पहला विश्व युद्ध क्यों शुरु हुआ?

1 minute read
First World War in Hindi

प्रथम विश्व युद्ध से पहले किसी को यह अंदाज़ा नहीं होगा कि लगभग सभी देश एक साथ इस युद्ध में कूदेंगे। इस युद्ध में मरने वालों की संख्या से इस युद्ध की बर्बादी का हिसाब लगाया जा सकता था। इससे पहले सिर्फ लड़ाइयां होती थी, यह एक भीषण युद्ध था। युद्ध से सिर्फ युद्ध ही उत्पन्न हुआ है और ऐसा हुआ कि आज के समय में पता नहीं तीसरा विश्वयुद्ध कब हो उठे। चलिए, देते हैं आपको First World War in Hindi के बारे में विस्तार से जानकारी।

विषय पहला विश्व युद्ध
पहले विश्व युद्ध की शुरुआत 28 जुलाई 1914
युद्ध के मुख्य कारण सैन्यवाद, विभिन्न संधियां यानि गठबंधन प्रणाली, साम्राज्यवाद, राष्ट्रवाद
दूसरा विश्वयुद्ध होने के कारणवर्साय की संधि (1919), राष्ट्र संघ की विफलता, 1929 की महामंदी

पहला विश्व युद्ध कब शुरू हुआ?

पहला विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ था। इस विश्व युद्ध को ग्रेट वार या ग्लोबल वार भी कहा जाता है। उस समय ऐसा माना गया कि इस युद्ध के बाद सारे युद्ध ख़त्म हो जायेंगे, इसे ‘वॉर टू एंड आल वार्स’ भी कहा गया पर इस युद्ध के 20 साल बाद ही द्वितीय विश्व युद्ध भी हुआ।

पहला विश्व युद्ध दो शक्तियों के बीच का युद्ध

First World War in Hindi उस समय दुनिया की 2 बड़ी शक्तियों के बीच का युद्ध था। प्रथम विश्व युद्ध में एक तरफ अलाइड शक्ति और दूसरी तरफ सेंट्रल शक्ति थे। अलाइड शक्ति में रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका और जापान आदि देश थे। अमेरिका इस युद्ध में साल 1917-18 में उतरा था। सेंट्रल शक्ति में केवल 3 देश मौजूद थे। ये तीन देश ऑस्ट्रो- हंगेरियन, जर्मनी और ओटोमन एम्पायर था। उस समय ऑस्ट्रो-हंगरी में हब्स्बर्ग नामक वंश का शासन था। ओटोमन आज ओटोमन तुर्की का इलाक़ा है। 

सोर्स : pinterest

युद्ध के प्रमुख कारण

इस खतरनाक विश्व युद्ध में युद्ध का कोई एक कारण नहीं हो सकता था। इसमें कई कारण थे, जिन्होंने दुनिया को देखने और समझने का तरीका पूरी तरह से बदल दिया था। तो आइए, जानते हैं First World War in Hindi के युद्ध के कारण-

सैन्यवाद

हर देश ने खुद को आधुनिक हथियारों से लैस करने का प्रयास किया। सभी देशों ने उस समय आविष्कार होने वाले मशीन गन, टैंक, बन्दुक, 3 बड़े जहाज़, बड़ी आर्मी का कांसेप्ट आदि लाया गया। इन सभी चीज़ों में ब्रिटेन और जर्मनी दोनों काफ़ी आगे थे। इनके आगे होने की वजह इन देशों में औद्योगिक क्रांति का बढ़ना था। औद्योगिक क्रांति से यह देश बहुत अधिक विकसित हुए और अपनी सैन्य क्षमता को बढाया। इन दोनों देशों ने अपने इंडस्ट्रियल कोम्प्लेक्सेस का इस्तेमाल अपनी सैन्य क्षमता को बढाने के लिए किया, जैसे बड़ी बड़ी विभिन्न कम्पनियों में मशीन गन का, टैंक आदि के निर्माण कार्य चलने लगे। यहीं से ही मॉडर्न आर्मी का कांसेप्ट शुरू हुआ था।

विभिन्न संधियां यानि गठबंधन प्रणाली

यूरोप में 19वीं शताब्दी के दौरान शक्ति में संतुलन स्थापित करने के लिए विभिन्न देशों ने अलायन्स अथवा संधियां बनानी शुरू की। इस समय कई तरह की संधियां गुप्त रूप से होती थी। तो आइए, बताते हैं आपको First World War in Hindi में हुई इन संधियों के बारे में – 

  • साल 1882 का ट्रिपल अलायन्स : 1882 में जर्मनी ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली के बीच संधि हुई थी।
  • साल 1907 का ट्रिपल इंटेंट : 1907 में फ्रांस, ब्रिटेन और रूस के बीच ट्रिपल इंटेंट हुआ। साल 1904 में ब्रिटेन और रूस के बीच कोर्दिअल इंटेंट नामक संधि हुई। इसके साथ रूस जुड़ने के बाद ट्रिपल इंटेंट के नाम से जाना गया।

साम्राज्यवाद

उस समय पश्चिमी यूरोपीय देश चाहते थे कि उनके कॉलोनिस या विस्तार अफ्रीका और एशिया में भी फैले। इस घटना को ‘स्क्रेम्बल ऑफ़ अफ्रीका’ यानि अफ्रीका की दौड़ भी कहा गया, मतलब था कि अफ्रिका अपने जितने अधिक क्षेत्र बचा सकता है बचा ले, क्योंकि उस समय अफ्रीका का क्षेत्र बहुत बड़ा था। यह समय 1880 के बाद का था जब सभी बड़े देश अफ्रीका पर क़ब्ज़ा कर रहे थे। इन देशों में फ्रांस, जर्मनी, होलैंड बेल्जियम आदि थे। इन सभी देशों का नेतृत्व ब्रिटेन कर रहा था। ब्रिटेन का उस समय काफी देशों पर कब्ज़ा था और वह काफ़ी सफ़ल देश था। पूरी दुनिया के 25% हिस्से पर ब्रिटिश शासन का राजस्व था। इस 25% क्षेत्र की वजह से इनके पास बहुत अधिक संसाधन आ गए थे। इसकी वजह से इनकी सैन्य क्षमता में भी खूब वृद्धि हुई।

राष्ट्रवाद

उन्नीसवीं शताब्दी मे देशभक्ति की भावना ने पूरे यूरोप को अपने पाले में लिया था। जर्मनी, इटली, अन्य बोल्टिक देश आदि जगह पर राष्ट्रवाद पूरी तरह से फ़ैल चुका था। इसी वजह से यह युद्ध ‘ग्लोरी ऑफ़ वार’ कहलाया था। इन देशों को लगने लगा कि कोई भी देश लड़ाई लड़ के और जीत के ही महान बन सकता है। इस तरह से देश की महानता को उसके क्षेत्रफल से जोड़ के देखा जाने लगा।

सोर्स : pinterest

महत्वपूर्ण कारण

आर्कड्यूक फ्रान्ज़ फर्डीनांड ऑस्ट्रिया के राजकुमार थे। इन पर जून 1914 को गर्विलो प्रिंसेप नामक आदमी ने हमला कर इन्हें मार दिया था। इस हत्या के बाद साइबेरिया को धमकियाँ मिलनी शुरू हुई। ऑस्ट्रिया को ऐसा लगता था कि साइबेरिया जो कि बोस्निया को आज़ादी दिलाने में मदद कर रहा था, इस हत्या में शामिल है। ऑस्ट्रिया ने इस हत्या के बाद साइबेरिया को अल्टीमेटम दिया कि वे जल्द ही आत्मसमर्पण कर दें और साइबेरिया ऑस्ट्रिया के अधीन हो जाए। इस मसले पर साइबेरिया ने रूस से मदद माँगी और रूस को बाल्टिक्स में हस्तक्षेप करने का एक और मौक़ा मिल गया। ऐसा होते देख धीरे-धीरे यह दो देशों की लड़ाई न होकर विश्व युद्ध में बदल गया। वहीँ दूसरी और बाल्कन छेत्र में भी अस्थिरता थी, उसे यूरोप का पाउडर केग कहा जाता है। पाउडर केग का मतलब बारूद से भरा कंटेनर होता है, जिसमें कभी भी आग लग सकती है।

युद्ध के चरण

प्रथम विश्व युद्ध में युद्ध के चरण दिए गए हैं-

  • यूरोप, अफ्रीका और एशिया में कई मोर्चों पर संघर्ष शुरू हुआ। पश्चिमी मोर्चों में जर्मनों ने ब्रिटेन, फ्रांस और वर्ष 1917 के बाद अमेरिकियों के साथ संघर्ष किया। पूर्वी मोर्चा में रूसियों ने जर्मनी और ऑस्ट्रो-हंगेरियन सेनाओं के खिलाफ युद्ध लड़ा।
  • वर्ष 1914 में थोड़े समय के लिए जर्मनी को युद्ध में बढ़त हासिल हुई, उसके बाद पश्चिमी मोर्चा स्थिर हो गया और एक लंबा तथा क्रूर युद्ध शुरू हो गया। इस बीच पूर्वी मोर्चे पर जर्मनी की स्थिति मज़बूत हो गई लेकिन निर्णायक रूप से ऐसा नहीं हुआ।
  • वर्ष 1917 में दो घटनाएँ घटित हुईं जिन्होंने संपूर्ण युद्ध का रुख ही बदल दिया। अमेरिका मित्र राष्ट्रों के बेड़े में शामिल हो गया, वहीं दूसरी ओर रूसी क्रांति के बाद रूस युद्ध से बाहर हो गया और उसने एक अलग शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए।

भारत का किरदार

इस युद्ध में लगभग 13 लाख भारतीय ब्रिटिश आर्मी की तरफ़ से लड़ रहे थे। यह भारतीय सैनिक फ्रांस, इराक, ईजिप्ट आदि जगहों पर लड़े, जिसमें लगभग 50,000 सैनिकों को शहादत मिली। तीसरे एंग्लो अफ़ग़ान वार और प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में इंडिया गेट का निर्माण किया गया। एक भारतीय पैदल सैनिक का मासिक वेतन उस समय महज़ 11 रुपए था, युद्ध में भाग लेने से यह आय बढ़ा दी गई थी। First World War in Hindi में भारत का रोल भी अहम था।

सोर्स : pinterest

युद्ध समाप्ति और परिणाम

First World War in Hindi में युद्ध की समाप्ति और परिणाम बहुत ही भयावह रहे थे। 1918 में जर्मन आक्रमण के बाद मित्र देशों के पलटवार ने जर्मन सेना को निर्णायक वापसी हेतु मजबूर कर दिया। अक्तूबर-नवंबर 1918 में क्रमशः तुर्की और ऑस्ट्रिया ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे जर्मनी अकेला पड़ गया। बाद में जर्मनी की हार हुई और वहां सत्ता भी बदली, नई सत्ता के आने से जर्मनी ने युद्धविराम के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए और यह प्रथम विश्वयुद्ध 11 नवंबर 1918 को जाकर खत्म हुआ। इस विश्वयुद्ध में एक करोड़ दस लाख सिपाही और लगभग 60 लाख आम नागरिक मारे गए। इसमें मरने वालों की संख्या एक करोड़ सत्तर लाख थी वहीं 2 करोड़ घायल हुए थे। इस युद्ध ने पूरी दुनिया को आर्थिक मंदी में भी ला दिया था। इस युद्ध के बाद अमेरिका एक विश्व शक्ति बन के उभरा था।

प्रथम विश्व युद्ध के आर्थिक परिणाम

यहाँ प्रथम विश्व युद्ध के आर्थिक परिणामों के बारे में बताया जा रहा है :

  • वित्तीय बोझ : प्रथम विश्व युद्ध देशों को भारी वित्तीय बोझ के नीचे दबा दिया। युद्ध सामग्री और सैनिकों के वेतन के कारण युद्ध में भाग लेने वाले देशों को अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने में लंबा समय लगा।
  • उत्पादन में कमी : प्रथम विश्वयुद्ध के कारण औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट आई थी। कारखानों को युद्ध सामग्री बनाने के लिए उपयोग किया गया था। इसके अलावा किसानों को ज़बरदस्ती सैनिक बनाकर युद्ध में लड़ने के लिए भेजा गया था। इस कारण से कृषि उत्पादन में भी कमी हुई।
  • व्यापार में गिरावट : प्रथम विश्व युद्ध के कारण व्यापार में भी गिरावट आई क्योंकि कई देशों ने अपनी सीमाओं को बंद कर दिया था जिस कारण से देशों के बीच आपस में होने वाले व्यापार पर रोक लग गई।
  • महंगाई : प्रथम विश्व युद्ध के कारण महंगाई भी बढ़ी क्योंकि युद्ध में भाग लेने वाले देशों में संसाधनों की कमी हो गई थी जिसके कारण उन देशों में महंगाई बढ़ गई।
  • बेरोजगारी : प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेने वाले देशों में युद्ध में भाग लेने के कारण उद्योग धंधे बंद पड़ गए थे और उनकी अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से चरमरा गई थी। इस कारण से इन देशों में बेरोजगारी चरम पर पहुँच गई थी।

विश्वयुद्ध के बाद संधियां

प्रथम विश्व युद्ध के बाद भाईचारा और शांति बनी रहे इसलिए कुछ शांति समझौते हुए थे। First World War in Hindi के बाद निम्नलिखित संधियां हुई थी-

  • पेरिस शांति सम्मेलन: विश्व युद्ध में जर्मनी एवं उसके सहयोगी देश ऑस्ट्रिया, तुर्की, हंगरी आदि की हार हुई तथा इस युद्ध का अंत पेरिस शांति सम्मेलन के साथ हुआ जिसमें पराजित राष्ट्रों के साथ समझौते के रूप में पांच संधियां की गई।
  • वर्साय की संधि: सभी संधियों में सबसे महत्वपूर्ण थी वर्साय की संधि, जिसे ब्रिटेन ने जर्मनी के साथ किया। इसकी सभी शर्तों को जर्मनी के लिए स्वीकार करना अनिवार्य कर दिया।

दूसरा विश्वयुद्ध होने के कारण

दूसरे विश्वयुद्ध होने के कई कारण थे। कोई एक कारण ऐसे में नहीं हो सकता था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद दुनिया में आए आर्थिक संकट के साथ और भी कारण थे। आइए, जानते हैं पहला विश्व युद्ध कैसे दूसरे विश्व युद्ध होने का कारण बना-

वर्साय की संधि (1919)

  • प्रथम विश्व युद्ध के बाद विजयी मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी के भविष्य का फैसला किया। जर्मनी को वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करने के लिये मज़बूर किया गया था।
  • इस संधि के तहत जर्मनी को युद्ध का दोषी मानकर उस पर आर्थिक दंड लगाया गया।

राष्ट्र संघ की विफलता

  • राष्ट्र संघ (League of Nations) की स्थापना वर्ष 1919 में एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में विश्व शांति को बनाए रखने के लिए की गई थी।
  • इसमें सभी देश इसमें शामिल नहीं हो सके।
  • सबसे बड़ा विफलता का कारण यह भी था कि पहला विश्व युद्ध भी देशों को एक साथ नहीं ला सका जो इसकी असफलता का कारण था।
  • जब देशों अपने दायरे को विस्तार करने के लिए दूसरों पर हमला करना शुरू किया, तो लीग के पास उन्हें रोकने की कोई शक्ति नहीं थी।
सोर्स : pinterest

1929 की महामंदी

  • वर्ष 1930 के दशक की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी ने यूरोप और एशिया में अलग-अलग तरीकों से अपना प्रभाव डाला।
  • यूरोप की अधिकांश राजनीतिक शक्तियां जैसे- जर्मनी, इटली, स्पेन आदि अधिनायकवादी और साम्राज्यवादी सरकारों में स्थानांतरित हो गईं।

प्रथम विश्व युद्ध के लिए प्रश्नोत्तर

भारत का प्रथम विश्वयुद्ध कब हुआ था?

प्रथम विश्वयुद्ध यूरोप महाद्वीप के कई देशों के बीच लड़ा गया था। भारत प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल नहीं था, क्योंकि उस समय भारत में ब्रिटिश-शासन था और ब्रिटेन स्वयं प्रथम विश्वयुद्ध का एक बड़ा हिस्सा था। भारत का प्रथम विश्व युद्ध कब हुआ था इसका कोई सार्थक अंतर नहीं है।

प्रथम विश्व युद्ध के समय भारत का वायसराय कौन था?

प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत 1914 को हुई थी। इस समय भारत के वायसराय लॉर्ड हार्डिंग थे जो 1914 से 1916 तक भारत के वायसराय थे। इसके बाद 1916 से 1918 तक लॉर्ड चेम्सफोर्ड भारत के वायसराय थे।

प्रथम विश्व युद्ध के समय अमेरिका का राष्ट्रपति कौन था?

प्रथम विश्व युद्ध के समय अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन थे, जो 1913 से 1921 तक अमेरिका के शासन पद पर कार्य किए थे।

प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र और केंद्रीय शक्तियों में कौन-कौन से देश शामिल थे ?

प्रथम विश्वयुद्ध में इंग्लैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस तथा फ्रांस जैसे देश मित्र राष्ट्र में शामिल थे। जबकि जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी, जापान, इटली, बुल्गारिया और ओटोमान साम्राज्य केंद्रीय शक्ति के रूप में शामिल थे।

प्रथम विश्व युद्ध के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री कौन थे?

उत्तर – प्रथम विश्व युद्ध के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री एच. एच. आस्किथ और डेविड लॉयड जार्ज थे। इसके अलावा मोनार्क जॉर्ज फ्रेडरिक थे।

प्रथम विश्व युद्ध का जन सामान्य पर क्या प्रभाव पड़ा?

प्रथम विश्वयुद्ध का जनसामान्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा। इस विश्व युद्ध में करोड़ों लोग मारे गए। लाखों लोगों का जीवन बेघर हो गया। इस विश्व युद्ध का प्रभाव यूरोप, एशिया, अफ्रीका तीनों महाद्वीपों पर पड़ा। यूरोप के अधिकांश लोगों का जीवन गरीबी में बीतने लगा।

प्रथम विश्व युद्ध के समय जर्मनी का शासक कौन था?

विश्व युद्ध के समय जर्मनी का सम्राट विल्हेम द्वितीय था।

प्रथम विश्व युद्ध के समय रूस का शासक कौन था?

प्रथम विश्व युद्ध के समय रूस का शासक जार निकोलस द्वितीय था।

FAQs

प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में कौन सी सरकार थी?

प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में वाइमर गणतंत्र की स्थापना हुई, साथ ही नई सरकार ने 11 नवंबर, 1918 को युद्ध विराम के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए और यह प्रलयंकारी प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हो गया।

प्रथम विश्व युद्ध में कितने देश शामिल थे?

पहले विश्व युद्ध में 30 ज्यादा देश शामिल हुए थे, जिसमें सर्बिया, ब्रिटेन, जापान, रूस, फ्रांस, इटली और अमेरिका समेत करीब 17 मित्र देश थे। दूसरी ओर जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी, बुल्गारिया और ओटोमन जैसे राज्य थे। युद्ध यूरोप, अफ्रीका, एशिया और उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप में लड़ा गया।

त्रिगुट का संस्थापक कौन था?

इटली की नाराजगी का लाभ उठाकर बिस्मार्क ने 1882 में इटली, जर्मनी और ऑस्ट्रिया के बीच त्रिगुट संधि (Triple Alliance) को अंजाम दिया।

प्रथम विश्व युद्ध क्यों हुआ था?

प्रथम विश्व युद्ध के लिए यूं तो 28 जून 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी आर्चड्युक फर्डिनेंड की हत्या को प्रमुख और तात्कालिक कारण माना जाता है, लेकिन इतने बड़े युद्ध के लिए सिर्फ यही वजह नहीं थी बल्कि इसके कई और घटनाक्रम थे, जो विश्व युद्ध के लिए जिम्मेदार थे।

द्वितीय विश्व युद्ध कब हुआ था?

द्वितीय विश्व युद्ध 1 सितंबर 1939 को शुरू हुआ था।

प्रथम विश्व युद्ध में किसकी हार हुई?

प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की हार हुई। इसके बाद विजयी मित्र राष्ट्र जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और जापान आदि देश शामिल थे, उन्होंने जर्मनी को वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया।

प्रथम विश्व युद्ध किसने जीता है?

प्रथम विश्व युद्ध मित्र राष्ट्रों द्वारा जीता गया था जिसमें यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, इटली शामिल थे।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत का वायसराय कौन था?

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत का वायसराय लॉर्ड हार्डिंग-द्वितीय (1910-1916) थे।

Source – GoalYaan

आशा करते हैं कि आपको First World War in Hindi के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली होगी। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं तो आज ही हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स को 1800572000 पर कॉल करें और 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें।

प्रातिक्रिया दे

Required fields are marked *

*

*

6 comments