नदी पर कविता पढ़कर समाज को प्रकृति के सौंदर्य की सुखद अनुभूति होती है। सृष्टि के कल्याण के लिए नदियों ने सदा ही मुख्य भूमिका निभाई है, इसी का महत्व जानते हुए भारत में नदियों को माँ का दर्जा प्राप्त है। नदी पर कविता पढ़कर समाज प्रकृति से प्रेम करना सीख सकता है क्योंकि प्रकृति की गोद में ही सभ्यताओं का लालन-पालन होता है। प्रकृति के प्रति समर्पित रहने वाले व्यक्ति का ही जग में सदा विस्तार होता है। इस ब्लॉग के माध्यम से आप Poem on River in Hindi को पढ़ पाएंगे, यह कविताएं आपको नदियों से प्रेम करना सिखाएंगी। नदी के महत्व को जानने के लिए आपको इस ब्लॉग में दी गई कविताओं को अवश्य पढ़ना चाहिए।
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Poem on River in Hindi – नदी पर प्रसिद्ध लेखकों कि कविताएं
नदी पर कविता पढ़कर आपका परिचय प्रकृति के सौंदर्य से होगा, जिसके लिए आपको विभिन्न कवियों की कविताओं को पढ़ने का अवसर मिलेगा। Poem on River in Hindi की सूची कुछ इस प्रकार हैं:
कविता का नाम | कवि का नाम |
आज नदी बिल्कुल उदास थी | केदारनाथ अग्रवाल |
नदियों के किनारे | गोविंद निषाद |
नदी के द्वीप | अज्ञेय |
सावन में यह नदी | कृष्ण मुरारी पहारिया |
नदी में इतिहास | गोविंद निषाद |
मैंने गंगा को देखा | केदारनाथ सिंह |
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आज नदी बिल्कुल उदास थी
Poem on River in Hindi पढ़कर आप नदियों का महत्व समझ पाएंगे। इस श्रेणी में केदारनाथ अग्रवाल की लोकप्रिय कविता “आज नदी बिल्कुल उदास थी” है, जो कुछ इस प्रकार हैं:
आज नदी बिल्कुल उदास थी, सोई थी अपने पानी में, उसके दर्पण पर बादल का वस्त्र पड़ा था। मैंने उसको नहीं जगाया, दबे पाँव घर वापस आया।
-केदारनाथ अग्रवाल
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नदियों के किनारे
Poem on River in Hindi पढ़कर आप नदियों का महत्व समझ पाएंगे। इस श्रेणी में गोविंद निषाद की लोकप्रिय कविता “नदियों के किनारे” है, जो कुछ इस प्रकार हैं:
नदियों के किनारे स्मृतियों में उभर आते हैं मेरे पुरखे जो न जाने कब से नदियों के किनारे मारते आए हैं मछलियाँ चलाते आए हैं नाव कमाते आए हैं दो जून की रोटी आज जब नदियाँ मर रही हैं तब लगता है कि नदियों के साथ मेरे पुरखे भी मर जाएँगे पुरखों का मरना मेरे हक़ में होगा या मेरे ख़िलाफ़?
-गोविंद निषाद
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नदी के द्वीप
Poem on River in Hindi पढ़कर आप नदियों का महत्व समझ पाएंगे। इस श्रेणी में अज्ञेय की लोकप्रिय कविता “नदी के द्वीप” है, जो कुछ इस प्रकार हैं:
हम नदी के द्वीप हैं। हम नहीं कहते कि हम को छोड़ कर स्रोतस्विनी बह जाए। वह हमें आकार देती है। हमारे कोण, गलियाँ, अंतरीप, उभार, सैकत कूल, सब गोलाइयाँ उसकी गढ़ी हैं। माँ है वह। है, इसी से हम बने हैं। किंतु हम हैं द्वीप। हम धारा नहीं हैं। स्थिर समर्पण है हमारा। हम सदा से द्वीप हैं स्रोतस्विनी के किंतु हम बहते नहीं हैं। क्योंकि बहना रेत होना है। हम बहेंगे तो रहेंगे ही नहीं। पैर उखड़ेंगे। प्लवन होगा। ढहेंगे। सहेंगे। बह जाएँगे। और फिर हम चूर्ण होकर भी कभी या धार बन सकते? रेत बन कर हम सलिल को तनिक गँदला ही करेंगे। अनुपयोगी ही बनाएँगे। द्वीप हैं हम। यह नहीं है शाप। यह अपनी नियति है। हम नदी के पुत्र हैं। बैठे नदी के क्रोड़ में। वह बृहद् भूखंड से हमको मिलती है। और वह भूखंड अपना पितर है। नदी, तुम बहती चलो। भूखंड से जो दाय हमको मिला है, मिलता रहा है, माँजती, संस्कार देती चलो : यदि ऐसा कभी हो तुम्हारे आह्लाद से या दूसरों के किसी स्वैराचार से—अतिचार से— तुम बढ़ो, प्लावन तुम्हारा घरघराता उठे, यह स्रोतस्विनी ही कर्मनाश कीर्तिनाशा घोर काल-प्रवाहिनी बन जाए तो हमें स्वीकार है वह भी। उसी में रेत होकर फिर छिनेंगे हम। जमेंगे हम। कहीं फिर पैर टेकेंगे। कहीं फिर भी खड़ा होगा नए व्यक्तित्व का आकार। मात:, उसे फिर संस्कार तुम देना।
-अज्ञेय
सावन में यह नदी
Poem on River in Hindi पढ़कर आप नदियों का महत्व समझ पाएंगे। इस श्रेणी में कृष्ण मुरारी पहारिया की लोकप्रिय कविता “सावन में यह नदी” है, जो कुछ इस प्रकार हैं:
सावन में यह नदी फैल, काँसे का थाल हुई संध्या अपना बिंब निहारे, सोना छुई-मुई अस्ताचल में सूर्य ठहर कर शोभा देख रहा मन का भाव छिपाए मन में, कुछ भी नहीं कहा वह क्षण आने ही वाला है, जब चलना होगा अंधकार आएगा पहने तारों का चोगा गड़ी रह गई अंतर के कोने में कहीं सुई नीला बादल अंतरिक्ष में रचता रूप अनेक कहीं खड़ा ऐरावत बनकर, कहीं काल की टेक कहीं अप्सराओं की टोली ज्यों करती शृंगार कहीं पड़ा सूने टीले-सा, ज्यों कर्दम का भार सीली हवा झकोरे जब, उड़ता सब रुई-रुई
-कृष्ण मुरारी पहारिया
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नदी में इतिहास
Poem on River in Hindi पढ़कर आप नदियों का महत्व समझ पाएंगे। इस श्रेणी में गोविंद निषाद की लोकप्रिय कविता “नदी में इतिहास” है, जो कुछ इस प्रकार हैं:
आज़ादी की स्मृतियों में हरीश खोज रहा है नदी को वह लगाता है डुबकी गंगा में तैरता है सती चौरा घाट पर जहाँ दर्ज है भोला केवट के कारनामे वह चहक उठता है जुब्बा साहनी के क़िस्से सुनकर खोजता है किसी झूरी बिंद को जिन्होंने उतार दिया था फिरंगियों को मौत के घाट वह नदी की तह में उतरना चाहता है जहाँ मिल सके स्मृतियों के अवशेष जो समा गए नदी में फिरंगियों की नाव के साथ उन नावों की स्मृतियों को जोड़कर वह निर्मित करता है एक इतिहास का पुल जो आज़ादी की लड़ाई में उसका हिस्सा है।
-गोविंद निषाद
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मैंने गंगा को देखा
Poem on River in Hindi पढ़कर आप नदियों का महत्व समझ पाएंगे। इस श्रेणी में केदारनाथ सिंह की लोकप्रिय कविता “मैंने गंगा को देखा” है, जो कुछ इस प्रकार हैं:
मैंने गंगा को देखा एक लंबे सफ़र के बाद जब मेरी आँखें कुछ भी देखने को तरस रही थीं जब मेरे पास कोई काम नहीं था मैंने गंगा को देखा प्रचंड लू के थपेड़ों के बाद जब एक शाम मुझे साहस और ताज़गी की बेहद ज़रूरत थी मैंने गंगा को देखा एक रोहू मछली थी डब-डब आँख में जहाँ जीने की अपार तरलता थी मैंने गंगा को देखा जहाँ एक बूढ़ा मल्लाह रेती पर खड़ा था घर जाने को तैयार और मैंने देखा— बूढ़ा ख़ुश था वर्ष के उन सबसे उदास दिनों में भी मैं हैरान रह गया यह देखकर कि गंगा के जल में कितनी लंबी और शानदार लगती है एक बूढ़े आदमी के ख़ुश होने की परछाईं! जब बूढ़ा ज़रा हिला उसने अपना जाल उठाया कंधे पर रखा चलने से पहले एक बार फिर गंगा की ओर देखा और मुस्कुराया यह एक थके हुए बूढ़े मल्लाह की मुस्कान थी जिसमें कोई पछतावा नहीं था यदि थी तो एक सच्ची और गहरी कृतज्ञता बहते हुए चंचल जल के प्रति मानो उसकी आँखें कहती हों— ‘अब हो गई शाम अच्छा भाई पानी राम! राम!’
-केदारनाथ सिंह
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आशा है कि इस ब्लॉग के माध्यम से आप Poem on River in Hindi पढ़ पाएंगे, नदी पर कविता पढ़कर आप प्रकृति की महिमा और इसके महत्व के बारे में जान पाएंगे। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा। इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।