Essay on Sukhdev in Hindi | परीक्षा में ऐसे लिखें सुखदेव थापर पर 100, 200 और 400 शब्दों में निबंध

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Essay on Sukhdev in Hindi

15 अगस्त, 1947 की ऐतिहासिक तारीख में भारत आजाद हुआ था और यह आजादी कई महापुरुषों महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, चंद्र शेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों की वजह से मिली थी। इनमें सुखदेव बहादुर का नाम भी सदैव लिया जाता है। सुखदेव थापर एक भारतीय क्रांतिकारी थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इसलिए कई बार विद्यार्थियों को सुखदेव थापर पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। ऐसे में सुखदेव थापर पर एक सूचनात्मक निबंध कैसे लिखें, आईये इस लेख में जानते हैं। इस ब्लॉग में आपको 100, 200 और 400 शब्दों में Essay on Sukhdev in Hindi के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं। उन सैम्पल्स को पढ़ने से पहले जान लेते हैं सुखदेव के बारे में विस्तार से।

सुखदेव के बारे में हिंदी में 

सुखदेव थापर, का जन्म 1907 में हुआ था, सम्मानित क्रांतिकारियों और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के प्रमुख सदस्य थे। वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। उन्होंने अपने मित्र भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर काम किया। सुखदेव पर ब्रिटिश अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या में साथ होने का आरोप लगाया गया था। सबसे दुखत रहा की 23 साल की उम्र में ही उन्हें पकड़ लिया गया और 23 मार्च, 1931 को पंजाब के हुसैनवाला में भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ फांसी दे दी गई।

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सुखदेव पर निबंध 100 शब्दों में  

सुखदेव थापर ने कई क्रांतिकारी गतिविधियों का हिस्सा बने। उनकी सबसे महत्वपूर्ण और यादगार क्रांतिकारी घटना जॉन सांडर्स नामक ब्रिटिश अधिकारी की हत्या में योगदान माना जाता है। इसके अतिरिक्त उन्हें लाहौर षड्यंत्र मामले में उनके द्वारा किए गए आक्रमणों के लिए भी जाना जाता है। सितंबर 1928 में दिल्ली में स्थित फिरोजशाह कोटला के खंडहर में उत्तर भारत में एक क्रांतिकारी की गुप्त बैठक की गई। इसके तहत एक केंद्रीय समिति का निर्माण हुआ और समिति का नाम ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी’ रखा गया। सुखदेव जैसे क्रांतिकारी की वजह से ही आज हमारा देश आजाद है।

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सुखदेव पर निबंध 200 शब्दों में

200 शब्दों में Essay on Sukhdev in Hindi इस प्रकार हैः   

सुखदेव थापर ने भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब के लुधियाना के नौघरा गाँव में हुआ था। सुखदेव केवल 12 वर्ष के थे जब उनके चाचा को रोलेट एक्ट के खिलाफ आंदोलन शुरू करने के लिए ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इस घटना का सुखदेव पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा और ब्रिटिश अधिकारियों के प्रति उनका क्रोध  और बढ़ गया। वहीं 1921 में असहयोग आंदोलन के दौरान जब एक बार फिर उनके चाचा की गिरफ्तारी उनके लिए बहुत अ असहयानी थी। इससे सुखदेव इस हद तक क्रोधित हो चुके थे।

कहा जाता है कि उन्होंने ‘इंकलाब जिंदाबाद’ और ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है जैसे नारे लगाकर अदालत में प्रवेश किया था। जेल की अमानवीय स्थितियों के विरोध में सुखदेव और उनके साथियों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि उनके साथ अपराधियों जैसा नहीं बल्कि राजनीतिक कैदियों जैसा व्यवहार किया जाए। इसके बाद पूरा देश उत्तेजित हो गया और इन क्रांतिकारियों के लिए एकजुट हो गया। 

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सुखदेव पर निबंध 400 शब्दों में

400 शब्दों में Essay on Sukhdev in Hindi इस प्रकार हैः

प्रस्तावना

15 अगस्त का दिन भारत के इतिहास में सर्वोपरि महत्व रखता है, क्योंकि यह 200 वर्षों से अधिक के ब्रिटिश उपनिवेशवाद से देश की आजादी का प्रतीक है। इस दिन हम उन कई स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का सम्मान करते हैं जिन्होंने स्वतंत्रता के संघर्ष में अपने जीवन का बलिदान दिया। उन्हीं में से सुखदेव भी हैं। सुखदेव ने आजादी के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था।

व्यक्तिगत जीवन   

सुखदेव थापर ने भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब के लुधियाना के नौघरा गाँव में हुआ था। जब सुखदेव तीन वर्ष के थे, तब उनके पिता श्री रामलीला थापर का स्वर्गवास हो गया था और माता श्रीमती रल्ली देवी थी। इनकी शिक्षा नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स, नेशनल कॉलेज, लाहौर में की। कहा जाता है की पिता की निधन के बाद सुखदेव लायलपुर में अपने चाचा श्री अचिंताराम थापर के साथ रहते थे और वहीं बड़े हुए, जो नागरिक समाज के एक प्रमुख सदस्य, एक स्वतंत्रता सेनानी और आर्य समाज के सदस्य भी थे। 

क्रांतिकारी जीवन

सुखदेव की भारत के स्वतंत्रता संग्राम की भागीदारी का अनुमान लाहौर से लगाया जा सकता है, जहां सुखदेव नेशनल कॉलेज में पढ़ रहे थे, जोकी एक राष्ट्रवादी राजनीति का केंद्र था। कॉलेज में रहते हुए कुछ समय के लिए सुखदेव सत्याग्रह लीग के सदस्य बने जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबद्ध था। सुखदेव भगत सिंह, भगवती चरण वोहरा, यशपाल और अन्य लोगों से मिले जो एक क्रांतिकारी संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) से जुड़े थे। 

1926 में, भगत सिंह, सुखदेव, भगवती चरण वोहरा और अन्य ने नौजवान भारत सभा का गठन किया। सुखदेव इस संगठन की समिति के लिए चुने गये। आने वाले वर्षों में संगठन को चलाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई क्योंकि भगत सिंह और भगवती चरण वोहरा दोनों क्रांतिकारी आंदोलन को पुनर्जीवित करने में शामिल हो गए।

फांसी का दंड

तीनों क्रांतिकारियों भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को असेम्बली बम कांड में पकड़ लिया गया और उन पर केश चलाया गया। पूरी जाँच पड़ताल के बाद यह पाया गया कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु, कर्नल जेपी सॉन्डर्स की हत्या के पीछे के लोग थे, जिन्हें उन्होंने पुलिस ऑफिसर समझकर उन्हें गोली मार दी थी, जिसने लाठीचार्ज का आदेश दिया था। जिसमें लाला लाजपत राय को बहुत ही गंभीर चोटें आई थीं। यह केश फिर से अदालत में खोला गया और भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव पर सॉन्डर्स की हत्या का आरोप लगाया गया था।

अदालतों ने उन्हें दोषी ठहराया और 23 मार्च 1931 को भगत सिंह और राजगुरु के साथ सुखदेव को लाहौर जेल में फांसी दे दी गई थी। उनके इस बलिदान के लिए राष्ट्र हमेशा महापुरुष कहता है। दिल हमारे एक हैं एक ही है हमारी जान, हिन्दुस्तान हमारा है हम हैं इसकी शान, जान लुटा देंगे वतन पे हो जायेंगे कुर्बान, इसलिए हम कहते हैं मेरा भारत महान।

उपसंहार

सुखदेव का अंग्रेजों के प्रति विद्रोही रवैया कम उम्र से ही स्पष्ट हो गया था। उदाहरण के लिए, उन्होंने अपने स्कूल में आने वाले ब्रिटिश सैन्य अधिकारियों को सलामी देने से इनकार कर दिया। इस शत्रुतापूर्ण व्यवहार के लिए उन्हें उनके शिक्षक द्वारा दंडित किया गया। हालाँकि, यह उनके चाचा की गिरफ्तारी थी, जिसने सुखदेव को किशोरावस्था में ही एक कार्यकर्ता बना दिया था। भारत की आजादी में उनका योगदान सदैव याद किया जाता रहेगा और प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को राजगुरु, भगत सिंह तथा सुखदेव के सम्मान में राष्ट्र शहीद दिवस मनाया जाता है। 

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सुखदेव पर कुछ लाइन्स 

Essay on Sukhdev in Hindi में सुखदेव पर कुछ लाइने इस प्रकार हैंः

सुखदेव का जन्म पंजाब के लुधियाना में रामलाल और रैली देवी थापर के घर हुआ था।

इनकी शिक्षा नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स, नेशनल कॉलेज, लाहौर में हुई। 

स्कूल में आने वाले ब्रिटिश अधिकारियों को सलाम करने से इंकार कर देते थे।

सुखदेव ने पंजाब क्षेत्र में देश के युवाओं के बीच राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा देने के लिए कई गतिविधियों में भाग लिया।

सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) के भी सक्रिय सदस्य थे।

17 दिसंबर 1928 को भगत सिंह और उनके साथियों सुखदेव और राजगुरु ने गलत पहचान के कारण सहायक पुलिस अधीक्षक, जॉन पी. सॉन्डर्स की हत्या करी थी।

सुखदेव भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में से हैं, जिन्होंने अपने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। 

सुखदेव का पूरा नाम सुखदेव थापर था।

FAQ 

सुखदेव ने भारत के लिए क्या किया?

सुखदेव ने युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हुए नौजवान भारत सभा की शुरुआत की।

सुखदेव का उपनाम क्या है?

सुखदेव थापर।

सुखदेव थापर किस पार्टी के सदस्य थे?

हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन।

सुखदेव थापर ने किस संगठन की स्थापना की थी?

नौजवान भारत सभा।

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