Indian Army Day 2024: क्या आप जानते हैं कि भारतीय सेना दिवस हर साल 15 जनवरी को ‘फील्ड मार्शल के एम करियप्पा’ (Field Marshal KM Cariappa) के सम्मान में मनाया जाता है। वर्ष 1949 में इसी दिन ब्रिटिश भारत के अंतिम कमांडर-इन-चीफ ‘जनरल फ्रांसिस बुचर’ से स्वतंत्र भारत के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा ने कार्य भार ग्रहण किया था। वहीं इस वर्ष 15 जनवरी, 2024 को भारत अपना ‘76वां सेना दिवस’ मनाने जा रहा है। ये दिवस भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक की याद दिलाता है। आइए अब हम जानते हैं भारतीय सेना दिवस के इतिहास से जुड़ी सभी अहम बाते।
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इंडियन आर्मी की स्थापना किसने की?
भारत पर ब्रिटिश हुकूमत का राज होने से पहले यह अनेक रियासतों में बटा हुआ था। इन रियासतों में राजा-महाराजाओं, नवाबों और निजाम का अपना सैन्य दल हुआ करता था। किंतु ब्रिटिश हुकूमत का भारत पर आधिपत्य स्थापित होने के बाद अंग्रेजों ने व्यवस्थित सैन्य दल का गठन किया। इन सैन्य दलों में कालांतर में भारतीय सैनिकों को भी शामिल किया गया। ये वो समय था जब भारतीय सेना ब्रिटिश आर्मी का ही एक हिस्सा हुआ करता था।
इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने अपनी तत्कालीन राजधानी कोलकाता से व्यवस्थित रूप से भारतीय सेना का गठन 1 अप्रैल, 1895 को किया था। उस समय इस सेना को ब्रिटिश भारतीय सेना के नाम से जाना गया। लेकिन भारत को स्वराज मिलने के बाद यह सेना भारतीय सेना बन गई।
सिर्फ ब्रिटिश होते थे कमांडर
भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय जब पूरे देश में हिंसा व उथल-पुथल का माहौल था। वहीं देश के हजारों-लाखों शरणार्थियों को एक देश से दूसरे देश में आवागमन करना था। उस दौरान भी भारत के कई स्थानों पर बड़े राष्ट्रीय आंदोलन हो रहे थे, जिसके कारण दोनों देशों की ही सरकार व अवाम को कई प्रशासनिक समस्याओं का समाना करना पड़ रहा था।
वहीं इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए एक व्यवस्थित सेना की आवश्यकता थी। किंतु भारत की आजादी के बाद के कुछ वर्षों में भी भारतीय सेना की कमान ब्रिटिश मूल के अधिकारियों के हाथ में ही हुआ करती थी।
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भारतीय सेना दिवस क्यों मनाया जाता है?
वर्ष 1947 में भारत को पूर्ण स्वराज मिलने के बाद भी भारतीय सेना की कमान ब्रिटिश भारत के अंतिम कमांडर-इन-चीफ ‘जनरल फ्रांसिस बुचर’ के हाथों में ही थी। किंतु 15, जनवरी 1949 को के एम करिअप्पा पहले ऐसे अधिकारी बने जिन्होंने स्वतंत्र भारत में लेफ्टिनेंट जनरल का पदभार संभाला था। यह दिन ना केवल भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण होता है बल्कि भारतीय इतिहास के स्वर्णिम दिनों में भी अहम माना जाता है।
वह आजाद भारत के पहले भारतीय सैन्य अधिकारी थे और भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में उन्होंने ही भारतीय सेना का नेतृत्व किया था। बाद में करियप्पा भारत के दूसरे फील्ड मार्शल भी बने। ‘फील्ड मार्शल के एम करियप्पा’ के सम्मान में ही हर वर्ष 15 जनवरी को ‘भारतीय सेना दिवस’ (Indian Army Day 2024) मनाया जाता है।
फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा
के एम करिअप्पा का पूरा नाम ‘कोडंडेरा एम. करियप्पा’ (Kodandera Madappa Cariappa) है। उनका जन्म 1899 में कर्नाटक के कुर्ग में हुआ था। फील्ड मार्शल करियप्पा ने महज 20 साल की उम्र में ही ‘ब्रिटिश इंडियन आर्मी’ में नौकरी शुरू कर दी थी। वहीं, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बर्मा (वर्तमान म्यांमार) में जापानी सेना को शिकस्त देने के लिए उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर’ का सम्मान भी मिला था।
करिअप्पा ने वर्ष 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया था। बता दें कि लेह को भारत का हिस्सा बनाने में करिअप्पा की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। वहीं भारत-पाकिस्तान के विस्थापन के वक्त उन्हें ही दोनों देशों की सेनाओं के बंटवारे की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
बता दें कि के एम करिअप्पा के नेतृत्व में ही भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को कारगिल व अन्य स्थानों पर करारी शिकस्त दी थी। वर्ष 1953 में भारतीय सेना से सेवानिवृत होने के बाद करियप्पा कुछ वर्ष तक ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भारत के उच्चायुक्त भी रहे। वहीं, वर्ष 1993 में 94 वर्ष की आयु में अपने गृह स्थान बेंगलुरु में उनका निधन हो गया।
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भारत के दो फील्ड मार्शल
वर्तमान शासन व्यवस्था में अनुसार भारत का राष्ट्रपति ही तीनों सेनाओं का कमांडर इन चीफ यानी सेना प्रमुख होता हैं। किंतु भारत की स्वतंत्रता से पूर्व के एम करियप्पा कमांडर इन चीफ बने थे जब उन्होंने ब्रिटिश जनरल फ्रांसिस बुचर के बाद यह पद ग्रहण किया था। बता दें वर्ष 1986 में वह भारत के दूसरे फील्ड मार्शल भी बने थे। उनसे पहले देश के प्रथम फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ थे। जिन्हें वर्ष 1973 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ने देश के प्रथम फील्ड मार्शल के पद से सम्मानित किया था। क्या आप जानते हैं कि जब करिअप्पा सेना प्रमुख बने तो भारतीय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे। वहीं आज भारतीय सेना में तकरीबन 12,00,255 से अधिक सक्रिय सैनिक हैं।
भारतीय सेना दिवस का आयोजन
वर्ष 2024 में 76वें भारतीय सेना दिवस का आयोजन उत्तर प्रदेश की राजधानी लख़नऊ में किया जाएगा। वहीं देश ने अन्य राज्यों में भी भारतीय सेना दिवस (Indian Army Day 2024) के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस दिन भारतीय सेना के अत्याधुनिक उपकरण व हथियारों की प्रदर्शनी व सैन्य परेड का आयोजन भी किया जाता है।
भारतीय सेना दिवस के दौरान न केवल उन सेनाओ तथा सेनानियों को सलाम किया जाता है, जिन्होंने अपने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। इसके साथ ही उन सैनिकों की अर्धान्गनियों और माताओं को भी नमन किया जाता है। जिन्होंने अपना वीर इस देश के नाम कुर्बान कर दिया।
सेना दिवस परेड
इस दिन दिल्ली, बेंगलुरु और लखनऊ समेत कई प्रमुख सैन्य परेड ग्राउंड पर थल सेना दिवस परेड का आयोजन किया जाता है। सेना दिवस के तमाम कार्यक्रमों में से यह सबसे बड़ा आयोजन होता है। वहीं इस दिन भारत के वीर सैनिकों को वीरता पुरस्कार से भी सम्मानित किया जाता हैं।
FAQs
हर वर्ष 15 जनवरी को भारतीय सेना के सम्मान में भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है।
भारतीय सेना दिवस भारत के दूसरे फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा के सम्मान में मनाया जाता है।
15 जनवरी 1949 को ही के एम करियप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान ली थी। इसीलिए ही हर वर्ष 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है।
बता दें कि इस वर्ष भारत अपना ‘76वां सेना दिवस’ मनाएगा।
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