होली का नाम लेते ही रंगों से भरी हाथों की पिचकारी, दोस्तों की हँसी और हवा में उड़ता गुलाल याद आ जाता है। यह ऐसा त्योहार है जिसमें हर कोई थोड़ी-सी मस्ती, थोड़ा-सा रंग और बहुत सारी खुशियाँ बाँटता है। होली हमें याद दिलाती है कि ज़िंदगी में रंगों की जरूरत सिर्फ तस्वीरों में नहीं, रिश्तों और दिलों में भी होती है। इसी वजह से स्कूलों में होली पर निबंध लिखने को कहा जाता है, ताकि हम इस त्योहार की खुशियों और इसकी प्यारी-सी परंपराओं को शब्दों में उतार सकें। इस ब्लॉग में दिए गए निबंध सैंपल आपका निबंध लिखना और भी आसान और मजेदार बना सकते हैं।
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होली पर 100 शब्दों में निबंध
होली का पर्व हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर मार्च महीने में आता है। यह भारत के साथ-साथ, नेपाल में भी बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाने वाला रंगों का त्योहार है। इस पर्व को दो दिनों तक पूरी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दौरान पहले दिन होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। और इसके अगले दूसरे दिन धुलेंडी मनाई जाती है, जहां लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर प्रेम और उल्लास का इजहार करते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को मिठाइयों में गुझिया, मावा और पिस्ता से बनी मिठाइयां खाते हैं। इसके साथ ही ठंडाई और लस्सी का आनंद लेते हुए लोग संगीत, नृत्य और रंगों के साथ यह पर्व मनाते हैं।
होली पर 150 शब्दों में निबंध
होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक और खुशियों से भरा रंगों का त्योहार है। हालांकि, समय के साथ त्योहार मनाने के तरीके बदल गए हैं, फिर भी कई स्थानों पर इसे पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली दो दिन तक चलने वाला पर्व है। पहले दिन होलिका दहन किया जाता है, जो अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है, और दूसरे दिन रंगों की होली खेली जाती है। रंगों का ये त्योहार आनंद और मंगल वेला के आगमन का प्रतीक होता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, असुर राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान था कि आग उसे नहीं जला सकती। उसने अपने भतीजे प्रह्लाद, जो भगवान विष्णु का भक्त था, को जलाने की योजना बनाई। लेकिन अग्नि में बैठने पर होलिका स्वयं जल गई, जबकि प्रह्लाद सुरक्षित बच गया। तभी से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है। अगले दिन लोग रंग-गुलाल खेलकर, मिठाइयां बांटकर और संगीत-नृत्य के साथ इस पर्व को हर्षोल्लास से मनाते हैं।
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होली पर 200 शब्दों में निबंध
होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है और यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। यह प्रत्येक वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा के दिन, मार्च महीने में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह त्योहार प्रेम, भाईचारे और सौहार्द का प्रतीक है, जिसमें परिवार और दोस्त मिलकर खुशियां बांटते हैं, एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हैं। इस दिन गुझिया, मालपुए और ठंडाई जैसे स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं।
होली का ऐतिहासिक महत्व हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। हिरण्यकश्यप, जो एक अहंकारी असुर राजा था, उसने अपने राज्य में भगवान की पूजा करने पर रोक लगा दी थी। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन वह असफल रहा। अंत में, उसने अपनी बहन होलिका, जिसे अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था, से प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने को कहा। लेकिन ईश्वर की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा और होलिका जलकर भस्म हो गई।
इस घटना की याद में होलिका दहन किया जाता है, और अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है। यह त्योहार हमें प्रेम, सौहार्द और आपसी मेल-जोल की सीख देता है।

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होली पर निबंध 300 शब्दों में
होली रंगों और हर्षोल्लास का त्योहार है, जिसे बसंत ऋतु के आगमन के रूप में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस समय प्रकृति रंग-बिरंगे फूलों से सज जाती है, जो बसंत के आगमन का स्वागत करते हैं। यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इसलिए इसे फाल्गुनी पर्व भी कहा जाता है। होली मेल-मिलाप, प्रेम और उल्लास का प्रतीक है, जो सभी को एकजुट करता है।
भारतीय संस्कृति में हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कथा होती है। होली का संबंध हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। हिरण्यकश्यप एक अत्याचारी राजा था, जिसने स्वयं को भगवान मान लिया था। उसने अपनी प्रजा को केवल उसी की पूजा करने का आदेश दिया, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। यह देखकर हिरण्यकश्यप को बहुत क्रोध आया और उसने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन हर बार भगवान की कृपा से वह बच गया।
आखिर में, हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को जलाने का आदेश दिया। होलिका को वरदान था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती, लेकिन जब वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठी, तो प्रह्लाद सुरक्षित रहा और होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी घटना की स्मृति में होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
होली का उत्सव होलिका दहन से एक दिन पहले शुरू हो जाता है। लोग लकड़ियों और उपलों का ढेर इकट्ठा कर उसे जलाते हैं। अगली सुबह धुलंडी मनाई जाती है, जिसमें लोग गुलाल और रंगों से खेलते हैं। बच्चे, बुजुर्ग और युवा सभी मिठाइयां बांटते हैं, गाने गाते हैं और नाचते-गाते उत्सव मनाते हैं। होली भाईचारे और सद्भावना का त्योहार है, जिसमें अमीर-गरीब, छोटे-बड़े सभी भेदभाव भूलकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं। यह त्यौहार पुरानी दुश्मनी को भुलाकर नए रिश्तों को मजबूत करने का संदेश देता है।
होली पर 500 शब्दों में निबंध
होली पर 500 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:
प्रस्तावना
रंगों की बौछार, गुलाल की खुशबू, ढोल-नगाड़ों की थाप और गले मिलते अपनों की हंसी – यही तो है होली! यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि रंगों का जश्न, उल्लास की बरसात और प्रेम की बयार है। भारत के हर गली-मोहल्ले में यह उत्सव फाल्गुन मास की पूर्णिमा को धूमधाम से मनाया जाता है।
होली केवल रंगों की नहीं, भावनाओं की भी है। यह उन रंगों की कहानी कहती है जो बैर मिटाकर प्रेम का संदेश देते हैं। यह त्योहार हमें एकता, सौहार्द और समरसता का पाठ पढ़ाता है। पहले दिन ‘होलिका दहन’ के रूप में बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव मनाया जाता है, और अगले दिन ‘धुलेंडी’ पर रंगों की फुहार में सारा संसार भीग जाता है।
प्रसिद्ध कवि मैथिलीशरण गुप्त ने इस रंगीन उल्लास को बड़ी खूबसूरती से उकेरा है –
“काली-काली कोयल बोली, होली, होली, होली,
फूटा यौवन फाड़ प्रकृति की पीली-पीली चोली।”
होली सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं, बल्कि जीवन में रंगों की अहमियत का एहसास कराता एक अनमोल अवसर है।
होली का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है। होलिका दहन यह दर्शाता है कि असत्य और अन्याय की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती, अंततः सत्य की ही विजय होती है। यह पर्व समाज में सद्भाव, मेल-जोल और आपसी प्रेम को बढ़ावा देता है।
होली से जुड़ी पौराणिक कथाएं
1. प्रह्लाद और होलिका की कथा:
होलिका दहन की परंपरा हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से जुड़ी है। हिरण्यकश्यप चाहता था कि सभी उसकी पूजा करें, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। क्रोधित होकर, उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का आदेश दिया, क्योंकि होलिका को अग्नि से न जलने का वरदान था। लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई। तभी से इस दिन होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है।
2. भगवान कृष्ण और होली:
एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रंगों से होली खेलना शुरू किया था। वृंदावन और बरसाना की प्रसिद्ध लट्ठमार होली इसी परंपरा का एक अनूठा रूप है।
होली का उत्सव और परंपराएं
- होलिका दहन: फाल्गुन पूर्णिमा की रात को लकड़ियों और उपलों से बनी होली जलाई जाती है। लोग गेहूं और चने की बालियां होलिका की अग्नि में भूनते हैं और इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
- धुलेंडी (रंगों की होली): अगले दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल और रंगों से सराबोर कर देते हैं। बच्चे पिचकारी से रंग उड़ाते हैं, और सभी नाच-गाकर, मिठाइयां बांटकर इस दिन का आनंद लेते हैं।
आधुनिक समय में होली का बदलता स्वरूप
आजकल होली के पारंपरिक स्वरूप में कई बदलाव देखने को मिलते हैं। लोग रासायनिक रंगों का उपयोग करने लगे हैं, जो त्वचा और पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं। कुछ लोग शराब, भांग आदि का सेवन कर अनुशासनहीनता फैलाते हैं, जिससे त्योहार की पवित्रता प्रभावित होती है। हमें इन बुराइयों से बचते हुए होली को पारंपरिक और सभ्य तरीके से मनाना चाहिए।
उपसंहार
होली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि उमंग, उल्लास और भाईचारे का प्रतीक है। हमें इसे प्रेमपूर्वक और सादगी से मनाना चाहिए, जिससे इसकी पवित्रता और सामाजिक महत्व बना रहे। यह त्योहार समाज में प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देता है और सभी को आपसी भेदभाव भूलने की प्रेरणा देता है।
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छोटे बच्चों के लिए होली पर 10 लाइन में निबंध
- होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है।
- हर साल होली फागुन (मार्च) के महीने में मनाई जाती है।
- हर साल होली के पहले दिन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन की जाती है।
- होली के दिन सभी लोग अपने घरो में पकवान बनाते है और रिश्तेदारों के घर जाकर एक दूसरे को रंग लगाते है।
- होली सामाजिक मतभेद को मिटाकर उत्साह बिखेरने का पर्व माना जाता है।
- होली के दिन सभी बिना किसी हीनभावना के एक-दूसरे को रंग लगाकर इस पर्व को मनाते है।
- पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक घमंडी राजा था जिसने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रह्लाद कि हत्या करवाने के लिए प्रह्लाद सहित आग में बैठजाने को कहा था जिसके परिणाम हेतु होलिका वरदान होने के बाद भी जल गयी। इसलिए हर साल होलिका जलाई जाती है।
- होली पर गुलाल रंग घमंड पर भक्ति की, अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। इसलिए इस पर्व पर सभी रंगो से खेल कर खुशियां होली मनाते है।
- इस पर्व पर हमें अपने भीतर कि सभी बुराई को ख़त्म कर प्रेम भाव से सभी का आदर सत्कार करने का प्रण लेना चाहिए।
- भक्त प्रहलाद ने भी भगवान विष्णु जी को रंग लगाकर अपनी भक्ति को पहले से ज्यादा मज़बूत किया और सभी में प्रेम का सन्देश दिया।
FAQs
होली प्रेम, भाईचारे और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जो समाज में एकता और सौहार्द को बढ़ावा देती है।
होली के रंग प्रेम, उमंग, उत्साह, खुशी और जीवन में नई ऊर्जा का प्रतीक हैं।
होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत और प्रेम, रंग व भाईचारे के प्रतीक रूप में मनाया जाता है।
भारत में होली रंगों, फूलों, गीत-संगीत, होलिका दहन और पारंपरिक पकवानों के साथ उत्साहपूर्वक मनाई जाती है।
आशा है कि इस लेख में दिए गए होली पर निबंध के सैंपल आपको पसंद आए होंगे। अन्य निबंध के लेख पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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