भगत सिंह के देशभक्ति गीत भगत सिंह के देशभक्ति और स्वतंत्रता संग्राम की भावना को सुंदरता से व्यक्त करते हैं और उनके योगदान को याद दिलाने में मदद करते हैं। वे आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान हीरो के रूप में याद किए जाते हैं। भगत सिंह जयंती 28 सितंबर के दिन मनाई जाती है। इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें और जानें भगत सिंह के देशभक्ति गीत के बारे में विस्तार से।
भगत सिंह के देशभक्ति गीत
शहीद-ए-आजम भगत सिंह, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान सिपाही थे, ने अपनी कविताओं और गीतों के माध्यम से देश के प्रति अपनी गहरी भक्ति और संघर्ष की भावना को व्यक्त किया। उनमें से कुछ प्रसिद्ध देशभक्ति गीत निम्नलिखित हैं:
“सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है”
यह गीत भगत सिंह के सहयोगी राजगुरु और सुखदेव के साथ मिलकर गाया गया था जब वे फांसी की सजा के इंतजार में थे। इस गीत में वे अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार हैं और स्वतंत्रता के लिए अपना समर्पण प्रकट करते हैं।
“मेरा रंग दे बसंती चोला”
यह गीत भगत सिंह के शहादत के बाद उनके संघर्ष को याद करने के लिए एक प्रमुख रूप से जाना जाता है। इसमें वे अपनी देशभक्ति की भावना को व्यक्त करते हैं और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपने समर्पण को प्रकट करते हैं।
“दीपक तेरी रोशनी का”
इस गीत में भगत सिंह अपने स्नेही देशवासियों से कहते हैं कि वे स्वतंत्रता संग्राम के लिए एकजुट हों और देश की स्वतंत्रता की ओर बढ़ें।
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भगत सिंह के देशभक्ति गीत का महत्त्व
भगत सिंह के देशभक्ति गीत का महत्त्व निम्नलिखित है:
- वे देशभक्ति और स्वतंत्रता की भावना को प्रेरित करते हैं।
- वे भारत की आजादी की लड़ाई को याद दिलाते हैं।
- वे भगत सिंह के बलिदान को याद दिलाते हैं।
- वे युवाओं को देशभक्ति के लिए प्रेरित करते हैं।
भगत सिंह के देशभक्ति गीत आज भी भारत में बहुत लोकप्रिय हैं। वे हमें देशभक्ति और स्वतंत्रता की भावना को याद दिलाते हैं और हमें प्रेरित करते हैं कि हम भी अपने देश के लिए कुछ अच्छा करें।
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FAQs
भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। वह अहिंसा के प्रति अपने सख्त निष्ठा और अपनी जान की क़ुर्बानी के लिए प्रसिद्ध हैं।
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पुंजाब के बंदे नगर गाँव में हुआ था।
भगत सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नाकोदर, पंजाब के स्कूलों से प्राप्त की और फिर वे दयाल सिंह कॉलेज, लाहौर में गए, जहाँ से उन्होंने आर्ट्स की पढ़ाई की।
फांसी के लिए तय वक्त से 12 घंटे पहले ही 23 मार्च 1931 को शाम 7 बजकर 33 मिनट पर भगत, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दी गई।
आशा है कि इस ब्लाॅग (भगत सिंह के देशभक्ति गीत) में आपको गांधी जी के परिवार के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।