Betla Rashtriya Udyan: जानें बेतला राष्ट्रीय उद्यान क्यों प्रसिद्ध है?

1 minute read
Betla Rashtriya Udyan

Betla Rashtriya Udyan: झारखंड में स्थित बेतला राष्ट्रीय उद्यान भारत के सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यह राष्ट्रीय उद्यान प्रोजेक्ट टाइगर के तहत एक प्रमुख स्थल है। जैव विविधता से समृद्ध, यह बाघों, हाथियों, हिरणों और कई पक्षी प्रजातियों सहित वनस्पतियों और जीवों का घर है। यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए, बेतला राष्ट्रीय उद्यान के बारे में समझना पर्यावरण और भौगोलिक दोनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है, खासकर संरक्षण, जैव विविधता और भारतीय पारिस्थितिकी से संबंधित विषयों में। इस ब्लॉग में बेतला राष्ट्रीय उद्यान (Betla Rashtriya Udyan) के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।

बेतला राष्ट्रीय उद्यान किसके लिए प्रसिद्ध है?

बेतला राष्ट्रीय उद्यान (Betla National Park) झारखंड राज्य के पलामू ज़िले में स्थित एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान है। यह भारत के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण क्षेत्रों में से एक माना जाता है। बेतला राष्ट्रीय उद्यान मुख्य रूप से निम्न कारणों से प्रसिद्ध है:

  • प्रोजेक्ट टाइगर के तहत शामिल होने वाले भारत के प्रारंभिक राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। 1974 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत चुना गया था।
  • यह बाघ, हाथी, चीतल (हिरण), गौर (भारतीय बाइसन), नीलगाय, भालू, भेड़िया, और कई अन्य दुर्लभ व संकटग्रस्त प्रजातियों के आवास के रूप में प्रसिद्ध है।
  • उद्यान में घने साल, पलाश, बांस और अन्य बहुवर्षीय वृक्षों के जंगल फैले हुए हैं, जो इसकी समृद्ध जैव विविधता का आधार हैं।
  • बेतला राष्ट्रीय उद्यान के भीतर 17वीं शताब्दी का पालामू किला स्थित है, जो इतिहास प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।
  • यहाँ कई प्राकृतिक जलप्रपात, नदी तट, और खुली घास की भूमि हैं, जो इसे पर्यटन और फोटोग्राफी के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं।
  • यह उद्यान वन्यजीव अध्ययन, पारिस्थितिकी संरक्षण तथा पर्यावरण शिक्षा के लिए भी एक महत्त्वपूर्ण स्थल माना जाता है।

बेतला नेशनल पार्क के बारे में 

बेतला राष्ट्रीय उद्यान झारखंड राज्य के लातेहार और पलामू जिलों में स्थित है। यह उद्यान छोटा नागपुर पठार पर फैला हुआ है और अपनी समृद्ध जैव विविधता तथा प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
यहाँ बाघ, हाथी, गौर (भारतीय बाइसन), चीतल, नीलगाय, और विभिन्न प्रकार के पक्षियों समेत कई वन्यजीव प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

बेतला राष्ट्रीय उद्यान मूल रूप से पलामू टाइगर रिज़र्व का हिस्सा था, जिसका प्रारंभिक क्षेत्रफल 1,026 वर्ग किलोमीटर था। वर्ष 1989 में इसमें 226 वर्ग किलोमीटर अतिरिक्त क्षेत्र तथा महुआदर वुल्फ अभयारण्य का 63 वर्ग किलोमीटर भाग भी जोड़ा गया।

उद्यान में प्राकृतिक झरने, गर्म पानी के स्रोत और घने साल, पलाश, बांस के जंगल इसकी सुंदरता और जैव विविधता को और बढ़ाते हैं।
यहाँ दो प्राचीन किले भी स्थित हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से पलामू किला कहा जाता है। इनमें से एक किला 16वीं शताब्दी में चेरो राजाओं द्वारा बनवाया गया था, जो समुद्र तल से लगभग 400 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और इतिहास प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।

बेतला नेशनल पार्क का इतिहास 

बेतला राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास भारत में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में विशेष महत्व रखता है।

पलामू वह स्थान है जहाँ 1932 में दुनिया की पहली बाघ जनगणना (Tiger Census) की गई थी।

1947 में इस क्षेत्र को भारतीय वन अधिनियम के तहत संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया। इसके बाद, 1973 में इसे एक वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा मिला और 1974 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत भारत के पहले टाइगर रिज़र्व में शामिल किया गया।

उस समय यह क्षेत्र अवैध शिकार और अत्यधिक चराई जैसी समस्याओं से जूझ रहा था। वन विभाग ने इस क्षेत्र के संरक्षण और प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली और वन्यजीवों तथा प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए विशेष प्रयास किए।

आखिरकार, 1986 में बेतला को आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। वर्तमान में बेतला राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 226.33 वर्ग किलोमीटर है।

बेतला नेशनल पार्क में वनस्पति और जीव

  • बेतला राष्ट्रीय उद्यान अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है, जो इसे एक अनोखा और संपन्न प्राकृतिक आवास बनाती है।
  • यहां साल, बांस और विभिन्न प्रकार की औषधीय वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, जो पार्क की पारिस्थितिकी को विशिष्ट बनाती हैं।
  • उत्तरी कोयल नदी और उसकी सहायक नदियाँ पार्क के उत्तरी हिस्से में विस्तृत घास के मैदानों का निर्माण करती हैं।
  • पार्क में विविध पारिस्थितिक तंत्र मौजूद हैं, जिनमें असंख्य वन्यजीव प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • बारिश के मौसम के बाद और गर्मियों की शुरुआत में हाथियों के बड़े झुंड आमतौर पर देखे जा सकते हैं।
  • “बेतला” नाम बाइसन (Bison), हाथी (Elephant), टाइगर (Tiger), लेपर्ड (Leopard) और अक्सिस डियर (Axis Deer) के नामों के पहले अक्षरों से मिलकर बना है।
  • उद्यान में सुस्त भालू और तेंदुए जैसे शिकारी प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं, वहीं भेड़िए, सियार और लकड़बग्घे भी अच्छी संख्या में मौजूद हैं।
  • गौर और चीतल के विशाल झुंड, रीसस बंदर, लंगूर, भारतीय विशाल गिलहरी, माउस हिरण, सांभर, चार सींग वाला मृग, नीलगाय, काकड़, पैंगोलिन, साही और नेवले जैसे कई स्तनधारी जानवर यहां देखे जा सकते हैं।
  • पहले यहां सफेद बाघ भी पाए जाते थे, जिन्हें बाद में विभिन्न चिड़ियाघरों में स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • उद्यान पक्षियों की भी एक समृद्ध विविधता संजोए हुए है।
  • यहां हॉर्नबिल, मोर, लाल जंगली मुर्गी, काला तीतर, सफेद गर्दन वाला सारस, काला आइबिस, बटेर, हरियल, ड्रोंगो, पपीहा, वन उल्लू और क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल जैसे पक्षी देखे जा सकते हैं।
  • कमलदाह झील पर सीटी बजाने वाली बत्तखें, कॉटन टील, स्निप, गीज़ और नॉब-बिल्ड डक के झुंड आमतौर पर नजर आते हैं।

बेतला नेशनल पार्क के प्रमुख आकर्षण

बेतला नेशनल पार्क के प्रमुख आकर्षण इस प्रकार है:

  • बेतला नेशनल पार्क की जैव विविधता और वन्यजीव इसके प्रमुख आकर्षण हैं। यहां बाइसन, हाथी, बाघ, तेंदुआ और चीतल पाए जाते हैं, जिनके नामों के पहले अक्षरों से ‘बेतला’ नाम बना है।
  • पार्क में सुस्त भालू, गौर, सांभर, चार सींग वाला मृग, नीलगाय, रीसस बंदर, लंगूर, पैंगोलिन, नेवला, भेड़िए, सियार और लकड़बग्घा जैसे प्राणी भी देखे जा सकते हैं।
  • पक्षियों की विविधता भी पार्क का एक बड़ा आकर्षण है। यहां हॉर्नबिल, मोर, तीतर, लाल जंगली मुर्गी, ड्रोंगो, हरियल, पपीहा और चितकबरा हॉर्नबिल जैसे पक्षी पाए जाते हैं।
  • जल पक्षियों में कमलदाह झील पर कॉटन टील, सीटी बजाने वाली बत्तखें, स्निप और गीज़ जैसे पक्षी अक्सर देखे जा सकते हैं।
  • बेतला नेशनल पार्क का प्राकृतिक सौंदर्य भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां साल, बांस और औषधीय पौधों से समृद्ध घने जंगल हैं।
  • उत्तरी कोयल नदी और उसकी सहायक नदियों के कारण बने विस्तृत घास के मैदान, प्राकृतिक झरने और गर्म पानी के स्रोत पार्क की सुंदरता को बढ़ाते हैं।
  • पार्क के अंदर स्थित ऐतिहासिक पलामू किले भी मुख्य आकर्षण हैं। ये किले 16वीं शताब्दी में चेरो राजाओं द्वारा बनाए गए थे।
  • इनमें से एक किला समुद्र तल से लगभग 400 फीट ऊंचाई पर स्थित है और जंगल के भीतर आज भी इसके द्वार और स्थापत्य के अवशेष देखे जा सकते हैं।
  • बेतला नेशनल पार्क का संरक्षण और ऐतिहासिक महत्व भी उल्लेखनीय है। 1932 में विश्व की पहली बाघ गणना यहीं हुई थी।
  • यह पार्क भारत के पहले प्रोजेक्ट टाइगर रिज़र्व में शामिल हुआ और 1986 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।

FAQs 

बेतला राष्ट्रीय उद्यान किस जिले में है?

बेतला राष्ट्रीय उद्यान झारखंड राज्य के लातेहार और पलामू जिलों में स्थित है।

बेतला नाम का क्या अर्थ है?

‘बेतला’ नाम बाइसन, हाथी, बाघ, तेंदुआ और चीतल जैसे प्रमुख जानवरों के नामों से बना है।

बेतला राष्ट्रीय उद्यान क्यों प्रसिद्ध है?

बेतला राष्ट्रीय उद्यान अपनी जैव विविधता, बाघों और हाथियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के घने जंगल, प्राचीन पलामू किले, प्राकृतिक झरने और विभिन्न वन्यजीव प्रजातियाँ इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाती हैं।

बेतला के जंगल में कौन से जानवर हैं?

बेतला के जंगल में चीतल, सांभर, गौर, हाथी, नीलगाय, मंटजैक, जंगली सूअर, सियार, भेड़िया, तेंदुआ, बाघ, लकड़बग्घा, भालू, लंगूर, रीसस बंदर, भारतीय विशाल गिलहरी, चूहा मृग, चार सींग वाले मृग, भारतीय पैंगोलिन, भारतीय साही और नेवला जैसे जानवर पाए जाते हैं।

बेतला किस लिए प्रसिद्ध है?

बेतला राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता के खजाने के रूप में प्रसिद्ध है, जिसमें उष्णकटिबंधीय वन, घास के मैदान और आर्द्रभूमि शामिल हैं। यहां के घने जंगल और वन्यजीव जैसे भारतीय हाथी, बंगाल टाइगर और सुस्त भालू इसे एक अद्भुत स्थल बनाते हैं।

बेतला राष्ट्रीय उद्यान में कौन-कौन से पक्षी देखे जा सकते हैं?

बेतला राष्ट्रीय उद्यान में हॉर्नबिल, मोर, तीतर, लाल जंगली मुर्गी, ड्रोंगो, सारस, बत्तखें, गीज़ और अन्य पक्षी प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं।

संबंधित आर्टिकल

उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको बेल्टा राष्ट्रीय उद्यान (Betla Rashtriya Udyan) की जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही UPSC से जुड़े ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*