Lal Bahadur Shastri Poems in Hindi: लाल बहादुर शास्त्री पर कविताएं पढ़कर आप उनके जीवन, सादगी, कर्त्तव्यनिष्ठा और देशभक्ति के बारे में आसानी से जान पाएंगे। यह कहना अनुचित नहीं होगा कि उनका जीवन और उनके विचार आज भी हर भारतीय को प्रेरित करते हैं, साथ ही उन पर लिखी कविताएं समाज का मार्गदर्शन करती हैं। समय-समय पर ऐसे कई कवि/कवियित्री हुई हैं, जिन्होंने समय-समय पर शास्त्री जी के जीवन पर अनुपम काव्य कृतियों का सृजन किया है। इस लेख में आपके लिए लाल बहादुर शास्त्री पर कविताएं (Lal Bahadur Shastri Poems in Hindi) दी गई हैं, जो आपका मार्गदर्शन करने का काम करेंगी। लाल बहादुर शास्त्री पर कविताएं सही मायनों में जोश, सादगी और बलिदान की गाथा गाने के साथ-साथ, उनके महान व्यक्तित्व और उनके योगदान को दर्शाती हैं।
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लाल बहादुर शास्त्री के बारे में
श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाउन, मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। उनकी माँ अपने तीनों बच्चों के साथ अपने पिता के घर जाकर बस गईं। उस छोटे-से शहर में लाल बहादुर की स्कूली शिक्षा कुछ खास नहीं रही लेकिन पढ़ने की ललक और शास्त्री जी के परिवार की सादगी ने गरीबी की मार पड़ने के बावजूद भी उनका बचपन खुशहाली के साथ बीता।
उन्हें वाराणसी में चाचा के साथ रहने के लिए भेज दिया गया था ताकि वे उच्च विद्यालय की शिक्षा प्राप्त कर सकें। घर पर सब उन्हें नन्हे के नाम से पुकारते थे। वे कई मील की दूरी नंगे पांव से ही तय कर विद्यालय जाते थे, संघर्षों के इसी महान दौर ने शास्त्री जी को मजबूत बनाया।
गांधी जी ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए अपने देशवासियों से आह्वान किया था, इस समय लाल बहादुर शास्त्री केवल सोलह वर्ष के थे। उन्होंने महात्मा गांधी के इस आह्वान पर अपनी पढ़ाई छोड़ देने का निर्णय कर लिया था। उनके इस निर्णय ने उनकी मां की उम्मीदें तोड़ दीं।
लाल बहादुर शास्त्री ब्रिटिश शासन की अवज्ञा में स्थापित राष्ट्रीय संस्थानों में से एक वाराणसी के काशी विद्या पीठ में शामिल हुए। यहाँ वे महान विद्वानों एवं देश के राष्ट्रवादियों के प्रभाव में आए। विद्या पीठ द्वारा उन्हें प्रदत्त स्नातक की डिग्री का नाम ‘शास्त्री’ था लेकिन लोगों के दिमाग में यह उनके नाम के एक भाग के रूप में बस गया।
पंडित नेहरु की मृत्यु हो जाने के कारण 9 जून 1964 में शास्त्री जी को प्रधानमंत्री पद पर मनोनित किया गया। शास्त्री जी देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने, जिनके शासनकाल में भारत-पाकिस्तान का युद्ध भी हुआ, और इस युद्ध में नेतृत्व की निर्णायक स्तिथि में रहकर भारत ने जीत हासिल की। ताशकंद में रहस्मई ढंग से 11 जनवरी 1966 को शास्त्री जी का निधन हुआ।
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लाल बहादुर शास्त्री पर कविताएं – Lal Bahadur Shastri Poems in Hindi
लाल बहादुर शास्त्री पर कविताएं (Lal Bahadur Shastri Poems in Hindi) कुछ इस प्रकार हैं, जो आपका मार्गदर्शन करने का काम करेंगी –
भारत-माँ के लाल बहादुर
भारत-माँ के लाल बहादुर
शास्त्री जी तुम कहलाए।
सीधे-सादे छोटे-से थे
काम बड़े कर दिखलाए।
शांति तुम्हें प्यारी थी लेकिन
उससे भी प्यारा थी देश
युद्ध छिड़ा तो दिया तुम्ही ने
बढ़ते जाने का आदेश।
तुम ने जय बोली जवान की
जय किसान की भी बोले।
अच्छी पैदावार न हो तो
काम न कर सकती गोली।
-बालस्वरूप राही
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लाल बहादुर शास्त्री
जय जवान और जय किसान का,
दिया देश को नारा।
स्वाभिमान और सदाचार से,
ऊँचा शीश हमारा।।
कभी नहीं भोगा सुविधा को,
रहा फकीरी चोला।
थे वामन अवतार, दिखाता
मुखड़ा भोला-भाला।।
खुद प्रधानमंत्री रह कर के,
भवन नहीं ले पाये।
कालिख के घर में रहकर भी,
दाग नहीं लग पाये।।
भ्रष्टाचार तनिक भी उनके,
मन को डिगा न पाया।
शिष्टाचार, कर्तव्य, सादगी,
जीवन भर अपनाया।।
जन्म हुआ 2 अक्टूबर को,
थे कलियुग के राम।
लाल बहादुर शास्त्री तुमको,
शत शत करें प्रणाम।।
-डॉ. कैलाश गुप्ता
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लाल बहादुर शास्त्री
हाय गजब कैसी करी ये दुश्मन नें चाल।
ताशकन्द में उठ गया भारत माँ कौ लाल॥
भारत माँ कौ लाल वात मित्रन ने कीनी।
घर में लियौ बुलाय, धौंस बहुतेरी दीना॥
जबरन सन्धि कराया कै, दस्तखत लिये कराय।
हाय हमारौ शास्त्री, मुख न दिखायौ आय॥
-नाथ कवि
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दिलों के विजेता
लाल भी थे, बहादूर भी थे।
देशप्रेम, सेवा में चूर भी थे।
बचपन गुजारी गरीबी में।
पर अशिक्षा ना आई करीबी में।
बचपन के नन्हें बने प्रधान।
कहा जय जवान,जय किसान।
हंसोड़, मजाकिया, विनोदी थे।
मातृभूमि की चमकाये गोदी थे।
शांत मुखड़ा और टोपी गांधी।
गुजरे उसी दिन जिस दिन गांधी।
अपने नाम को किया सार्थक।
अपने पद को किया सार्थक।
उबारा देश को जब था भीषण अकाल।
स्थिति थी देश की अत्यंत विकराल।
जरूरत है फिर ऐसे नेता की।
कर्मठ और दिलों के विजेता की।
-चेतना सिंह
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व्यक्तित्व था उनका बड़ा महान
कद में चाहे छोटे थे,
व्यक्तिव था उनका बड़ा महान।
साहस, सच्चाई रग-रग में,
शास्त्री जी थे आन-बान-शान।
सादा जीवन उच्च विचार,
यही थी उनकी पहचान।
उनकी देश भक्ति और निष्ठा,
पर पूरे देश को है अभिमान।
जीवन के सूखे मरुथल में,
नित झेले झंझावात कई।
जितने भी बाधा, कंटक आये,
उनसे वे पाये शक्ति नई।
1965 की कठिन लड़ाई में,
निर्भयता से हुंकार लगाई थी।
पाक सेना को ललकार,
बड़ी विजय पाई थी।
जवानों और किसानों का सम्मान कर,
नारा दिया जय जवान जय किसान।
कद में चाहे छोटे थे,
व्यक्तित्व था उनका बड़ा महान।
-गायत्री पांडेय
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पहचान
कद छोटा और ज्ञान बड़ा,
मान बड़ा, सम्मान बड़ा।
सहज सरल व्यवहार था,
जरा नहीं अभिमान था।
देश के दो खंभों का,
किया सही पहचान था।
जय जवान, जय किसान,
का नारा जितना प्यारा था।
देख के अब नजारा ऐसा,
दिल उनका रोता होगा।
खतरे में हैं दोनों नायक,
सीमा पर कोई सड़कों पर।
नहीं हुआ कोई दूसरा उन सा,
नरम दिल, भोला भाला सा।
सादा जीवन उच्च विचार,
का आदर्श हमें सीखाया था।
मोह नहीं किसी माया से,
चर्चित होने का चाह न था।
स्वयं से पहले देश को देखा,
त्याग का पाठ पढ़ाया था।
-सरिता कुमार
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ऐसे थे हमारे शास्त्री जी
सीमा पर तैनात सैनिक हैं,
जिसने किया उनका वंदन है।
वह महापुरुष शास्त्री जी हैं,
जिनका हम करते अभिनंदन हैं।
जय किसान का नारा दिया था,
अन्नदाता का सम्मान किया था।
देश की ज्वलंत समस्याओं का,
चुटकियों में निराकरण किया था।
सत्यता, निष्ठा और दृढ़ता वाले,
उज्ज्वल चरित्र के वे स्वामी थे।
सादा जीवन और उच्च विचार थे,
द्वितीय प्रधानमंत्री बड़े महान थे।
ताशकंद में समझौता करने गए थे,
मौत का साया मंडराया था।
विमान में लौटा था पार्थिव शरीर,
पूरा देश शोकसागर में डूबा था।
जीवन बड़ा ही अल्पकाल था,
मातृभूमि के काम आए थे।
लोगों के हृदयों में शास्त्री जी,
सदा के लिए समा गए थे।
-अर्चना वालिया
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वतन का लाल
शास्त्री जी को नित सदा,
आओ हम शीश नवाएं।
भारत मां के राजदुलारे,
पर श्रद्धा के फूल चढाएं।।
पिता शारदा मात दुलारी,
आंगन वो था मुगलसराय।
थे परिवार में सबसे छोटे,
नन्हें कहके उनको बुलाय।।
पैसठ वाली जंग में उनने,
पाक हिन्द से हारा दिया।
जय जवान जय किसान,
का नारा दे सम्मान दिया।।
अनाज संकट हुआ देश में,
उनने बागड़ोर थामी थी।
एक वक्त उपवास रहे सब,
कोई कमी नहीं आनी थी।।
वतन वैरी को धूल चटा,
कर कर दिया था कमाल।
रहस्यमय समझौते में वो,
सो गया वतन का लाल।।
-जितेंद्र देवतवाल
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