विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” है, ये मूर्ति भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल जी को समर्पित है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा (largest statue in the world) का गौरव प्राप्त है, जो कि भारत के गुजरात राज्य के नर्मदा जिले के केवड़िया गांव में स्थित है। विश्व की सबसे विशाल प्रतिमा “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” की ऊंचाई 182 मीटर (597 फीट) है, जो भारतीय समाज और आने वाली पीढ़ी को एकता के मार्ग पर चलकर समृद्ध होने के लिए प्रेरित करती है। इस ब्लॉग में आप विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति (largest statue in the world) की कहानी के बारे में जानेंगे, जो आपको गर्व की अनुभूति कराएगी।
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‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के बारे में
दुनिया की सबसे विशाल प्रतिमा (largest statue in the world) गुजरात राज्य के नर्मदा जिले में केवड़िया में ‘सरदार सरोवर बांध’ के निकट स्थापित की गई है। इसे ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) के नाम से जाना जाता है जिसकी कुल लंबाई ‘182 मीटर’ (597 फीट) हैं। वहीं इसके बाद विश्व की दूसरी सबसे ऊँची प्रतिमा चीन में ‘स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध’ की है, जिसकी कुल ऊंचाई 153 मीटर (502 फीट) हैं।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का कुल वजन 1700 टन है। जिसमें पैर की ऊंचाई 80 फीट, हाथ की 70 फीट, कंधे की 140 फीट और चेहरे की ऊंचाई 70 फीट है। वहीं इस भव्य मूर्ति के भीतर एक लाइब्रेरी भी है, जहां पर सरदार वल्लभ भाई पटेल से जुड़े हुए इतिहास को दर्शाया गया है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण और डिजाइन
विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” का निर्माण 31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल की जयंती के अवसर पर किया गया था। दुनिया की सबसे विशाल प्रतिमा का निर्माण और डिजाइन की प्रक्रिया को प्रसिद्ध भारतीय मूर्तिकार राम वी. सुतार की देख रेख में पूरा किया गया था। इस परियोजना का संचालन गुजरात सरकार द्वारा किया गया था, जिसका निर्माण कार्य लार्सन एंड टुब्रो (L&T) कंपनी ने किया था। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण में लगभग ₹3000 करोड़ का खर्चा आया था।
विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति का महत्व
दुनिया की सबसे विशाल प्रतिमा (largest statue in the world) ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) का निर्माण भारत की स्वतंत्रता और अखंडता के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को सम्मानित करने के लिए किया गया था। भारतीय रियासतों का एकीकरण कर भारत को एक संगठित, सशक्त और स्वतंत्र राष्ट्र बनाने में सरदार पटेल ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसी कारण उन्हें “लौह पुरुष” के नाम से भी जाना जाता है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी उनकी इसी महानता का प्रतीक है। इस प्रतिमा को बनाने में केवल 4 वर्षों का ही समय लगा है जो दुनिया की अन्य बड़ी मूर्तियों के निर्माण में लगने वाले समय से बहुत कम है। वास्तविकता यही है कि “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” भारत की एकता, दृढ़ता और संकल्प को दर्शाती है।
कब रखी गई आधारशिला
बता दें कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) की आधारशिला वर्ष 2014 में भारत के ‘लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल’ के जन्म दिवस की 138वीं वर्षगांठ पर रखी गई थी। उस समय गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति (largest statue in the world) का शिलान्यास किया था। बता दें कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के निर्माण में 4 वर्ष यानी तकरीबन 44 महीनों का समय लगा था।
वहीं इस मूर्ति को बनाने में लगभग तीन हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) का उद्घाटन वर्ष 2018 में सरदार पटेल की 142वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ के द्वारा किया गया था। इसके बाद से ही यह स्थल दुनिया में पर्टयन का विशेष केंद्र बना हुआ है।
राम वी. सुतार की देखरेख में हुआ निर्माण
क्या आप जानते हैं कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का निर्माण कार्य भारत के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार ‘राम वी. सुतार’ (Ram V. Sutar) की देखरेख में हुआ था। वहीं भारतीय ऐतिहासिक धरोहरों को पुनर्स्थापित करने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं।
‘राम वी. सुतार’ के अतुल्नीय योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से वर्ष 1999 में “पद्मश्री” और वर्ष 2016 में “पद्म भूषण” से सम्मानित किया गया हैं। इसके अलावा उन्हें ‘बॉम्बे आर्ट सोसाइटी’ (Bombay Art Society) की ओर से ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’ समेत अन्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका हैं।
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