शरद जोशी उन कवियों में से एक हैं, जिनकी रचना हास्य और व्यंग्य के माध्यम से समाज की बुराइयों और कुप्रथाओं का व्यंग्यात्मक ढंग से खुलकर विरोध किया। शरद जोशी की लेखनशैली में सरलता, स्पष्टता और तीखापन होता है, जो आपके जीवन में गहराई से प्रभाव डालती है। शरद जोशी ने अपनी रचनाओं में समाज के दोगलेपन, राजनीति की विडंबनाओं, और मानवीय संबंधों के हर पहलू को अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया। इसी कारण शरद जोशी को हिंदी साहित्य में “व्यंग्य सम्राट” के रूप में लोकप्रियता मिली। इस ब्लॉग के माध्यम से आप शरद जोशी की कविताएं (Sharad Joshi Poems in Hindi) को पढ़ पाएंगे, साथ ही शरद जोशी का संक्षिप्त जीवन परिचय आपको जीवन भर प्रेरित करेगा। समाज को व्यंग्य के महत्व को समझाने में शरद जोशी की कविताएँ एक सहायक भूमिका निभाती हैं, जो आपके जीवन में गहरा प्रभाव डालेंगी।
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शरद जोशी के बारे में
शरद जोशी को हिंदी साहित्य में “व्यंग्य सम्राट” के रूप में जाना जाता है। शरद जोशी एक प्रसिद्ध हिंदी लेखक होने के साथ-साथ, एक लोकप्रिय कवि और पत्रकार थे। उनका जन्म 21 मई, 1931 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था, शरद जोशी ने सागर विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी) की डिग्री प्राप्त की। शरद जोशी ने व्यंग्य लेख, व्यंग्य उपन्यास, व्यंग्य कॉलम, हास्य-व्यंग्यपूर्ण धारावाहिकों की पटकथाएँ और संवाद में लेखन से अपनी पहचान बनाई। उनकी प्रमुख व्यंग्य रचनाओं में बाबूजी, फ़िर भी मैं जिंदा हूँ, मैला आकाश, सूर्य चंद्र और सितारे, तार सप्तछत्र आदि बेहद लोकप्रिय हैं।
जीवन भर अपनी लेखनी से समाज को प्रभावित करने वाले शरद जोशी को वर्ष 1984 में पद्म भूषण, वर्ष 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष 1981 में हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 5 सितंबर, 1991 को हिंदी साहित्य के अनमोल मणि शरद जोशी का मुंबई देहांत हुआ था।
शरद जोशी की कविताएं – Sharad Joshi Poems in Hindi
शरद जोशी की कविताएं (Sharad Joshi Poems in Hindi) आपका परिचय व्यंग की बेबाकी से करवाएंगी, ये कविताएं कुछ इस प्रकार हैं:
कविता का नाम | कवि का नाम |
चिड़िया | शरद जोशी |
जो हम माँ हैं | शरद जोशी |
लक्ष्य की रक्षा | शरद जोशी |
शेर की गुफा में न्याय | शरद जोशी |
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चिड़िया
Sharad Joshi Poems in Hindi से आप शरद जोशी की साहित्य की समझ बारे में जान पाओगे। शरद जोशी की कविताएं आपको बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करने का काम करेंगी। इन कविताओं में एक कविता “बच्चे” भी है, जो कुछ इस प्रकार हैं:
'च' ने चिड़िया पर कविता लिखी। उसे देख 'छ' और 'ज' ने चिड़िया पर कविता लिखी। तब त, थ, द, ध, न, ने फिर प, फ, ब, भ और म, ने 'य' ने, 'र' ने, 'ल' ने इस तरह युवा कविता की बारहखड़ी के सारे सदस्यों ने चिड़िया पर कविता लिखी। चिड़िया बेचारी परेशान उड़े तो कविता न उड़े तो कविता। तार पर बैठी हो या आँगन में डाल पर बैठी हो या मुंडेर पर कविता से बचना मुश्किल मारे शरम मरी जाए। एक तो नंगी, ऊपर से कवियों की नज़र क्या करे, कहाँ जाए बेचारी अपनी जात भूल गई घर भूल गई, घोंसला भूल गई कविता का क्या करे ओढ़े कि बिछाए, फेंके कि खाए मरी जाए कविता के मारे नासपीटे कवि घूरते रहें रात-दिन। एक दिन सोचा चिड़िया ने कविता में ज़िंदगी जीने से तो मौत अच्छी मर गई चिड़िया बच गई कविता। कवियों का क्या, वे दूसरी तरफ़ देखने लगे। -शरद जोशी
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जो हम माँ हैं
Sharad Joshi Poems in Hindi के माध्यम से आप शरद जोशी के लेखन से परिचित हो पाएंगे। शरद जोशी की कविताओं में से एक कविता “जो हम माँ हैं” भी है, जो कुछ इस प्रकार हैं:
एक बनारस साज़िश पहुँचे। स्टेशन पर उतरे ही थे कि एक लड़का दौड़ता हुआ आया। 'मामाजी! 'माँजी!' - लड़के ने लपक कर चरण छुआ। वे पहताने नहीं। बोले - 'तुम कौन?' 'मैं माँगता हूँ। आप मुझे नहीं पहचान रहे हैं?' 'मुन्ना?' वे देखें। 'हां, निश्चिंत। भूल गयी आप माँजी! खैर, कोई बात नहीं, इतने साल भी तो हो गए।' 'तुम यहाँ कैसे?' 'मैं देखता हूँ।' 'अच्छा।' 'हाँ।' मामाजी अपने भांजे के साथ घूमने लगे। चलो, कोई साथ तो मिला। कभी यह मंदिर, कभी वह मंदिर। फिर पहुँचे गंगाघाट। सोचा, लें ना। 'मुन्ना, ना लें?' 'जरूर नाहा मामाजी! 'बनारस आए हैं और नहाएंगे नहीं, यह कैसे हो सकता है?' मामाजी ने गंगा में खोजी। हर-हर गंगे। बाहर निकला तो सामान गायब, कपड़े गायब! लड़का... प्रेमी भी भूल गया! 'मुन्ना... ए नन्हे!' मगर इंजीनियर वहाँ हो तो मिले। वे प्रतिपक्ष लपेटे हुए हैं। 'क्यों भाई साहब, आपके प्यारे को देखा है?' 'कौन सा?' 'वही हम माँ हैं।' 'मैं समझा नहीं।' 'अरे, हम मामा तो वो हैं।' वे लाइसेंसी यहाँ से वहाँ दौड़ते रहे। असली नहीं मिला। भारतीय नागरिक और भारतीय वोटरों के रिश्ते हमारी यही स्थिति है मित्रो! चुनाव के सीज़न में कोई भी आता है और हमारे स्टेज में गिर जाता है। मुझे चुनाव के उम्मीदवार के रूप में आलोचना न करें। होने वाला एम.पी. मुझे नहीं बताता? आप पेजतंत्र की गंगा में विकल्प चाहते हैं। बाहर जाने पर आप देख रहे हैं कि वह जो कल आपका चरण छूता था, आपका वोट लेकर चला गया। एंटरटेनमेंट की पूरी पेटी लेकर आया भाग। विपक्ष के घाट पर हम अनारक्षित लपेटे हुए हैं। सबसे पूछ रहे हैं - क्यों साहब, वह आपको कहां नजर आया? अरे वही, जिससे हम वोटर्स हैं। वही, जिससे हम माँ हैं। पाँचवें साल इसी तरह के नए नाम सामने आते हैं। -शरद जोशी
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लक्ष्य की रक्षा
शरद जोशी की कविताओं में से एक कविता “लक्ष्य की रक्षा” भी है, यह इमरजेंसी पर लिखा गया व्यंग्य है जिसने इमरजेंसी का चित्रण प्रस्तुत किया है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:
एक था कछुआ, एक था खरगोश जैसा कि सब जानते हैं। खरगोश ने कछुए को संसद, राजनीतिक मंच और प्रेस के बयानों में चुनौती दी- अगर आगे बढ़ने का इतना ही दम है, तो हमसे पहले मंजिल पर पहुंचकर दिखाओ। रेस आरंभ हुई। खरगोश दौड़ा, कछुआ चला धीरे-धीरे अपनी चाल। जैसा कि सब जानते हैं आगे जाकर खरगोश एक वृक्ष के नीचे आराम करने लगा। उसने संवाददाताओं को बताया कि वह राष्ट्र की समस्याओं पर गंभीर चिंतन कर रहा है, क्योंकि उसे जल्दी ही लक्ष्य तक पहुंचना है। यह कहकर वह सो गया। कछुआ लक्ष्य तक धीरे-धीरे पहुंचने लगा। जब खरगोश सो कर उठा तो उसने देखा कि कछुआ आगे बढ़ गया है, मेरे हारने और बदनामी के स्पष्ट आसार हैं। खरगोश ने तुरंत आपातकाल घोषित कर दिया। उसने अपने बयान में कहा कि प्रतिगामी पिछड़ी और कंजरवेटिव (रूढ़िवादी) ताकतें आगे बढ़ रही हैं, जिनसे देश को बचाना बहुत ज़रूरी है। और लक्ष्य छूने के पूर्व कछुआ गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। -शरद जोशी
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शेर की गुफा में न्याय
शरद जोशी की कविताओं में से एक कविता “शेर की गुफा में न्याय” भी है, यह इमरजेंसी पर लिखा गया व्यंग्य है जिसने इमरजेंसी के दौरान अन्याय के आतंक का चित्रण प्रस्तुत किया है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:
जंगल में शेर के उत्पात बहुत बढ़ गए थे जीवन असुरक्षित था और बेहिसाब मौतें हो रही थीं शेर कहीं भी, किसी पर हमला कर देता था। इससे परेशान हो जंगल के सारे पशु इकट्ठा हो वनराज शेर से मिलने गए शेर अपनी गुफा से बाहर निकला – कहिए क्या बात है? उन सबने अपनी परेशानी बताई और शेर के अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाई। शेर ने अपने भाषण में कहा – ‘प्रशासन की नजर में जो कदम उठाने हमें जरूरी हैं, वे हम उठाएंगे, आप इन लोगों के बहकावे में न आवें जो हमारे खिलाफ हैं। अफवाहों से सावधान रहें, क्योंकि जानवरों की मौत के सही आंकड़े हमारी गुफा में हैं जिन्हें कोई भी जानवर अंदर आकर देख सकता है। फिर भी अगर कोई ऐसा मामला हो तो आप मुझे बता सकते हैं या अदालत में जा सकते हैं। चूंकि सारे मामले शेर के खिलाफ थे और शेर से ही उसकी शिकायत करना बेमानी था इसलिए पशुओं ने निश्चय किया कि वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। जानवरों के इस निर्णय की खबर गीदड़ों द्वारा शेर तक पहुंच गई थी। उस रात शेर ने अदालत का शिकार किया, न्याय के आसन को पंजों से घसीट अपनी गुफा में ले आया। शेर ने अपनी नई घोषणाओं में बताया जंगल के पशुओं की सुविधा के लिए, गीदड़ मंडली के सुझावों को ध्यान में रखकर हमने अदालत को सचिवालय से जोड़ दिया है। जंगल में इमर्जेंसी घोषित कर दी गई, शेर ने अपनी नई घोषणाओं में बताया जंगल के पशुओं की सुविधा के लिए, गीदड़ मंडली के सुझावों को ध्यान में रखकर हमने अदालत को सचिवालय से जोड़ दिया है, ताकि न्याय की गति बढ़े और व्यर्थ की ढिलाई समाप्त हो। आज से सारे मुकदमों की सुनवाई और फैसले हमारे गुफा में होंगे। इमर्जेंसी के दौर में जो पशु न्याय की तलाश में शेर की गुफा में घुसा, उसका अंतिम फैसला कितनी शीघ्रता से हुआ इसे सब जानते हैं। -शरद जोशी
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शरद जोशी की प्रमुख रचनाएँ
इस कविता के माध्यम से आपको शरद जोशी की प्रमुख रचनाएँ पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। शरद जोशी की प्रमुख रचनाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक और लोकप्रिय हैं, जितने वह अपनी रचनाओं के समय रही होंगी। शरद जोशी की प्रमुख रचनाएँ कुछ इस प्रकार हैं:
- चिड़िया
- जो हम माँ हैं
- लक्ष्य की रक्षा
- शेर की गुफा में न्याय
- उफ! तुम कब जाओगे, अतिथि!
- अरे वही, जिसके हम मामा हैं
- प्रगति के चरण
- नेतृत्व की ताकत
- परंपरा की रक्षा आदि।
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आशा है कि इस ब्लॉग के माध्यम से आप Sharad Joshi Poems in Hindi पढ़ पाएंगे, शरद जोशी की कविताएं व्यंगयात्मक ढंग से समाज की समस्याओं को समाज के समक्ष प्रस्तुत करेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा। इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।