Kheda Andolan: खेड़ा सत्याग्रह कब हुआ?

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खेड़ा सत्याग्रह

भारत में स्वतंत्रता से पूर्व व उसके पश्चात कई किसान आंदोलन हुए हैं। इनमें से एक प्रमुख आंदोलन गुजरात का ‘खेड़ा सत्याग्रह’ (Kheda Andolan) भी था जिसकी शुरुआत वर्ष 1918 में ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध भू-राजस्व माफ कराने के उद्देश्य से हुई थी। बता दें कि खेड़ा सत्याग्रह की शुरुआत खेड़ा के दो स्थानीय नेताओं ‘मोहनलाल कामेश्वर’ और ‘शंकरलाल पारीख’ ने की थी। इसके बाद इस आंदोलन में ‘महात्मा गांधी’, ‘सरदार वल्लभभाई पटेल’ ‘इंदूलाल याज्ञिक’ और कई बड़े नेताओं के साथ हजारों किसानों ने भाग लिया। वहीं खेड़ा सत्याग्रह से भारत की कई प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है। इनमें UPSC, PCS, SSC व अन्य कई परीक्षाएं शामिल हैं। इसके अलावा विद्यालय और कॉलेज में भी स्टूडेंट्स को खेड़ा सत्याग्रह के बारे में पढ़ाया जाता है। आइए अब हम खेड़ा सत्याग्रह (Kheda Movement) के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

आंदोलन का नाम खेड़ा सत्याग्रह (Kheda Andolan)
आंदोलन का वर्ष वर्ष 1918 
आंदोलन का कारण भू-राजस्व माफ कराना 
स्थानीय नेता  ‘मोहनलाल कामेश्वर’ और ‘शंकरलाल पारीख’
राष्ट्रीय नेता ‘महात्मा गांधी’ व ‘सरदार वल्लभभाई पटेल’ 
आंदोलन की समाप्ति जून 1918 

खेड़ा सत्याग्रह की शुरुआत 

वर्ष 1917 में जब राष्ट्रपितामहात्मा गांधी’ बिहार के चंपारण में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। उसी दौरान उनके गृह राज्य गुजरात में खेड़ा के किसान ब्रितानी सरकार से भू-राजस्व माफ कराने के उद्देश्य से एकजुट हो रहे थे। इसका एक मुख्य कारण फसल की बर्बादी और कीमतों में बढ़ोतरी से था जिसके कारण किसानों पर ऋण बढ़ता जा रहा था और अंग्रेज सरकार ने उनका कर्ज माफ करने से साफ इंकार कर दिया था। 

स्थानीय नेताओं की अपील 

वर्ष 1918 में खेड़ा सत्याग्रह से पहले ही गुजरात में प्लेग की घातक बीमारी के कारण काफी नुकसान हुआ था। इसके साथ ही सिर्फ खेड़ा में तकरीबन 16 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी। बता दें कि खेड़ा आंदोलन की शुरुआत खेड़ा के ही दो स्थानीय नेताओं ‘शंकरलाल पारीख’ और ‘मोहनलाल कामेश्वर पंड्या’ ने की थी। उन्होंने स्थानीय किसानों की असंतोष की स्तिथि को भांपते सरकार से यह अपील की थी कि उनपर भू-राजस्व कर देने के लिए दबाव न डाला जाए। इसके साथ ही उन्होंने ‘गुजरात सभा’, अहमदाबाद से किसानों के पक्ष में सहयोग की अपील की व गांधी जी को भी पत्र लिखा जो उस समय चंपारण में थे। 

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गांधी और खेड़ा सत्याग्रह

गुजरात महासभा के अध्यक्ष होने के कारण गांधी जी ने बॉम्बे सरकार को पत्र लिखकर किसानों को कुछ मामलों में छूट देने और राजस्व की मांग को स्थगित करने के लिए अपील की। किंतु उनकी इस अपील का कोई अनुकूल कार्यवाही न होने के कारण उन्होंने नडियाद में ही खेड़ा सत्याग्रह की घोषणा कर दी। 

सरदार वल्लभभाई पटेल का राजनीति में प्रवेश 

वर्ष 1918 में गांधी जी ने स्वयं गुजरात सभा के अन्य सदस्यों के साथ खेड़ा के गांवों का दौरा किया व यह देखा कि किसानों के राजस्व के निलंबन की मांग जायज है। इस दौरे में गुजरात सभा के तत्कालीन सचिव ‘सरदार वल्लभभाई पटेल’ भी थे। आपको बता दें कि इस आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने वकालत छोड़कर पूर्ण रूप से सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया था। 

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खेड़ा सत्याग्रह की समाप्ति 

इसके बाद गांधी जी ने किसानों को सत्याग्रह करने की अपील की और लोगों को स्वयंसेवक और कार्यकर्ता बनने  के लिए प्रोत्साहित किया। वहीं मोहनलाल कामेश्वर पंड्या व अन्य स्थानीय नेताओं को ब्रिटिश सरकार की अवमामना करने के अपराध में गिरफ्तार किया गया। लेकिन इससे उन्हें लोगों का व्यापक रूप से जन समर्थन मिला और यह आंदोलन और तेजी से बढ़ने लगा। 

खेड़ा सत्याग्रह (Kheda Andolan) का सरकार पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा क्योंकि उन्हें ब्रितानियों के युद्ध संबंधी कार्यों के लिए भारतीय लोगों के असमर्थन की चिंता भी होने लगी। गांधी जी के नेतृत्व में यह आंदोलन जून 1918 तक चला और अंत में ब्रिटिश सरकार ने किसानों की मांगों को स्वीकार कर लिया।

FAQs

खेड़ा सत्याग्रह कब शुरू हुआ था?

खेड़ा सत्याग्रह वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा में शुरू हुआ था। 

खेड़ा आंदोलन क्यों हुआ था?

ब्रिटिश हुकूमत से भू-राजस्व को स्थगित करने के उद्देश्य से खेड़ा सत्याग्रह हुआ था।  

खेड़ा सत्याग्रह के प्रमुख नेता कौन थे?

महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, मोहनलाल कामेश्वर पंड्या, शंकरलाल पारीख व इंदूलाल याज्ञिक खेड़ा सत्याग्रह के प्रमुख नेता थे। 

खेड़ा आंदोलन और अहमदाबाद आंदोलन कब हुआ?

वर्ष 1918 में खेड़ा आंदोलन के मध्य में अहमदाबाद आंदोलन भी हुआ। इसमें गांधी जी ने मिल मजदूरों के समर्थन में अहमदाबाद में एक और सत्याग्रह आंदोलन आयोजित किया था। 

खेड़ा सत्याग्रह कब समाप्त हुआ?

सरकार द्वारा किसानों की सभी मांगें स्वीकार होने के बाद यह आंदोलन जून 1918 में समाप्त हुआ था। 

आशा है कि आपको खेड़ा सत्याग्रह कब हुआ? (Kheda Andolan) के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही भारतीय इतिहास और UPSC से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहे। 

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