईसा-
(जिनका कि पटशिष्य ने
मरने से कुछ क्षण पूर्व ही था कर दिया
प्रत्याख्यान!)

जिस मनुपुत्र के लिए थे शूल [सूली] पर चढ़े—
उसे जब होश हुआ सत्य उनका खोजने का
तब कोई चारा ही उसका न चला
इसके सिवा कि वह खड्गहस्त
दसियों शताब्दियों तक
अपने पड़ोसियों के गले काटता चले
(प्यार करो अपने पड़ोसियों को आत्मवत्—
कहा था मसीहा ने!)

‘सत्य क्या है?’ बेसिनिन में पानी मँगा लीजिए
सूली का सुनाके हुकुम
हाथ धोए जाएँगे!

बुद्ध : ईसा : दूर हैं
जिसका थपेड़ा हमको न लगे वह
कैसा इतिहास है?

ठीक है!
आपका जो ‘गांधीयन’ सत्य है
उसका क्या यही सात-आठ वर्ष पहले
गांधी पहचानते थे?
तुलना नहीं है ये। हमको चर्राया नहीं
शौक़ मसीहाई का।

सत्य का सुरभिपूर्ण स्पर्श हमें मिल जाए-
क्षण-भर :
एक क्षण उसके आलोक से संपृक्त हो
विभोर हम हो सकें।

-फणीश्वरनाथ रेणु

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने एक ऐसे व्यक्ति की भूमिका का वर्णन किया है, जो समाज में बदलाव लाना चाहता है। ये कविता भारत में सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल के दौर में लिखी गयी एक कविता है। कवि ने कविता के माध्यम से सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ने और एक बेहतर समाज बनाने के लिए समाज को प्रेरित करने का प्रयास किया है। यह कविता को हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण कृति का दर्जा प्राप्त है, जिसे अक्सर सामाजिक परिवर्तन और सक्रियतावाद की भावना को व्यक्त करने वाली कविता के रूप में भी जाना जाता है।

मुझे तुम मिले!

Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi आपका परिचय साहित्य के माध्यम से उत्पन्न साहस से करवाएंगी। Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi की श्रृंखला में एक कविता “मुझे तुम मिले!” है, जो कुछ इस प्रकार है:

मुझे तुम मिले!

मृतक-प्राण में शक्ति-संचार कर;
निरंतर रहे पूज्य, चैतन्य भर!
पराधीनता—पाप-पंकिल धुले!
मुझे तुम मिले!

रहा सूर्य स्वातंत्र्य का हो उदय!
हुआ कर्मपथ पूर्ण आलोकमय!
युगों के घुले आज बंधन खुले!
मुझे तुम मिले!

-फणीश्वरनाथ रेणु

Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने स्वतंत्रता के महत्व और इसके साथ आने वाली जिम्मेदारियों को दर्शाने का सफल प्रयास किया है। यह कविता वर्ष 1947 में लिखी गई थी, इसी दौरान भारत स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद एक नए युग में प्रवेश करता है। रेणु जी इस कविता में स्वतंत्रता प्राप्ति के आनंद और उत्साह को बड़ी ही सरलता के साथ व्यक्त करते हैं, जिसमें स्वतंत्र भारत की तुलना एक नवजात शिशु से की गई है। यह कविता एक प्रेरणादायक कविता है जो हमें स्वतंत्रता के महत्व और जिम्मेदारियों को याद दिलाती है, साथ ही यह कविता हमें हमारे भारत को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करती है।

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खड्गहस्त!

Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi के माध्यम से आपको जीवन में एक नया दृष्टिकोण प्राप्त होगा। Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi की श्रृंखला में एक सुप्रसिद्ध कविता अथवा नज़्म “खड्गहस्त!” है, जो कुछ इस प्रकार है:

दे दो हमें अन्न मुट्ठी-भर औ’ थोड़ा-सा प्यार!

भूखा तन के, प्यासे मन से
युग-युग से लड़ते जीवन से
ऊब चुके हैं हम बंधन से
जग के तथाकथित संयम से
भीख नहीं, हम माँग रहे हैं अब अपना अधिकार!

श्रम-बल और दिमाग़ खपावें,
तुम भोगो, हम भिक्षा पावें
जाति-धर्म-धन के पचड़े में
प्यार नहीं हम करने पावे
मुँह की रोटी, मन की रानी, छीन बने सरदार!

रक्खो अपना धरम-नियम अब
अर्थशास्त्र, क़ानून ग़लत सब
डोल रही है नींव तुम्हारी
वर्ग हमारा जाग चुका अब
हमें बसना है फिर से अपना उजड़ा संसार
दे दो हमें अन्न मुट्ठी-भर औ’ थोड़ा-सा प्यार!

-फणीश्वरनाथ रेणु

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुए संघर्षों को लिखने का प्रयास किया है। यह कविता उन अनगिनत क्रांतिकारियों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करती है, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा और स्वतंत्रता के लिए स्वयं को पूरी तरह समर्पित किया। जब भारत में स्वतंत्रता आंदोलन अपने चरम पर था। रेणु जी की यह कविता में क्रांतिकारियों के साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करती हैं। इस कविता में कवि ने क्रांतिकारियों के साहस और बलिदान के साथ शुरू हुए आजादी के संघर्षों का वर्णन किया है।

यह फागुनी हवा

Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi को पढ़कर आप भी साहित्य के प्रेम को पाकर प्रफुल्लित हो सकते हैं। Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi की श्रृंखला में एक सुप्रसिद्ध कविता “यह फागुनी हवा” है, जो कुछ इस प्रकार है:

यह फागुनी हवा
मेरे दर्द की दवा
ले आई… ई… ई… ई
मेरे दर्द की दवा!

आँगन बोले कागा
पिछवाड़े कूकती कोयलिया
मुझे दिल से दुआ देती आई
कारी कोयलिया-या
मेरे दर्द की दवा
ले के आई-ई-दर्द की दवा!

वन-वन
गुन-गुन
बोले भौंरा
मेरे अंग-अंग झनन
बोले मृदंग मन-
मीठी मुरलियाँ!
यह फागुनी हवा
मेरे दर्द की दवा लेके आई

कारी कोयलिया!
अग-जग अँगड़ाई लेकर जागा
भागा भय-भरम का भूत
दूत नूतन युग का आया
गाता गीत नित्य नया
यह फागुनी हवा…!

-फणीश्वरनाथ रेणु

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने वसंत ऋतु के आगमन और उसके साथ आने वाली खुशी और उत्साह को व्यक्त करते हैं। यह एक ऐसी कविता है जो हमें वसंत ऋतु के सौंदर्य और उसके साथ आने वाली खुशी और उत्साह का अनुभव कराती है। इस कविता में कवि ने वसंत ऋतु के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करती है। कविता के माध्यम से कवि फूलों, पक्षियों, और हवाओं की सुंदरता का वर्णन करते हैं। इस कविता में कवि कहते हैं कि वसंत ऋतु हम सभी के जीवन में नयापन और उमंग का संचार करती ।

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आशा है कि Phanishwar Nath Renu Poem in Hindi के इस ब्लॉग के माध्यम से आप फणीश्वरनाथ रेणु की कविताएं पढ़ पाएं होंगे, जो कि आपको जीवनभर प्रेरित करती रहेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा, इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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