Summer Vacation Poem : गर्मियों की छुट्टियों पर कविताएं, जो बच्चों को खुलकर जीने के लिए प्रेरित करेंगे

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Summer Vacation Poem in Hindi

बच्चों को गर्मी के मौसम में भीषण गर्मी से बचाने के लिए हर साल स्कूलों को बंद किया जाता है। इन छुट्टियों में बच्चे कुछ न कुछ क्रिएटिव कर सकते हैं, जिनसे उनका और भी अधिक बौद्धिक विकास हो सकता है। गर्मियों की छुट्टियों पर कविताएं बच्चों को एक प्रेरक संदेश देने का काम करेंगी, जो बच्चों को खुलकर जीवन जीने के लिए प्रेरित करेंगी। इस ब्लॉग के माध्यम से आप Summer Vacation Poem in Hindi को पढ़ पाएंगे, ये कविताएं बच्चों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगी। गर्मियों की छुट्टियों पर कविताएं पढ़ने के लिए ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।

गर्मियों की छुट्टियों पर कविताएं – Summer Vacation Poem in Hindi

गर्मियों की छुट्टियों पर कविताएं (Summer Vacation Poem in Hindi) आपको छुट्टियों में खुलकर आनंद लेना सिखाएंगी। इन Summer Vacation Poem in Hindi की सूची कुछ इस प्रकार है, जो विभिन्न कवियों की रचनाओं का एक समावेश है –

कविता का नामकवि का नाम
गर्मियों की शामविष्णु खरे
छुट्टी आई छुट्टी आईहशमत कमाल पाशा
छुट्टीश्रीनाथ सिंह
गर्मी की छुट्टी मेंप्रभुदयाल श्रीवास्तव
यादों का खजानामयंक विश्नोई

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गर्मियों की शाम

गर्मियों पर कविताएं (Summer Vacation Poem in Hindi) की सूची में पहली कविता है “गर्मियों की शाम” जो गर्मियों की शाम में मिलने वाले सुकून और गर्मियों की हलचल के बारे में बताएंगी –

लालटेन की कमज़ोर रोशनी की तरह फैल जाती है सिमटने से पहले धूप 
पुलिस लाइन का मैदान क़वायद के बाद सूना हो चुका होता है 
कचहरी के पीछे सूखी घास में वह सिर्फ़ हवा की सरसराहट है 
पीछे छूट गए दो-तीन ही जानवर लौटते आ रहे होते हैं 
बिना बैलगाड़ी वाले गोंड इतवारी बाज़ार से सौदे की गठरी उठाए 
परतला या चंदनगाँव की तरफ़ वापस जा रहे हैं 

यही समय है जब एक मास्टर का, एक वकील का, एक डॉक्टर का और 
एक साइकिलवाले सेठ का 
चार लड़के दसवीं क्लास के निकलते हैं घूमने के लिए 
डॉक्टर और सेठ के लड़कों के साथ एक-एक बहन भी है लगभग हमउम्र 
चारों पिता आश्वस्त हैं अपने लड़कों के दोस्तों से 
इन लड़कों की आँखों में डर है, अदब है, पढ़ने में अच्छे हैं 
बड़ों के घर में आते ही वे अच्छा अब जाते हैं कहकर चले जाते हैं 
और क्या चाहिए ?

चार चौदह-पंद्रह बरस के लड़के और दो इससे कुछ ही छोटी लड़कियाँ 
बाज़ारवाली सड़क से गुज़रकर टाउन हॉल होते हुए 
कचहरी के पीछे निकल आए हैं जहाँ शहर ख़त्म हो चुका है 
दाईं ओर जेल का बग़ीचा है जिसके छोर पर वह पेड़ है 
जिसके जब फूल आते हैं तो इतने बैंगनी होते हैं 
कि वह सबसे अजब ही लगता है और सामने 
वह चक्करदार सड़क है जो वापस उन्हें छोड़ देगी शहर में
 
कभी छहों साथ-साथ और कभी दो लड़कियाँ और चार लड़के 
चले जा रहे हैं अभी उनमें बातचीत हो रही थी 
स्कूल खुलने की नागपुर जाने की उपन्यास पढ़ना चाहिए या नहीं की 
प्रकाश टॉक़ीज में लगने वाली पिक्चर की 
आदमी को आगे चलकर क्या बनना चाहिए उसकी 
थोड़ा अँधेरा हो चला है सड़क पर एक-दो छायाएँ ही और हैं 
अकारण हँसने सामने पत्थर फेंकने
या दौड़ जाने पिछड़ जाने का अंत हो गया है 

जो दो-तीन गानों के मुखड़े उठाए गए थे 
वे बाद की संकोचशील पंक्तियों को गुनगुनाकर 
या आगे याद नहीं आ रहा है कहकर छोड़ दिए गए 
और अब एक उल्लास के बाद की चुप्पी है जिसमें 
रेत पर कैन्वस के जूतों की श् श् भर है 

गर्मियाँ अभी आई ही हैं और हवा मे बड़ी मेंहदी के फूलों की गंध है 
जो सिविल लाइन के बँगलों के हरे घेरों से उठ रही है 
कि अचानक जेल के बग़ीचे से एक कोयल बोलती है 
और लड़कियाँ कह उठती हैं अहा कोयल कितना अच्छा बोली 
इस गर्मी में पहली बार सुना 
कोयल की बोली पर आम सहमति है 
लेकिन एक लड़का चुप है और उससे पूछा जाता है 

मुझे नहीं अच्छा लगता कोयल का इस वक़्त बोलना वह कहता है 
अजीब हो तुम लड़के कहते हैं 
एक लड़की पूछती है अँधेरे में ग़ौर से उसे देखने की कोशिश करती हुई 
क्यों अच्छा नहीं लगता 

पता नहीं क्यों—वह जैसे अपने-आपको समझाता हुआ कहता है— 
सब कुछ इतना चुपचाप है शाम हो चुकी है 
फिर क्या ज़रूरत है कि कोयल भी परेशान करे— 
बहुत ज़्यादा और बेमतलब कह दिया यह जानकर चुप हो जाता है 
अब सब हो गए हैं बहुत ख़ामोश उसके कहे से 
अलग-अलग सोच में पड़े हुए और धुँधला-सा कुछ देखते हुए 
और वह अपने संकोच में डूबा हुआ विशेषतः लड़कियों की ओर देखते 
झिझकता 
टॉर्च जलाने लायक़ अँधेरा हो चुका है एक पीला हिलता डुलता वृत्त अब 
उनके सामने है जिसकी दिशा में वे चले जा रहे हैं वापस 
एक साथ लेकिन हर एक कुछ अलग-अलग 
एकाध साइकिल की खिन्न घंटी पर रास्ता देते हुए 

कल फिर लौंटेगे और उसके बाद भी और पूरी गर्मियों भर 
वही रास्ता होगा वही लालटेन की धूप वाला मैदान 
वही इक्का-दुक्का लौटते हुए जानवर और गोंड 
वही बैंगनी पेड़ और हवा में बड़ी मेंहदी के फूलों की गंध 
उसके बाद पूरी गर्मियों भले ही कोयल उस समय नहीं बोलेगी 
पर रोज़ उस जगह पहुँचकर वे उसे सुनेंगे अलग-अलग 
और सिर नीचा या दूसरी तरफ़ किए देखेंगे कि क्या उन्होंने भी सुना 
उनके घूमने में चुप्पी फैलती जाएगी सोख़्ते पर स्याही की तरह 
धीरे-धीरे एक-एक करके उन्हें शाम को दूसरे काम याद आने लगेंगे 
गर्मियाँ भी बीत जाएँगी इसलिए घूमने जाने का स्वाभाविक अंत हो जाएगा 
उनकी आवाज़ें बदल जाएँगी जिसमें वे अपनी पसंद के गाने अकेले में गाएँगे 
कभी-कभी अकेले निकलेंगे घूमने और अचानक दूसरे के मिलने पर ही साथ 
ख़ामोश लौटेंगे 

न देखते हुए कि लड़कियाँ उनकी बहनें या दोस्तों की बहनें 
उनके आने पर दरवाज़े से सिमट कर पीछे हट जाती हैं 
शाम को सरसराते मैदान पर जैसे गर्मी की आख़िरी दिनों की पीली धूप।

-विष्णु खरे

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छुट्टी आई छुट्टी आई

गर्मियों पर कविताएं (Summer Vacation Poem in Hindi) छोटे बच्चों के उस आनंद के बारे में बताएंगी, जो उन्हें छुट्टियां मिलने पर मिलता है जो कुछ इस प्रकार है –

गर्मी आई छुट्टी लाई 
दाएँ बाएँ 
आगे पीछे 
शोर मचाते 
सारे बच्चे 

गर्मी आई छुट्टी लाई 
बाजा गाजा 
मुन्ना राजा 
बे-सुर सब ने 
राग अलापा 

गर्मी आई छुट्टी लाई 
अट्टी कट्टी 
छोड़ो प्यारी 
आओ फिर से 
कर लो यारी

-हशमत कमाल पाशा

छुट्टी

इस ब्लॉग में लिखित Summer Vacation Poem in Hindi की लोकप्रिय श्रेणी में “छुट्टी” भी आती है, जो बच्चों की उस ख़ुशी को दिखाती है जो उनकी छुट्टी पड़ने की खबर से बाहर निकल कर आती है। यह कविता कुछ इस प्रकार है –

छुट्टी छुट्टी छुट्टी
टन टन टन टन घंटा बोला
हो हो हो चिल्लाया भोला।
बंद करो, क्यों बस्ता खोला?

छुट्टी छुट्टी छुट्टी
आओ बगल दबाएँ बस्ता।
जल्दी घर का पकड़ें रस्ता
खावें चलें कचौड़ी खस्ता।

छुट्टी छुट्टी छुट्टी
पढ़ने का था समय पढ़े जब।
खेल कूद में नहीं पड़े तब।
बुरा नहीं यदि हम खेलें हम
छुट्टी छुट्टी छुट्टी

-श्रीनाथ सिंह

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गर्मी की छुट्टी में

प्रभुदयाल श्रीवास्तव की कविता “गर्मी की छुट्टी में” भी आती है, जो कुछ इस प्रकार है –

गरमी की छुट्टी में कितनी,
करें पढाई, कितना खेलें।

छुट्टी में तो तय था हमको,
होगी खेलों की आज़ादी।
पहले से ही सब मित्रो के,
पिटवा दी थी बीच मुनादी।
फिर भी थोड़ा पढ़ लेने की,
डांट डपट अब हम क्यों झेलें।

टिप्पू खेलें, लंगड़ी खेलें,
छिबा छिबौअल चिड़िया बल्ला,
हमें खेलने दो सारे दिन,
भूख प्यास का करो न हल्ला।
बता दिया हमनें चूहों को,
दंड पेट में अभी न पेलें।

छुट्टी में पुस्तक की बातें,
छुट्टी में पुस्तक के चर्चे।
नाम न लेना इस गर्मी में,
भूल चुके स्कूल मदरसे।
दादा लाड़ करें जी भरकर,
दादी हंसकर प्यार उड़ेलें।

-प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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यादों का खजाना

गर्मियों पर कविताएं (Summer Vacation Poem in Hindi) एक बड़ा यादों का खजाना होता है, गर्मियों की छुट्टियों पर लोकप्रिय कविताओं में से एक कविता “यादों का खजाना” है जो कुछ इस प्रकार है-

“जो चल रहा है साथ, ये सफर भी सुहाना है
 बचपन की गलियां भी यादों का खजाना हैं 

 गर्मियों की छुट्टियों के वो दिन भी कुछ ख़ास थे
 उन दिनों को पाने के लिए और कितना मोल चुकाना है

 कभी खेलते थे हम बेफिक्री से जिन गलियों में
 उन्ही गलियों में हमें फिर से लौट जाना है

 बचपन की यादों से कब तक खुद को दूर रखें
 ये दौर इन यादों का नया नहीं, पुराना है…” 

-मयंक विश्नोई

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आशा है कि इस ब्लॉग के माध्यम से आप Summer Vacation Poem in Hindi (गर्मियों पर कविताएं) पढ़ पाए होंगे, गर्मियों पर कविताएं आपको एक दम से बचपन की गलियों में ले जाकर खड़ा कर देंगे। इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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