सत्य और अहिंसा के पुजारी ‘महात्मा गांधी’ ने अंग्रेज़ों की गुलामी से देश को आज़ाद करवाने के लिए काफी आंदोलन किए थे। उनके द्वारा किये गए आंदोलन इतने प्रभावी थे कि महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद समेत कई लोग उसमें जुड़ते चले गए। इन्हीं आंदोलनों ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिलाकर रख दिया था और इसी के परिणामस्वरूप, भारत को 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त हुई। ऐसे में कई बार विद्यार्थियों को इन आंदलनों के बारे में और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी के योगदान के बारे में निबंध तैयार करने को दिया जाता है। इस ब्लॉग के माध्यम से आप जान पाएंगे कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी का योगदान पर निबंध कैसे लिखें? यहाँ आपको 100, 200 और 500 शब्दों में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी का योगदान पर निबंध के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं, जिसके लिए आपको यह ब्लॉग अंत तक पढ़ना होगा।
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भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का सारांश
भारत के इतिहास में, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह एक ऐतिहासिक घटना थी जिसका भारतीय इतिहास पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा और इसके चलते भारत ब्रिटिश शासन से आजाद हो गया, भारत एक लोकतांत्रिक देश बन गया, देश में सामाजिक और आर्थिक सुधार हुए और इसी के साथ ही देश में राष्ट्रवाद की भावना भी मजबूत हुई। ऐसे में आईये अब जानते हैं कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन कब से कब तक चला। तो चलिए आपको बता दें कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (INA) 1885 से 1947 तक भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ चलाया गया था। इस आंदोलन का उद्देश्य भारत को अंग्रेज़ो की गुलामी से आज़ाद करना था। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस जैसी हस्तियों के नेतृत्व में इस आंदोलन का उद्देश्य सफल हुआ और आखिरकार भारत 15 अगस्त, 1947 को आज़ाद हो गया।
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भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी का योगदान पर निबंध 100 शब्दों में
भारत के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी, भारतीय इतिहास के महान व्यक्तियों में से एक थे। उन्होंने सत्य और अहिंसा की राह पर चलते हुए कई स्वतंत्रता आंदोलन जैसे असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। इन आंदोलनों में लाखों भारतीयों ने हिस्सा लिया और ब्रिटिश शासन का विरोध किया। इन आंदोलनों ने ब्रिटिश हुकूमत की नाक में दम कर दिया था और अंत में ब्रिटिशों को भारत छोड़कर जाना ही पड़ा। बता दें कि गांधी जी द्वारा चलाए गए सभी स्वतंत्रता आंदोलन केवल ‘अहिंसा’ पर आधारित थे। भारत को आजाद करवाने के बाद उनके द्वारा समाज में कई सकारात्मक बदलाव भी लाए गए। उन्होंने सभी भारतवासी को एकता और संगठन की भावना दी, उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया और देश को एक लोकतांत्रिक देश के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी का योगदान पर निबंध 200 शब्दों में
भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में अनेक विचारधाराओं व व्यक्तियों का योगदान रहा है। जिनमें से के थे “राष्ट्रपिता” और “बापू” के नाम से जाने जाने वाले महात्मा गांधी। महात्मा गाँधी एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास रखते थे। उन्होंने भारत को आज़ाद कराने के लिए ब्रिटिश राज से लड़ी जा रही लड़ाई को एक नई दिशा दी और पूरे देश को एक साथ ला दिया। आज़ादी की लड़ाई और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में गांधीजी ने एक अहम भूमिका का निर्वाह किया और सभी भारतीयों को अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के आधार पर लड़ने के लिए प्रेरित किया। उनके नेतृत्व में भारतीयों ने ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी और अंततः स्वतंत्रता प्राप्त की। आपको बता दें कि गांधीजी के कुछ प्रमुख आंदोलनों में शामिल है असहयोग आंदोलन (1920-22), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-32) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) . इन आंदोलनों के माध्यम से भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ खुला विद्रोह किया और अंततः ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने के लिए मजबूर होना पड़ा। 15 अगस्त, 1947 भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन था, इसी दिन भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी का योगदान पर निबंध 500 शब्दों में
भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी या महात्मा गाँधी ने अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद कराने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया था। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के आधार पर कई आंदोलन चलाए। उनके द्वारा किए गए आंदोलन निम्नलिखित है :
महात्मा गाँधी द्वारा किए गए आंदोलन
महात्मा गांधी के आंदोलन की लिस्ट नीचे दी गई है-
वर्ष | आन्दोला के नाम |
1917 | चंपारण सत्याग्रह |
1918 | खेड़ा सत्याग्रह |
1918 | अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन |
1920 | खिलाफत आंदोलन |
1920 | असहयोग आंदोलन |
1930 | नमक आंदोलन (सविनय अवज्ञा आंदोलन) |
1942 | भारत छोड़ो आंदोलन |
चंपारण सत्याग्रह
चंपारण सत्याग्रह या चंपारण आंदोलन, 1917 में बिहार राज्य के चंपारण जिले में हुआ एक किसान आंदोलन था। गांधीजी के नेतृत्व में भारत में किया गया यह पहला आंदोलन था जिसका उद्देश्य किसानों पर होने वाले शोषण को रोकना था। उस समय ब्रिटिश सर्कार चंपारण जिले के किसानों को अपने खेतों में नील की खेती करने के लिए मजबूर करती थी और इसे सस्ते दाम पर बेचने के लिए मजबूर करती है। मौसम की बिगड़ती स्थिति के कारण, किसान आवश्यक मात्रा में फसल उगाने में असमर्थ थे और भारी करों का भुगतान कर रहे थे। ऐसे में चंपारण के किसान गरीबी और शोषण का शिकार थे। किसानों की इस स्थिति को देखते हुए राजकुमार शुक्ल ने महात्मा गांधी से मदद मांगी। गांधीजी ने किसानों की समस्याओं को समझकर उनके समर्थन में आंदोलन शुरू किया। ऐसे में चंपारण के किसान ने भी उन हड़तालों में भाग लिया और अंत में चंपारण आंदोलन के कारण, ब्रिटिश सरकार को नील की खेती को समाप्त करना पड़ा।
असहयोग आंदोलन
जलियांवाला बाग की भयानक घटना के कारण 1920 में असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई थी। महात्मा गांधी के नेतृत्व में आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हुआ। असहयोग आंदोलन के दौरान लोगों ने ब्रिटिश सरकार के उत्पादों और उनके प्रतिष्ठानों जैसे स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालयों आदि का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। हालांकि, चौरी चौरा की घटना के बाद महात्मा गांधी ने आंदोलन समाप्त कर दिया था।
नमक आंदोलन (सविनय अवज्ञा आंदोलन)
12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। इस पैदल मार्च का नेतृत्व गाँधी जी द्वारा किया गया और इसे नमक आंदोलन (सविनय अवज्ञा आंदोलन) का नाम दिया गया। नमक आंदोलन भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस आंदोलन का उद्देश्य था ब्रिटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करना। बता दें कि उस समय ब्रिटिश सरकार नमक के उत्पादन और बिक्री पर एकाधिकार रखती थी। ऐसे में भारतीयों को नमक खरीदने के लिए ब्रिटिश सरकार को भारी कर देना पड़ता था। इस व्यवस्था से गरीब लोग ज्यादा प्रभावित होते थे। ऐसे में गांधीजी और उनके साथियों ने 6 अप्रैल, 1930 को दांडी में समुद्र के पानी से नमक बनाकर बेचा। इस दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा हजारों लोगों गिरफ्तार हुए और कई लोग मारे गए। लेकिन आंदोलन तब भी जारी रहा। अंततः, ब्रिटिश सरकार को नमक कानून को रद्द करना पड़ा।
भारत छोड़ो आंदोलन
भारत छोड़ो आंदोलन, 8 अगस्त 1942 को आरम्भ किया गया था। इस आन्दोलन का उद्देश्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को तुरंत समाप्त करना था। इस आंदोलन के शुरू होते ही भारत भर में कई हड़तालें और प्रदर्शन शुरू हो गए। इस दौरान महात्मा गांधी को भी गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन अंत में भारत की ही जीत हुई और इसके परिणामस्वरूप भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिली।
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FAQs
महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में भी जाना जाता है। उन्हें स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान की गयी थी। लेकिन इससे बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे जो गांधीजी को राष्ट्रपिता कहते थे।
महात्मा गाँधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी।
महात्मा गाँधी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई थी।
उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी का योगदान पर निबंध के बारे में विस्तृत जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।