न्यायालय ने UPSC की इस बात को खारिज कर दिया है कि उत्तर कुंजी का खुलासा करने की मांग वाली याचिका हाईकोर्ट के सामने सुनवाई के लायक नहीं है क्योंकि यह राहतें संबंधित नियुक्तियों और भर्ती की मांग करती हैं और इसलिए, इसे कैट के समक्ष जाना चाहिए।
न्यायधीश ने साफ किया याचिकर्ताओं का रुख
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता, जो प्रारंभिक परीक्षा में पास नहीं हो सके, वे परीक्षा प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे रहे थे, बल्कि पूरी प्रक्रिया पूरी होने से पहले उत्तर कुंजी का खुलासा करने का “मात्र अनुरोध” कर रहे थे।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने ख़ारिज की UPSC वकील की याचिका
कोर्ट ने UPSC के वकील की याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में UPSC के वकील की ओर से कहा गया था कि क्योंकि यह मामला नियुक्तियों से सम्बंधित है इसलिए इस मामले की सुनवाई कैट को करनी चाहिए न कि हाईकोर्ट को।
इस सम्बन्ध में न्यायमूर्ति ने कहा कि “किसी भी मामले में जहाँ मौलिक अधिकारों या किसी भी अधिकार के प्रवर्तन और संरक्षण की मांग की गई हो, इस सम्बन्ध में यह अदालत उसे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती।” इस बारे में हाईकोर्ट ने आगे कहा कि केवल उत्तर कुंजी मांगने से भर्ती प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
26 सितम्बर से मामले पर सुनवाई की प्रक्रिया शुरू करेगा दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने UPSC 2023 प्रिलिम्स एग्जाम में असफल रहे कैंडिडेट्स के द्वारा UPSC प्रीलिम्स की आंसर की जल्दी जारी किए जाने की याचिका के मामले में 2 अगस्त 2023 को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। अब इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट 26 सितम्बर 2023 को सुनवाई की प्रक्रिया शुरू करेगा।
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UPSC प्रीलिम्स एग्जाम 2023 में असफल कैंडिडेट्स ने दायर की थी याचिका
UPSC प्रीलिम्स एग्जाम 2023 में असफल कैंडिडेस द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष UPSC प्रीलिम्स एग्जाम 2023 की आंसर की जल्दी जारी किए जाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि UPSC द्वारा प्रीलिम्स की आंसर की फाइनल रिज़ल्ट के साथ जारी की जाती है। उनका कहना था कि सभी स्टेट सिविल सर्विसेस से सम्बंधित बोर्ड समय पर प्रीलिम्स एग्जाम की आंसर की जारी कर देते हैं। UPSC द्वारा फाइनल रिज़ल्ट के साथ UPSC प्रीलिम्स एग्जाम की आंसर की जारी किया जाना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं है।
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