भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 देश के संवैधानिक ढांचे में एक ऐसा विशेष स्थान रखता था, जो जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाला प्रावधान था। बता दें कि इस प्रावधान को भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को ऐतिहासिक निर्णय लेकर समाप्त कर दिया। यह विषय न केवल संविधान और राजनीति विज्ञान से जुड़ा है, बल्कि इससे संबंधित प्रश्नों को UPSC, SSC, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं। इसलिए इस लेख में अनुच्छेद धारा 370 (Article 370 in Hindi) की बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिसके लिए आपको यह ब्लॉग अंत तक पढ़ना पड़ेगा।
This Blog Includes:
- अनुच्छेद 370 क्या है? | Article 370 in Hindi
- धारा 370 का इतिहास क्या है?
- अनुच्छेद 370 की उत्पत्ति और उद्देश्य
- धारा 370 के प्रावधान क्या थे?
- अनुच्छेद 370 को कब निरस्त किया गया था?
- धारा 370 हटने का जम्मू-कश्मीर पर प्रभाव क्या है?
- जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 से पेश किए गए बदलाव
- अनुच्छेद 35 (A) क्या है?
- FAQs
अनुच्छेद 370 क्या है? | Article 370 in Hindi
अनुच्छेद 370 के बारे में संक्षिप्त में जानने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं को जरूर पढ़ें, जो इस प्रकार हैं –
- भारतीय संविधान में 17 अक्टूबर 1949 को शामिल धारा 370 (अनुच्छेद 370) भारतीय संविधान से जम्मू-कश्मीर को छूट देता था।
- धारा 370 कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार देता थी। अनुच्छेद 370 एक संवैधानिक प्रावधान है जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता है।
- इसके अंतर्गत राज्य सरकार की अनुमति के बिना अशांति की स्थिति में भी इमरजेंसी लागू नहीं की जा सकती थी। हालांकि 5 अगस्त 2019 के दिन कश्मीर से धारा 370 और 35A को हटाने की मंजूरी दी गई थी।
- राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 370 की धारा (1) के अंतर्गत संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू) संशोधन आदेश, 2019 जारी किए जाने के बाद संविधान (77वां संशोधन) अधिनियम, 1995 तथा संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 के माध्यम से भारतीय संविधान के संशोधित और प्रासंगिक प्रावधान लागू होंगे।
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धारा 370 का इतिहास क्या है?
अनुच्छेद 370 (Article 370 in Hindi) का इतिहास काफी पुराना है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के लागू होने की प्रक्रिया वर्ष 1950 में शुरू हो गई थी और उसके बाद, केंद्र और राज्य नेतृत्व के बीच कई बातचीत हुई थी। इसमें विलय पत्र के अलावा कई विषयों को जम्मू-कश्मीर राज्य पर लागू करने पर सहमति हुई थी।
जम्मू-कश्मीर का संविधान 17 नवंबर 1956 को अपनाया गया और 26 जनवरी 1957 को लागू हुआ था। 27 नवंबर 1963 को लोकसभा के पटल पर पंडित नेहरू ने कहा कि अनुच्छेद 370 नष्ट हो चुका है। एक साल बाद तत्कालीन गृह मंत्री गुलज़ारी लाल नंदा ने 4 दिसंबर 1964 को फिर से लोकसभा के पटल पर कहा, धारा 370 भारत के संविधान को जम्मू और कश्मीर तक ले जाने के लिए एक सुरंग है।
अनुच्छेद 370 की उत्पत्ति और उद्देश्य
बता दें कि अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान के भाग XXI के अंतर्गत आता था, जिसका शीर्षक “अस्थायी, परिवर्ती और विशेष प्रावधान” था। इस प्रावधान को 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू और कश्मीर के भारत में विलय के बाद लागू किया गया था। देखा जाए तो इस अनुच्छेद का मुख्य उद्देश्य “जम्मू और कश्मीर को अस्थायी रूप से विशेष दर्जा देना था, ताकि वहां की राजनीतिक स्थिति सामान्य होते ही केंद्र और राज्य के संबंधों को पुनः तय किया जा सके।” यही कारण है कि इस प्रावधान को संविधान में अस्थायी तौर पर जोड़ा गया था, लेकिन यह भी विडंबना है कि यह प्रावधान दशकों तक लागू रहा।
धारा 370 के प्रावधान क्या थे?
अनुच्छेद 370 के जानने के साथ ही आपको धारा 370 के प्रावधान जानने चाहिए जोकि इस प्रकार थेः
- रक्षा, विदेश, और संचार मामलों को छोड़कर भारतीय संसद को जम्मू-कश्मीर में किसी कानून को लागू करने के लिए जम्मू-कश्मीर गवर्मेंट की मंजूरी की जरूरत होगी।
- जम्मू और कश्मीर के निवासियों की नागरिकता, संपत्ति और मौलिक अधिकारों का कानून अन्य भारतीय राज्यों में रहने वाले लोगों से अलग था।
- इसके तहत अन्य भारतीय राज्यों के नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे।
- इसके तहत केंद्र को वहां वित्तीय आपातकाल घोषित करने की शक्ति नहीं थी।
- इस धारा से कश्मीर में आरटीआई (RTI) और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते थे।
- जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती थी।
- जम्मू-कश्मीर का अलग राष्ट्रध्वज था।
- जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता था और भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का था।
- भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर में मान्य नहीं थे।
- जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी करे तो उस महिला की नागरिकता खत्म हो जाती थी और यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से शादी करे तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी।
अनुच्छेद 370 को कब निरस्त किया गया था?
अनुच्छेद 370 (धारा 370) को 5 अगस्त 2019 को हटाया गया और इसके लिए केंद्र सरकार ने एक बिल को संसद से पेश किया था, जिसे मंजूरी मिलने के बाद आर्टिकल 370 निरस्त हो गया था। बता दें कि भारतीय संविधान के अनुसार धारा 370 एक अस्थाई प्रावधान था और इसे राज्य की विधानसभा से सहमति लेने के बाद संसद के द्वारा कानून बनाकर हटाने का प्रावधान था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, धारा 370 को हटाने के पीछे राज्य का विकास और वहां के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने का तर्क था।
धारा 370 हटने का जम्मू-कश्मीर पर प्रभाव क्या है?
पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के संवैधानिक परिवर्तन और पुनर्गठन के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पूरी तरह से राष्ट्र की मुख्यधारा में एकीकृत हो गए हैं। पंचों और सरपंचों, ब्लॉक विकास परिषदों और जिला विकास परिषदों जैसे पंचायती राज संस्थानों के चुनावों के संचालन के साथ, अब जम्मू और कश्मीर में जमीनी स्तर के लोकतंत्र की 3-स्तरीय प्रणाली स्थापित हो गई है।
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 से पेश किए गए बदलाव
1954 के राष्ट्रपति आदेश को संविधान (जम्मू और कश्मीर आदेश पर लागू) 2019 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है, जिससे जम्मू-कश्मीर राज्य को दो नए केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया है। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक-2019 के प्रावधानों के तहत भारत के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी राज्य को वापस केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया है।
वर्तमान में जम्मू और कश्मीर राज्य में 6 लोकसभा सीटें हैं, जिन्हें 5:1 के अनुपात में जम्मू, कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया जाएगा। केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और पुड्डुचेरी की तरह, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में भी एक विधान सभा होगी। हालांकि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी। कश्मीर और लद्दाख में राज्यपाल की जगह उपराज्यपाल की नियुक्ति की जाएगी।
अनुच्छेद 35 (A) क्या है?
बताना चाहेंगे अनुच्छेद 370 से अनुच्छेद 35A की उत्पत्ति हुई है। Article 35A in Hindi को पहली बार 1954 में राष्ट्रपति के आदेश द्वारा पेश किया गया था। जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने भी अनुच्छेद 35A की सिफारिश की थी। 5 अगस्त 2019 को संविधान के अधिनियमन (जम्मू और कश्मीर आदेश पर लागू), 2019 के साथ, भारतीय संविधान से अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त कर दिया गया था।
FAQs
भारत के संविधान में 17 अक्टूबर 1949 को अनुच्छेद 370 शामिल किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2023 को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाना वैध माना है।
5 अगस्त 2019 के दिन कश्मीर से धारा 370 और 35A को हटाने की मंजूरी दी गई थी।
5 अगस्त 2019 में धारा 370 हटाने के लिए मंजूरी दी गई थी।
वर्ष 2019 में मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाया था।
आशा है कि इस ब्लाॅग में अनुच्छेद 370 में आपको धारा 370 (Article 370 in Hindi) के बारे में जानकारी मिल गई होगी। एग्जाम की तैयारी और बेहतर करने व UPSC में पूछे जाने वाले क्वैश्चंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।