Nibandh Lekhan: जानिए निबंध लेखन क्या होता है?

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Nibandh Lekhan

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। भारतीय घरों की अगर बात करें तो हिंदी भाषा बोल-चाल की भाषा होने के साथ साथ एक नींव है जिससे हर बच्चा अपने ज्ञान की सीढ़ी को चढ़ना शुरू करता है। स्कूल के दिनों से हम हिंदी भाषा बोलने के साथ उसे लिखने और समझने का प्रयास करते थे जिसमें हमारे पाठ्यक्रम के विषयों का बहुत बड़ा हाथ रहा है। यह ज्ञान और शिक्षा सिर्फ विषयों तक ना होकर प्रतियोगिताओं के ज़रिए भी बच्चो तक पहुंचाई जाती है। प्रतियोगिताओं की बाते की जाए तो देखा जाता है कि कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी में अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड से Nibandh Lekhan का आयोजन करते हैं। निबंध लेखन हिंदी भाषा के साथ साथ विद्यार्थियों के सिलेबस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। कक्षा चाहे कोई भी हो Nibandh Lekhan की भूमिका ख़ास मानी जाती है। बोर्ड परीक्षा में भी हिंदी Nibandh Lekhan की आवश्यकता होती है। तो निबंध लेखन और उससे जुड़ी जानकारी को जान्ने के लिए हमारे निबंध लेखन के ब्लॉग को आखिर तक पढ़ें।

टॉपिक निबंध लेखन
सब्जेक्ट हिंदी
प्रकार -वर्णनात्मक
-विवरणात्मक
-विचारात्मक निबंध
निबंध के अंग -शीर्षक
-प्रस्तावना
-विषय विस्तार
-उपसंहार

निबंध लेखन की परिभाषा

  • निबंध लेखन किसे कहते हैं?
  • निबंध क्या होता है?
  • निबंध लेखन में कौन से कौन से अंग होते हैं?

नीचे हम सभी सवालों का जवाब देंगे-

  • अपने विचारों और भावों को जब हम नियंत्रण ढंग से लिखते हैं वह निबंध के रूप में जाना जाता है ‌
  • किसी भी विषय पर अपने भावों के अनुसार हम लिपि बंद करते हैं वह निबंध लेखन कहा जाता है।
  • नि + बंद यह दो शब्द को मिलाकर निबंध शब्द का निर्माण होता है।
  • इसका अर्थ यह होता है कि भली प्रकार से बांधी गई रचना जो विचार पूर्वक लिखा होना निबंध कहलाता है।

निबंध लेखन में अलग-अलग प्रकार के विषय

Nibandh Lekhan उस विषय पर लिखा जाता है जिसे हम सुनते रहते हैं,  देखते हैं और पढ़ते हैं । उदाहरण:

  • धार्मिक त्योहार
  • राष्ट्रीय त्योहार
  • मौसम
  • अलग-अलग प्रकार की समस्याएं, आदि

Nibandh Lekhan किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है। अभी के समय में सामाजिक, राजनीतिक और वैज्ञानिक आदि विषयों पर निबंध ज्यादा लिखा जाता है।

निबंध लेखन: निबंध कैसे लिखें?

यह जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Credits – Alpana Verma

निबंध के 4 अंग होते हैं

निबंध लेखन में हमें चार अंगो को निबंध का हिस्सा बनाना आवश्यक है जिसमें नीचे दिए गए पॉइंट्स शामिल हैं।

  1. शीर्षक : निबंध  में हमेशा शीर्षक आकर्षक होना ज़रूरी है। शीर्षक पढ़ने से लोगों में उत्सुकता बढ़ती है।
  2. प्रस्तावना: निबंध में सबसे श्रेष्ठ प्रस्तावना होती है, भूमिका नाम से भी इसे जाना जाता है । निबंध की शुरुआत में हमें किसी भी प्रकार की स्तुति , श्लोक या उदाहरण से करते हैं तो उसका अलग ही प्रभाव पड़ता है। 
  3. विषय विस्तार – निबंध में विषय विस्तार का सर्व प्रमुख अंश होता है, इसके अंदर तीन से चार अनुच्छेदों को अलग-अलग पहलुओं पर विचार प्रकट किया जा सकता है। निबंध लेखन में इसका संतुलन होना बहुत ही आवश्यक है। विषय विस्तार में निबंध कार अपने दृष्टिकोण को प्रकट करते हुए बता सकता है ‌ । 
  4. उप संहार – उप संहार को निबंध  में सबसे अंत में लिखा जाता है। पूरे निबंध में लिखी गई बातों को हम एक छोटे से अनुच्छेद में बता सकते हैं। इसके अंदर हम संदेश ,  उपदेश , विचारों या कविता की पंक्ति के माध्यम से भी निबंध को समाप्त कर सकते हैं ‌।
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निबंध के प्रकार

निबंध तीन प्रकार के होते हैं। जिन्हे नीचे विस्तार से समझाया गया है।

  1. वर्णनात्मक – संजीव या निर्जीव पदार्थ के बारे में जब हम निबंध लेखन करते हैं तब उसे वर्णनात्मक निबंध कहते हैं। यह निबंध लेखन स्थान , परिस्थिति , व्यक्ति आदि के आधार पर निबंध लिखा जाता है । 
  • प्राणी
  1. श्रेणी
  2. प्राप्ति स्थान
  3. आकार प्रकार
  4. स्वभाव 
  5. विचित्रता
  6. उपसंहार
  • मनुष्य
  1.  परिचय
  2. प्राचीन इतिहास 
  3. वंश परंपरा 
  4. भाषा और धर्म 
  5.  सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन
  • स्थान
  1. अवस्थिति
  2. नामकरण
  3. इतिहास
  4. जलवायु
  5. शिल्प
  6. व्यापार
  7. जाति धर्म
  8. दर्शनीय स्थान
  9. उपसंहार

वर्णनात्मक निबंध का उदाहरण

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था। गांधीजी का भारत की स्वतंत्रता में काफी अहम योगदान था। गांधीजी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे, वे लोगों से आशा करते थे कि वे भी अहिंसा का रास्ता अपनाएं। 1930 दांडी यात्रा करके नमक सत्याग्रह किया था। लोग गांधीजी को प्यार से बापू कहते हैं। गांधीजी ने अपनी वकालत की पढ़ाई लंदन से पूरी की थी। बापू हिंसा के खिलाफ थे और अंग्रेजों के लिए काफी बड़ी मुश्किल बने हुए थे। आजादी में बापू के योगदान के कारण उन्हें राष्ट्रपिता का ओहदा दिया गया। बापू हमेशा साधारण सा जीवन जीते थे, वे चरखा चलाकर कर सूत कातते थे और उसी से बनी धोती पहना करते थे।

2. विवरणात्मक – ऐतिहासिक , पौराणिक या फिर आकस्मिक घटनाओं पर जब हम निबंध लेखन करते हैं उसे विवरणात्मक निबंध कहते हैं । यह निबंध लेखन यात्रा , मैच , ऋतु आदि पर लिख सकते हैं।

  • ऐतिहासिक
  1. घटना का समय और स्थान
  2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
  3. कारण और फलाफल
  4. इष्ट अनिष्ट और मंतव्य 
  • आकस्मिक घटना
  1. परिचय
  2. तारीख, स्थान और कारण
  3. विवरण और अंत
  4. फलाफल
  5. व्यक्ति और समाज
  6. कैसा प्रभाव हुआ
  7. विचारात्मक

विवरणात्मक निबंध का उदाहरण

भारत में बरसात का मौसम जुलाई में दक्षिण पश्चिम मानसूनी हवाओं के आगमन के साथ शुरू होता है। हिंदी में यह आषाढ़ और सावन के महीनों में आता है। वर्षा ऋतु के समय लोग ठंडे, साफ वातावरण और बारिश के कारण हुए ताज़ा बदलाव का आनंद लेते हैं। वर्षा ऋतु हरी-भरी हरियाली आंखों को सुकून देती है। जिसमें चिलचिलाती गर्मी के बाद प्राकृतिक पानी की बदौलत पौधे, पेड़ और घांस बहुत सुहावनी लगती हैं। यह सीज़न हमारे कुछ पसंदीदा त्योहारों के उत्सव का भी प्रतीक है, जैसे कि रक्षा बंधन, 15 अगस्त, तीज और भी बहुत कुछ। बरसात के मौसम का एक आनंद विभिन्न प्रकार के ताजे फलों और पके आमों का आनंद लेना है। हम इन क्षणों और हमारे चारों ओर मौजूद जीवंत हरे परिदृश्य का आनंद केवल वर्षा ऋतु में ही ले सकते हैं। इस बात को और भी खास बनाती है वह है बारिश के दौरान हमारी माताओं का हमारे लिए तैयार किया गया स्वादिष्ट खाना। पकौड़े जैसे स्नैक्स से लेकर इडली, हलवा जैसे व्यंजन और चाय और कॉफी जैसे आरामदायक पेय पदार्थ तक, बारिश का मौसम न केवल आनंद लाता है, बल्कि एक नया स्वाद भी लाता है जो आनंद को और भी अधिक बढ़ा देता है।  

3. विचारात्मक निबंध: जब गुण , दोष या धर्म आदि पर निबंध लेखन किया जाता है उसे विचारात्मक निबंध कहते हैं या निबंध में किसी भी प्रकार की देखी गई या सुनी गई बातों का वर्णन नहीं किया जाए तो विचारात्मक निबंध कहलाता है। इसमें केवल कल्पना और चिंतन शक्ति की गई बातें लिख सकते हैं।

  • अर्थ, परिभाषा ,भूमिका
  • सार्वजनिक या सामाजिक ,स्वाभाविक ,कारण
  • तुलना 
  • हानि और लाभ
  • प्रमाण
  • उप संहार

विचारात्मक निबंध के प्रकार

प्रकाश प्रदूषण तब होता है जब लोग बहुत अधिक या गलत प्रकार की कृत्रिम रोशनी का उपयोग करते हैं, खासकर रात में। ऐसा तब होता है जब बाहरी रोशनी चालू छोड़ दी जाती है और रात का आकाश बहुत अधिक उज्ज्वल हो जाता है।  यह पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं है, प्रकाश प्रदूषण के चार मुख्य प्रकार हैं: पहला है, चकाचौंध होना यानी बहुत अधिक चमक की उपस्थिति होना। दूसरा प्रकाश अतिचार अर्थात किसी की संपत्ति में अवांछित प्रकाश का प्रवेश होना। तीसरा अति-रोशनी इसका मतलब बहुत अधिक प्रकाश का उपयोग करना।  अंतिम और चौथा आकाश की चमक यानी रात में शहरों पर उज्ज्वल प्रभामंडल। प्रकाश प्रदूषण लोगों और जानवरों दोनों के लिए समस्याएँ पैदा कर सकता है।  इससे नींद में खलल पड़ सकता है और लोग तनावग्रस्त हो सकते हैं।  जानवरों के लिए, विशेष रूप से जो रात में सक्रिय होते हैं, यह उनके खाने और संभोग की दिनचर्या को गड़बड़ा सकता है।  प्रवास के दौरान पक्षी भ्रमित हो सकते हैं, और समुद्री कछुए समुद्र में अपना रास्ता भूल सकते हैं।

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निबंध लिखते समय नीचे गई बातों को ध्यान में रखें

nibandh lekhan
निबंध लिखते समय इन बातों का रखें ध्यान

निबंध लिखते समय कुछ बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है जिसमें निम्नलिखित बातें शामिल हैं।

  • निबंध में विषय पर पूरा ज्ञान होना चाहिए।
  • अलग-अलग प्रकार के अनुच्छेद को एक दूसरे के साथ जुड़े होना चाहिए।
  • निबंध की भाषा सरल होनी अनिवार्य है।
  • निबंध लिखे गए विषय की जितनी हो सके उतनी जानकारी प्राप्त करें।
  • निबंध में स्वच्छता और विराम चिन्हों पर खास ध्यान दें।
  • निबंध में मुहावरों का प्रयोग होना जरूरी है।
  • निबंध में छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करें।
  • निबंध के आरंभ में और अंत में कविता की पंक्तियों का भी उल्लेख कर सकते हैं।

स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध

अपने प्रधानमंत्री बनने के बाद माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गांधी जयंती के अवसर पर 02 अक्टूबर 2014, को इस अभियान का आगाज़ किया था। भारत को स्वच्छ करने की परिवर्तन कारी मुहिम चलाई थी। भारत को साफ-सुथरा देखना गांधी जी का सपना था। गांधी जी हमेशा लोगों को अपने आस-पास साफ-सफाई रखने को बोलते थे। स्वच्छ भारत के माध्यम से विशेषकर ग्रामीण अँचल के लोगो के अंदर जागरूकता पैदा करना है कि वो शौचालयों का प्रयोग करें, खुले में न जाये। इससे तमाम बीमारियाँ भी फैलती है। जोकि किसी के लिए अच्छा नहीं है।

“जो परिवर्तन आप दुनिया में देखना चाहते हैं वह सबसे पहले अपने आप में लागू करें।” -महात्मा गांधी।

महात्मा गांधी जी की ये बात स्वच्छता पर भी लागू होती है। अगर हम समाज में बदलाव देखना चाहते हैं तो सर्वप्रथम हमें स्वयं में बदलाव लाना होगा। हर कोई दूसरों की राह तकता रहता है। और पहले आप-पहले आप में गाड़ी छूट जाती है। साफ-सफाई से हमारा तन-मन दोनों स्वस्थ और सुरक्षित रहता है। यह हमें किसी और के लिए नहीं, वरन् खुद के लिए करना है। यह जागरूकता जन-जन तक पहुँचानी होगी। हमें इसके लिए ज़मीनी स्तर से लगकर काम करना होगा। हमें बचपन से ही बच्चों में सफाई की आदत डलवानी होगी। उन्हें सिखाना होगा कि, एक कुत्ता भी जहां बैठता है, उस जगह को झाड़-पोछ कर बैठता है। जब जानवरों में साफ-सफाई के प्रति इतनी जागरुकता है, फिर हम तो इन्सान है।

निष्कर्ष

गांधी जी की 145 वीं जयंती को शुरू हुआ यह अभियान, 2 अक्टूबर 2019 को पूरे पाँच वर्ष पूरे कर चुका है। जैसा कि 2019 तक भारत को पूर्ण रूप से ओपन डेफिकेसन फ्री (खुले में शौच मुक्त) बनाने का लक्ष्य रखा गया था। यह लक्ष्य पूर्णतः फलीभूत तो नहीं हुआ, परंतु इसके आँकड़ो में आश्चर्यजनक रूप से उछाल आया है।

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दिवाली पर निबंध

दीपावली का अर्थ: दिवाली जिसे “दीपावली” के नाम से भी जाना जाता है, भारत और दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। ‘दीपावली’ संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप + आवली। ‘दीप’ का अर्थ होता है ‘दीपक’ तथा ‘आवली’ का अर्थ होता है ‘श्रृंखला’, जिसका मतलब हुआ दीपों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि इसे हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी पटाखे और आतिशबाजी के जरिए इस उज्ज्वल त्योहार को मनाते हैं।

दीपावली त्योहार की तैयारी: दीपावली त्योहार की तैयारियां दिवाली से कई दिनों पहले ही आरंभ हो जाती है। दीपावली के कई दिनों पहले से ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई करने में जुट जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो घर साफ-सुथरे होते हैं, उन घरों में दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी विराजमान होती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करके वहां सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी करती है। दिवाली के नजदीक आते ही लोग अपने घरों को दीपक और तरह-तरह के लाइट से सजाना शुरू कर देते हैं।

दिवाली में पटाखों का महत्व: दिवाली को “रोशनी का त्योहार” कहा जाता है। लोग मिट्टी के बने दीपक जलाते हैं और अपने घरों को विभिन्न रंगों और आकारों की रोशनी से सजाते हैं, जिसे देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो सकता है। बच्चों को पटाखे जलाना और विभिन्न तरह के आतिशबाजी जैसे फुलझड़ियां, रॉकेट, फव्वारे, चक्री आदि बहुत पसंद होते हैं।

दिवाली का इतिहास: हिंदुओं के मुताबिक, दिवाली के दिन ही भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और उनके उत्साही भक्त हनुमान के साथ अयोध्या लौटे थे, अमावस्या की रात होने के कारण दिवाली के दिन काफी अंधेरा होता है, जिस वजह से उस दिन पुरे अयोध्या को दीपों और फूलों से श्री राम चंद्र के लिए सजाया गया था ताकि भगवान राम के आगमन में कोई परेशानी न हो, तब से लेकर आज तक इसे दीपों का त्योहार और अंधेरे पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है।

इस शुभ अवसर पर, बाजारों में गणेश जी, लक्ष्मी जी, राम जी आदि की मूर्तियों की खरीदारी की जाती है। बाजारों में खूब चहल पहल होती है। लोग इस अवसर पर नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयां आदि खरीदते है। हिंदुओं द्वारा देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है क्योंकि व्यापारी दिवाली पर नई खाता बही की शुरुआत करते हैं। साथ ही, लोगों का मानना है कि यह खूबसूरत त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है। लोग दिवाली के त्योहार के दौरान अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करने के लिए तत्पर रहते हैं।

दीपावली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

दिवाली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ असामाजिक तत्व अपने निरंतर प्रयास जैसे मदिरापान, जुआ खेलना, टोना-टोटका करना और पटाखों के गलत इस्तेमाल से ख़राब करने में जुटे रहते हैं। अगर समाज में दिवाली के दिन इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो दिवाली का पर्व वास्तव में शुभ दीपावली हो जाएगा।

उपसंहार

दीपावली अपने अंदर के अंधकार को मिटा कर समूचे वातावरण को प्रकाशमय बनाने का त्योहार है। बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियाँ तथा अन्य पटाखे खरीदते हैं और आतिशबाजी का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि दीपावली के त्योहार का अर्थ दीप, प्रेम और सुख-समृद्धि से है। इसलिए पटाखों का इस्तेमाल सावधानी पूर्वक और अपने बड़ों के सामने रहकर करना चाहिए। दिवाली का त्योहार हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। दीपावली का त्योहार सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में आज भी सामाजिक एकता बनी हुई है। हिंदी साहित्यकार गोपालदास नीरज ने भी कहा है, “जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना, अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।” इसलिए दीपोत्सव यानि दीपावली पर प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देने के प्रयत्न करने चाहिए।

FAQs

निबंध लेखन कैसे लिखते हैं?

अच्छा निबंध लिखने के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखें:
भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।
शब्द सीमा का ध्यान रखना चाहिए।
विचारों की पुनरावृत्ति से बचना चाहिए।
लिखने के बाद उसे पढ़िए,उसमें आवश्यक सुधार कीजिए।
भाषा संबंधी त्रुटियाँ दूर कीजिए।
वर्तनी शुद्ध होनी चाहिए।
विराम-चिह्नों का उचित प्रयोग किया जाना चाहिए।

निबंध में कितने भाग होते हैं?

निबंध कैसे लिखते हैं? यह भी एक कला है, और निबंध के मुख्यतः तीन भाग होते हैं: प्रस्तावना, विषय प्रतिपादन और उपसंहार।

निबंध की रूपरेखा कैसे लिखते हैं?

रूपरेखा संक्षिप्त और सरल हो। यह आवश्यक नहीं है कि यह पूर्णतः सुसंस्कृत लेखन हो; इसे बस मुद्दा समझाने योग्य होना है। जब आप अपने विषय पर अधिक शोध करते हैं और अपने लेखन को मुद्दे पर केन्द्रित कर संकुचित करते जाते हैं तब अप्रासंगिक सूचनाओं को हटाने में संकोच न करें। रूपरेखाओं को याद दिलाने के साधन के रूप में प्रयोग करें।

निबंध लिखने की शुरुआत कैसे करें?

निबंध लेखन के पूर्व विषय पर विचार कर सकते हैं-
भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।
विचारों को क्रमबद्ध रूप से स्पष्ट करना चाहिए।
विचारों की पुनरावृत्ति से बचना चाहिए।
लिखने के बाद उसे पढ़िए, उसमें आवश्यक सुधार कीजिए।
भाषा संबंधी त्रुटियां दूर कीजिए।

निबंध के अंत में हमें क्या लिखना चाहिए?

विषय से संबंधित: जब कोई निबंध लिखना हो तो रफ लिख लेना चाहिए कि, पहले क्या बताना है, फिर प्वाइंट बना लो, इसके बाद उन्हें पैराग्राफ में लिखो। उपसंहार: इसमें निबंध का निष्कर्ष होता है, अर्थात इस विषय से तुम क्या सोचते हो, यह लिख डालो।

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