डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय समाज के एक महान नेता, सामाजिक सुधारक और भारत के संविधान के शिल्पकार थे। उनका जीवन संघर्ष, शिक्षा के प्रति समर्पण और समाज में समानता की स्थापना के लिए किया गया योगदान उन्हें इतिहास में एक विशेष स्थान दिलाता है। ऐसे महान विचारक का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के ‘महू’ नामक स्थान पर हुआ था, जिसे अब डॉ. अंबेडकर नगर के नाम से जाना जाता है। बाबासाहेब अंबेडकर जाति से दलित थे और उस समय की सामाजिक व्यवस्था में उन्हें ‘अछूत’ माना जाता था। इस कारण उनका बचपन अनेक कठिनाइयों और भेदभाव से भरा रहा। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और शिक्षा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया। यदि आप भीम राव आंबेडकर जीवनी (Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi) में विस्तार से जानना चाहते हैं—उनका जीवन परिचय, शिक्षा, संघर्ष, विचार और योगदान—तो इस ब्लॉग को अंत तक ज़रूर पढ़ें।
उससे पहले डॉ भीमराव अंबेडकर से संबंधित जानकारी आप नीचे दिए गए टेबल में देख सकते हैं :
जन्म | 14 अप्रैल 1891 मध्य प्रदेश, भारत में |
जन्म का नाम | भिवा, भीम, भीमराव, बाबासाहेब अंबेडकर |
अन्य नाम | बाबासाहेब अंबेडकर |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | बौद्ध धर्म |
शैक्षिक सम्बद्धता | • मुंबई विश्वविद्यालय (बी॰ए॰) • कोलंबिया विश्वविद्यालय (एम॰ए॰, पीएच॰डी॰, एलएल॰डी॰) लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (एमएस०सी०,डीएस॰सी॰) ग्रेज इन (बैरिस्टर-एट-लॉ) |
पेशा | विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्दार्शनिक, लेखक पत्रकार, समाजशास्त्री, मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्, धर्मशास्त्री, इतिहासविद् प्रोफेसर, सम्पादक |
व्यवसाय | वकील, प्रोफेसर व राजनीतिज्ञ |
जीवन साथी | रमाबाई अंबेडकर (विवाह 1906- निधन 1935) डॉ० सविता अंबेडकर ( विवाह 1948- निधन 2003) |
बच्चे | यशवंत अंबेडकर |
राजनीतिक दल | शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन स्वतंत्र लेबर पार्टी भारतीय रिपब्लिकन पार्टी |
अन्य राजनीतिक संबद्धताऐं | सामाजिक संगठन: • बहिष्कृत हितकारिणी सभा • समता सैनिक दल शैक्षिक संगठन: • डिप्रेस्ड क्लासेस एज्युकेशन सोसायटी • द बाँबे शेड्युल्ड कास्ट्स इम्प्रुव्हमेंट ट्रस्ट • पिपल्स एज्युकेशन सोसायटी धार्मिक संगठन: भारतीय बौद्ध महासभा |
पुरस्कार/ सम्मान | • बोधिसत्व (1956) • भारत रत्न (1990) • पहले कोलंबियन अहेड ऑफ देअर टाईम (2004) • द ग्रेटेस्ट इंडियन (2012) |
मृत्यु | 6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65) डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक, नयी दिल्ली, भारत |
समाधि स्थल | चैत्य भूमि,मुंबई, महाराष्ट्र |
This Blog Includes:
- बाबासाहेब अंबेडकर का प्रारंभिक जीवन
- बाबासाहेब अंबेडकर की प्रारंभिक शिक्षा
- बाबासाहेब अंबेडकर की उच्च शिक्षा
- बाबासाहेब अंबेडकर के पास कितनी डिग्री थी?
- प्रयत्नशील सामाजिक सुधारक डॉ भीमराव अंबेडकर
- भीम राव अंबेडकर जीवनी में छुआछूत विरोधी संघर्ष
- डॉ भीमराव अंबेडकर बनाम गांधी जी
- डॉ भीमराव अंबेडकर राजनीतिक सफर
- पुरस्कार एवं सम्मान
- डॉ भीमराव अंबेडकर का निधन
- डॉ भीमराव अंबेडकर की रचनावली
- डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित पुस्तकें
- बाबासाहेब अंबेडकर के बारे में रोचक तथ्य
- बाबासाहेब अंबेडकर के कुछ महान विचार
- FAQs
बाबासाहेब अंबेडकर का प्रारंभिक जीवन
डॉ भीम राव आंबेडकर जीवनी (Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi) शुरू होती है इनके प्रारंभिक जीवन से। आपको बता दें डॉ. भीमराव अंबेडकर और उनके पिता मुंबई शहर के एक ऐसे मकान में रहने गए जहां एक ही कमरे में पहले से बेहद गरीब लोग रहते थे इसलिए दोनों के एक साथ सोने की व्यवस्था नहीं थी तो बाबासाहेब अंबेडकर और उनके पिता बारी-बारी से सोया करते थे। जब उनके पिता सोते थे तो डॉ भीमराव अंबेडकर दीपक की हल्की सी रोशनी में पढ़ते थे। भीमराव अंबेडकर संस्कृत पढ़ने के इच्छुक थे, परंतु छुआछूत की प्रथा के अनुसार और निम्न जाति के होने के कारण वे संस्कृत नहीं पढ़ सकते थे। परंतु ऐसी विडंबना थी कि विदेशी लोग संस्कृत पढ़ सकते थे। भीम राव अंबेडकर जीवनी में अपमानजनक स्थितियों का सामना करते हुए डॉ भीमराव अंबेडकर ने धैर्य और वीरता से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई।
बाबासाहेब अंबेडकर की प्रारंभिक शिक्षा
डॉ भीम राव आंबेडकर जीवनी (Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi) का अहम हिस्सा है बाबासाहेब अंबेडकर की प्रारंभिक शिक्षा। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सन् 1907 में मैट्रिकुलेशन पास करने के बाद ‘एली फिंस्टम कॉलेज‘ में सन् 1912 में ग्रेजुएट हुए। सन 1913 में उन्होंने 15 प्राचीन भारतीय व्यापार पर एक शोध प्रबंध लिखा था। डॉ.भीमराव अंबेडकर ने वर्ष 1915 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए की डिग्री प्राप्त की। सन् 1917 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर ली। बता दें कि उन्होंने ‘नेशनल डेवलपमेंट फॉर इंडिया एंड एनालिटिकल स्टडी’ विषय पर शोध किया। वर्ष 1917 में ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में उन्होंने दाखिला लिया लेकिन साधन के अभाव के कारण वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाए।
कुछ समय बाद लंदन जाकर ‘लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स‘ से अधूरी पढ़ाई उन्होंने पूरी की। इसके साथ-साथ एमएससी और बार एट-लॉ की डिग्री भी प्राप्त की। वह अपने युग के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे राजनेता और एवं विचारक थे। बता दें कि वह (भीम राव अंबेडकर जीवनी) कुल 64 विषयों में मास्टर थे, 9 भाषाओं के जानकार थे, इसके साथ ही उन्होंने विश्व के सभी धर्मों के बारे में पढ़ाई की थी।
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बाबासाहेब अंबेडकर की उच्च शिक्षा
कोलंबिया विश्वविद्यालय में छात्र के रूप में अंबेडकर वर्ष 1915 -1917 में 22 वर्ष की आयु में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए। जून 1915 में उन्होंने अपनी एम.ए. परीक्षा पास की, जिसमें अर्थशास्त्र प्रमुख विषय, और समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान यह अन्य विषय थे। उन्होंने स्नातकोत्तर के लिए प्राचीन भारतीय वाणिज्य विषय पर रिसर्च कार्य प्रस्तुत किया।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अपने प्रोफेसरों और दोस्तों के साथ अंबेडकर सन् 1916 – 17 से सन् 1922 तक एक बैरिस्टर के रूप में लंदन चले गये और वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट थीसिस पर काम करना शुरू किया।
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बाबासाहेब अंबेडकर के पास कितनी डिग्री थी?
भारत रत्न के पास 32 डिग्रियों के साथ 9 भाषाओं के सबसे बेहतर जानकार थे। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मात्र 2 साल 3 महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी की थी। वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ नामक एक दुर्लभ डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हैं।
प्रथम विश्व युद्ध की वजह से उनको भारत वापस लौटना पड़ा। कुछ समय बाद उन्होंने बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में नौकरी प्रारंभ की। बाद में उनको सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स में राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गई।
कोल्हापुर के शाहू महाराज की मदद से एक बार फिर वह उच्च शिक्षा के लिए लंदन गए। उनकी शिक्षा, संघर्ष और उपलब्धियों की यह कहानी भीम राव आंबेडकर जीवनी (Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें बताती है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने अपने लक्ष्य से कभी पीछे हटना नहीं स्वीकारा।
प्रयत्नशील सामाजिक सुधारक डॉ भीमराव अंबेडकर
डॉ बी. आर. अंबेडकर ने इतनी असमानताओं का सामना करने के बाद सामाजिक सुधार का मोर्चा उठाया। अंबेडकर जी ने ऑल इंडिया क्लासेज एसोसिएशन का संगठन किया। सामाजिक सुधार को लेकर वह बहुत प्रयत्नशील थे। ब्राह्मणों द्वारा छुआछूत की प्रथा को मानना, मंदिरों में प्रवेश ना करने देना, दलितों से भेदभाव, शिक्षकों द्वारा भेदभाव आदि सामाजिक सुधार करने का प्रयत्न किया। परंतु विदेशी शासन काल होने कारण यह ज्यादा सफल नहीं हो पाया। विदेशी शासकों को यह डर था कि यदि यह लोग एक हो जाएंगे तो परंपरावादी और रूढ़िवादी वर्ग उनका विरोधी हो जाएगा।
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भीम राव अंबेडकर जीवनी में छुआछूत विरोधी संघर्ष
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने छुआछूत की पीड़ा को बचपन से ही सहा था। जाति प्रथा और ऊंच-नीच के भेदभाव को उन्होंने न सिर्फ महसूस किया, बल्कि उसके कारण कई बार अपमान का सामना भी किया। इसी अन्याय के खिलाफ उन्होंने जीवनभर संघर्ष किया। उनका उद्देश्य था कि निम्न जातियों को छुआछूत जैसी अमानवीय प्रथा से मुक्त किया जाए और समाज में उन्हें समान अधिकार व सम्मान दिलाया जाए।
1920 के दशक में मुंबई में दिए गए एक भाषण में उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था, “जहां मेरे व्यक्तिगत हित और देश के हित में टकराव होगा, वहां मैं देश के हित को प्राथमिकता दूंगा। लेकिन जहां दलित जातियों के हित और देश के हित में टकराव होगा, वहां मैं दलित जातियों को प्राथमिकता दूंगा।”
वे दलित समाज के लिए एक मसीहा बनकर उभरे, जिन्होंने अपने जीवन के अंतिम क्षण तक उनके अधिकारों और सम्मान के लिए संघर्ष किया। सन् 1927 में उन्होंने अछूतों को सार्वजनिक जलस्रोतों से पानी लेने के अधिकार के लिए एक सत्याग्रह का नेतृत्व किया, और 1937 में मुंबई उच्च न्यायालय में इस मुद्दे पर ऐतिहासिक जीत हासिल की।
भीम राव अंबेडकर जीवनी (Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi) का यह भाग दर्शाता है कि उन्होंने केवल शब्दों से नहीं, बल्कि कर्मों से भी सामाजिक समानता की नींव रखी।
डॉ भीमराव अंबेडकर बनाम गांधी जी
सन् 1932 में पुणे समझौते के तहत महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव अंबेडकर के बीच विचार-विमर्श के बाद एक साझा समाधान पर सहमति बनी, जिसका उद्देश्य दलितों को राजनीतिक अधिकार दिलाना था। हालांकि, यह केवल आरंभ था—आगे चलकर दोनों नेताओं के विचारों में कई बार तीव्र मतभेद भी उभरे।
सन् 1945 में डॉ. अंबेडकर ने गांधीजी द्वारा हरिजनों (दलितों) के प्रतिनिधित्व के दावे को चुनौती दी और “What Congress and Gandhi Have Done to the Untouchables” नामक महत्वपूर्ण पुस्तक प्रकाशित की। इस लेखन में उन्होंने गांधी और कांग्रेस की नीतियों पर गंभीर प्रश्न उठाए और दलितों के अधिकारों की उपेक्षा की आलोचना की।
स्वतंत्रता के बाद, 1947 में डॉ. अंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री बने। वे गांधीजी और कांग्रेस के तीव्र आलोचक माने जाते थे, विशेषकर ग्राम व्यवस्था को लेकर। 1932 में मुंबई विधानसभा में ग्राम पंचायत बिल पर चर्चा करते हुए डॉ. अंबेडकर ने कहा था:
“बहुतों ने ग्राम पंचायतों की प्राचीन व्यवस्था की प्रशंसा की है, कुछ ने तो इसे ग्रामीण प्रजातंत्र तक कहा है। लेकिन मेरे विचार में ये व्यवस्था भारत के सार्वजनिक जीवन के लिए एक अभिशाप रही है। यदि भारत राष्ट्रीयता और एकता की भावना विकसित करने में विफल रहा है, तो इसका मुख्य कारण ग्राम व्यवस्था का अस्तित्व है।”
डॉ. अंबेडकर का यह दृष्टिकोण दर्शाता है कि वे केवल सामाजिक समानता ही नहीं, बल्कि आधुनिक भारत के ढांचे को लेकर भी एक स्पष्ट, आलोचनात्मक और दूरदर्शी सोच रखते थे।
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डॉ भीमराव अंबेडकर राजनीतिक सफर
वर्ष 1936 में बाबा साहेब जी ने स्वतंत्र मजदूर पार्टी का गठन किया था। सन् 1937 के केन्द्रीय विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 15 सीट की जीत मिली। अम्बेडकर जी अपनी इस पार्टी को आल इंडिया शीडयूल कास्ट पार्टी में बदल दिया, इस पार्टी के साथ वे 1946 में संविधान सभा के चुनाव में खड़े हुए, लेकिन उनकी इस पार्टी का चुनाव में बहुत ही ख़राब प्रदर्शन रहा। कांग्रेस व महात्मा गाँधी ने अछूते लोगों को हरिजन नाम दिया, जिससे सब लोग उन्हें हरिजन ही बोलने लगे, लेकिन अम्बेडकर जी को ये बिल्कुल पसंद नहीं आया और उन्होंने उस बात का विरोध किया था। उनका कहना था अछूते लोग भी हमारे समाज का एक हिस्सा है, वे भी बाकि लोगों की तरह आम व्यक्ति ही हैं। अम्बेडकर जी को रक्षा सलाहकार कमिटी में रखा गया व वाइसराय एग्जीक्यूटिव परिषद उन्हें लेबर का मंत्री बनाया गया था। बाबा साहेब आजाद भारत के पहले कानून मंत्री भी बने थे।
पुरस्कार एवं सम्मान
बाबा साहेब अंबेडकर को अपने महान कार्यों के चलते कई पुरस्कार भी मिले थे, जो इस प्रकार हैं:
- डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का स्मारक दिल्ली स्थित उनके घर 26 अलीपुर रोड में स्थापित किया गया है।
- अंबेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रखा जाता है।
- 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।
- कई सार्वजनिक संस्थान का नाम उनके सम्मान में उनके नाम पर रखा गया है जैसे कि हैदराबाद, आंध्र प्रदेश का डॉ. अम्बेडकर मुक्त विश्वविद्यालय, बी आर अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय- मुजफ्फरपुर।
- डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नागपुर में है, जो पहले सोनेगांव हवाई अड्डे के नाम से जाना जाता था।
- अंबेडकर का एक बड़ा आधिकारिक चित्र भारतीय संसद भवन में प्रदर्शित किया गया है।
डॉ भीमराव अंबेडकर का निधन
भीम राव आंबेडकर जीवनी (Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi) में डॉ. भीमराव अंबेडकर के निधन का जिक्र एक दुखद और अहम घटना के रूप में किया जाता है। डॉ. भीमराव अंबेडकर 1948 से मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित थे और 1954 तक उनकी स्वास्थ्य स्थिति खराब रही। 3 दिसंबर 1956 को उन्होंने अपनी अंतिम पांडुलिपि “बुद्ध और धम्म” को पूरा किया, जो उनके जीवन और विचारों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बाद, 6 दिसंबर 1956 को डॉ. अंबेडकर ने दिल्ली स्थित अपने घर में अंतिम सांस ली। बाबा साहेब का अंतिम संस्कार चौपाटी समुद्र तट पर बौद्ध शैली में किया गया, और इस दिन से अंबेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया।
डॉ भीमराव अंबेडकर की रचनावली
डॉ. भीमराव अंबेडकर की जीवन यात्रा और उनके विचारों को समझने के लिए उनकी रचनाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भीम राव अंबेडकर जीवनी में प्रमुख दो रचनावलियों के नाम निम्नलिखित हैं:
- डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर राइटिंग्स एंड स्पीचेज (महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रकाशित)
- साहेब डॉ. अंबेडकर संपूर्ण वाड़्मय (भारत सरकार द्वारा प्रकाशित)
इन रचनावलियों में डॉ. अंबेडकर के विचार, लेख, और भाषणों का संग्रह किया गया है, जो भारतीय समाज और उनके सामाजिक सुधारों की गहरी समझ प्रदान करते हैं।
डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित पुस्तकें
डॉ. भीमराव अंबेडकर समाज सुधारक होने के साथ-साथ एक महान लेखक भी थे। लेखन में गहरी रुचि रखने वाले बाबा साहेब ने अपने विचारों और समाज की जटिलताओं को स्पष्ट करने के लिए कई पुस्तकें लिखीं। डॉ. अंबेडकर द्वारा लिखित प्रमुख पुस्तकों की सूची निम्नलिखित है:
- भारत का राष्ट्रीय अंश
- भारत में जातियां और उनका मशीनीकरण
- भारत में लघु कृषि और उनके उपचार
- मूलनायक
- ब्रिटिश भारत में साम्राज्यवादी वित्त का विकेंद्रीकरण
- रुपए की समस्या: उद्भव और समाधान
- ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का अभ्युदय
- बहिष्कृत भारत
- जनता
- जाति विच्छेद
- संघ बनाम स्वतंत्रता
- पाकिस्तान पर विचार
- श्री गांधी एवं अछूतों की विमुक्ति
- रानाडे, गांधी और जिन्ना
- शूद्र कौन और कैसे
- भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म
- महाराष्ट्र भाषाई प्रांत
इन पुस्तकों ने समाज में समानता, न्याय और अधिकारों के मुद्दों पर महत्वपूर्ण बहसें छेड़ी और डॉ. अंबेडकर के विचारों को व्यापक रूप से प्रस्तुत किया।
बाबासाहेब अंबेडकर के बारे में रोचक तथ्य
डॉ. भीमराव अंबेडकर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य नीचे दिए गए हैं, जो उनके जीवन और योगदान को और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।
- भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर अशोक चक्र लगाने का श्रेय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को ही जाता है।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर लगभग 9 भाषाओं के ज्ञाता थे।
- उन्होंने 21 साल की उम्र तक लगभग सभी धर्मों की गहरी अध्ययन किया था।
- डॉ. अंबेडकर ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अर्थशास्त्र में PhD विदेश में जाकर की थी।
- उनके पास कुल 32 डिग्रियां थीं, जो उनकी शिक्षा और समर्पण को दर्शाती हैं।
- आजाद भारत के पहले कानून मंत्री बाबासाहेब ही थे।
- बाबासाहेब ने दो बार लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
- डॉ. अंबेडकर हिंदू महार जाति से ताल्लुक रखते थे, जिसे समाज द्वारा अछूत माना जाता था।
- डॉ. अंबेडकर कश्मीर में लगी धारा 370 के खिलाफ थे, जो राज्य को विशेष दर्जा देती थी।
बाबासाहेब अंबेडकर के कुछ महान विचार
भीम राव आंबेडकर जीवनी (Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi) में उनके कुछ महान विचार उल्लेखित हैं, जो उनके समाज सुधारक दृष्टिकोण और समानता के प्रति समर्पण को उजागर करते हैं।
1.जो कौम अपना इतिहास तक नहीं जानती है, वे कौम कभी अपना इतिहास भी नहीं बना सकती है।
2. जीवन लंबा होने के बजाए महान होना चाहिए।
3.बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
4.संविधान यह एक मात्र वकीलों का दस्तावेज नहीं। यह जीवन का एक माध्यम है।
5.जो धर्म जन्म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बताये वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।
6.जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिए बेईमानी है।
7.मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर है, एक विचार को प्रचार प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की नहीं तो दोनों मुरझा कर मर जाते हैं ।
8.यदि मुझे लगा संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो इसे जलानेवाला सबसे पहले मैं रहूँगा।
9. कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए।
10.हिम्मत इतनी बड़ी रखो के किस्मत छोटी लगने लगे ।
11.किसी का भी स्वाद बदला जा सकता है लेकिन ज़हर को अमृत में परिवर्तित नही किया जा सकता ।
12.यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।
13.अपने भाग्य के बजाए अपनी मजबूती पर विश्वास करो।
14.मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।
15.जो व्यक्ति अपनी मौत को हमेशा याद रखता है, वह सदा अच्छे कार्य में लगा रहता है।
FAQs
बाबा साहेब की मृत्यु मधुमेय (डायबिटीज) से हुई थी।
भारतीय संविधान के निर्माता डॉ बाबा साहेब अंबेडकर हैं।
बाबा साहेब के गुरु का नाम कृष्ण केशव अंबेडकर था।
डॉ. भीमराव अंबेडकर का अंतिम संस्कार 6 दिसंबर 1956 को मुंबई के चौपाटी समुद्र तट पर बौद्ध रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया था।
14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्मदिन होता है, जिन्हें बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है।
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आपका बहुत बहुत आभार
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भीम राव अंबेडकर
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Mujhe baba saheb ki vichar Dara achi lagi I am big fan baba saheb
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Baba saheb Bichar Achi lage Jai baba sahab
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37 comments
very good
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कमेंट करने के लिए धन्यवाद।
Very good bhai bahut achha likha thank you
jay samvidhan namo buddhay
Jay bheem
Nice and thanks

I am very impressed


good
इतने कम शब्दों में बहुत सुंदर व्याख्या की बहुत-बहुत धन्
Very nice

, Jai Bheem 
Dr. Ambedkar ke Jaankari ko YouTube par daal sakta hun
कमलेश जी, आप अंबेडकर जी की जानकारी को यूट्यूब पर डाल सकते हैं लेकिन उसके लिए आपको हमने क्रेडिट्स देने की आवश्यकता है।
Verrinice no dout
It’s very useful
Thank you
Aapne Baba saheb ke bare me bahut hi achhe se likha hai Baba saheb jaisa insan puri duniya me nahi hai Love u BABA saheb
tum ko bhi thanks u
धर्मेंद्र जी, आपका आभार। ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ,अति उत्तम ।
Bahut badhiya tarike se likha hua hai. Thanks a lot
अंजनी जी, आपका धन्यवाद, ऐसी ही अन्य ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर बनें रहे।
Jay bhim
सुनील जी आपका शुक्रिया, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर रहें।
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बहुत ही अच्छा लेख
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Mujhe Babasaheb ke bare mein padh kar bht acha lga kuch knowledge mili
इस लेख को सराहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आप ऐसे ही आकर्षक ब्लॉग नीचे दिए गए लिंक्स के द्वारा पढ़ सकते हैं:
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Mujhe padna acha lagta h or me sabhi books padna cahata hu baba sahab ke uper se likhi hui
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आपका बहुत बहुत आभार
भीम राव अंबेडकर
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