“राम काज कीन्हें बिनु, मोहि कहां विश्राम” जैसी महान पंक्ति की रचना करने वाले गोस्वामी तुलसीदास भारत के उन संतों में से एक हैं जिन्होंने न केवल सनातन संस्कृति को मजबूत किया, बल्कि भगवान श्रीराम के आदर्श चरित्र का दिव्य वर्णन भी किया। 16वीं शताब्दी के दौरान रचित उनका अमर ग्रंथ ‘श्रीरामचरितमानस’ सरल, भावपूर्ण और जनसामान्य की भाषा में होने के कारण आज भी करोड़ों लोगों के हृदय में बसा है। तुलसीदास जी की रचनाएं आज भी मानव को धर्म, भक्ति और नैतिकता के पथ पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
इसी कारण विद्यालयों और प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस लेख में उनके जीवन और रचनाओं पर आधारित निबंध के सैंपल्स दिए गए हैं, जिनके माध्यम से आप तुलसीदास जी के योगदान को सरलता से समझ सकते हैं।
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गोस्वामी तुलसीदास पर 100 शब्दों में निबंध
गोस्वामी तुलसीदास का जन्म श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी (सातवें दिन) को हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित आत्माराम द्विवेदी और माता का नाम हलसी देवी था। बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया और उनके पिता के गुरुदेव श्री नरसिंह दास ने उनका पालन पोषण किया। कम उम्र में ही उनका विवाह रत्नबली देवी से हो गया। बचपन से ही उन्हें शास्त्र-धर्म के वास्तविक ज्ञान की बहुत लालसा थी और अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए वे वाराणसी आ गए। वहां वे प्रसिद्ध पंडित श्री सनातन दास के शिष्य बन गए। अपने विद्यार्थी जीवन के दौरान उन्होंने बहुत उत्सुकता से संस्कृत भाषा का अध्ययन किया।
तुलसीदास पर 200 शब्दों में निंबध
तुलसीदास को संस्कृत रामायण का अवधी रामचरितमानस में अनुवाद करने का श्रेय दिया जाता है, जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री राम की जीवन गाथा है। रामचरितमानस के अलावा, अवधी भाषा में रामलला नहछू, बरवै रामायण, रामाज्ञा प्रश्न, पार्वती मंगल और जानकी मंगल तुलसीदास की कुछ लोकप्रिय रचनाएँ हैं।
गोस्वामी तुलसीदास के जीवन से लिया गया तुलसीदास क्षण, एक महत्वपूर्ण घटना को संदर्भित करता है जिसने उनके जीवन और दृष्टिकोण को बदल दिया। उन्होंने कहा कि यदि वह भगवान के प्रति प्रेम की उसी तीव्रता को पुनः निर्देशित करते हैं, तो वे पूरे ब्रह्मांड में भगवान राम के सबसे बड़े भक्त बन जाएंगे। इस सरल लेकिन गहन कथन ने तुलसीदास के जीवन में पूरी तरह से यू-टर्न ला दिया। तब तक वह अपनी पत्नी से बहुत जुड़े हुए थे और एक पल के लिए भी उनका साथ नहीं छोड़ा था। हालांकि, रत्नावली के शब्द उनके साथ गहराई से जुड़े हुए थे, जिससे भगवान राम के प्रति उनकी एक नई भक्ति प्रज्ज्वलित हुई। तुलसीदास ने खुद को पूरी तरह से भगवान राम की पूजा और महिमा के लिए समर्पित कर दिया। वह भगवान राम के एक भक्त बन गए, उन्होंने राम की महिमा और शिक्षाओं को समर्पित कई कविताओं और ग्रंथों की रचना की।
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तुलसीदास पर 500 शब्दों में निबंध
प्रस्तावना
गोस्वामी तुलसीदास को कवि और दार्शनिक के रूप में एक सम्मानित स्थान प्राप्त है। उनके योगदान को महत्वपूर्ण माना जाता है और उनकी रचनाएं पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती हैं। वे भगवान राम के भक्त थे और उन्होंने अपना जीवन उनकी पूजा के लिए समर्पित कर दिया।
तुलसीदास का जीवन परिचय
तुलसीदास का जन्म श्रावण मास की सप्तमी तिथि (जुलाई या अगस्त) को हुआ था। उनका जन्मस्थान राजापुर है, जो उत्तर प्रदेश (यूपी) में यमुना नदी के किनारे स्थित है। हुलसी और आत्माराम दुबे उनके माता-पिता के नाम हैं। ऐसा कहा जाता है कि वे जन्म के समय चिल्लाए नहीं और जन्म के समय उन्होंने राम का उच्चारण किया, जिसके कारण उनका बचपन का नाम रामबोला पड़ा। वर्ष 1583 में ज्येष्ठ माह (मई या जून) की 13 तारीख को उन्होंने कौशाम्बी जिले के महेवा गांव के दीनबंधु पाठक की बेटी रत्नावली से विवाह किया था।
तुलसीदास की रचनाएं
तुलसीदास एक विपुल लेखक और कवि थे, और उनकी रचनाओं का हिंदू संस्कृति और आध्यात्मिकता पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैंः
रामचरितमानस – यह महाकाव्य भगवान राम के जीवन की कहानी बयां करता है और इसे हिंदू साहित्य की सबसे महान कृतियों में से एक माना जाता है। रामचरितमानस अवधी में लिखी गई है, जो हिंदी की एक बोली है और इसका कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
विनय पत्रिका – यह भगवान राम की स्तुति में भक्ति कविताओं और भजनों का संग्रह है। इसे भक्ति साहित्य की उत्कृष्ट कृति माना जाता है।
हनुमान चालीसा – यह भजन भगवान राम के सेवक हनुमान को समर्पित है, और यह हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय भजनों में से एक है। हनुमान चालीसा को हर दिन लाखों हिंदू भक्ति और प्रार्थना के रूप में पढ़ते हैं।
दोहावली – यह कृति दोहावली का संग्रह है जो हिंदू दर्शन के ज्ञान और शिक्षाओं को व्यक्त करती है। इसे आध्यात्मिक जीवन के लिए एक मूल्यवान मार्गदर्शिका माना जाता है।
गोस्वामी तुलसीदास का योगदान
अयोध्या में अपने प्रवास के दौरान तुलसीदास ने भगवान राम की स्तुति में कई भक्ति रचनाएँ कीं, जिनमें उनकी उत्कृष्ट कृति रामचरितमानस भी शामिल है। रामचरितमानस एक महाकाव्य है जो भगवान राम के जीवन की कहानी बयां करता है, और इसे हिंदू साहित्य की सबसे महान कृतियों में से एक माना जाता है।
तुलसीदास की भगवान राम के प्रति भक्ति सिर्फ़ कविता लिखने तक ही सीमित नहीं थी। उन्होंने कई भक्ति भजन और गीत भी रचे जो आज भी भगवान राम की स्तुति में गाये जाते हैं। उनकी रचनाओं को भगवान के साथ गहरा संबंध बनाने की चाह रखने वालों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत माना जाता है।
तुलसीदास की विरासत दूरगामी है और हिंदू संस्कृति और आध्यात्मिकता पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है। भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति और उनके साहित्यिक योगदान ने दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रेरित किया है और आज भी ऐसा ही हो रहा है।
रामबोला से तुलसीदास बनने की कहानी
तुलसीदास की पत्नी का नाम बुद्धिमती (रत्नावली) था। तुलसीदास के पुत्र का नाम तारक था। तुलसीदास अपनी पत्नी से बहुत अधिक आसक्त थे। वे उनसे एक दिन का भी वियोग सहन नहीं कर सकते थे। एक दिन उनकी पत्नी अपने पति को बताए बिना अपने पिता के घर चली गईं। तुलसीदास रात में चुपके से अपने ससुर के घर उनसे मिलने गए। बुद्धिमती ने तुलसीदास से कहा कि इंसानी शरीर से ज्यादा प्रेम राम के प्रति रखेंगे तो आप अवश्य ही संसार सागर को पार कर अमरता को प्राप्त कर लेंगे। इन शब्दों के बाद तुलसीदास ने घर त्याग दिया और संन्यासी बन गए। इसके बाद उन्होंने विभिन्न पवित्र तीर्थस्थानों का भ्रमण करते हुए 14 वर्ष बिताए।
तुलसीदास का साहित्य में योगदान
तुलसीदास ने वाराणसी में लोगों के लिए संस्कृत में कविता लिखना शुरू किया। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने खुद उन्हें संस्कृत के बजाय स्थानीय भाषा में कविता लिखने का आदेश दिया था। जब तुलसीदास ने अपनी आंखें खोलीं, तो उन्होंने देखा कि शिव और पार्वती दोनों ने उन्हें आशीर्वाद दिया था। उन्हें अयोध्या जाकर अवधी में अपनी कविता लिखने का आदेश दिया गया था।
उन्होंने वर्ष 1631 में चैत्र माह की रामनवमी के दिन अयोध्या में रामचरितमानस लिखना शुरू किया। उन्होंने रामचरितमानस का लेखन दो वर्ष, सात महीने और छब्बीस दिन में वर्ष 1633 में मार्गशीर्ष माह की विवाह पंचमी (राम और सीता के विवाह दिवस) पर पूरा किया। वह वाराणसी आये और काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती को महाकाव्य रामचरितमानस का पाठ कराया।
उपसंहार
तुलसीदास का जीवन-परिवर्तनकारी प्रसंग है जो हमारे जीवन को नया आकार देने की शक्ति रखता है। यह हमें विकास और परिवर्तन की क्षमता के प्रति जागृत करता है और हमें आत्म-खोज के मार्ग की ओर प्रेरित करता है। तुलसीदास क्षण को अपनाकर, हम अपनी वास्तविक क्षमता को उजागर कर सकते हैं और उद्देश्य और पूर्ति का जीवन जी सकते हैं।
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गोस्वामी तुलसीदास पर 10 लाइन में निबंध
स्कूली छात्रों के लिए गोस्वामी तुलसीदास पर 10 लाइन में निबंध इस प्रकार है:-
- गोस्वामी तुलसीदास का जन्म श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी (सातवें दिन) को हुआ था।
- उनके पिता का नाम पंडित आत्माराम द्विवेदी और माता का नाम हलसी देवी था।
- गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा ही भारतीय संस्कृति की प्रमुख कृतियों में से एक श्रीरामचरितमानस की रच्चना की गई थी, जो कि अवधि भाषा में लिखी गई थी।
- गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस एक ऐसा महाकाव्य है, जो भगवान श्रीराम के चरित्र और उनकी जीवनगाथा पर आधारित है।
- गोस्वामी तुलसीदास भारतीय इतिहास के ऐसे महान संत थे, जिन्होंने हनुमान चालीसा की भी रचना की थी। आज भी उनके द्वारा रचित हनुमान चालीसा को उतने ही सम्मान के साथ सुना व गाया जाता है।
- उनके द्वारा रचित रचनाओं जैसे महाकाव्यों और ग्रंथों का भारत की प्राचीन हिंदू सनातन संस्कृति और आध्यात्मिकता पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
- उन्होंने भक्तिमार्ग पर चलकर कई ऐसी उपलब्धियां प्राप्त की, कि जिन्होनें काल और युग से परे उनकी पहचान को विशेष बनाने का काम किया।
- गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन, उनकी भक्ति और रचनाएं आज भी युवाओं को सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
- गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं से हम महाकाव्यों की विशेषताओं के बारे में भी आसानी से जान सकते हैं।
- गोस्वामी तुलसीदास भारतीय संत परंपरा का ऐसा जीवंत उदाहरण हैं, जिन्होंने सदैव समाज को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है।
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FAQs
दोहावली, रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, गीतावली, साहित्य रत्न, वैराग्य संदीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, विनय पत्रिका आदि।
गोस्वामी तुलसीदास 16वीं शताब्दी के एक महान संत, कवि और ‘श्रीरामचरितमानस’ ग्रंथ के रचयिता थे।
तुलसीदास के गुरु का नाम नरहरिदास था।
गोस्वामी तुलसीदास की भाषा अवधी और ब्रजभाषा थी।
आशा है कि इस लेख में दिए गए गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध के सैंपल आपको पसंद आए होंगे। ऐसे ही निबंध लेखन के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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