हर साल दुनियाभर में 29 अप्रैल को इंटरनेशनल डांस डे मनाया जाता है। वैश्विक स्तर पर मनाया जाने वाला यह दिवस, नृत्य कला और उसके कलाकारों का सम्मान करने का एक विशेष अवसर है। यह दिवस नृत्य कला के महत्व को सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करने, विभिन्न संस्कृतियों में नृत्य की भूमिका का जश्न मनाने, नृत्य कला के प्रति प्रशंसा व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन कई नृत्य संबंधित कार्यक्रम होते हैं जिनमें कलाकारों का प्रदर्शन, नृत्य संवाद, और व्याख्यान शामिल होते हैं। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस (International Dance Day in Hindi) के बारे में अधिक जानने के लिए यह लेख पूरा पढ़ें। यह लेख अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के इतिहास और महत्व पर ध्यान केंद्रित करेगा, इसके साथ ही भारतीय नृत्य कला की प्रमुख प्रकारों को पेश करेगा।
This Blog Includes:
- अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस क्या है? – International Dance Day in Hindi
- अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का इतिहास
- अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
- अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का महत्व
- अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस कैसे मनाते हैं?
- International Dance Day Quotes in Hindi
- अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस से जुड़े तथ्य
- भारत के प्रमुख नृत्य
- FAQs
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस क्या है? – International Dance Day in Hindi
नृत्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह भावनाओं को व्यक्त करने, संस्कृतियों को जोड़ने और स्वस्थ जीवन जीने का एक शानदार तरीका भी है। यह विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें से कुछ लोकप्रिय प्रकारों में शामिल हैं: भरतनाट्यम, कथक, लावणी, साल्सा, हिप हॉप, जैज़ आदि। इसी अद्भुत कला का सम्मान करने के लिए हर साल 29 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है। इस दिन नृत्य कला के महत्व को सार्वजनिक रूप से मान्यता और प्रतिष्ठा देने का मुख्य उद्देश्य होता है। नृत्य कला का सम्मान और प्रसार विभिन्न देशों में इस दिन के आयोजनों के माध्यम से किया जाता है। इस दिन कई नृत्य संबंधित कार्यक्रम होते हैं जिनमें कलाकारों का प्रदर्शन, नृत्य संवाद, व्याख्यान आदि शामिल होते हैं। आपको बता दें अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का आयोजन 1982 में शुरू किया गया था।
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस, नृत्य के जादूगर जीन जॉर्जेस नोवेरे को समर्पित है। इस दिन के इतिहास की बात करें तो 29 अप्रैल 1982 से शुरू होता है। 1982 में, यूनेस्को के इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट (ITI) की अंतर्राष्ट्रीय नृत्य समिति ने नोवेरे के जन्मदिन को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस घोषित किया। बता दें फ्रांसीसी बैले मास्टर जीन-जॉर्जेस नोवेरे का को “बैले के पिता” के रूप में जाना जाता है। इस दिन के आयोजन से नृत्य कला को उच्च स्तर पर मान्यता मिली है और अब यह एक सार्वजनिक मंच बन चुका है और हर साल दुनियाभर में धूमधाम से मनाया जाता है। बता दें कि नोवेरे, न केवल एक महान नर्तक थे, बल्कि उन्होंने “लेटर्स ऑन द डांस” नामक एक प्रसिद्ध पुस्तक भी लिखी थी जिसमें नृत्य कला से जुड़ी सभी चीज़ें मौजूद हैं।
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अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
प्रतिवर्ष 29 अप्रैल को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को नृत्य कला को समर्थन और प्रोत्साहन देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन को विशेष रूप से नृत्य कला के महत्व को जागरूक करने और लोगों को नृत्य कला की महत्ता को समझाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न नृत्य संबंधित कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है जो नृत्य कला को गौरवान्वित करते हैं। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को मनाने से नृत्य कला के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ती है और इसके साथ ही लोगों को नृत्य कला की ओर अग्रसर किया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का महत्व
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का महत्व नृत्य कला के सामाजिक, सांस्कृतिक, और मानवता के लिए बहुत अधिक है। यह एक महत्वपूर्ण दिन है जो नृत्य कला के महत्व को प्रस्तुत करता है और इसे समर्थन करता है। नृत्य कला के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद को बढ़ावा मिलता है, जिससे समृद्धि और एकता का वातावरण बनता है। इस दिन के माध्यम से नृत्य कला के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ती है और नृत्य कला को उच्चतम स्तर पर मान्यता दी जाती है।
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अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस कैसे मनाते हैं?
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। इस दिन कई स्कूल, कॉलेज, नृत्य शालाएं और संगठन नृत्य संबंधित कार्यक्रम आयोजित करते हैं। विभिन्न स्थानों पर नृत्य प्रदर्शन, संवाद और नृत्य संबंधित व्याख्यान भी आयोजित किए जाते हैं। इस दिन कलाकारों का प्रदर्शन, नृत्य कार्यशालाएं और कला संगठनों द्वारा आयोजित किए जाने वाले प्रतियोगिताओं में लोग भाग लेते हैं।
International Dance Day Quotes in Hindi
इंटरनेशनल डांस डे पर कोट्स इस प्रकार से है :
- “आप जितना नृत्य करेंगे, उतना आप जीवित महसूस करेंगे।” – जॉय लुसिया
- “नृत्य करने में डरो मत। बस हिलना शुरू करें और संगीत आपको ले जाएगा।” – लुईस हे
- “हर कोई नृत्य कर सकता है। यदि आप दिल से नृत्य करते हैं, तो आप सही नृत्य करते हैं।” – एनन ड्रू
- “नृत्य जीवन का आनंद लेने का एक तरीका है। इसलिए उठो और नाचो!” – अज्ञात
- “हाथों और पैरों के साथ नृत्य करना कविता है।” चार्ल्स बौडेलेयर
- “नृत्य आत्मा की छिपी हुई भाषा है।” – मार्था ग्राहम
- “अपने लिए नाचो।” कोई समझे तो अच्छा. यदि नहीं, तो कोई बात नहीं।” -लुई होर्स्ट
- “नर्तकियों को उड़ने के लिए पंखों की आवश्यकता नहीं होती है।” – अज्ञात
- “नर्तक अपनी तकनीक से नहीं, बल्कि अपने जुनून से बनते हैं।” – एग्नेस डी मिल
- “नृत्य एक सामाजिक गतिविधि है। यह लोगों को एक साथ लाता है और समुदाय की भावना पैदा करता है।”
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस से जुड़े तथ्य
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Facts about International Dance Day in Hindi) नीचे दिए गए हैं :
- अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का पहला आयोजन 29 अप्रैल 1982 को किया गया था।
- इस दिन का आयोजन मौरीस बेजार्ट नामक नृत्यकार ने किया था।
- यह तारीख फ्रांसीसी बैले मास्टर और कोरियोग्राफर जीन-जॉर्जेस नोवेरे की जयंती के साथ मेल खाती है।
- जीन-जॉर्जेस नोवेरे को “बैले के पिता” के रूप में भी जाना जाता है।
- शास्त्रीय और लोक नृत्य भारत में दो सबसे लोकप्रिय नृत्य रूप हैं।
- कई देशों में अपने-अपने राष्ट्रीय नृत्य दिवस भी होते हैं।
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भारत के प्रमुख नृत्य
भारत के प्रमुख नृत्य कलाएं उसकी सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन नृत्य कलाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति, परंपरा, और विरासत का समृद्ध विवर्ण प्रदर्शित होता है। इन नृत्य कलाओं के माध्यम से हम अपनी विरासत को समझते हैं और उसे आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं। भारत के प्रमुख नृत्य कलाएं हैं:
डांस फॉर्म | राज्य |
भरतनाट्यम | तमिल नाडु |
कत्थक | उत्तर भारत |
कथकली | केरल |
ओडिसी | ओडिसा |
लावणी | महाराष्ट्र |
भंगड़ा | पंजाब |
- भरतनाट्यम : भरतनाट्यम, भारत का एक प्राचीन और सम्मानित शास्त्रीय नृत्य है, जिसकी उत्पत्ति तमिलनाडु में हुई थी। यह नृत्य अपनी जटिल भावों, लयबद्ध तालमेल और आकर्षक संगीत के लिए जाना जाता है। पूरे विश्व में लोकप्रिय यह पारंपरिक नृत्य दया, पवित्रता व कोमलता के लिए जाना जाता है।
- कथक : भारत का एक प्राचीन और सम्मानित शास्त्रीय नृत्य है, जिसकी उत्पत्ति उत्तर प्रदेश में हुई थी। यह नृत्य भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी को दर्शाता है, और राधा की नटवरी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है। आपको बता दें कि कथक का नाम संस्कृत शब्द कहानी व कथार्थ से प्राप्त होता है।
- कथकली : कथकली, केरल राज्य का 17वीं शताब्दी में उभरा हुआ एक शास्त्रीय नृत्य नाटक है जो अपनी आकर्षक वेशभूषा, मुखौटों, इशारों के माध्यम से कहानियों को दर्शाता है। यह नृत्य हिंदू महाकाव्यों, पौराणिक कथाओं और लोककथाओं से प्रेरित है, और इसमें कलाकार नृत्य, गायन और अभिनय का मिश्रण पेश करते हैं।
- ओडिसी : ओडिसी, भारत के उड़ीसा राज्य का एक प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है जो भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम को दर्शाता है, और उनकी लीलाओं और दिव्य चरित्र को चित्रित करता है। ओडिसी नृत्य में चेहरे के भाव, हाथों के इशारे और मुद्राएं बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। नृत्यक विभिन्न भावनाओं को व्यक्त करने के लिए इनका उपयोग करते हैं, जैसे कि खुशी, उदासी, क्रोध और प्रेम।
- लावणी: लावणी, भारत के पश्चिम में स्थित महाराष्ट्र राज्य का एक लोकप्रिय नृत्य है जो अपनी आकर्षक धुनों, ऊर्जा, लय और भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए प्रसिद्ध है। लावणी की उत्पत्ति 18वीं शताब्दी के आसपास हुई थी। माना जाता है कि यह ग्रामीण इलाकों में शुरू हुआ था और धीरे-धीरे शहरों में लोकप्रिय हो गया। लावणी शब्द “लावण्य” से आया है, जिसका अर्थ है सुंदरता। यह नृत्य महिलाओं की सुंदरता को दर्शाता है।
- भांगड़ा: यह पंजाब का एक लोकप्रिय नृत्य है, जो अपनी ऊर्जावान धुनों, समूह नृत्य के लिए प्रसिद्ध है। यह नृत्य फसल कटाई के मौसम से जुड़ा हुआ है और इसे पारंपरिक रूप से पुरुषों द्वारा किया जाता था, हालांकि अब महिलाएं भी इसमें भाग लेती हैं।
FAQs
प्रतिवर्ष 29 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है। यह नृत्य कला के प्रति समर्पण और सम्मान का दिन है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य विश्वभर में नृत्य को बढ़ावा देना और इसकी सांस्कृतिक एवं शारीरिक महत्व को रेखांकित करना है।
हर साल 29 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को विश्व नृत्य दिवस के रूप में भी जाना जाता है।
आधुनिक भारतीय नृत्य के पिता उदय शंकर हैं।
अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस यूनेस्को के इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट (ITI) की अंतर्राष्ट्रीय नृत्य समिति द्वारा आयोजित एक भव्य समारोह है जो प्रतिवर्ष 29 अप्रैल को पूरी दुनिया में मनाया जाता है।
भारतीय शास्त्रीय नृत्य की प्रमुख शैलियाँ 8 हैं। इसमें कत्थक, भरतनाट्यम, कत्थकली, मणिपुरी, ओडिसी, कुचीपुड़ी, सत्रीया एवं मोहिनीअट्टम शामिल है।
भरतनाट्यम, भारत का एक प्राचीन और सम्मानित शास्त्रीय नृत्य है, जिसकी उत्पत्ति तमिलनाडु में हुई थी।
बैले से लेकर बेली डांस और साल्सा से लेकर भरतनाट्यम तक, यहां दुनिया भर के 10 सबसे लोकप्रिय नृत्य हैं।
भारत के राष्ट्रीय नृत्य है : भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, मणिपुरी आदि।
वर्तमान समय का कथक सबसे नवीन शास्त्रीय नृत्य है।
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