Subhash Chandra Bose Jayanti Speech in Hindi : जानिए कैसे तैयार करें सुभाष चंद्र बोस पर स्पीच

1 minute read
Subhash Chandra Bose Jayanti Speech in Hindi

नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक राष्ट्रवादी नेता थे जिनकी देश के प्रति देशभक्ति ने समस्त भारतीयों के दिलों पर अपनी एक छाप छोड़ी है। नेताजी को ‘आजाद हिंद फौज’ के संस्थापक के रूप में जाना जाता है और उन्होंने देश के प्रति अपनी पूरी निष्ठा के साथ काम किया। उन्होंने आजादी के लिए कई नारे भी दिए जिनमे से प्रसिद्ध नारा है ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’। इस बार हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहे हैं। ऐसे में कई जगह पर भाषण और वार्ता आदि का आयोजन किया जाता है और कई बार स्कूल और कॉलेजों में भी स्पीच दी जाती है। तो आज के इस ब्लॉग में हम Subhash Chandra Bose Jayanti Speech in Hindi को कैसे तैयार करें उसके बारे में जानेंगे। 

सुभाष चंद्र बोस पर स्पीच 100 शब्दों में 

आज हम सब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहे हैं। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। इनकी पिता का नाम जानकीनाथ बोस, माता का नाम प्रभावती देवी था और पत्नी का नाम एमिली शेंकल था। नेता जी ने अपनी शिक्षा रेवेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल, कटक, प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड से की। सुभाष चंद्र बोस को असाधारण नेतृत्व कौशल और एक बेहतरीन वक्ता के साथ सबसे प्रभावशाली स्वतंत्रता सेनानी माना जाता है। उनके प्रसिद्ध नारों में से एक है ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’, ‘जय हिंद’ और ‘दिल्ली चलो’। उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई योगदान दिये। 

सुभाष चंद्र बोस पर स्पीच 200 शब्दों में 

आज हम सब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहे हैं। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 में हुआ था।  सुभाष चंद्र बोस के पिता कटक में एक सफल वकील थे और उन्हें “राय बहादुर” की उपाधि प्राप्त थी। नेता जी ने अपने सभी भाई-बहनों की तरह अपनी स्कूली शिक्षा कटक के प्रोटेस्टेंट यूरोपियन स्कूल जोकि अब स्टीवर्ट हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है। सुभाष चंद्र बोस 16 वर्ष की आयु से ही स्वामी विवेकानन्द और रामकृष्ण की रचनाएँ पढ़ते थे, जिससे वे उनकी शिक्षाओं से बहुत प्रभावित हुए थे। वे पढ़ाई में काफी अच्छे थे इसके बाद उनके माता-पिता ने उन्हें भारतीय सिविल सेवा की तैयारी के लिए इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में भेज दिया। सन 1920 में नेता जी ने सिविल सेवा की परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया था। लेकिन जैसे ही एक साल बाद अप्रैल 1921 में भारत में राष्ट्रवादी उथल-पुथल के बारे में सुनना, उन्होंने अपनी उम्मीदवारी से इस्तीफा दे दिया और अपने देश भारत वापस आ गये और वे असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए जिसकी शुरुआत महात्मा गांधी ने शुरू की थी। जिन्होंने कांग्रेस को एक शक्तिशाली अहिंसक संगठन बनाया। आंदोलन के समय गांधी जी ने उनको चितरंजन दास के साथ काम करने की सलाह दी, जोकी सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक गुरु बने। उनके प्रसिद्ध नारों में से एक है ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’, ‘जय हिंद’ और ‘दिल्ली चलो’। उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई योगदान दिये। नेताजी का निधन विमान दुर्घटना में हो गया थी।

सुभाष चंद्र बोस पर स्पीच 600 शब्दों में

शहीद दिवस पर स्पीच की शुरुआत

सुभाष चंद्र बोस पर स्पीच की शुरुआत में सबसे पहले जहां स्पीच दे रहे हैं वहां के वरिष्ठ लोगों का संबोधन करना है और फिर सुभाष चंद्र बोस के ऊपर थोड़ी स्पीच देनी है, जैसे – मेरे प्रिय मित्रों, सभी को नमस्कार। यह स्पीच सुभाष चंद्र बोस जयंती के उपलक्ष्य में 23 जनवरी को देशभर में मनाई जाती है। 

स्वराज’ समाचार पत्र की शुरुआत 

नेताजी द्वारा 1921 में ‘स्वराज’ समाचार पत्र की शुरुआत की गई, लेकिन कुछ दिनों बाद इस अखबार को बंद कर दिया गया था। परन्तु इस अखबार को फिर से 1956 से स्वराज्य पत्रिका के रूप में शुरू किया गया था। वहीं 1927 में नेताजी के जेल से रिहा होने के बाद वे कांग्रेस पार्टी के महासचिव बने और स्वतंत्रता के लिए जवाहरलाल नेहरू के साथ कार्य किया।

सुभाष चंद्र बोस ने सबसे पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में काम करके अपने राजनीतिक करियर की नींव रखी, जिसका नेतृत्व महात्मा गांधी द्वारा किया था। उस समय गांधी जी ने अपनी अहिंसा की विचारधारा से सभी को प्रभावित किया था। नेताजी ने शुरुआत में देशबंधु चित्तरंजन दास के साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए कलकत्ता में काम किया था। जिन्हें नेताजी ने 1921-1925 के समय राजनीति में सर्वश्रेस्ठ प्रदर्शन के लिए अपना गुरु माना। देश के विभिन्न अवसरों पर बोस और सी.आर. दास को क्रांतिकारी आंदोलनों में अपनी सक्रिय भागीदारी के कारण जेल में डाल दिया गया था।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सी.आर. दास के साथ मुख्य कार्यकारी के रूप में काम किया, जोकी उस समयकाल में कलकत्ता के मेयर चुने गए थे। साल 1925 में सी.आर. दास की मृत्यु हो गई। जिसे नेताजी बहुत ही निराश हुए, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी का पूर्ण स्वतंत्रता का दृढ़ता से समर्थन किया, जो हमारे देश के लिए प्रभुत्व की स्थिति पर सहमत हुई थी। वहीं अपने प्रयासों से धीरे-धीरे सुभाष चंद्र बोस जनता के बीच शक्तिशाली और प्रभावशाली होते जा रहे थे और यहीं वजह थी की  उन्हें दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। 

नेताजी ने भगवद गीता और स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं पर बहुत विश्वास किया और यही कारण था की यही उनकी प्रेरणा का मुख्य स्रोत था। जब उन्हें अंग्रेजों ने 11 बार जेल में कैद किया गया था। जब 1940 के आसपास नेताजी को कैद किया गया था, तो उन्होंने अपनी चतुराई से वहां से भाग निकले थे। जेल से जर्मनी, बर्मा और जापान जैसे देशों में गए और पूरे नौ गज पैदल चलकर भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) की नींव रखी, जिसे ‘आजाद हिंद फौज’ भी कहा जाता है।

नेताजी अपने उद्देश्य के प्रति हमेशा दृढ़ थे और आगे की रणनीति तैयार करने के लिए उन्होंने टोक्यो जाने का फैसला किया था, लेकिन दुर्भाग्यवश, नेताजी का विमान बीच रास्ते में ताइपे में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

स्पीच के अंत में

नेता जी यानी सुभाष चंद्र बोस हमारे देश की शान है। कवियों और लेखकों की कविताएं, किताबों में सुभाष चंद्र बोस को लेकर सब पर एक छाप छोड़ी है। सुभाष चंद्र बोस ने ‘द इंडियन स्ट्रगल’ पुस्तक लिखी है। सुभाष चंद्र बोस भारत राष्ट्र के असाधारण नेतृत्व कौशल और एक करिश्माई वक्ता थे। भारतवर्ष हमेशा उनके योगदान को याद करता रहेगा और आज हम सब भी उनकी 127वीं जयंती मनाएंगे। इन वाक्यों के साथ मैं अपने भाषण को विराम देता हूं और आशा करता हूं कि आपको मेरा भाषण अच्छा लगा होगा। धन्यवाद।

सुभाष चंद्र बोस पर स्पीच कैसे तैयार करें? 

सुभाष चंद्र बोस एक ऐसा दिन है जिस दिन जिस दिन को पराक्रम दिवस कहते हैं। निम्न संस्थानों में सुभाष चंद्र बोस जयंती के मौके पर स्पीच तैयार की जाती है जिसे सब भारतीय लोग सुनते है। ऐसे में हमें अपनी स्पीच पर ज्यादा ध्यान देने के ज़रूरत होती है। तो चलिए जानते है Subhash Chandra Bose Jayanti Speech in Hindi कैसे तैयार करें के बारे में :

  • स्पीच को एक पेपर पर लिखें और उसे दोबारा जरूर पढ़ें। 
  • स्पीच में अगर कोई गलती मिलती है तो उसे सही करें और फिर एक बार पढ़ लें। 
  • आप जहां भी स्पीच देने जा रहे हैं उससे पहले एक बार उसे बोल कर देख लें। 
  • स्पीच की शुरुआत में सुभाष चंद्र बोस को नमन करके भी कर सकते है। 
  • अपनी स्पीच में नेता जी के योगदान के बारे में बताएं। 
  • अपने भाषण को ऑडियंस से जोड़े। 
  • अपनी स्पीच को ज्यादा बड़ा न रखें। 
  • ध्यान रहे की शब्दों का चयन सही तरीके से हो। 
  • समय का ध्यान रखें, भाषण ज़्यादा बड़ा न हो। 
  • अपनी स्पीच के अंत में श्रोताओं का शुक्रिया अदा करें। 

संबंधित ब्लाॅग्स

26 जनवरी 1947 को कौन सा दिन था, जानें यहां26 जनवरी 1950 को कौन सा दिन था?
26 जनवरी और 15 अगस्त क्यों मनाया जाता है, जानें यहांDifference Between Democracy and Republic in Hindi : जानिए लोकतंत्र और गणतंत्र में अंतर
26 जनवरी को झंडा कितने बजे फहराया जाता है, जानें यहांध्वजारोहण और ध्वज फहराने में क्या अंतर है, जानें यहां
Indian Flag Hoisting Rules in Hindi : जानिए भारतीय ध्वजारोहण के नियम26 जनवरी 2012 को कौन सा दिन था, जानें यहां
गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है, जानें यहांगणतंत्र दिवस कब मनाया जाता है, यहां जानें
पहली बार गणतंत्र दिवस कब मनाया गया, जानें यहांगणतंत्र दिवस मनाने का स्वरूप क्या है, यहां जानें
गणतंत्र दिवस किसे कहते हैं, जानें यहांराष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ के अशोक चक्र के बारे में कितना जानते हैं आप, जिसकी हर तीली देती है महत्वपूर्ण संदेश

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Subhash Chandra Bose Jayanti Speech in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

प्रातिक्रिया दे

Required fields are marked *

*

*