मातृ दिवस एक ऐसा अवसर है, जिस दिन आप अपनी माँ के संघर्षों का एक खास ढंग से सम्मान कर सकते हैं। अपने दिल की बात को अपनी माँ तक पहुंचाने के लिए आप मातृ दिवस पर शायरी का सहारा ले सकते हैं। माँ के संघर्षों को सम्मनित करके ही इंसान अपने वजूद को जान पाता है, इसी उद्देश्य से हर वर्ष दुनिया मातृ दिवस मानती है। साहित्य में माँ एक ऐसा विषय है जिस पर अनेक कवियों और शायरों ने अपने दिल की बात रखी है, इस मातृ दिवस आप उन शायरों को भी पढ़ पाएंगे। इस पोस्ट के माध्यम से आप मातृ दिवस पर शायरी पढ़ पाएंगे, जिन्हें आप अपनी माँ को समर्पित कर सकते हैं। मातृ दिवस पर शायरी पढ़ने के लिए आपको इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना चाहिए।
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मातृ दिवस पर शायरी
मातृ दिवस पर शायरी के माध्यम से आप अपने दिल की बात, अपने जज़्बातों को अपनी माँ तक पहुंचा सकते हैं। मातृ दिवस पर शायरी कुछ इस प्रकार है;
“तुम्हारे क़दमों में मैंने ज़िंदगी भर सुख पाया है
माँ तुम्हारी आहट ने मुझे जीवन जीना सिखाया है…”
-मयंक विश्नोई
“जो तुम न होती साथ मेरे माँ, तो मैं कैसे आगे बढ़ पाता?
जो तुम्हारा साया साथ न होता, तो मैं कैसे जग से लड़ पाता…”
-मयंक विश्नोई
“माँ तुम्हारी गोद में ही मुझको मिलता है आराम
थक जाऊं जो सफर में मैं, तो यही करता हूँ विश्राम…”
-मयंक विश्नोई
“तुम्हारे एक इशारे पर दुनिया भर की दौलत लुटा दूंगा
जो राहें मुझे तुमसे दूर करें, मैं उन राहों को ठुकरा दूंगा…”
-मयंक विश्नोई
“ज़िंदगी के फरेबी सफर में मुझे हिम्मत तुम से मिल रही है
तुम्हारी ममता के क्यारी में माँ, मेरी ज़िंदगी खिल रही है…”
-मयंक विश्नोई
“तुम्हारी आहट भी माँ बहुत खूब है-कमाल है
जिस डाट ने सुधारा है मुझे, वो डाट भी तुम्हारी बेमिसाल है…”
-मयंक विश्नोई
“माँ तुम्हारे वजूद पर टिकी है मेरी पहचान
तुम्हारी मौजूदगी ही सजाती है मेरे सपनों का मकान…”
-मयंक विश्नोई
“माँ तुम्हारी दुआओं से ही मैंने ज़िंदगी जी है
दिल में दबी बातें मैंने, फक़्त तुम से की है…”
-मयंक विश्नोई
“जो तुम नहीं होती तो कैसे बनती मेरी पहचान
तुम्हारी डाट खाए बिना, कैसे होती ज़िंदगी आसान…”
-मयंक विश्नोई
“तुमने मेरे सपनों को बड़े-बड़े तूफानों से बचाया है
मुझे खुद की खुशियां देकर तुमने मेरे हिस्से के ग़मों को अपनाया है…”
-मयंक विश्नोई
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माँ की तारीफ में शायरी
इस ब्लॉग में आप मातृ दिवस पर शायरी के साथ-साथ, अपनी माँ की तारीफ में शायरी भी पढ़ सकते हैं। माँ की तारीफ में शायरी कुछ इस प्रकार हैं;
“तुम्हारी ममता की निर्मल धारा में मैंने कई बार गोते लगाए हैं
माँ मुझे ज़िंदगी भर सुख देकर, तुमने हर बार मेरे दुःख अपनाएं हैं…”
-मयंक विश्नोई
“तुम्हारे हाथों की रोटियां, तुम्हारा वो निस्वार्थ प्यार
मुझे मुझसे मिलवाता है, करता है मेरे सपनों को साकार…”}
-मयंक विश्नोई
“मैंने यहाँ जो कुछ भी सफर से पाया है
ये सब तुम्हारा है, जिसने मेरी पहचान को चमकाया है…”
-मयंक विश्नोई
“तुम्हारी ये मासूमियत, तुम्हारा ये बेदाग़ व्यवहार
तुम्हारी सादगी ही करती है माँ, मेरा हर सपना साकार…”
-मयंक विश्नोई
“तुम्हारी मुस्कान के पीछे एक लंबे संघर्ष की कहानी है
तुम्हारी यही कहानी माँ, मुझे इस जग को सुनानी है…”
-मयंक विश्नोई
“तुम्हारी थपकियों-तुम्हारी लोरियों ने मेरा बचपन संवार दिया
माँ तुम्हारी ममता के आँगन में बैठकर मैंने ये जीवन गुजार दिया…”
-मयंक विश्नोई
“तुम्हारी फ़िक्र में मैंने खुद की तरक्की देखी है
तुम्हारी ख़ामोशी भी माँ, एक दौर की गाथा कहती है…”
-मयंक विश्नोई
“माँ तुम घनघोर तमस में जला वो चिराग हो
जो मेरे भटके मन को आशावादी राह दिखाता है…”
-मयंक विश्नोई
“तुमसे अच्छा दोस्त शायद ही मेरा कोई दूसरा होगा
जिसने मुझे ठीक वैसा अपनाया, जैसा कि मैं हूँ…”
-मयंक विश्नोई
“माँ तुम्हारी मौजूदगी से मुझे हिम्मत मिलती है
तुम्हारी ममता के आँगन में ही मेरी सांसें पलती हैं…”
-मयंक विश्नोई
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माँ पर दो लाइन शायरी
इस ब्लॉग में आप मातृ दिवस पर शायरी के साथ-साथ, माँ पर दो लाइन शायरी भी पढ़ सकते हैं। माँ पर दो लाइन शायरी कुछ इस प्रकार हैं;
“हालात बुरे थे मगर अमीर बनाकर रखती थी
हम गरीब थे, ये बस हमारी माँ जानती थी…”
-मुनव्वर राना
“भारी बोझ पहाड़ सा कुछ हल्का हो जाए
जब मेरी चिंता बढ़े माँ सपने में आए…”
-अख़्तर नज़्मी
“मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ…”
-मुनव्वर राना
“घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे,
चुपके चुपके कर देती है जाने कब तुरपाई अम्मा…”
-आलोक श्रीवास्तव
“मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बातें की बिन चिट्ठी बिन तार…”
-निदा फ़ाज़ली
“मुझे मालूम है मां की दुआएं साथ चलती हैं,
सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है…”
-आलोक श्रीवास्तव
“एक मुद्दत से मेरी माँ नहीं सोई ‘ताबिश’
मैंने इक बार कहा था मुझे डर लगता है…”
-अब्बास ताबिश
“कल अपने-आप को देखा था माँ की आँखों में
ये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता है…”
-मुनव्वर राना
“ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
दिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है…”
-तनवीर सिप्रा
“इस लिए चल न सका कोई भी ख़ंजर मुझ पर
मेरी शह-रग पे मेरी माँ की दुआ रखी थी…”
-नज़ीर बाक़री
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माँ पर मुनव्वर राना की शायरी – Munawwar Rana Shayari on Maa
इस ब्लॉग में आप मातृ दिवस पर शायरी के साथ-साथ, Munawwar Rana Shayari on Maa भी पढ़ सकते हैं। Munawwar Rana Shayari on Maa कुछ इस प्रकार हैं;
“अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है…”
-मुनव्वर राना
“चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है…”
-मुनव्वर राना
“इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है…”
-मुनव्वर राना
“जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है…”
-मुनव्वर राना
“तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ऐ फ़लक
मुझ को अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी…”
-मुनव्वर राना
“ये सोच के माँ बाप की ख़िदमत में लगा हूँ
इस पेड़ का साया मिरे बच्चों को मिलेगा…”
-मुनव्वर राना
“मुनव्वर माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती…”
-मुनव्वर राना
“बर्बाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सब से कह रही है कि बेटा मज़े में है…”
-मुनव्वर राना
“ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सज्दे में रहती है…”
-मुनव्वर राना
“मैं ने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दें
सिर्फ़ इक काग़ज़ पे लिक्खा लफ़्ज़-ए-माँ रहने दिया…”
-मुनव्वर राना
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माँ की याद में दर्द भरी शायरी
माँ की याद में दर्द भरी शायरी पढ़कर आप उस पीड़ा को महसूस कर पाएंगे जो असहनीय होती है। माँ की याद में दर्द भरी शायरी नीचे दी गई हैं-
“आज भी ज़ख़्म मिलता है जो तन पर
मन को माँ की ममता याद आती है…”
-मयंक विश्नोई
“शहर तो कई बदले थे मैंने सफर में कुछ पाने को
माँ को गांव की गलियों में छोड़, अपना सब खो बैठा…”
-मयंक विश्नोई
“अब तन्हाई भरी अंगड़ाई लेती है आहट
माँ की गोद में सोए, एक अरसा बीत गया…”
-मयंक विश्नोई
“खामोशियों ने ख्वाबों को कैद कर लिया है
माँ पास होती तो यक़ीनन आज़ाद होता मैं…”
-मयंक विश्नोई
“अश्कों में सिमटकर मैं आज खुद को खो बैठा
सोचा न था, माँ से बिछड़ना होगा एक दिन…”
-मयंक विश्नोई
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आशा है कि इस ब्लॉग में आपको मातृ दिवस पर शायरी पढ़ने का अवसर मिला होगा। मातृ दिवस के अवसर पर अपनी माँ के साथ शायरी साझा करके आप उन तक अपने दिल की बातों को पहुंचा सकते हैं। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।