MSME UPSC in Hindi: भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) का क्षेत्र आर्थिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह न केवल रोजगार के अवसर प्रदान करता है, बल्कि देश की कुल उत्पादन और निर्यात में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। एमएसएमई छोटे व्यवसायियों और उद्यमियों को अपने व्यापार को बढ़ाने का अवसर देता है, जिससे वे न केवल अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकते हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करते हैं। यूपीएससी में भारतीय अर्थव्यवस्था, नीतियां और विकास से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं, और एमएसएमई इन सभी मुद्दों में शामिल होते हैं। इसलिए इस ब्लॉग में हम MSME UPSC in Hindi के बारे में विस्तृत जानकारी साझा कर रहे हैं, ताकि छात्र इस विषय को गहराई से समझ सकें और अपनी परीक्षा की तैयारी को और बेहतर बना सकें।
This Blog Includes:
- सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग (MSME) सेक्टर क्या है?
- एमएसएमई (MSME) क्षेत्र का वर्गीकरण (Classification of MSME Sector in Hindi)
- भारत में एमएसएमई का पंजीकरण
- एमएसएमई मंत्रालय (MoMSME) की विशेषताएं
- भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई क्षेत्र का महत्व
- एमएसएमई क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा की गई पहल
- MSMEs से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ
- FAQs
सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग (MSME) सेक्टर क्या है?
MSME का मतलब है सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, यानी छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसाय ((Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises)। इनका प्रबंधन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MoMSME) करता है। यह सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है, इसलिए इसे देश की आर्थिक रीढ़ कहा जाता है। MSME न सिर्फ रोजगार के नए मौके देता है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 31 अगस्त 2021 तक भारत में करीब 6.3 करोड़ MSMEs थे।
एमएसएमई (MSME) क्षेत्र का वर्गीकरण (Classification of MSME Sector in Hindi)
भारत सरकार ने 2020 में एमएसएमई की परिभाषा बदली। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत इन बदलावों को मंजूरी दी गई। इस नई परिभाषा से ज्यादा निवेश और टर्नओवर वाले व्यवसाय भी अब मध्यम आकार के कारोबार में शामिल हो गए। ऐसे में एमएसएमई को अब इस तरह वर्गीकृत किया गया है:
उद्यम का प्रकार | निवेश | कारोबार |
सूक्ष्म | 1 करोड़ रुपये | 5 करोड़ रु. |
लघु | 10 करोड़ रु | 50 करोड़ रु |
मध्यम | 50 करोड़ रु | 250 करोड़ रु |
भारत में एमएसएमई का पंजीकरण
भारत में एमएसएमई का पंजीकरण इस प्रकार से है :
- हर एमएसएमई को 1 जुलाई 2020 से उद्यम पंजीकरण कराना जरूरी है ताकि वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें।
- पंजीकरण ऑनलाइन किया जा सकता है और इसके लिए सिर्फ खुद से जानकारी देनी होती है। कोई दस्तावेज़ या कागज अपलोड करने की जरूरत नहीं है।
- एमएसएमई की पहचान उसके कारोबार (टर्नओवर) और मशीनों या उपकरणों में निवेश के आधार पर की जाएगी।
- व्यापार या निवेश की गणना करते समय निर्यात से हुई कमाई को शामिल नहीं किया जाएगा।
- चैंपियंस कंट्रोल रूम उद्यमियों को पंजीकरण और उनके व्यापार को चलाने में मदद करता है।
एमएसएमई मंत्रालय (MoMSME) की विशेषताएं
एमएसएमई मंत्रालय (MoMSME) की विशेषताएं निम्नलिखित हैं :
- यह योजनाएँ कारीगरों और श्रमिकों की स्थिति सुधारने के लिए काम करती हैं।
- बैंकों से क्रेडिट लिमिट या ऋण प्रदान कर छोटे व्यापारों को वित्तीय सहायता देती हैं।
- विशेष ट्रेनिंग सेंटरों के जरिए व्यापारिक विकास और कौशल वृद्धि पर ध्यान देती हैं, ताकि नए व्यवसायी अपना कारोबार शुरू कर सकें।
- घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में व्यापारियों की पहुँच को सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए सहायता प्रदान करती हैं।
- उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक परीक्षण सुविधाएं प्रदान करती हैं।
- यह योजनाएँ उत्पादों के विकास, पैकेजिंग और डिज़ाइन में सुधार करने के लिए समर्थन प्रदान करती हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई क्षेत्र का महत्व
भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई क्षेत्र का महत्व निम्नलिखित हैं :
- भारत से जो सामान विदेशों में भेजे जाते हैं, उसमें से 45% से ज्यादा सामान एमएसएमई द्वारा भेजा जाता है। यानी, ये छोटे उद्योग भारत के सामान को दुनियाभर में पहुँचाने में मदद करते हैं।
- एमएसएमई के कारण गांवों में भी लोग काम पा सकते हैं, खासकर महिलाएं। जैसे कि खादी और ग्रामोद्योग में कई महिलाएं काम करती हैं और उन्हें बहुत कम पैसे से शुरुआत करने का मौका मिलता है।
- एमएसएमई कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है जो लोगों को काम देता है। इससे भारत में लगभग 12 करोड़ लोग काम करते हैं।
- छोटे-छोटे व्यापारों के कारण लोग बैंकिंग सेवाओं का इस्तेमाल आसानी से कर सकते हैं। खासकर छोटे शहरों और कस्बों में।
- एमएसएमई नए-नए आइडिया और उत्पाद बनाने में मदद करते हैं, जिससे व्यापार बढ़ता है और प्रतिस्पर्धा भी मजबूत होती है।
- एमएसएमई भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ज़रूरी हैं। ये देश के कुल उत्पादन का 8% हिस्सा बनाते हैं और 60 मिलियन से ज्यादा लोगों को काम देते हैं।
- एमएसएमई मंत्रालय ने 2025 तक एमएसएमई के योगदान को और बढ़ाकर 50% करने का लक्ष्य रखा है, ताकि भारत की अर्थव्यवस्था और भी मजबूत हो सके।
एमएसएमई क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा की गई पहल
सरकार ने एमएसएमई (MSME) क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई योजनाएँ बनाई हैं, जिनसे छोटे व्यापारों को मदद मिलती है। यह योजनाएँ कुछ इस तरह हैं:
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: यह योजना छोटे व्यापारों को 10 लाख रुपये तक का ऋण देती है, ताकि वे अपना व्यवसाय चला सकें। इसे मुद्रा ऋण (MUDRA loans) कहा जाता है।
- क्रेडिट गारंटी योजनाएँ: यह योजना बैंकों और वित्तीय संस्थानों को मदद देती है, जिससे वे छोटे व्यापारों को ऋण देने में कम जोखिम महसूस करते हैं। यह ‘क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट’ द्वारा संचालित होती है, जिससे एमएसएमई को आसानी से ऋण मिल जाता है।
- MSME समाधान (MSME SAMADHAN): यह एक ऑनलाइन प्रणाली है, जिसमें छोटे व्यापारों को देर से भुगतान पर शिकायत करने और समाधान प्राप्त करने का मौका मिलता है। इसमें वे अपने मामले दर्ज कर सकते हैं और स्थिति की जानकारी ले सकते हैं।
- गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM): यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहाँ छोटे व्यापार सार्वजनिक खरीद में हिस्सा ले सकते हैं, जिससे उन्हें बड़े बाजारों तक पहुँचने का अवसर मिलता है।
- उद्यम पंजीकरण (Udyam Registration): यह एमएसएमई के लिए एक सरल ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया है, जिससे वे सरकारी लाभ और योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
- चैंपियंस पोर्टल (CHAMPIONS Portal): यह एक आईसीटी (ICT) आधारित प्लेटफॉर्म है जो छोटे व्यापारों को मदद देता है और राष्ट्रीय विकास में योगदान करने के लिए उत्पादन और सामर्थ्य को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
MSMEs से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ
एमएसएमई (MSME) को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो उनके विकास और सफलता में बाधाएं डालती हैं। आइए जानते हैं वो समस्याएं कौन कौन सी हैं :
- सरकारी योजनाओं जैसे मुद्रा ऋण के बावजूद, एमएसएमई को ऋण मिलना अभी भी मुश्किल है। बैंकों को इन पर विश्वास नहीं होता क्योंकि इनके पास सही क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होते। इससे इनका बिजनेस बढ़ाना मुश्किल हो जाता है।
- बड़े कंपनियों या सरकारी संस्थाओं से समय पर भुगतान नहीं मिलता, जिससे छोटे व्यापारों को अपनी जरूरत की चीजें खरीदने में परेशानी होती है। इससे उनका काम रुक सकता है।
- कई एमएसएमई को ऐसे कर्मचारी नहीं मिलते, जो नई मशीनों और तकनीकों को चला सकें। इससे उत्पादन में देरी होती है और सामान की गुणवत्ता भी कम हो सकती है।
- छोटे व्यापारों के पास अपने उत्पादों को सही तरीके से प्रचारित करने के लिए पैसे और सही जानकारी नहीं होती। इससे उन्हें बड़े व्यापारों से मुकाबला करने में दिक्कत होती है।
- खराब सड़कों और बिजली की कमी जैसी समस्याएँ एमएसएमई के काम में बाधा डालती हैं। उदाहरण के लिए, खराब सड़कें एक छोटे व्यापार को अपना सामान बाजार तक पहुँचाने में मुश्किल बना सकती हैं।
FAQs
MSME का पूरा नाम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (Micro, Small and Medium Enterprises) है। यह एक ऐसा व्यवसाय क्षेत्र है जिसमें छोटे और मझोले उद्योग शामिल होते हैं। MSME का उद्देश्य छोटे व्यापारियों और उद्यमियों को अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए अवसर देना और देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त करना है।
एमएसएमई के अंतर्गत वर्गीकृत व्यवसायों के कुछ उदाहरणों में चमड़े के सामान, खेती के उपकरण, साइकिल के पुर्जे, इंजीनियरिंग आदि विनिर्माण से जुड़े व्यवसाय शामिल हैं। खुदरा, ड्राईक्लीनिंग, ब्यूटी पार्लर, क्रेच आदि सेवाओं से जुड़े उद्यम भी हैं।
50 करोड़ रुपये से कम निवेश और 250 करोड़ रुपये से कम वार्षिक कारोबार वाली प्रोपराइटरशिप, साझेदारी फर्म, कंपनी, ट्रस्ट या सोसायटी एमएसएमई पंजीकरण के लिए पात्र हैं।
एमएसएमई दो तरह के होते हैं : मैन्युफैक्चरिंग उद्यम यानी उत्पादन इकाई। दूसरी सर्विस एमएसएमई इकाई है।
2020 के संशोधन के अनुसार, MSME को निवेश और टर्नओवर के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:
• सूक्ष्म (Micro): 1 करोड़ तक निवेश, 5 करोड़ तक टर्नओवर
• लघु (Small): 10 करोड़ तक निवेश, 50 करोड़ तक टर्नओवर
• मध्यम (Medium): 50 करोड़ तक निवेश, 250 करोड़ तक टर्नओवर
• प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
• आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS)
• क्रेडिट गारंटी योजना (CGTMSE)
• आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत राहत पैकेज
MSME पंजीकरण एक ऑनलाइन प्रक्रिया है, जिसे उद्यम पोर्टल के माध्यम से किया जा सकता है। इसमें स्व-घोषणा की जाती है, और दस्तावेज अपलोड करना जरूरी नहीं है।
MSME से जुड़े मुद्दे जैसे रोजगार, आर्थिक विकास, ग्रामीण विकास, और आत्मनिर्भर भारत जैसे प्रयास UPSC की पढ़ाई में वर्तमान घटनाएँ (Current Affairs) और आर्थिक विकास (Economic Development) के लिए महत्वपूर्ण हैं।
MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने 2006 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम (MSMED Act) लागू किया। यह अधिनियम 2 अक्टूबर 2006 से प्रभावी हुआ था।
एमएसएमई मंत्रालय ने छोटे और सूक्ष्म व्यवसायों के लिए एक योजना शुरू की है, जिसमें 1 अप्रैल 2024 से बिना किसी गारंटी के 5 करोड़ रुपये तक का लोन दिया जाएगा। यह योजना क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) के तहत लागू की जा रही है, जिससे छोटे कारोबारों को आर्थिक मदद मिल सकेगी।
UPSC से संबंधित अन्य आर्टिकल्स
उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको MSME UPSC in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही UPSC से जुड़े ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।