Essay on Rajguru: स्वतंत्रता के महानायक राजगुरु पर छात्र ऐसे लिख सकते हैं निबंध

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Rajguru Biography in Hindi

भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में कई महापुरुषों ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इन प्रेरणादायक व्यक्तित्वों में एक नाम राजगुरु का भी है, जिन्होंने अपने जीवन की न्यौछावर कर भारतीय स्वतंत्रता की दिशा को सशक्त किया। राजगुरु, जिनका पूरा नाम सुखदेव राजगुरु था, का जन्म 24 दिसम्बर 1908 को पंजाब के कासूर गांव में हुआ। राजगुरु अपने दो साथियों शहीद ए आज़म भगत सिंह और सुखदेव के साथ देश की आज़ादी के लिए फांसी के फंदे पर झूल गए थे। अक्सर छात्रों से परीक्षाओं में राजगुरु पर निबंध लिखने के लिए पूछ लिया जाता है। यहाँ राजगुरु पर 100, 200 और 500 शब्दों में निबंध दिए जा रहे हैं, छात्र इनकी मदद से राजगुरु पर निबंध लिखना सीख सकते हैं। 

राजगुरु पर 100 शब्दों में निबंध 

छात्र 100 शब्दों में राजगुरु पर निबंध (Essay on Rajguru in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

महान शहीद क्रांतिकारी राजगुरु का पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था। वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी क्रांतिकारियों में से एक थे। उनका जन्म 24 अगस्त 1908 को हुआ था। वे छोटी उम्र से ही देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो गए थे और उन्होंने बचपन से ही क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था। 

राजगुरु ने अपने साथियों भगत सिंह और सुखदेव के साथ हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोशिएशन के साथ जुड़े। उन्होंने इस संगठन के सक्रीय सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने अपने क्रांतिकारी साथियों भगत सिंह और सुखदेव के साथ मिलकर लाहौर पुलिस के अत्याचारी पुलिस अधीक्षक सांडर्स को मारने में मुख्य भूमिका निभाई थी।  

उन्होंने भगत सिंह और सुखदेव के साथ मिलकर अपने गुरु लाला लाजपतराय की हत्या का बदला अत्याचारी पुलिस अधीक्षक सांडर्स को मारकर लिया था। इस घटना के बाद उन तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस क्रांतिकारी गतिविधि के लिए उन्हें ब्रिटिश कोर्ट में ब्रिटिश सरकार की ओर से मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। 23 मार्च 1931 को वे अपने दोनों क्रांतिकारी साथियों भगत सिंह और सुखदेव के साथ हँसते हँसते फांसी के फंदे पर झूल गए।  

राजगुरु का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। उनकी वीरता, देशभक्ति और देश के लिए उनका बलिदान युवाओं को और आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा। 

यह भी पढ़ें : राजगुरु का जीवन परिचय – Rajguru Biography in Hindi

राजगुरु पर 200 शब्दों में निबंध

छात्र 200 शब्दों में राजगुरु पर निबंध (Essay on Rajguru in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के परमवीर क्रांतिकारी राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 को हुआ था। उनका नाम स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य क्रांतिकारियों में से आता है। वे आज़ादी के सबसे बड़े महानायकों में से एक थे। उन्होंने अपने साथियों भगत सिंह और सुखदेव के साथ मिलकर देश की आज़ादी के लिए बड़ा काम किया था। उन्होंने अपने साथियों भगत सिंह और सुखदेव के साथ महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद के मार्गदर्शन में हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोशिएशन के साथ जुड़कर देश की आज़ादी के लिए योगदान दिया।  

राजगुरु ने अपने राजनैतिक गुरु और महान स्वतंत्रता सैनानी लाला लाजपतराय की निर्मम ह्त्या का बदला लेने के लिए अत्याचारी पुलिस अधीक्षक सांडर्स की ह्त्या कर दी थी। इस घटना को इतिहास में गोली काण्ड के नाम से जाना जाता है। राजगुरु और भगत सिंह ने अत्याचारी पुलिस अधीक्षक सांडर्स को गोली चलाकर मारा था इसलिए इस घटना का नाम गोली कांड पड़ा। गोली कांड के बाद अंग्रेजों में जैसे हड़कंप मच गया। गोलीकांड के बाद राजगुरु अंग्रेजों से बचने के लिए नागपुर चले गए थे लेकिन उन्हें वहां से गिरफ्तार कर लिया गया। इसके साथ ही गोलीकांड के अन्य दो आरोपी भगत सिंह और सुखदेव पर भी अदालत में मुकदमा चलाया गया। उन्हें अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। 23 मार्च 1931 को वे अपने दोनों क्रांतिकारी साथियों भगत सिंह और सुखदेव के साथ उन्होंने खुशी खुशी फांसी के फंदे को चूम लिया।  

राजगुरु का की शहादत को भारतीय इतिहास में हमेशा एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में याद रखा जाएगा। उनका बलिदान भारत के युवाओं को और आने वाली नस्लों को देशभक्ति और देशप्रेम का पाठ पढ़ाता रहेगा।

राजगुरु पर 500 शब्दों में निबंध

छात्र 500 शब्दों में राजगुरु पर निबंध (Essay on Rajguru in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

प्रस्तावना 

क्रांतिकारी राजगुरु भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों में से एक थे। उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों में से एक थे। उनका योगदान भारतीय इतिहास में अवस्मरणीय है। राजगुरु का जीवन प्रेरणाप्रद था और उन्होंने अपनी शहादत से देश के आज़ादी में अहम भूमिका निभाई थी। 

 प्रारम्भिक जीवन 

राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 को एक मराठी परिवार में पुणे के पास एक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम पार्वती देवी और हरिनारायण राजगुरु के घर हुआ था। जब वे केवल 6 वर्ष के थे तब उनके पिता हो गई थी। इनके बड़े भाई और माता ने इनका लालन पालन किया। उन्होंने अपनी शिक्षा खेड़ में ही प्राप्त की और पुणे के न्यू इंग्लिश हाईस्कूल में पढ़ाई की। वे काफी छोटी उम्र में ही सेवा दल के सदस्य बन गए थे। 

राजगुरु के नेतृत्व में हिंदू महासभा और अर्य समाज के साथ जुड़ने के बावजूद, उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन में अपनी भूमिका को स्थापित किया। उनकी चंद्रशेखर आज़ाद  के साथ मिलकर की गई गहरी आत्मीयता और सहयोग का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

राजगुरु की शहादत का कारण भारत के समुदाय के अंदर अग्रेजों  के खिलाफ लड़ाई की भावना जगाने में उनका  उत्कृष्ट योगदान को था। उनकी शहादत ने देश को एक संदेश दिया कि वे अपनी स्वतंत्रता के लिए किसी भी कठिनाई का सामना करने के लिए तैयार हैं।

क्रांतिकारी गतिविधियां 

राजगुरु भगत सिंह और सुखदेव थापर के साथ हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोशिएशन से जुड़ गए थे। उन्होंने लाला लाजपतराय की हत्या का बदला लेने के लिए पुलिस अधीक्षक सांडर्स की हत्या में मुख्य भूमिका निभाई थी। इसके अलावा उन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद के साथ मिलकर विभिन्न क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया था जैसे अख़बार में क्रांतिकारी लेख लिखना और लोगों में क्रांतिकारी भावना का संचार करना। इसके साथ ही उन्होंने भगत सिंह के साथ मिलकर भी अनेक क्रांतिकारी योजनाओं पर काम किया था। 

अत्याचारी पुलिस अधीक्षक सांडर्स की हत्या 

अपने गुरु लाला लाजपतराय की हत्या का बदला लेने के लिए राजगुरु ने अपने साथियों के साथ मिलकर पुलिस अधीक्षक सांडर्स की गोली  हत्या कर दी। इस घटना को इतिहासकारों ने गोलीकांड के नाम से वर्णित किया है। इस घटना के बाद अंग्रेजी हुकूमत की रूह कांप गई थी।  

गिरफ्तारी और मृत्युदंड 

पुलिस अधीक्षक सांडर्स की हत्या के बाद उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन पर मुकदमा चलाया गया। ब्रिटिश अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई। 23 मार्च 1931 को वे अपने क्रांतिकारी साथियों भगत सिंह और सुखदेव के साथ फांसी के फंदे पर मुस्कुराते हुए झूल गए।  

उपसंहार 

राजगुरु का जीवन और उनका बलिदान निश्चित रूप से सभी भारतीयों के लिए एक प्रेरणास्रोत है। उनके द्वारा देश के लिए किए गए महान कार्यों को कुर्बानी को देश हमेशा याद रखेगा। उनका जीवन और उनकी शहादत देश के युवाओं को और आगे आने वाली सभी पीढ़ियों को हमेशा ही प्रेरित करता रहेगा।

राजगुरु पर निबंध कैसे तैयार करें? 

राजगुरु पर निबंध कैसे लिखें, इसके बारे में नीचे बताया गया है-

  • निबंध लिखने के लिए सबसे पहले एक स्ट्रक्चर बनाएं।
  • उसी तय स्ट्रक्चर के अनुसार जानकारी एकत्र करें।
  • कोई भी जानकारी निबंध में लिखने से पहले उसकी अच्छी तरह से पुष्टि कर लें।
  • निबंध लिखने से पहले ध्यान रखें कि भाषा का उपयोग सरल हों।
  • अपने निबंध के शीर्षक को आकर्षक बनाएं।
  • निबंध की शुरुआत प्रस्तावना से करें और निबंध का अंत निष्कर्ष से।
  • निबंध में शब्द चिन्ह का खास ध्यान रखें।
  • अलग-अलग अनुच्छेद को एक-दूसरे से जोड़े रखें।

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FAQs 

राजगुरु का कौन सा नारा था?

राजगुरु का नारा “सपनों का भारत था।” 

राजगुरु कहां से है?

राजगुरु का जन्म महाराष्ट्र के पुणे जिले के पास खेड़ा में हुआ था।  

राजगुरु की जयंती कब है?

राजगुरु की जयंती 24 अगस्त को मनाई जाती है।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको राजगुरु पर निबंध के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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