किसी भी मिशन के पीछे स्पेश एजेंसी का उद्देश्य होता है कि अपनी अंतरिक्ष शक्तियों का प्रदर्शन करना और स्पेश टेक्नोलाॅजी में डेवलपमेंट को बढ़ावा देना है। मंगलयान, चंद्रयान के अलावा इसरो कई मिशन पर काम कर रहा है। मंगलयान मिशन भारत का पहला मून मिशन था और मंगलयान या फिर कोई भी मिशन से जुड़े प्रश्न सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं और इंटरव्यू में पूछे जाते हैं, इसलिए इस Mangalyaan in Hindi ब्लाॅग में मंगलयान मिशन के बारे में जानेंगे।
आगामी मिशन के नाम | मंगलयान मिशन (MOM) |
बाॅडी | ISRO |
मंगलयान मिशन लाॅन्चिंग डेट | 5 नवंबर, 2013 |
मंगलयान मिशन समाप्ति | अप्रैल 2022 |
मंगलयान मिशन के समय इसरो अध्यक्ष | डाॅ. के राधाकृष्णन |
मंगलयान मिशन के डायरेक्टर | माइलस्वामी अन्नादुरई |
मंगलयान मिशन का उद्देश्य | आंतरिक सौर मंडल का पता लगाना। |
मंगलयान मिशन की लागत | INR 450 करोड़ |
ऑफिशियल वेबसाइट | isro.gov.in |
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मंगलयान मिशन क्या है?
मंगलयान या मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) भारत का पहला मिशन था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा लॉन्च किए गए मंगलयान मिशन ने भारत को मंगल की कक्षा में पहुंचने वाला पहला एशियाई देश भी बनाया था। मंगलयान मिशन ने अमेरिकी नासा और रूसी रोस्कोस्मोस सहित वैश्विक अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थिति को मजबूत किया।
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भारत ने मंगलयान मिशन कब लॉन्च किया?
Mangalyaan in Hindi या मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM), मंगल ग्रह के लिए भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन (interplanetary mission) 5 नवंबर, 2013 को पीएसएलवी-सी25 पर लॉन्च किया गया था। इसरो मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान भेजने वाली चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन गई थी। हालांकि डिजाइन किए गए मिशन का जीवन 6 महीने है। MOM ने 24 सितंबर, 2021 को अपनी कक्षा में 7 वर्ष पूरे किए थे।
मंगलयान मिशन कहां से लॉन्च किया गया?
मंगलयान मिशन श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लाॅन्च किया गया था। मानवरहित मंगलयान मिशन को पहली बार 2008 में तत्कालीन इसरो अध्यक्ष जी. माधवन नायर द्वारा सार्वजनिक रूप से मान्यता दी गई थी। यह मिशन चंद्रयान-1 के सफल प्रक्षेपण के बाद शुरू हुआ और 2010 में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा इसके लिए स्टडी की गई थी।
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मंगलयान मिशन का उद्देश्य क्या था?
किसी भी मिशन की लाॅन्चिग को लेकर कई उद्देश्य होते हैं। मून मिशन का उद्देश्य भारतीय स्पेश एजेंसी की ताकत और डेवलपमेंट को दुनिया के सामने प्रदर्शित करना था। मंगलयान मिशन के उद्देश्य इस प्रकार हैंः
- अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से सूर्य केंद्रीय प्रक्षेपण पथ में ट्रांसफर करना।
- मंगल ग्रह पर डिजाइन, योजना, प्रबंधन और संचालन के लिए आवश्यक टेक्नोलाॅजी का डेवलपमेंट करना।
- मंगल की कक्षा में प्रवेश और मंगल ग्रह के चारों ओर कक्षा में भ्रमण करना।
- मंगल ग्रह की सतह की विशेषताओं, मोर्फोलाॅजी, माइनरोलाॅजी और मंगल ग्रह के एनवायरोमेंट की स्टडी करना।
मंगलयान मिशन कितना सफल रहा?
Mangalyaan in Hindi जानने के अलावा यह समझना आवश्यक है कि भारत का पहला मून मिशन कितना सफल रहा और इसके कितने उद्देश्य पूरे हुएः
- मंगलयान भारत का पहला मून मिशन था।
- मंगल ग्रह ऑर्बिटर को एक अंडाकार पृथ्वी की कक्षा में इंजेक्ट किया गया था। (248.4 किमी की उपभू और 23,550 किमी की अपभू के साथ, भूमध्य रेखा पर 19.27 डिग्री के कोण पर झुका हुआ)।
- जब तक अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण यान से अलग नहीं हो गया तब तक ग्राउंड स्टेशनों के एक नेटवर्क ने प्रक्षेपण यान पर लगातार नज़र रखी।
- मिशन की ट्रैकिंग में सहायता प्रदान करने के लिए, शिप बोर्न टर्मिनल्स (एसबीटी) से दो जहाजों को दक्षिण प्रशांत महासागर में तैनात किया गया था।
- बैंगलोर में अंतरिक्ष यान नियंत्रण केंद्र ने प्रक्षेपण यान से अलग होने के बाद अंतरिक्ष यान के संचालन को नियंत्रित किया।
- मंगलयान मिशन से भारत न केवल मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचने की उपलब्धि हासिल करने वाला पहला एशियाई देश बन गया, बल्कि अपने पहले ही प्रयास में ऐसा करने वाला पहला देश भी बन गया।
- मंगलयान मिशन को मंगल ग्रह पर अब तक का सबसे सस्ता मिशन होने के कारण भी इसकी तारीफ की जाती है।
- 2015 में मिशन के पीछे की टीम ने अमेरिका स्थित नेशनल स्पेस सोसाइटी से स्पेस पायनियर पुरस्कार जीता।
- मंगलयान मिशन को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से भी प्रशंसा मिली, जिन्होंने इस मिशन को ‘एशिया का गौरव’ कहा।
मंगलयान मिशन से क्या हासिल हुआ?
इस मिशन की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने मंगल ग्रह के लिए अपने दूसरे मिशन की तैयारी़ शुरू कर दी है। Mangalyaan in Hindi कितना सफल रहा के बारे में यहां बताया गया हैः
- मंगल के लिए यह वर्ल्ड पहला ऐसा मिशन था जो पहले प्रयास में ही सफल रहा था।
- मंगलयान के लिए वैज्ञानिक सौरचक्र 24 के पोस्ट मैग्जिमा फेज के दौरान सौर कोरोना गतिकी समझने में सफलता मिली।
- धूल और तूफानों के दौरान मंगल के वायुमडंल से निकलने वाली गैसों की स्टडी की गई।
- मंगल के वायुमडंल के बाह्यमंडल की ऑर्गन गैस की जानकारी हुई।
- मंगलयान मिशन से आत्मनिर्भर तकनीकों को बढ़ावा मिला और दुनिया ने भारत की ताकत देखी।
- भारत के मंगलयान मिशन की दुनिया के कई देशों ने सराहना की।
मंगलयान मिशन की टीम में कौन शामिल थे?
किसी भी मिशन की सफलता में टीम वर्क काफी योगदान होता है, मंगलयान मिशन की जिम्मेदारी किसके पास थी और पूरी टीम में कौन लोग शामिल थे के बारे में जानकारी जरूरी है, जोकि इस प्रकार हैः
- मंगलयान मिशन के समय इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन थे।
- प्रोग्राम के डायरेक्टर माइलस्वामी अन्नादुरई थे।
- अभियान की सफलता में प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुब्बा अरुणन और अलूर सिलेन किरण कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
- नंदिनी हरिनाथ और रितु करिधल ने मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान के प्रक्षेप पथ की गणना करने और समस्याओं को स्वयं-सही करने के लिए एक स्वायत्त सॉफ्टवेयर प्रणाली को डिजाइन करने के अलावा और मिशन संचालन को संभाला।
- मौमिता दत्ता और मीनल संपत ने अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC) में वैज्ञानिक उपकरणों का निर्माण और परीक्षण किया।
- इन लोगों के अलावा कई अन्य महिला और पुरुष वैज्ञानिकों ने मिशन की सफलता में भूमिका निभाई।
मंगलयान मिशन की लागत क्या थी?
इस मिशन की खासियत लागत की वजह से रही है, क्योंकि INR 450 करोड़ में अपने पहले प्रयास में मंगल ग्रह के जटिल मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने की भारत की क्षमता ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है और भारत की छवि को एक विश्वसनीय अंतरिक्ष ताकत के रूप में अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
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FAQs
आर्टेमिस-I मिशन (Artemis Program) की नवंबर 2022 में लॉन्चिग की गई थी। NASA Moon Mission (आर्टेमिस-1) मानवरहित मिशन होगा।
भारत ने मंगलयान 5 नवंबर, 2013 लॉन्च किया।
मंगलयान मिशन के समय इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन थे।
ISRO की फुल फाॅर्म Indian Space Research Organization है।
उम्मीद है कि इस ब्लाॅग Mangalyaan in Hindi में आपको मंगलयान की पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।