भारत में राष्ट्रवाद: जानिए कक्षा 10 में इस पाठ में क्या पढ़ाया जाता है

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भारत में राष्ट्रवाद

भारत में राष्ट्रवाद का उदय यूरोपियन राष्ट्रवाद के साथ हुआ है। राष्ट्रवाद एकता की भावना जो ऐतिहासिक, धार्मिक, संस्कृति पर आधारित होती है। इस भावना से जो प्रेरणा लेता है वो जरूर अपनी एक अलग पहचान बनाता है। भारत में राष्ट्रवाद में हमें बहुत सारी बातों  के बारे में पता चलता है, जैसे: पहले विश्व युद्ध, सत्याग्रह का विचार, रॉलट एक्ट, असहयोग आन्दोलन आदि। इसके साथ भारत में राष्ट्रवाद से बहुत सारी चीजें जुड़ी हैं। तो आइए जानते हैं भारत में राष्ट्रवाद Class 10 के बारे में।

 ज़रूर पढ़ें: Revolt of 1857 (1857 की क्रांति)

राष्ट्रवाद क्या है?

राष्ट्रवाद एक विचारधारा है जो उन लोगों द्वारा व्यक्त की जाती है जो यह मानते हैं कि उनका राष्ट्र अन्य सभी से श्रेष्ठ है। श्रेष्ठता की ये भावनाएँ अक्सर समान जातीयता, भाषा, धर्म, संस्कृति या सामाजिक मूल्यों पर आधारित होती हैं। राष्ट्रवाद कई प्रकार का होता है, जैसे – 

  • जातीय राष्ट्रवाद
  • विस्तारवादी राष्ट्रवाद
  • रोमांटिक राष्ट्रवाद
  • सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
  • भाषा राष्ट्रवाद
  • धार्मिक राष्ट्रवाद
  • उत्तर-औपनिवेशिक राष्ट्रवाद
  • नागरिक राष्ट्रवाद
  • उदार राष्ट्रवाद
  • वैचारिक राष्ट्रवाद
  • क्रांतिकारी राष्ट्रवाद
  • राष्ट्रीय रूढ़िवाद
  • मुक्ति राष्ट्रवाद
  • वामपंथी राष्ट्रवाद

भारत में राष्ट्रवाद की शुरुआत कैसे हुई?

भारत में कई वर्षों से असंतोष चलते आ रहा था। प्राचीन काल से ही राष्ट्रवाद जीवित रहा है। अर्थ वेद में कहां है “वरुण राष्ट्र हो अविचल करें बृहस्पति राष्ट्र को स्थिर करें इंद्र राष्ट्र को शुरू करें अग्रिम देवराष्ट्र को निश्चित रूप से धारण करें” राष्ट्रवाद एकता की भावना जागृत करता है। भारत में राष्ट्रवाद की शुरुआत 19वीं शताब्दी से शुरू हुई थी। ब्रिटिश साम्राज्य की नीतियों और उनकी चुनौतियों से भारत में राष्ट्र के रूप में सोचना शुरू किया इसका आधारशीला ब्रिटिश शासन से हुई।

भारत में राष्ट्रवाद कक्षा 10 का कारण

भारत में राष्ट्रवाद
  • 1857 को भारत में राष्ट्रवाद कक्षा 10 के उदय का मुख्य कारण माना जाता है। इसे सैनिक विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है।
  • प्रेस और समाचार पत्र- भारत में राजा राममोहन ने राष्ट्र प्रेस की नींव रखी उन्होंने बंगाली भाषा में संवाद कौमुदी , फारसी मिरात-उल- अकबर जैसे लोगों की आवाज ‌बने। ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने साप्ताहिक पत्र सोम प्रकाश शुरू किया जिसने राष्ट्रवाद की भावना जागृत की इसके अलावा अमृत बाजार पत्रिका केसरी हिंदू मराठा आदि समाचार पत्रों में ब्रिटिश स्कूल की नीतियों की आलोचना करें और राष्ट्र वाद की भावना जागृत की।
  • पाश्चात्य शिक्षा और संस्कृति: अंग्रेजों ने भारतीयों को शिक्षित इसलिए नहीं किया क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि उन में राष्ट्रीय भावना जागृत हो उनका उद्देश्य ब्रिटिश प्रशासन में क्लर्क की नियुक्ति करना था उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार अपने लाभ की पूर्ति के लिए किया अंग्रेज अंग्रेजी राजनीतिक बायरन खुद ब्रिटिश की गलत नीतियों से जूझ रहे थे ।1833 अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया जिसमें संबंध, पाश्चात्य साहित्य विज्ञान की प्राप्ति हुई और राष्ट्रवाद की भावना जागृत करने में पाश्चात्य शिक्षा और संस्कृति ने इस प्रकार बड़ी भूमिका निभाई।
  • आर्थिक नीतियां- ब्रिटिश का पैसा इंग्लैंड के लिए जाने लगा ईडी वाचा के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था इस तरह से चरमरा गई थी कि चार करोड़ भारतीय दिन में एक बार का खाना खाकर संतुष्ट होते थे। दादा भाई नौरोजी ने धन निष्कासन किस सिद्धांत को समझा कर लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा शोषण के बारे में जागृत किया।
  • इल्बर्ट बिल- 1883 इसके अनुसार अंग्रेजों के ऊपर मुकदमे की सुनवाई का अधिकार भारतीयों से छीन लिया गया था इसमें हो रहे भेदभाव में भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना जागृत की।
  • इस सरकार की गलत नीतियां- लॉर्ड रिपिन ने अपने शासनकाल में अंग्रेजी शासन के प्रति असंतोष की लहर पैदा हो गई। 1887 में दिल्ली दरबार उस समय किया गया जब दक्षिण भारत में अकाल, भुखमरी से लड़ रहा था।

युद्ध का कारण

1919  में राष्ट्र संघ स्थापित की गईं जिसका उद्देश्य विश्व भर में शांति स्थापित करना था यह संगठन सभी देशों को अपना सदस्य बनाना चाहता था जिससे उनके बीच चल रहें विवाद सुलझ जाए लेकिन ऐसा करने में असफल रहा क्योंकि सभी देश में शामिल नहीं होना चाहते थे इसके अलावा इटली  और जापान के मंचूरियन क्षेत्र पर आक्रमण जैसे अन्य आक्रमण को रोकने के लिए अपनी सेना नहीं थी। इस युद्ध का कारण ऑस्ट्रिया के राजकुमार फर्डिंनेंड की हत्या हुई था जिसके बाद साइबेरिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी जिस समय यह युद्ध शुरू हुआ उस समय भारत अंग्रेजी शासन के अधीन था भारतीय सैनिक पूरे विश्व में अलग-अलग जगह लड़ाई लड़ रहे थे। साथी इस विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद भारत में अंग्रेजी शासन के प्रति असंतोष थी साफ दिखाई देने लगी थी जिस कारण असहयोग आंदोलन सत्याग्रह अनेकों आंदोलन के बारे में आप नीचे पढ़ेंगे।

पहला विश्व युद्ध (1919)

भारत ने कभी पहले विश्वयुद्ध में कभी आतंरिक रूप से भाग नहीं लिया था। भारत को विश्वयुद्ध के समय अलग -अलग समस्याओं का सामना करना पड़ा था।इसमें एक अलग तरह की राजनीतिक और आर्थिक समस्या पैदा हो गई थी। अग्रेजो के रक्षा बजट को बढानें के लिए युद्ध के दौरान टैक्स बढाए गए । इनकम टैक्स और कस्टम ड्यूटी को बढ़ाया गया ताकि रेवेन्यू इकट्ठा किया जा सके। 1913 से 1918 के बीच लोगो को सेना में जबरन भर्ती किया गया। 1918-1920 बहुत साड़ी फसल ख़राब हो गयी थी। 1921 की जनगरण के अनुसार महामारी के कारण 120-130 लाख  लोग मारे गए थे।

सत्याग्रह पर विचार 

  • महात्मा गाँधी 1915 में भारत वापस लौटे उनके रूप में भारत को एक नया नेता मिला। 
  • गांधीजी ने जनांदोलन का एक अनोखा तरीका अपनाया था जिसे सत्याग्रह से जाना जाता है ।गांधीजी का मानना था की अपनी लड़ाई अहिंसा से भी जीती जा सकती है।
  • गांधी जी ने बिहार के चंपारण जिले में (1916), गुजरात के खेड़ा में (1917), अहमदाबाद के मिल मजदूरों के लिए आन्दोलन (1919)।

रॉलट एक्ट (1919)

  • इस अधिनयम से सरकार को राजनीतिक गतिविधियों पर लगाम और राजनीतिक कैदियो को बिना मुकदमें चलाये बंद करने का आदेश था।
  •  रॉलट एक्ट के खिलाफ महात्मा गाँधी ने 6अप्रैल को  एक आन्दोलन की शुरुआत की गांधीजी ने हडताल का आवाहन किया विभिन्न शहरोँ में इसे समर्थन मिला 
  • दुकाने बंद कर दी लाखो मजदूर हडताल पर चले गए 
  • इस आन्दोलन के खिलाफ खड़ा उठाने का निर्णय लिया , कई नेताओं को बंधी बना लिया गया और महत्मा गाँधी को दिल्ली आने से रोका गया।

जालियाँवाला बाग हत्याकांड (1919)

  • 13 अप्रैल 1919 को जालियाँवाला बाग मैदान में काफी संख्या में लोग एकत्रित हुए थे।
  • जनरल डायर सैनिको के साथ वहां पहुचें और बाहर निकले के रास्ते बंद कर दिए , इसके बाद लगतार गोलियां चलाई गईं।
  • खबर आग की तरह फेल गयी और लोगो पुलिस से मोर्चा लेने सरकारी इमारतो पर हमला करने लगे।

खिलाफत आन्दोलन (1919)

  • खिलाफत आन्दोलन के जरिए महत्मा गाँधी हिन्दू और मुसलमानों को एक साथ सके।
  • खिलाफत आन्दोलन का नेत्रित्व शौकत अली और मोहम्मद अली ने किया।
  • खिलाफत के समर्थन  में गांधीजी ने स्वराज के लिए असहयोग आन्दोलन शुरू करने के लये राज़ी हो गए।
  • खिलाफत के समर्थन में बॉम्बे में एक खिलाफत कमिटी बने गई।

असहयोग आन्दोलन

  • 1909 स्वराज पुस्तक में लिखा भारत में अग्रेजी राज इसलिए स्थापित हो पाया क्योंकि भारत के लोगो ने उनका  साथ दिया।
  • गांधीजी का मानना था की अगर भारतीय अग्रेजो का सहयोग करना बंद कर दे तो उनके पास भारत छोडने के अलावा कोई रास्ता नही रहेगा।
    असहयोग आन्दोलन के कुछ प्रस्ताव :
  • अग्रेजो सरकार द्वारा दी गयो सारी उपाधियो को वापस करना।
  • सिविल सर्विस , सेना पुलिस , कोर्ट , लेजिस्लेटिव काउन्सिल का बहिस्कार करना।
  • विदेशी समानों का बहिस्कार किया गया , विदेशी कपड़ो की होली जलाई गाई ।
  • आदिवासियो का आन्दोलन हिंसक हो गया 
  • विद्रोहियों ने पुलिस स्टेशन पर हमला किया , 1924 को राजू को पकड़ लिया और उन्हें फ़ासी दे दी गई ।
  • बगान में काम कर रहे श्रमिको के लिए चारदीवारी से बाहर आना आज़ादी था ।
  • 1859 अंतर्देशीय उत्प्रवास अधिनियमजिसमे बगान में काम करने वाले श्रमिको  का बाहर जाना मना था ।

सवनिय अवज्ञा की ओर 

  • फ़रवरी 1921 में गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन वापस लेने की घोषणा की थी 
  • सी आर दास और जवाहरलाल नेहरु ने स्वराज पार्टी का गठन किया किया था 
  • 1920 के बाद राजनीति को दिशा देने के कारण  
  • आर्थिक मंदी – 1930 के बाद कृषि उत्पादों की मांग में गिरावट आई जिससे उसकी कीमत में भी गिरावट दर्ज की गयी 

साइमन कमीशन

यह आयोग 1928 में भारत आया, कांग्रेस ने इस आयोग का विरोध किया क्योंकि इसमें एक भी भारतीय शामिल नही था
जवाहरलाल नेहरु की के नेत्रित्व में दिसम्बर 1929 में लाहौर में कांग्रेस ने पिरन स्वराज की मांग की।

नमक और सविनय अवज्ञा आन्दोलन

31 जनवरी 1930 को गांधी जी ने लार्ड इरविन को ख़त लिखा और अपनी 11 मांगो का ज़िक्र किया गाँधी जी ने इन मांगो के चलते अपने आपको समाज से जोड़ने की कोशिश की थो क्योंकि इसमें किसानो से लेकर करके उद्योगपति का ज़िक्र था। उन्होंने लिखा था की अगर 11 मार्च तक उनकी मांगे नही मानी गयी तो सविनय अवज्ञा आन्दोलन छोड़ देंगे, इरविन ने बातो को मानने  से मना कर दिया और इसके फलस्वरूप उन्होंने अपने 78 वालंटियर के साथ नमक यात्रा शुरू कर दी ये साबरमती आश्रम से 240 किलोमीटर दूर जाकर खत्म हुई। 24 दिनों तक हर रोज़ 10 किलोमीटर की पद यात्रा करते थे , 6 अप्रैल को नमक का पानी उबाल कर उससे नमक बनाया जो कानून का उल्लंघन था।

यही से सविनय अवज्ञा आन्दोलन की नीव पड़ी इस बार लोगो ने न सिर्फ अंग्रेजो का समर्थन न करना बल्कि औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन किया इस आन्दोलन को कुचलने के लिए क्रूरता का सहारा लिया गया और गांधीजी और नेहरु को गिरफ्तार कर लिया गया, गाँधी जी ने आन्दोलन वापस ले लिया। 5 मार्च 1931 को आन्दोलन वापस ले लिया।वो गोल मेज सम्मलेन में भाग लेने के लिए लंदन गए बातचीत बीच में ही टूट गयी और उन्हें वापस आना पड़ा। कांग्रेस को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया 1934 तक आते आते आन्दोलन की गति मंद पड़ने लगी।

लोगों ने कैसे आन्दोलन को देखा? 

गुजरात के पाटीदार और राजस्थान के जाटो ने इसमें सक्रीय भूमिक निभाई थी सपन्न किसानों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का जमकर समर्थन किया , लेकिन 1931 में बिना फसलो के दाम बिना कम हुए इस आन्दोलन को वापस ले लिया गरीब किसान केवल लगान वापस नही चाहते थे।अमीर किसान की नाराजगी के भय से कांग्रेस ने “भाड़ा फोड़ “ आन्दोलन में भाग नही लिया।


प्रथम विश्व युद्ध के बाद व्यापारियों ने भारी काफी मुनाफा कमाया था उग्रवादियों के हमले की आशंका और युवा कांग्रेस के बीच समाजवाद ने उन्हें आन्दोलन में शामिल नही होने दिया ।महिलाओं ने भी इसमें जमकर भाग लिया, नमक बनाया , शराब की दुकानों के बाहर धरना प्रदर्शन किया।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन की सीमाए

दलितों ने इस सक्रीय आन्दोलन में भाग नही लिया 1930 के बाद अछूतों का एक वर्ग अपने आपको को दलित या उत्पीड़ित कहने लगा। डॉक्टर आंबेडकर ने 1930 में दमित वर्ग एसोसिएशन का निर्माण किया 1932 में आंबेडकर और गांधीजी ने पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किए। मुसलमानों के बीच इसको लेकर खास उत्साह नही था मुस्लिम लीग के नेता आरक्षित सीट चाहते थे.

ज़रूर पढ़ें: Indian Freedom Fighters (महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी)

भारत में राष्ट्रवाद का उदय एवं विकास

भारत में राष्ट्रवाद का उदय एवं विकास नीचे दिए गए बिंदुओं की वजह से हुआ था, जो इस प्रकार हैं:

  • औपनिवेशिक प्रशासन 
  • भारतीय पुनर्जागरण
  • पाश्चात्य शिक्षा एवं चिन्तन
  • प्रेस तथा समाचार-पत्रों की भूमिका
  • समकालीन यूरोपीय आंदोलन का प्रभाव
  • तात्कालिक कारण

भारत में राष्ट्रवाद के उदय के कारण

भारत में राष्ट्रवाद के उदय के कारण नीचे दिए गए हैं- 

  • शोषणकारी आर्थिक नीति
  • प्रशासनिक एकीकरण 
  • यातायात एवं संचार के साधनों का विकास 
  • प्रेस एवं साहित्य की भूमिका 
  • सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन 
  • सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन 
  • जातीय भेदभाव 
  • लार्ड लिटन की नीति 
  • इल्बर्ट बिल विवाद 
  • विभिन्न संस्थाओं की स्थापना

भारत में राष्ट्रवाद की टाइमलाइन

  • 1857: भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम
  • 1867: कलकता में हिन्दू मेला ; इसके मुख्य आयोजक गणेन्द्रनाथ ठाकुर, द्विजेन्द्रनाथ ठाकुर, राजनारायण बसु और नवगोपाल मित्र थे।
  • 1870: के दशक में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा वन्दे मातरम् की रचना
  • 1875: आर्य समाज की स्थापना
  • 1882: आनन्दमठ का प्रकाशन
  • 1885: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना
  • 1905 : स्वदेशी आन्दोलन
  • 1913: गदर आन्दोलन
  • 1916: होम रूल आन्दोलन
  • मार्च 1931: भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव
  • मार्च 1942: टोकियो में रास बिहारी बोस द्वारा भारतीय स्वतंत्रता लीग की स्थापना
  • अक्टूबर 1943: सुभाष चन्द्र बोस द्वारा आजाद हिन्द की स्थापना
  • 1946: जलसेना का विद्रोह
  • 1947: भारत बना स्वतंत्र

भारत में राष्ट्रवाद कक्षा 10 NCERT पाठ -3 के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर

उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी ?

दमन और दुर्व्यहवार के चलते भिन्न समहू एक दूसरे से बंध गए थे औपनिवेशिक के खिलाफ लड़ते लड़ते एकता की भावना समझ आने लगी खुद को विदेशी ताकत से आज़ाद कराने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में जनता हिस्सा लेने लगी। हर वर्ग के लिए स्वंत्रता संग्राम के मायने अलग थे और उनसे उम्मीद भी अलग थी इस तरह उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई थी।

पहले विश्वयुद्ध में भारत में राष्ट्र आंदोलन के विकास मैं किस प्रकार योगदान दिया?

विश्वयुद्ध में एक नई आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पैदा हों गई थी इसी कारण रक्षा खर्ज में भारी इज़ाफा हुआ खर्चे की भरपाई के लिए दाम तेज़ी से बड़े और दाम दोगुने हों चुके थे जिस वजह से हालत बहुत खराब हों गई सिपाहियों को जबरन भर्ती कराई गई 1918 1921 तक फसल खराब होने लगी 1921 जनगणना के मुताबिक महामारी के कारण 120 130 लाख लोग मारे गए।

भारत में लोग रॉयल एक्ट के विरोध में क्यों थे?

सरकार को डर सता रहा था की कोई आंदोलन अवश्य होगा। इस एक्ट के अनुसार सरकार किसी भी व्यक्ति को बिना केस चलाए अनिश्चित समय के लिए बंद कर सकती थी। उसे अपील, दलील या वकील करने का अधिकार नहीं था भारतीय ने इस काले बिल के नाम से संबोधित किया ये राष्ट्र सम्मान पर धब्बा था ।

गांधी जी ने अहसयोग आंदोलन को वापस क्यों लिया?

अहसयोग आंदोलन अपने पूरे चरम पर था। जब महात्मा गांधी ने 1922 में इसे वापस ले लिया।इस आंदोलन को वापस लेने के दो मुख्य कारण थे-
1. महात्मा गांधी अहिंसा और शांति के समर्थ के थे जब उन्हें पता चला की चोरा चोरी के पुलिस थाने में आग लगा कर 22 पुलिस वालों को हत्या कर दी तो वो परेशान हो गए।
2. उन्होंने सोचा यदि आंदोलन हिंसक हों जाए तो अंग्रेज सरकार और उग्र हों जाएगी और बहुत निर्दोष लोग मारे जाएंगे। इसलिए महात्मा गांधी ने अहसयोग आंदोलन वापस ले लिया।

सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?

सत्याग्रह सच्चाई निशा रोकने का ढंग है दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद से सफलतापूर्वक लोहा लिया बाद में यह पद्धति उन्होंने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध अपनाएं अगर आप का उद्देश्य सच्चा और न्याय पूर्ण है तो अंत में सफलता अवश्य मिलेगी। बाद में उन्होंने इसी सिद्धांत का प्रयोग अनेक स्थानों पर किया 1916 में चंपारण इलाके में बागान मालिकों के विरुद्ध किसानों को बचाने में 1917 में गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की फसल खराब हो जाने के कारण सरकारी कर से बचाने के लिए 1918 में गुजरात के अहमदाबाद के सूती कपड़ा मिल के मजदूरों को उचित वेतन दिलाने में किया लेकिन उन्हें अंत में सफलता जरूर प्राप्त हुई।

जलियांवाला बाग हत्याकांड पर टिप्पणी लिखें?

रोलेट एक्ट के विरोध में महात्मा गांधी और सत्य पाल किचलू को गिरफ्तार किया गया इस गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 1913 को वैशाखी पर्व के दिन जलियांवाला बाग में जनसभा का आयोजन किया गया। अमृतसर के प्रशासक जनरल डायर ने इस सभा में कुछ सिपाहियों के साथ अवैध तरीके से घुसपैठ की और उन्होंने वहां गोलियां चलवाई थी। इसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई इस हत्याकांड पर रिपोर्ट मांगने के लिए ब्रिटिश सरकार में हंटर कमीशन की स्थापना की और इस आयोग की रिपोर्ट के बाद जनरल डायर को सम्मान दिया गया जिससे महात्मा गांधी और सहयोगी हो गए थे और उन्हें सहयोग आंदोलन की शुरुआत करी ।

साइमन कमीशन पर टिप्पणी लिखें।

1919 एक्ट के तहत यह निर्णय लिया गया था कि प्रत्येक 10 साल बाद सुधारों का मूल्यांकन किया जाएगा इसी के लिए इंग्लैंड ने भारत में कमीशन भेजा जिसका नाम साइमन कमीशन था 1928 में जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक आयोग भारत आया इस कमीशन का उद्देश भारतीयों के हितों का देखभाल करना था जबकि इसमें एक भी भारतीय नहीं था इसलिए भारतीय ने इस मिशन का बहिष्कार किया और साइमन गो बैक के नारे लगाए जब आयोग लाहौर पहुंचा तो लाला लाजपत राय  प्रदर्शन कर रहे थे पुलिस के लाठीचार्ज में  लाला लाजपत राय घायल हो गए और उनकी मृत्यु हो गई।

भारत माता की छवि और जर्मनिया की छवि की तुलना करें।

फ्लिप बैक ने अपने राष्ट्र को जर्मी नियम के रूप में प्रस्तुत किया है मैं बल तू वृक्ष क्या मुकुट पहने हुए दिखाई गई है क्योंकि वह जर्मन बलवंता का प्रतीक है भारत में भी अभी नींद रा नाथ टैगोर ने भारत को भारत माता का रूप में दिखाया है एक चित्र में उन्होंने माता को भोजन कपड़े देती हुई दिखाया है एक और चित्र में माता शेर और हाथी के बीच खड़ी है और उसके हाथ में त्रिशूल दिखाया गया।

1920 असहयोग आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं?

असहयोग आंदोलन 1920 में शुरू हुआ और 1922 में समाप्त हो गया इसके कुछ प्रभावअग्रेजो सरकार द्वारा दी गयो सारी उपाधियो को वापस करना।सिविल सर्विस , सेना पुलिस , कोर्ट, ,लेजिस्लेटिव काउन्सिल का बहिस्कार करना।विदेशी समानों का बहिस्कार किया गया ,विदेशी कपड़ो की होली जलाई गाई ।

राजनीतिक नेता प्रतिक निर्वाचक ओं के सवाल पर क्यों बटे हुए थे हुए?

अलग-अलग नेता अपने आप को संगठित करने में लगे हुए थे ।उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र की बात करें ताकि वहां से विधायक बन सके उनका मानना था कि केवल राजनीतिक शक्तिकरण से ही दूरी हो सकती है 1930 में दलित के दलित वर्ग एसोसिएशन का संगठन डॉक्टर अंबेडकर द्वारा किया गया अलग निर्वाचन क्षेत्र की मांग पर गोल में सम्मेलन में उनके और महात्मा गांधीजी के बीच काफी बहस हुई आखिरकार अंबेडकर ने महात्मा गांधी जी की राय मानी ली।

कल्पना कीजिए कि आप सिविल नाफरमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता?

उत्तर: पारंपरिक तौर पर एक महिला की भूमिका घर चलाने की मानी जाती है। लेकिन असहयोग आंदोलन में भाग लेकर मैं राष्ट्र निर्माण में भागीदारी कर सकूंगी। यह मेरे लिए किसी प्रोत्साहन से कम नहीं होगा। मेरी ड्यूटी थी लाठी चार्ज में घायल व्यक्तियों की सेवा करना। ऐसा करने से मेरा हृदय उल्लास से भर गया। ऐसा लग रहा था कि अपने काम के जरिये मैं गांधीजी के बड़े लक्ष्य में अपना योगदान कर रही थी।

स्वराज पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करें?

असहयोग आंदोलन की एकाएक समाप्ति से उत्पन्न निराशा और क्षोभ का प्रदर्शन 1022 में कांग्रेस के गया अधिवेशन में हुआ जिसके अध्यक्ष चितरंजन दास थे। चितरंजन दास और मोती लाल नेहरू ने कांग्रेस से असहमत होकर पदत्याग करते हुए 1922 ई० में स्वराज पार्टी की स्थापना की। स्वराज पार्टी के नेताओं का मुख्य उद्देश्य था देश के विभिन्न निर्वाचनों में भाग लेकर व्यावसायिक सभाओं एवं सार्वजनिक संस्थाओं में प्रवेश कर सरकार के कामकाज में अवरोध पैदा किया जाए। वे अंग्रेजों द्वारा भारत में चलाई गयी सरकारी परंपराओं का अंत चाहते थे। उनकी नीति थी नौकरशाही की शक्ति को कमजोर कर दमनकारी कानूनों का विरोध करना और राष्ट्रीय शक्ति का विकास करना एवं आवश्यकता पड़ने पर पद त्याग कर सत्याग्रह में भाग लेना।

मुस्लिम लीग ने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया?

मुस्लिम लीग ने कांग्रेस के विरुद्ध अंग्रेजी सरकार का साथ दिया। इस कारण सरकार ने मुसलमानों को पृथक निर्वाचन क्षेत्र, व्यवस्थापिका सभा में प्रतिनिधित्व आदि सुविधाएँ दी थी। इन सुविधाओं के कारण हिन्दू तथा मुसलमानों में मतभेद उत्पन्न हुआ जिससे राष्ट्रीय आंदोलन पर बुरा असर पड़ा। जिन्ना के नेतृत्व में लीग ने 14-सूची माँग रखकर भारत के विभाजन में सहायता की।

गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन को समर्थन क्यों दिया ?

गांधी जी ने हिन्दू – मुस्लिम एकता के लिए खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया, क्योंकि गांधीजी को भारत में एक बड़ा जन-आंदोलन ‘असहयोग आन्दोलन’ चलाना था।

चंपारण आंदोलन कब हुआ तथा इसके क्या कारण थे ?

चंपारण आंदोलन अप्रैल 1917 ई० में बिहार के चंपारण जिले में हुआ था। बिहार में निल्हे गोरों द्वारा तिनकठिया व्यवस्था प्रचलित थी जिसमें किसान को अपनी भूमि के 3/20 हिस्से में नील की खेती करनी होती थी। किसान नील की खेती नहीं करना चाहते थे क्योंकि इससे भूमि की उर्वरा कम हो जाती थी। उसे उत्पादन का उचित कीमत भी नहीं मिलता था जिससे उसकी स्थिति दयनीय हो गई थी। किसानों के पक्ष को लेकर महात्मा गांधी ने चंपारण में सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की। ब्रिटिश सरकार को अंततः झुकना पड़ा।

समाजवादी दल का गठन क्यों हुआ ?

20वीं शताब्दी के तीसरे दशक से भारत में समाजवादी विचारधारा का भी उदय और विकास हुआ। समाजवादी भी किसानों और मजदूरों की दयनीय स्थिति में सुधार लाना चाहते थे। विश्वव्यापी आर्थिक मंदी (1929-30) ने सबसे अधिक बुरा प्रभाव श्रमिकों और किसानों पर ही डाला। अतः समाजवादियों ने अपना ध्यान इन पर केंद्रित किया। कांग्रेस के अंदर वामपंथी के अतिरिक्त समाजवादी विचारधारा भी पनपने लगी। नेहरू-सुभाष के अतिरिक्त जयप्रकाश नारायण, नरेंद्र देव, राम मनोहर लोहिया, अच्युत पटवर्धन सरीखे नेता समाजवादी कार्यक्रम अपनाने की मांग करने लगे। इनके प्रयासों से 1934 में कांग्रेस समाजवादी दल की स्थापना की गई।

1932 के पूना समझौता का क्या परिणाम हुआ ?

26 सितंबर, 1932 को पूना में गांधीजी और डॉ अंबेडकर के बीच पूना समझौता हुआ जिसके परिणामस्वरूप दलित वर्गों (अनुसूचित जातियों) के लिए प्रांतीय और केंद्रीय विधायिकाओं में स्थान आरक्षित कर दिए गए। गांधी जी ने अपना अनशन तोड़ दिया और हरिजनोद्धार कार्यों में लग गए।

गांधीजी ने दांडी यात्रा क्यों की? इसका क्या परिणाम हुआ?

नमक के व्यवहार और उत्पादन पर सरकारी नियंत्रण था। गांधीजी इसे अन्याय मानते थे एवं इसे समाप्त करना चाहते थे। नमक कानून भंग करने के लिए 12 मार्च, 1930 को गांधी जी अपने 78 सहयोगियों के साथ दांडी यात्रा (नमक यात्रा) पर निकले। वे 6 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुँचे। वहाँ पहुँच कर उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाकर नमक कानून भंग किया। इसी के साथ नमक सत्याग्रह (सविनय अवज्ञा आंदोलन) आरंभ हुआ और शीघ्र ही पूरे देश में फैल गया।

गांधी इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या था ?

सविनय अवज्ञा आंदोलन की व्यापकता ने अंग्रेजी सरकार को समझौता करने के लिए बाध्य किया। 5 मार्च, 1931 को वायसराय लार्ड इरविन तथा गांधी जी के बीच समझौता हुआ जिसे दिल्ली समझौता के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत गांधीजी ने आंदोलन को स्थगित कर दिया तथा वे द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने हेतु सहमत हो गए।

नमक सत्याग्रह पर एक टिप्पणी लिखें?

सविनय अवज्ञा आंदोलन नमक सत्याग्रह से आरंभ हुआ। नमक कानून भंग करने के लिए गांधीजी ने दांडी को चुना। 12 मार्च, 1930 को अपने 78 विश्वस्त सहयोगियों के साथ गांधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा आरंभ की। 24 दिनों की लंबी यात्रा के बाद 6 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुँचे। वहाँ पहुँच कर उन्हें समुद्र के पानी से नमक बनाया और शांतिपूर्ण अहिंसक ढंग से नमक कानून भंग किया।

भारत में राष्ट्रवाद Class 10 MCQs

भारत में राष्ट्र कांग्रेस की स्थापना कब हुई थी?
 1884
1882
1885
1886

उत्तर-(3) 1885

गांधी जी ने किस वर्ष बिहार में चंपारण आंदोलन शुरू किया?
1917
1916
1930
1915

उत्तर- (2) 1916

महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका कब गए थे?
1915
1911
1909
1913

उत्तर-(1) 1915

गांधी इरविन समझौता कब हुआ था?
10 मार्च 1931
5 मार्च 1931
7 मार्च 1931
8 मार्च 1931

उत्तर-(2) 5 मार्च 1931

असहयोग आंदोलनआंदोलन के दौरान अवध में किसानों का नेतृत्व किसने किया था?
बाबा रामचंद्र
सुभाष चंद्र बोस
महात्मा गांधी
शौकत अली

उत्तर-(1) बाबा रामचंद्र

असहयोग आंदोलन किस वर्ष शुरू हुआ था?
14 अप्रैल 1919
13 अप्रैल 1919
15 अप्रैल 1919
12 अप्रैल 1919

उत्तर (2) 13 अप्रैल 1919

गदर पार्टी की स्थापना किसने और कब की?

(A) गुरदयाल सिंह 1916 ईस्वी में
(B) चंद्रशेखर आजाद 1920 ईस्वी में
(C) लाला हरदयाल 1913 ईस्वी में
(D) सोहन सिंह भाखना 1918 ईस्वी में

उत्तर: C

जलियांवाला बाग हत्याकांड किस तिथि को हुआ?

(A) 13 अप्रैल 1919 ईस्वी
(B) 14 अप्रैल 1919 ईस्वी
(C) 15 अप्रैल 1919 ईस्वी
(D) 16 अप्रैल 1919 ईस्वी

उत्तर: A

लखनऊ समझौता किस वर्ष हुआ?

(A) 1916
(B) 1918
(C) 1920
(D) 1922

उत्तर: A

असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ?

(A) सितंबर 1920 ईस्वी, कोलकाता
(B) अक्टूबर 1920 ईस्वी, अहमदाबाद
(C) नवंबर 1920 ईस्वी, फैजपुर
(D) दिसंबर 1920 ईस्वी, नागपुर

उत्तर: A

भारत में खिलाफत आंदोलन कब और किस देश के शासन के समर्थन में शुरू हुआ?

(A) 1920 ईस्वी तुर्की
(B) 1920 ईस्वी अरब
(C) 1920 ईस्वी फ्रांस
(D) 1920 ईस्वी नागपुर

उत्तर: A

सविनय अवज्ञा आंदोलन कब और किस यात्रा से शुरू हुआ?

(A) 1930 ईस्वी, भुज
(B) 1930 ईस्वी, अहमदाबाद
(C) 1930 ईस्वी, दांडी
(D) 1930 ईस्वी, रंपा

उत्तर: C

पूर्ण स्वराज की मांग का प्रस्ताव कांग्रेस के किस वार्षिक अधिवेशन में पारित हुआ?

(A) 1929, लाहौर
(B) 1931, कराची
(C) 1933, कोलकाता
(D) 1937, बेलगाम

उत्तर: A

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कब और किसने की?

(A) 1930 ईस्वी में गुरु गोलवलकर ने
(B) 1925 ईस्वी में केबी हेडगेवार ने
(C) 1926 ईस्वी में चितरंजन दास ने
(D) 1923 ईस्वी में लाल चंद ने

उत्तर: B

वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि किस किसान आंदोलन के दौरान दी गई?

(A) बारदोली
(B) अहमदाबाद
(C) खेड़ा
(D) चंपारण

उत्तर: A

FAQs

भारत में राष्ट्रवाद कब हुआ था?

19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में भारतीयों में राष्ट्रीय राजनीतिक चेतना का विकास बहुत तीव्र गति से हुआ।

भारत में राष्ट्रवाद क्यों हुआ था?

समस्त भारत पर ब्रिटिश सरकार का शासन होने से भारत एकता के सूत्र मे बँध गया। इस प्रकार देश में राजनीतिक एकता स्थापित हुई। यातायात के साधनों तथा अंग्रेजी शिक्षा ने इस एकता की नींव को और अधिक ठोस बना दिया जिससे राष्ट्रीय आन्दोलन को बल मिला। इस प्रकार राजनीतिक दृष्टि से भारत का एक रूप हो गया।

भारत में कौन राष्ट्रवाद का पिता कहा जाता है?

अपने राष्ट्रवादी आंदोलनों की वजह से बाल गंगाधर तिलक को भारतीय राष्ट्रवाद के पिता के रूप में जाना जाता है।

राष्ट्रवाद की नई परिभाषा किसने दी वह कौन था?

स्वामी दयानन्द सरस्वती पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सबसे पहले यह नारा लगाया था, कि भारत भारतीयों के लिए है।

भारत में राष्ट्रवाद के जनक कौन है?

राजा राम मोहन राय को भारतीय राष्ट्रवाद के जनक के रूप में जाना जाता है। उन्हें भारतीय पुनर्जागरण का पिता और भारतीय राष्ट्रवाद का पैगंबर कहा जाता था।

भारत का राष्ट्रवाद कब हुआ?

भारत में राष्ट्रवाद की शुरुआत 19वीं शताब्दी से शुरू हुई थी। ब्रिटिश साम्राज्य की नीतियों और उनकी चुनौतियों से भारत में राष्ट्र के रूप में सोचना शुरू किया इसका आधारशीला ब्रिटिश शासन से हुई।

राष्ट्रवाद और देशभक्ति में क्या अंतर है?

राष्ट्रवाद राजनीति से प्रेरित होता है। देशभक्ति अंदर से देश के नाम या भाव पर आती है।

आशा है कि इस ब्लॉग से आपको भारत में राष्ट्रवाद के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिली होगी। अन्य तरह के महत्वपूर्ण हिंदी ब्लॉग्स पढ़ने के लिए बने रहिए Leverage Edu के साथ।

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