2024 में इस दिन मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी, जानें इतिहास और महत्व 

1 minute read
गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी भारत के सबसे प्रमुख और हर्षोल्लास से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान गणेश, जिन्हें ‘विघ्नहर्ता’ और ‘बुद्धि के देवता’ के रूप में जाना जाता है, की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। गणेश चतुर्थी भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में पड़ती है।

यह पर्व गणेश जी की मूर्ति स्थापना से शुरू होता है, जिसे विशेष रूप से सजाया जाता है और 10 दिनों तक विधिपूर्वक पूजा की जाती है। अंतिम दिन विसर्जन के समय लोग ढोल-नगाड़ों, नृत्य और गीतों के साथ गणपति बप्पा को विदा करते हैं और यह कामना करते हैं कि वे अगले वर्ष फिर से आएं और उनके जीवन से सभी विघ्न दूर करें। गणेश चतुर्थी न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह समाज में एकता, भाईचारे और संस्कृति के संगम का प्रतीक भी है, जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। इसलिए इस ब्लॉग में गणेश चतुर्थी का इतिहास और महत्व बताया गया है।

गणेश चतुर्थी के बारे में

यह एक शुभ हिंदू त्योहार है जो ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश के जन्म का जश्न मनाता है। भगवान गणेश को सभी बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में जाना जाता है, सभी हिंदू देवी-देवताओं में सबसे पहले पूजे जाते हैं। गणेश चतुर्थी भारत में सबसे व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है जो महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे अन्य राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। 

यह भी पढ़ें : 30+ Ganesh Chaturthi Quotes : गणेश चतुर्थी पर आस्था और विश्वास को सम्मानित करते अनमोल विचार

गणेश चतुर्थी

यह भी पढ़ें : Ganesh Chaturthi Wishes – अपनों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं देकर करें ‘सुख-समृद्धि’ की मंगलकामना

2024 में कब मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी?

पंचांगों के अनुसार, गणेश चतुर्थी या 10 दिवसीय गणेशोत्सव 2024 में 6 और 7 सितंबर को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और भारत में इसे बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

यह भी पढ़ें : सितंबर 2024 के महत्वपूर्ण दिनों की पूरी लिस्ट

गणेश चतुर्थी का इतिहास

गणेश चतुर्थी के इतिहास को दर्शाती हुई कुछ पौराणिक कहानियाँ और लोककथाएं यहाँ बताई गई हैं :

  1. गणेश चतुर्थी का उल्लेख हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों, जैसे कि ‘पुराणों’ और ‘शिव पुराण’ में मिलता है। गणेश जी को ज्ञान, बुद्धि, और समृद्धि के देवता माना जाता है और उन्हें सभी शुभ कार्यों से पहले पूजने की परंपरा है। माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को हुआ था, जिसे गणेश चतुर्थी कहा जाता है।
  2. कई लोककथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने गणेश जी की रचना अपने शरीर के उबटन से की थी और उन्हें अपने द्वार की रक्षा करने का कार्य सौंपा था। जब भगवान शिव आए और गणेश जी ने उन्हें प्रवेश करने से रोका, तो शिव ने उनका सिर काट दिया। बाद में देवी पार्वती की विनती पर भगवान शिव ने उन्हें हाथी का सिर देकर पुनर्जीवित किया और उन्हें प्रथम पूज्य का आशीर्वाद दिया।
  3. 17वीं शताब्दी के अंत में, महाराष्ट्र के पेशवा परिवार ने गणेश चतुर्थी को बड़े पैमाने पर मनाना शुरू किया। पेशवा गणपति भक्त थे और उनके शासनकाल में यह पर्व अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया। पेशवा काल के दौरान गणेश चतुर्थी की पूजा रॉयल्टी के साथ की जाती थी और आम लोगों में भी यह पर्व लोकप्रिय हुआ।
  4. 1893 में बाल गंगाधर तिलक ने इस पर्व को सार्वजनिक उत्सव के रूप में मनाने की शुरुआत की। उस समय अंग्रेजी शासन के खिलाफ लोगों को एकजुट करने के लिए उन्होंने गणेश चतुर्थी को एक सार्वजनिक और सामाजिक कार्यक्रम का रूप दिया। तिलक ने भगवान गणेश को ‘लोक देवता’ के रूप में प्रतिष्ठित किया और इस उत्सव का उपयोग राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए किया।

यह भी पढ़ें : विद्यार्थियों के लिए गणेश चतुर्थी पर लिखित निबंध

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि, और बाधाओं को दूर करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। इस त्योहार का महत्व कई स्तरों पर है :

  • गणेश जी को ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करते हैं। इसीलिए, किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा के साथ की जाती है।
  • गणेश जी को ‘बुद्धि के देवता’ के रूप में पूजा जाता है। इस दिन की पूजा से भक्तों को ज्ञान, विवेक और समझ प्राप्त होती है, जो जीवन के कठिनाइयों को सुलझाने में मदद करती है।
  • महाराष्ट्र, गोवा और तेलंगाना आदि राज्यों में यह त्योहार काफी लोकप्रिय है। इन राज्यों में गणपति जी के विशाल पंडाल लगते हैं और इस दिन सभी घरों में भगवान गणेश की प्रतिमा का भव्य स्वागत किया जाता है। 
  • गणेश चतुर्थी का उद्देश्य आध्यात्मिकता का प्रसार करना और आंतरिक शांति प्राप्त करना है। भगवान गणेश का ध्यान और उनकी पूजा, आत्मिक विकास और सकारात्मक ऊर्जा को प्रकट करने का माध्यम है।
  • गणेश चतुर्थी में विशेष रूप से मिट्टी की मूर्तियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती हैं। विसर्जन के समय ये मूर्तियां जल में घुल जाती हैं, जो प्रकृति और धरती के साथ हमारे जुड़ाव को दर्शाता है।

यह भी पढ़ें : जानिए गणेश विसर्जन पर अनमोल विचार

गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है?

गणेश चतुर्थी को मनाने के बारे में यहाँ बताया गया है :

  • गणेश चतुर्थी के चार मुख्य अनुष्ठान हैं- प्राणप्रतिष्ठा, षोडशोपचार, उत्तरपूजा और विसर्जन पूजा। इन दिनों लोग अपने घरों को फूलों और रंगोली डिज़ाइनों से सजाते हैं और भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्तियां अपने घरों में लाते हैं। चतुर्थी के दिन पूजा पंडालों, घरों, ऑफिस और एकेडमिक इंस्टिट्यूट्स के अलावा अन्य जगहों पर गणेश प्रतिमाएं रखी जाती हैं।
  • गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
  • भक्त गणेश जी की मूर्ति को अपने घरों या पंडालों में लाते हैं और फिर गणेश जी विधि-विधान से स्थापित किया जाता है।
  • गणेश जी की मूर्ति की प्रतिदिन पूजा की जाती है, जिसमें गणपति की आरती, मंत्र, और स्तुति का पाठ होता है। 
  • गणेश जी को विशेष रूप से मोदक का भोग लगाया जाता है, क्योंकि यह उनका प्रिय भोजन माना जाता है।
  • सुबह और शाम दोनों समय गणेश जी की आरती होती है, जिसमें परिवार और समुदाय के लोग एकत्र होते हैं और भक्ति भाव से पूजा करते हैं।
  •  गणेश चतुर्थी के 10वें दिन (अनंत चतुर्दशी) को गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
  • विसर्जन से पहले शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें भक्त ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ के जयकारे लगाते हुए मूर्ति को नदी, तालाब, या समुद्र में विसर्जित करते हैं।
  • इस प्रकार गणेश चतुर्थी पूरे भक्ति भाव, उत्साह और परंपराओं के साथ मनाई जाती है।

FAQs

गणेश चतुर्थी कितने दिन मनाई जाती है?

10 दिन।

गणेश चतुर्थी क्या है?

गणेश चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा के लिए मनाया जाने वाला हिन्दू त्योहार है, जो भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भाग्य, सौभाग्य, विद्या, और समृद्धि की देवी सरस्वती के आगमन की यात्रा के रूप में भी माना जाता है।

गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है?

गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो साल के विभिन्न महीनों में हो सकती है, लेकिन आमतौर पर सितंबर और अक्टूबर के बीच मनाई जाती है।

गणेश चतुर्थी की पूजा कैसे की जाती है?

गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश की मूर्ति को घरों में या पंडालों में स्थापित किया जाता है। उनकी पूजा धूप, दीप, फल, मिठाई, मोदक, और अन्य प्रसाद के साथ की जाती है। भजन-कीर्तन और आरती भी आयोजित की जाती हैं।

गणेश विसर्जन कब किया जाता है?

गणेश चतुर्थी के उत्सव के बाद, भगवान गणेश की मूर्ति को विसर्जित किया जाता है। यह विसर्जन प्रक्रिया अनेक दिनों तक चलती है और अक्सर नदी, समुंदर या झील में गणपति बाप्पा की मूर्ति को डूबाया जाता है।

गणेश चतुर्थी का महत्व क्या है?

गणेश चतुर्थी का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक है। भगवान गणेश को विधि, बुद्धि, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, और उनकी पूजा से भक्तों को सफलता और खुशियाँ प्राप्त होती हैं।

2024 में कब मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी?

2024 में 6 और 7 सितम्बर को मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी।

सम्बंधित आर्टिकल्स 

गणेश विसर्जन कब है?गणेश चतुर्थी कब है 2024?
जानिए गणेश चतुर्थी व्रत कथापरीक्षा में ऐसे लिखें गणेश उत्सव पर निबंध
गणेश चतुर्थी पर छात्र ऐसे लिख सकते हैं निबंधगणेश विसर्जन पर अनमोल विचार
गणेश चतुर्थीगणेश चतुर्थी पर विशेष कविता
गणेश चतुर्थी पर भाषण 

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको गणेश चतुर्थी के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*