भारत का संविधान एक नियम पुस्तिका की तरह है जो यह निर्देशित करती है कि देश को कैसे चलाया जाए। यह लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत के संविधान को 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत किया गया था और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ और इसी वजह से भारत हर साल 26 जनवरी के दिन अपना गणतंत्र दिवस मनाता है। हालांकि कहीं न कहीं हम सभी के मन में यह प्रश्न आता होगा कि भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ और इसके पीछे क्या कारण था? जोकि इस ब्लाॅग में विस्तार से जानेंगे।
भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ?
26 जनवरी 1950 को संविधान लागू करने की तिथि के रूप में विशेष रूप से इसलिए चुना गया था क्योंकि इसी दिन 1930 में पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया था। यह दिन 31 दिसंबर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में नेहरू द्वारा तिरंगा फहराने और पूर्ण स्वराज की मांग करने की घटना के बाद मनाया गया था। ऐसा भी माना जाता है कि 26 जनवरी 1930 के दिन कांग्रेस के द्वारा रावी नदी के किनारे भारत को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया था। इसी दिन की महत्ता को देखते हुए इस दिन की याद में भारत के संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया जाना तय किया गया। भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 के दिन लागू किए जाने के पीछे का उद्देश्य यही था कि लोग इस बात को याद रखें कि 26 जनवरी के दिन ही सर्वप्रथम कांग्रेस द्वारा भारत को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया था।
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भारत का संविधान क्या है?
भारत का संविधान देश का सर्वोच्च कानून है। यह भारत के शासन के लिए रूपरेखा है और सरकारी संस्थानों की संरचना, शक्तियों और कर्तव्यों को स्थापित करता है। भारत का संविधान दुनिया में सबसे लंबे लिखित संविधान के रूप में जाना जाता है। संविधान भारत का सर्वोच्च कानून है और यह रिटेन डाक्यूमेंट है। भारतीय संविधान, सरकार और उसके संगठनों की संरचना, प्रक्रियाओं, शक्तियों, कर्तव्यों और नागरिकों के अधिकारों को निर्धारित करता है। sansad.in के अनुसार, संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं और इसमें लगभग 145,000 शब्द थे और यह अब तक का सबसे बड़ा संविधान है।
संविधान का महत्व क्या है?
संविधान का महत्व भारत में बहुत है क्योंकि यह तय करता है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास है। यह तय करता है कि सरकार का गठन कैसे होगा। एक सरकार अपने नागरिकों पर क्या थोप सकती है, इस पर कुछ सीमाएं भी हो सकती हैं। लोगों के मौलिक अधिकार संविधान की देन हैं और इससे यह तय होता है कि सरकार को समाज की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम बनाता है। संविधान सरकार की शक्तियों को सीमित कर सकता है और लोगों द्वारा राजतंत्र बनाने का अधिकार देता है।
भारतीय संविधान से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
यहाँ भारतीय संविधान से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य दिए जा रहे हैं :
- संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी।
- संविधान बनाते समय संविधान सभा ने कुल 60 देशों के संविधानों का अवलोकन किया था।
- संविधान सभा का 11 वां सत्र 14-26 नवंबर 1949 के बीच आयोजित किया गया था।
- 26 नवंबर 1949 को संविधान का अंतिम ड्राफ्ट तैयार हुआ था।
- भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
- भारतीय संविधान का प्रकाशन देहरादून में किया गया था और इसे सर्वे ऑफ़ इण्डिया द्वारा फोटोलिथोग्राफ किया गया था।
- भारतीय संविधान टाइप या प्रिंट नहीं किया गया है। इसके हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करण हाथों से लिखे गए हैं।
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भारतीय संविधान पर 10 लाइन
भारतीय संविधान पर 10 लाइन इस प्रकार हैं:
- हमारे संविधान ने पिछले विभिन्न संविधानों से प्रेरणा ली, जिससे यह विश्व स्तर पर सबसे लंबा बन गया।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का निर्माता माना जाता है।
- संविधान की नींव भारत सरकार अधिनियम, 1935 में निहित है।
- संविधान सभा पहली बार 5 दिसंबर, 1946 को बुलाई गई।
- भारत के संविधान को तैयार करने में लगभग तीन साल लगे।
- 26 जनवरी 1950 को कानूनी रूप से लागू किया गया।
- भारत का राष्ट्रीय प्रतीक 8 जनवरी 1950 को अपनाया गया था।
- शुरुआत में हिंदी और अंग्रेजी में लिखा गया, संविधान का प्रत्येक पृष्ठ कलात्मक रूप से डिजाइन किया गया था।
- संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे।
- भारत के संविधान में आज तक कुल 100 से भी अधिक अमेंडमेंट किए गए हैं।
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