Holi ki Kahani: होली की पौराणिक कथा, महत्व और रोचक तथ्य

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Holi ki kahani

Holi ki Kahani: होली का नाम सुनते ही मन में रंगों की बौछार, हंसी-ठिठोली, गुलाल से भरी गलियां और प्यार से लथपथ चेहरों की छवियां उभरने लगती हैं। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है, जो हर साल हमें प्रेम, सौहार्द्र और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रंगों के इस पर्व के पीछे की असली कहानी क्या है? क्यों होली हमारे जीवन में इतनी महत्वपूर्ण है? यदि यह प्रश्न आपके भी मन में कभी न कभी उठे हैं, तो यह लेख आपके लिए ही है। इस लेख में आपके लिए होली की कहानी (Holi ki Kahani) के बारे में विस्तृत ढंग से बताया गया है, जिसे पढ़कर आप इस पर्व का महत्व और इससे जुड़े रोचक तथ्य भी जान पाएंगे।  

होली पर्व के बारे में

होली का त्यौहार हमें हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। जिसमें श्री हरी विष्णु के भक्त प्रहलाद ने अपनी भक्ति के माध्यम से अपने पिता हिरण्यकश्यप और होलिका के अहंकार और क्रूरता पर विजय हासिल कर ली थी। तभी से होली का ये पावन त्यौहार भारतीय संस्कृति में अपनी अहम स्थान रखता है। रंगों का त्यौहार होली आज केवल भारत में ही बल्कि विश्व के प्रमुख देशों में भी मनाया जाता हैं।

होली भारत का धार्मिक, पारंपरिक और सांस्कृतिक त्यौहार है जिसे हर साल बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। होली के दिन हर जगह जश्न का माहौल होता है, रंगों का ये त्यौहार इस बार 8 मार्च को है। होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें आपसी प्रेम, एकजुटता, सद्भावना का संदेश दिया जाता है। होली का त्यौहार सभी को आपस के गिले शिकवे मिटाकर एकता का अहम संदेश देता है, जिससे दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग व गुलाल लगाते हैं और एक दूसरे को होली की बधाई देते हैं। यह त्यौहार आपसी भाईचारे और एकता का प्रतीक है।

ऐसे मनाया जाता है भक्ति, प्रेम और विजय का पर्व होली

होली का त्यौहार होली की रात्रि से एक दिन पूर्व आरंभ हो जाता है। लोग अपने-अपने गाँवों, मुहल्लों में उपलों, लकड़ियों का ढेर इकट्ठा करते हैं। फिर शुभ घड़ी में इस ढेर यानी “होलिका” में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इसी अग्नि में लोग नए अनाज (गेहूँ, जौ आदि) की बालें भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं। दहन का अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे “धुलैंडी” भी कहते हैं।

होली की पारम्परिक कथा - होलिका दहन - भक्त प्रहलाद की कहानी - Holi Animated Story
Source : Bhakti Gyan

होली की कहानी – Holi ki Kahani

यहाँ आपके लिए होली की कहानी (Holi ki Kahani) को विस्तारपूर्वक बताया गया है, जो इस प्रकार है –

प्राचीनकाल में हिरण्यकश्यप नामक एक बहुत बड़ा बलशाली असुर राजा था। जिसने अपनी कठोर तपस्या के कारण बहुत से वरदान प्राप्त कर लिए थे। वह अपनी शक्ति के मद में चूर होकर वह स्वयं को ही भगवान मानने लगा था। उस अपने राज्य की प्रजा को ये आदेश दिया था कि अब सब लोग भगवान विष्णु की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, प्रजा भी राजा हिरण्यकश्यप के भय से भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करने लगी, पर उसका बेटा ‘प्रहलाद’ भगवान विष्णु  का अनन्य भक्त था। उसने अपने पिता की बात न मानी और  उसने ईश्वर की भक्ति में ही खुद को लीन रखा। इससे पिता के क्रोध की सीमा न रही। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए, पर ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल न हो सका।

उसके बाद हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए एक नई  योजना बनाई जिसमें उसका साथ उसकी छोटी बहन ‘होलिका’ ने दिया। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोद में बिठाकर लकड़ी के बड़े से टीले पर बैठाकर आग लगा दी गई। परन्तु ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है, प्रहलाद निरंतर भगवान विष्णु की आराधना करने लगा और भगवान ने भी उसकी रक्षा की।

होलिका उस आग में जलकर भस्म हो गई लेकिन प्रहलाद को कोई आंच न आई। प्रहलाद उस तेज अग्नि के ज्वाला से जीवित बाहर आ गया जिससे सारी प्रजा में खुशी की लहर आ गई। सारी प्रजा भी भक्त प्रहलाद के साथ मिलकर भगवान विष्णु की आराधना करने लगें। इसी घटना की याद में हर साल रात को होलिका जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता हैं। 

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इन देशों में मनाई जाती है होली

आज होली विश्व प्रमुख त्योहारों में से एक है। जिसे भारत के अलावा सयुंक्त राज्य अमेरिका, कनाड़ा, जर्मनी, न्यूज़ीलैंड और  यूनाइटेड किंगडम जैसे बड़े देशों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। भारत के कई राज्यों में वसंत ऋतु के आगमन होते ही होली के त्यौहार की शुरुआत हो जाती हैं। होली आने से पहले ही घरों में भी गुझिया, मट्टी, चाट पापड़ी और कई तरह के पकवान बनाने की तैयारी शुरू हो जाती हैं। बच्चों में भी होली के त्यौहार का उत्साह देखने को मिलता है, इस दिन वह भी बाजार से कई तरह के रंग, गुलाल और पिचकारी खरीदकर एक दूसरे के साथ खेलते है।

भारत में होली के लिए एक अलग ही आकर्षण देखने को मिलता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक होने के साथ-साथ प्रेम व एकजुटता का संदेश भी हम सभी को देता हैं। इस दिन सभी लोग अपने प्रियजनों, सगे-सम्बन्धियों, दोस्तों और कलीग्स को संदेश भेजकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं। सड़कों पर मस्त युवकों की टोलियाँ गाती-बजाती निकलती हैं। एक-दूसरे को मिठाइयाँ खिलाते हुए अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं। 

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होली का महत्व और समरसता का संदेश

होली सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि एकता, भाईचारे और आनंद का पर्व भी है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि जीवन में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए, क्योंकि जब रंग सभी को एक समान कर सकते हैं, तो इंसान क्यों नहीं? यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें मन की कड़वाहट को भुलाकर रिश्तों में हमेशा नई ताजगी को अपनाना चाहिए और हंसी-खुशी से एक-दूसरे के साथ रहना चाहिए। यह पर्व हमें धार्मिक सौहार्द और समरसता का संदेश देता है।

होली से जुड़े रोचक तथ्य

होली से जुड़े रोचक तथ्यों की जानकारी निम्नलिखित है, जो आपको इस पर्व के बारे में और भी अधिक विस्तार से बताएंगे –

  • होली केवल भारत में ही नहीं, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, फिजी, मॉरीशस, गुयाना, दक्षिण अफ्रीका, ट्रिनिडाड और टोबैगो, अमेरिका और इंग्लैंड सहित कई देशों में भी मनाई जाती है।
  • होली से एक दिन पहले ‘होलिका दहन’ का आयोजन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह परंपरा भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका की पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है।
  • ब्रज, मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव में मनाई जाने वाली होली दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां की ‘लट्ठमार होली’ और ‘फूलों की होली’ पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है।
  • होली का सबसे पुराना उल्लेख लगभग 300 ईसा पूर्व के अभिलेखों में मिलता है। वहीं, संस्कृत साहित्य में भी इस त्योहार का उल्लेख किया गया है।
  • होली का संबंध भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम से भी जुड़ा हुआ है।
  • ‘होली’ शब्द की उत्पत्ति ‘होलिका’ से हुई है, जो भक्त प्रह्लाद की रक्षा और बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।
  • होली का पर्व अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

FAQ’s

होली मनाने के पीछे क्या कहानी है?

होलिका नामक असुरी के दहन और विष्णुभक्त प्रह्लाद के सकुशल अग्नि से बच जाने की खुशी में ही होलिका दहन और होली का पर्व मनाया जाता है।

होली कितने देशों में मनाई जाती है?

आज होली विश्व प्रमुख त्योहारों में से एक है। जिसे भारत के अलावा सयुंक्त राज्य अमेरिका, कनाड़ा, जर्मनी, न्यूज़ीलैंड और  यूनाइटेड किंगडम जैसे बड़े देशों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

होली के देवता कौन है?

भगवान विष्णु

होली का पौराणिक इतिहास क्या है?

होली का इतिहास प्रह्लाद, हिरण्यकशिपु और होलिका की कहानी से जुड़ा है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

फाल्गुन मास में ही होली क्यों मनाई जाती है?

फाल्गुन मास को परिवर्तन और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, इस समय मौसम परिवर्तन होता है, इसलिए यह त्यौहार उल्लास और रंगों के साथ मनाया जाता है।

होलिका दहन की कहानी क्या है?

हिरण्यकशिपु ने अपने भक्त पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए होलिका की मदद ली, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका अग्नि में जल गई।

होलिका दहन का आध्यात्मिक महत्व क्या है?

होलिका दहन बुराइयों, नकारात्मकता और अहंकार को जलाकर नई सकारात्मक ऊर्जा को अपनाने का प्रतीक माना जाता है।

होली मनाने की वैज्ञानिक वजह क्या है?

होली मौसम बदलाव के दौरान रोगों से बचाव का उपाय है, क्योंकि होलिका दहन से वातावरण शुद्ध होता है और रंगों से मानसिक तनाव कम होता है।

होली का उल्लेख वेदों और पुराणों में कहाँ मिलता है?

होली का वर्णन नारद पुराण, भविष्य पुराण, विष्णु पुराण और भगवद पुराण में मिलता है, जहाँ इसे “फाल्गुनी पूर्णिमा उत्सव” के रूप में बताया गया है।

क्या होली सिर्फ भारत में ही मनाई जाती है?

नहीं, होली नेपाल, बांग्लादेश, मॉरीशस, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इंग्लैंड सहित कई देशों में मनाई जाती है।

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