संसदीय चर्चा के दौरान कई बार हम सुनते हैं कि कोई प्रस्ताव लाया गया है या फिर यह प्रस्ताव चर्चा में है। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी उसमें से एक जो हम अक्सर सुनते हैं। महत्वपूर्ण प्रस्ताव होने के कारण ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत बोलने और चर्चा की अनुमति मिलती है, लेकिन इससे जुड़े कई सवाल भी सामने आने पर हमें उनके उत्तर देने के लिए इसे सही से समझना चाहिए। इस ब्लाॅग में आप ध्यानाकर्षण प्रस्ताव (Calling Attention Motion in Hindi) के बारे में विस्तृत जानेंगे।
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ध्यानाकर्षण प्रस्ताव | Calling Attention Motion in Hindi क्या है?
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को पहली बार 1954 में पेश किया गया था। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव सार्वजनिक हितों के दायरे में तत्काल चर्चा के लिए एक संसदीय प्रोटोकॉल है। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव उन सभी सदनों के तहत लागू है जहां लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित उम्मीदवार भारत में मिलते हैं और इसमें लोकसभा, राज्यसभा और संबंधित राज्यों की विधानसभा शामिल हैं। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के लिए प्रत्येक सदस्य को एक सत्र के दौरान 2 मौके मिलते हैं।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव कब आता है?
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव संसद के संबंधित मंत्री का ध्यान आकर्षित करने के लिए लाया जाता है। इस प्रस्ताव पर न तो कोई चर्चा होती है और न ही मतदान होता है। इस प्रस्ताव के आने के बाद सदन के नियमित काम को रोककर महत्वूपर्ण मामले पर चर्चा कराई जा सकती है और कोई भी सदस्य सरकार का ध्यान तुरंत के मामले की और ले जा सकता है।
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ध्यानाकर्षण प्रस्ताव क्यों आता है?
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को तुरंत के कोई महत्वपूर्ण मामले में उस मंत्री से संबंधित मुद्दे पर बयान की मांग करता है। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव आने के बाद मंत्री उस समय अपना उत्तर दे सकते हैं या फिर बाद में अन्य किसी दिन या समय की मांग कर सकते हैं।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव कहां आता है?
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को जानने के साथ ही यह समझना आवश्यक है कि यह कहां आता है और इस दौरान क्या होता है, इसलिए यहां हम प्वाइंट्स में जानेंगेः
- ध्यानाकर्षण प्रस्ताव राज्यसभा में लाया जा सकता है।
- ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया जा सकता है।
- ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर किसी तरह की चर्चा नहीं होती है।
- ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर मतदान भी नहीं होता है।
- इस प्रस्ताव में प्रश्न पूछने वाले सदस्य को पूरक प्रश्न पूछने की परमीशन दी जाती है।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव कौन स्वीकार करता है?
सदन (हाउस) में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाने के लिए सदस्यों को सदन के अध्यक्ष की अनुमति लेनी होती है। सदन के अध्यक्ष की अनुमति के बाद मंत्री से प्रश्न पूछने की अनुमित मिल जाती है। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह इंडियन काॅंस्टिट्यूशन की ओर से डेवलप की गई एक नीति है और इसका प्रावधान संसदीय गतिविधि अधिनियम में है।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की प्रक्रिया?
सदन में किसी भी प्रस्ताव को लाने के लिए पूरा प्रोसेस फाॅलो करना होता है। सदन की कार्यवाही के दौरान हर चीज के लिए समय निर्धारित किया गया है। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की प्रक्रिया इस प्रकार बताई गई हैः
- ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के लिए आवेदन करते समय सदन के समय का ध्यान रखना होता है।
- सबसे पहले आवेदन करना होगा।
- सदन का सत्र शुरू होने से पहले सभापति को आवेदन मिल जाना चाहिए।
- कोई भी सदस्य ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के लिए 2 से अधिक सूचनाओं के लिए आवेदन नहीं कर सकता।
- आवेदन में उन सदस्यों की सूची होनी चाहिए, जिनसे आवेदक चर्चा चाहता है।
- ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान कोई बहस नहीं।
- भोजनावकाश (दोपहर 1 बजे) से पहले इस प्रस्ताव को खत्म करने के सामान्य प्रावधान, हालांकि संदर्भ के आधार पर चर्चा बढ़ सकती है।
- नोटिस यूनीक होने चाहिए।
- संसदीय सूचना कार्यालय को नोटिस जमा करना।
- संवेदनशील संदर्भ वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई हो सकती है।
- अध्यक्ष एक सत्र में एक ध्यान प्रस्ताव को सीमित कर सकता है या दूसरे पर विचार कर सकता है, बशर्ते वह किसी भिन्न आवेदक से आया हो।
- सुबह 10 बजे के बाद प्रस्तुत की गई सभी याचिकाएं सदन के भविष्य के सत्र के दौरान विचार के अधीन होंगी।
स्थगन प्रस्ताव और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में अंतर
स्थगन प्रस्ताव और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को लेकर कई बार असमंजस की स्थिति होती है कि दोनों में समानताएं हैं या नहीं। हालांकि स्थगन प्रस्ताव और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव अलग-अलग हैं और इसकी प्रक्रिया भी अलग है, यहां हम स्थगन प्रस्ताव और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में अंतर जानेंगेः
स्थगन प्रस्ताव | ध्यानाकर्षण प्रस्ताव |
स्थगन प्रस्ताव को लोकसभा में लाया जाता है। | यह प्रस्ताव कहीं भी लाया जा सकता है। |
यह पूरे सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए लाया जाता है। | यह संसद के किसी एक संबंधित मंत्री का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश होता है। |
स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा होती है। | इस प्रस्ताव पर कोई चर्चा नहीं होती है। |
स्थगन प्रस्ताव पर मतदान होता है और इसके लिए 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है। | इस प्रस्ताव को लेकर मतदान भी नहीं होता है। |
इस प्रस्ताव में केवल लिखित सूचनाएं ही स्वीकार की जाती हैं। | ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भारतीय संसदीय प्रणाली की एक अनूठी विशेषता है। |
किसी मुद्दे को बहस के लिए ले जाना संसद के कामकाज के आदेश का उल्लंघन है और सदस्यों को समस्या से निपटने के केंद्र सरकार के तरीके की आलोचना करने का संवैधानिक अधिकार देता है। | यह सार्वजनिक हितों से संबंधित मामलों के लिए सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए विपक्ष को प्राथमिकता देता है। |
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FAQs
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाने के लिए समर्थन की आवश्यकता नहीं है।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को इंग्लिश में Calling Attention Motion या Attention offers कहते हैं।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का अनुरोध करने वाले सदस्य और स्पीकर को सदन में इस पर चर्चा करने के लिए उपस्थित होना चाहिए।
कोई भी विधान सभा सदस्य ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के लिए सूचित कर सकता है, लेकिन उन्होंने 2 नोटिस/बैठक के निर्धारित कोटा को पार नहीं किया हो।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पहली बार 1954 में पेश किया गया था।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लोकसभा या राज्यसभा में लाया जाता है।
उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको Calling Attention Motion in Hindi की पूरी जानकारी मिल गई होगी, जिससे आपको UPSC परीक्षा क्लियर करने में मदद मिलेगी। ऐसे ही UPSC से जुड़े ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।