Gandhiji Ki Atmakatha : गांधीजी की आत्मकथा का नाम क्या है?

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गांधीजी की आत्मकथा

Gandhiji Ki Atmakatha : महात्मा गांधी की आत्मकथा का नाम ‘सत्य के प्रयोग’ (The Story of My Experiments with Truth) है। गांधीजी ने यह पुस्तक मूल रूप से गुजराती भाषा में लिखी थी जिसका बाद में हिंदी समेत कई भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया गया। गांधी जी ने 29 नवंबर, 1925 को इस किताब को लिखना शुरू किया था और 3 फरवरी, 1929 को यह किताब पूरी हुई थी। इस पुस्तक को गांधीजी की आत्मकथा का दर्जा हासिल है। इस आत्मकथा में गांधीजी ने अपने बचपन से लेकर वर्ष 1921 तक के जीवन के बारे में विस्तार से बताया है। बता दें कि इस वर्ष 2 अक्टूबर, 2024 को महात्मा गांधी की 155वीं जयंती मनाई जाएगी। आइए अब इस लेख में गांधीजी की आत्मकथा (Gandhiji Ki Atmakatha) के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

गांधीजी की आत्मकथा – सत्य के प्रयोग क्यों लिखी गई?

वर्ष 1920 के आसपास उनके कुछ सहकर्मियों ने उनसे अपनी आत्मकथा लिखने का आग्रह किया। वे उस समय इस कार्य को अंजाम देने में असमर्थ थे क्योंकि वे स्वतंत्रता आंदोलन में गहराई से शामिल थे। बाद में अपने एक सहकर्मी स्वामी आनंद के आग्रह पर, गांधीजी अपनी आत्मकथा को छोटे-छोटे अध्यायों के रूप में नवजीवन नामक पत्रिका में लिखने के लिए सहमत हुए, जिसमें गांधीजी आमतौर पर अपने लेख लिखते थे। लेकिन उनके एक घनिष्ठ मित्र ने उन्हें सलाह दी कि आज वे अपनी आत्मकथा में जिन सिद्धांतों की वकालत करते हैं, यदि भविष्य में वे किसी भी कारण से बदल गये तो लोगों में उनकी बातों का कोई मूल्य नहीं रह जायेगा। इस सलाह का गांधीजी पर बहुत प्रभाव पड़ा और उन्होंने इस आत्मकथा के बारे में अपना मन बदल लिया। अंततः गांधीजी ने अपने जीवनकाल में सत्य पर किए गए प्रयोगों के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभव लिखने का निर्णय लिया। बताया जाता है कि गांधीजी की आत्मकथा (Gandhiji Ki Atmakatha) के प्रकाशन के साढ़े तीन वर्ष के भीतर ही इसकी तीन लाख प्रतियाँ बिक गई थी।  

Gandhiji Ki Atmakatha
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यह भी पढ़ें – सत्य, अहिंसा के पुजारी ‘महात्मा गांधी’ का संपूर्ण जीवन परिचय 

सत्य के प्रयोग की कुछ प्रमुख विशेषताएं

सत्य के प्रयोग एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कृति है जो महात्मा गांधी के जीवन और विचारों को समझने के लिए आवश्यक है। यह एक प्रेरणादायक कहानी है एक व्यक्ति की, जो अपने जीवन में आध्यात्मिक और राजनीतिक दोनों तरह से महान ऊंचाइयों तक पहुंचा। सत्य के प्रयोग की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • यह एक व्यक्तिगत और आत्म-विश्लेषणात्मक आत्मकथा है। गांधीजी अपने विचारों और भावनाओं के बारे में खुलकर लिखते हैं।
  • यह एक राजनीतिक और सामाजिक आत्मकथा भी है। गांधीजी भारत की स्वतंत्रता संग्राम और अन्य सामाजिक आंदोलनों में उनकी भूमिका का वर्णन करते हैं।
  • यह एक आध्यात्मिक आत्मकथा भी है। गांधीजी अपने आध्यात्मिक विकास के बारे में लिखते हैं, और उन्होंने कैसे अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों को अपनाया।

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FAQs

महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था?

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था।

महात्मा गांधी के कितने बेटे थे?

महात्मा गांधी की बेटी नहीं थी, उनके केवल चार बेटे थे।

गांधी का पहला पुत्र कौन है?

गांधी जी के पहले पुत्र हीरालाल थे।

महात्मा गांधी का विवाह किससे हुआ था?

महात्मा गांधी का विवाह ‘कस्तूरबा गांधी’ से हुआ था।

महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या है?

महात्मा गांधी का पूरा नाम ‘मोहनदास करमचंद गांधी’ (Mohandas Karamchand Gandhi) है।

कुछ सबसे प्रसिद्द महात्मा गांधी की पुस्तकों के नाम क्या हैं?

सत्य के प्रयोग, हिन्द स्वराज, मेरे सपनों का भारत, दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह, गीता बोध आदि कुछ सबसे प्रसिद्द महात्मा गांधी की पुस्तकों के नाम हैं। 

गांधी जी की आत्मकथा में कब से कब तक की घटनाओं का विवरण है?

महात्मा गाँधी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ में उनके जन्म से लेकर वर्ष 1921 तक की घटनाओं का विवरण है। 

गांधीजी की आत्मकथा का क्या नाम है?

महात्मा गाँधी की आत्मकथा का नाम ‘सत्य के प्रयोग’ (The Story of My Experiments with Truth) है।

सत्य के प्रयोग का लेखन कब पूर्ण हुआ?

गांधीजी ने 29 नवंबर, 1925 को इस किताब को लिखना शुरू किया था और 3 फरवरी, 1929 को यह किताब पूरी हुई थी। 

आशा है कि आपको गांधीजी की आत्मकथा (Gandhiji Ki Atmakatha) के बारे में सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। गांधीजी के जीवन और कार्यों से संबंधित अधिक ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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