हर साल भारत में राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस के रूप में एक विशेष दिन मनाया जाता है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि भाला फेंक सिर्फ एक खेल नहीं है बल्कि ताकत, तकनीक और धैर्य का अद्भुत मिश्रण है। हर साल मनाया जाने वाला राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस हमें हमारे देश के एथलीटों के साहस और प्रतिभा का जश्न मनाने का अवसर देता है। इसके साथ ही यह दिवस यह जानने के मदद करता है कि हमारे देश के युवा खिलाड़ी विश्वस्तर पर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। इस दिवस (National Javelin Day in Hindi) के बारे में और अधिक जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
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कब और क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस?
भारत में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस (National Javelin Day in Hindi) मनाया जाता है। बता दें कि नीरज चोपड़ा ने 7 अगस्त 2021 को टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया था। उनकी इस उपलब्धि के सम्मान में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय जैवलिन थ्रो दिवस मनाया जाता है। नीरज चोपड़ा की इस उपलब्धि के अलावा इस दिवस को मनाये जाने का उद्देश्य भाला फेंक को एक लोकप्रिय खेल बनाना भी है। इसके साथ ही भाला फेंक खेल के इतिहास और महत्व को बढ़ावा देना भी है।
क्या होता है जैवलिन थ्रो?
जैवलिन थ्रो यानी भाला फेंक एक ऐसा एथलेटिक्स खेल है जिसमें एथलीट को एक लम्बा भाला जितना दूर हो सके फेंकना होता है। बता दें कि भाला, एक लम्बा, पतला और नुकीला उपकरण होता है। मौजूदा वर्ल्ड एथलेटिक्स नियमों के मुताबिक भाला की लंबाई लगभग 2.5 से 2.7 मीटर और वजन 500- 600 ग्राम तक का होता है। इसके बाद थ्रो की प्रक्रिया में खिलाड़ी एक निश्चित दूरी तक दौड़ता है और फिर भाले को फेंकता है। इसके बाद थ्रो की दूरी को मापने के लिए एक विशेष उपकरण का उपयोग किया जाता है।
राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस का इतिहास
7 अगस्त 2021 को नीरज चोपड़ा ने टोक्यो खेलों के पुरुषों के भाला फेंक फाइनल के दौरान 87.58 मीटर की दूरी तक भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता था। यह भारत के लिए एथलेटिक्स में देश का पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक भी था। ऐसे में नीरज की इस ऐतिहासिक उपलब्धि के सम्मान में और इस खेल को बढ़ावा देने के लिए एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (AFI) ने 10 अगस्त‚ 2021 को घोषणा की कि अब से हर साल 7 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस के रूप में मनाया जाएगा। तब से लेकर हर साल यह दिवस मनाया जाता है।
राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस का महत्व
राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस के महत्व निम्नलिखित है-
- यह दिन भाला फेंक खेल की लोकप्रियता को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।
- यह दिन युवाओं को भाला फेंक खेल के प्रति रुचि विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- यह दिन राष्ट्रीय एकता को भी बढ़ावा देता है क्योंकि इस दिन हम सब मिलकर किसी खिलाड़ी की जीत का जश्न मनाते हैं।
- इस दिन भाला फेंक खेल के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक महत्व को समझने का अवसर मिलता है।
कैसे मनाया जाता है राष्ट्रीय जैवलिन थ्रो दिवस?
राष्ट्रीय जैवलिन थ्रो दिवस को आप निम्नलिखित तरीकों से मना सकते हैं-
- इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में जैवलिन थ्रो प्रतियोगिता आयोजित की जाती हैं। छात्रों को इस खेल के बारे में जागरूक किया जाता है और उन्हें प्रेरित किया जाता है कि वो भी इस खेल में अपना करियर बनाएं।
- कई जगहों पर भाला फेंक के लिए वर्कशॉप्स और ट्रेनिंग सेशन आयोजित किए जाते हैं।
- इस दिन सोशल मीडिया, ब्लॉग या स्थानीय मीडिया के माध्यम से भाला फेंक के महत्व और इसके लाभों के बारे में जानकारी साझा की जाती है।
- खेल के इतिहास और प्रमुख खिलाड़ियों के बारे में प्रेरणादायक भाषण आयोजित किए जाते हैं।
FAQs
भारत में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस मनाया जाता है।
विशेष रूप से यह दिवस भाला फेंक खेल के प्रति जागरूकता और इसकी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने 10 अगस्त‚ 2021 को प्रतिवर्ष ‘7 अगस्त’ को राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस मनाये जाने का फैसला लिया।
जैवलिन का आकार और वजन निम्नलिखित है-
पुरूषों के लिए न्यूनतम वजन 800 ग्राम है लम्बाई 2.6 – 2.7 मीटर है जबकि महिलाओं के लिए न्यूनतम वजन 600 ग्राम है और लम्बाई 2.2 – 2.3 मीटर है।
भाला फेंक खेल को पहली बार ग्रीस में लगभग 708 ईसा पूर्व में प्राचीन ओलंपिक में एक खेल के रूप में पेश किया गया था। उस दौरान यह दौड़, डिस्कस थ्रो, लंबी कूद और कुश्ती का हिस्सा था।
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