खुशियों के त्यौहार होली को मानाने के तरीके अनेक, पर उद्देश्य सबका एक

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होली को मानाने के तरीके

“खुशियों ने सदियों से बंद खिड़की खोली है, रंगों ने भी अपनी एक नई भाषा बोली है
उमंग और उत्साह से भरी सबकी झोली है, प्रकृति के प्रति आस्था का यह पर्व होली है…

रंगों का त्यौहार होली, खुशी और उमंग का प्रतीक है। भारत के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय त्यौहारों में से एक होली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में 50 से अधिक देशों में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। होली, भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वालों या मानवता के पक्षधरों द्वारा मनाये जाने वाला ऐसा पर्व है, जिसका उद्देश्य केवल बेरंग उदासी या मायूसी को खुशियों और सकारात्मक रंग से भरना होता है। यूँ तो खुशियों के भरे इस त्यौहार को मानाने के तरीके अनेक है पर उद्देश्य सबका एक है। इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे होली को मानाने के तरीके क्या क्या है।

भारत में कितने प्रकार से होली मनाई जाती है?

क्या आपको पता है कि भारत के किन-किन क्षेत्रों में होली किस प्रकार से मनाई जाती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं होली को किन-किन क्षेत्रों में किन-किन नामों से जाना जाता है। हालाँकि अधिकांश क्षेत्रों में होली को होली के रूप में ही मनाया जाता है जिसके साथ-साथ होली के अन्य भी कई नाम है जो कि निम्नलिखित है-

  • उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के क्षेत्रों में होली के पवित्र पर्व को लट्ठमार, फगुआ, फाग आदि नामों से जाना जाता है।
  • हरियाणा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान आदि क्षेत्रों में होली को धुलैंडी के रूप में मनाया जाता है और होली के पांचवे दिन में पंचमी मानाने का रिवाज होता है। आदिवासी और जनजाति समाज के लोगो में भी होली को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
  • महाराष्ट्र में होली को “फाल्गुन पूर्णिमा” और “रंग पंचमी” के नाम से जाना जाता है।
  • गोवा में होली को शिमगो के नाम से जाना जाता है जो कि गोवा की स्थानीय कोंकणी भाषा का शब्द है।
  • गुजरात में गोविंदा होली के नाम से भी होली को जाना जाता है जिसकी धूम पूरे गुजरात में रहती है।
  • गुरुओं,संतों की धरती पंजाब में होली को होला मोहल्ला के नाम से जाना जाता है।
  • पश्चिम बंगाल और ओडिशा की पुण्य धरा पर होली को ‘बसंत उत्सव’ और ‘डोल पूर्णिमा’ के नाम से जाना जाता है और पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
  • तमिलनाडु के लोगों का मानना है कि इस दिन कामदेव का बलिदान हुआ था इसलिए यहाँ के लोग होली को कामदेव के बलिदान के रूप में याद करते हुए होली को कमान पंडिगई, कामाविलास और कामा-दाहानाम आदि नामों से पुकारते हैं और पूरे उमंग के साथ होली को मनाते है।
  • कर्नाटक में होली को कामना हब्बा के नाम से तो वहीं आंध्र प्रदेश और तेलंगना में भी इन्हीं नामों से होली को जाना जाता है और इसी रूप में होली मनाई जाती है।
  • केरल में होली के पर्व को मंजुल कुली के नाम से जाना जाता है।
  • मणिपुर में इसे योशांग या याओसांग कहते हैं तो वहीं यहां के लोग धुलेंडी वाले दिन को पिचकारी कहते है।
  • असम में होली को ‘फगवाह’ या ‘देओल’ के नाम से जान जाता हैं।
  • इसी प्रकार त्रिपुरा, नगालैंड, सिक्किम और मेघालय में भी होली की धूम देखने को मिलती है और अक्सर लगभग एक जैसे नामों से ही इसका संबोधन किया जाता है।
  • देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड और हिमाचल की पवित्र धरा पर होली को संगीत समारोह के रूप में मनाया जाता है जैसे: बैठकी होली, खड़ी होली और महिला होली आदि, और इन्हीं नामों से यहाँ होली को पुकारा व मनाया जाता हैं।

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होली में किन परंपराओं का पालन किया जाता है?

फागुन माह में आने वाला पर्व होली भी है जिसमें कई प्रकार से लोग अपनी आस्थाओं का सम्मान करने के बाद इस पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मानते है क्योंकि यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। इस पर्व के दौरान कई प्रकार की परंपराओं और रीति रिवाजों का पालन किया जाता है, जो कि निम्नलिखित है-

  • होली उस दौरान आता है जब उत्तर भारत में गन्ने की फसल पूरी हो जाती है और इसीलिए होली पर रंग खेलने से पहले लोग अपनी फसल का कुछ हिस्सा देवता को अर्पण करते है, क्योंकि लोगो का मानना है कि देवता ही उनके परिवार, खेत और खलियानों की रक्षा करते है।
  • भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है और इसीलिए यहाँ के पर्वों में लोगों द्वारा अपने देवता, ईष्ट देवता या ग्राम देवता के प्रति अपने समर्पण भाव को दिखाने के लिए अपनी फसल का कुछ भाग अर्पण करते है, हालाँकि आज शहरों में खेती बहुत कम लोगों के पास बची है फिर भी लोग अपनी परंपरा को हर हाल में निभाते है।
  • होलिका दहन से पहले पूजा करने का उद्देश्य न्याय और धर्म की पूजा और जय-जयकार करनी होती है क्योंकि धर्म ही हमें सदैव सद्कर्म करने की प्रेरणा देता है।
  • माताएं अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए गाय के गोबर से बने उपले की माला बनाकर लाती है और अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना के साथ पूजा अर्चना करती है।
  • अन्याय और अधर्म का दहन करने के अगले ही दिन का आरम्भ रंगों के साथ किया जाता है जिसका उद्देश्य यह बताना होता है कि हर अँधेरी रात के बाद एक नया सवेरा आता है जिसका स्वागत हमें पूरे उमंग और हर्षोल्लास के साथ करना चाहिए।

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आशा है कि आपको होली को मानाने के तरीके की जानकारी मिली होगी जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ाने का काम करेगी। इसी प्रकार के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स पर ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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