Kashinath Singh Biography in Hindi: कालजयी लेखक और ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित प्रो. काशीनाथ सिंह हिंदी कथा- साहित्य में एक बहुचर्चित नाम है। वहीं साठोत्तरी कहानी में अगर काशीनाथ सिंह का जिक्र न हो तो यह अधूरा सा लगता है। बता दें कि काशीनाथ सिंह ने कई दशकों तक साहित्य जगत में केवल गद्य विधाओं में रचनाएँ की। जिनमें उनके उपन्यास ‘काशी का अस्सी’, ‘रेहन पर रग्घू’ (उपन्यास) व ‘सदी का सबसे बड़ा आदमी’, ‘जंगल जातकम्’ (कहानी) को कालजयी रचना का दर्जा मिला है।
बता दें कि प्रतिष्ठित लेखक काशीनाथ सिंह की अनेक रचनाओं को स्कूल के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।
इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी काशीनाथ सिंह का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम हिंदी के शीर्ष कथाकार काशीनाथ सिंह का जीवन परिचय (Kashinath Singh Biography in Hindi) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | काशीनाथ सिंह (Kashinath Singh) |
जन्म | 01 जनवरी, 1937 |
जन्म स्थान | जीयनपुर गाँव, बनारस, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | श्री नागर सिंह |
माता का नाम | श्रीमती बागेश्वरी देवी |
शिक्षा | एम.ए. हिंदी, पीएच.डी. |
पेशा | प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष, लेखक |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | उपन्यास, कहानी, नाटक, आलोचना, संस्मरण, शोध प्रबंध आदि। |
उपन्यास | ‘काशी का अस्सी’, ‘रेहन पर रग्घू’, ‘महुआचरित’ आदि। |
कहानी-संग्रह | ‘लोग बिस्तरों पर’, ‘सुबह का डर’, ‘आदमीनामा’, ‘नई तारीख’, ‘सदी का सबसे बड़ा आदमी’ आदि। |
नाटक | ‘घोआस’ |
संस्मरण | ‘याद हो कि न याद हो’, ‘आछे दिन पाछे गए’ आदि। |
आलोचना | ‘आलोचना भी रचना है’ |
साक्षात्कार | ‘गपोड़ी से गपशप’ |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘भारत भारती पुरस्कार’, ‘कैफ़ी आज़मी अवार्ड’, ‘कथा सम्मान’ आदि पुरस्कारों से सम्मानित। |
This Blog Includes:
बनारस में हुआ जन्म
हिंदी कथा साहित्य के प्रतिष्ठित साहित्यकार काशीनाथ सिंह का जन्म 01 जनवरी 1937 को उत्तर प्रदेश के बनारस जिले में जीयनपुर नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘श्री नागर सिंह’ था जो कि पेशे से गांव के एक स्कूल में मास्टर थे। माता ‘श्रीमती बागेश्वरी देवी’ एक गृहणी थीं। काशीनाथ तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके बड़े भाई हिंदी के प्रख्यात आलोचक ‘प्रो. नामवर सिंह’ थे जो किसी परिचय के मुहताज नहीं है। वहीं मझले भाई का नाम ‘राम सिंह’ है।
पीएचडी की डिग्री हासिल की
काशीनाथ सिंह की शुरूआती शिक्षा गांव के ही प्राइमरी स्कूल में हुई। उनका पढ़ाई से ज्यादा खेल-कूद में अधिक मन लगता था। किंतु मास्टर पिता और बड़े भाइयों को गंभीरता से अध्ययन करता देख उन्होंने भी अपने जीवन का रुख अध्ययन और लेखन कार्य की ओर मोड़ा। इंटरमीडिएट और बी.ए की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ से वर्ष 1959 में एम.ए हिंदी और वर्ष 1963 में अपना शोध कार्य पूरा करने के बाद पीएचडी की डिग्री हासिल की।
जीविका के लिए अध्यापन और जीवन के लिए चुना कथा संसार
पीएचडी की उपाधि प्राप्त होने के ठीक एक वर्ष बाद उन्हें ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ के हिंदी-विभाग में अस्थायी पद पर नौकरी मिल गई। इसके बाद उनकी वर्ष 1965 में स्थायी रूप से प्रध्यापक के रूप में नियुक्ति हो गई। किंतु अध्यापन कार्य के साथ साथ उनका लेखन कार्य भी जारी रहा। जहाँ उन्होंने कई अनुपम कृतियों का सृजन किया जिसमें उनकी कृति ‘काशी का अस्सी’ हिंदी की विख्यात कृतियों में अग्रणी मानी जाती हैं।
वर्ष 1996 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत होने के बाद वह पूर्ण रूप से लेखन कार्य में जुट गए।
वैवाहिक जीवन
एम.ए के बाद शोध कार्य करने के दौरान ही काशीनाथ सिंह का 23 मई 1962 को ‘सुश्री कुसुम सिंह’ से हुआ। विवाह के समय कुसुम सिंह बी.ए पास थी। जिसके बाद उन्होंने एम.ए की पढ़ाई की और रीडर हुईं। अपने दांपत्य जीवन में उन्होंने पांच संतानों को जन्म दिया जिनके नाम इस प्रकार हैं, सिद्धार्थ सिंह, पुरषार्थ सिंह (बेटे) व रचना, नीना और गुड्डी।
काशीनाथ सिंह की साहित्यिक रचनाएँ
काशीनाथ सिंह (Kashinath Singh Biography in Hindi) ने हिंदी गद्य साहित्य की कई विधाओं में साहित्य का सृजन किया जिनमे मुख्य रूप से उपन्यास, कहानी, संस्मरण, आलोचना और नाटक विधाएँ शामिल हैं। यहाँ काशीनाथ सिंह की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं (Kashinath Singh Books) के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
कहानी-संग्रह
कहानी-संग्रह | प्रकाशन |
लोग बिस्तरों पर | सन 1968 |
सुबह का डर | सन 1975 |
आदमीनामा | सन 1978 |
नई तारीख | सन 1979 |
कल की फटेहाल कहानियाँ | सन 1980 |
प्रतिनिधि कहानियाँ | सन 1984 |
सदी का सबसे बड़ा आदमी | सन 1986 |
दस प्रतिनिधि कहानियाँ | सन 1994 |
कहानी उपख्यान | सन 2003 |
संकलित कहानियाँ | सन 2008 |
उपन्यास
उपन्यास | प्रकाशन |
अपना मोर्चा | सन 1972 |
काशी का अस्सी | सन 2002 |
रेहन पर रग्घू | सन 2008 |
महुआचरित | सन 2012 |
उपसंहार | सन 2014 |
संस्मरण
संस्मरण | प्रकाशन |
याद हो कि न याद हो | सन 1992 |
आछे दिन पाछे गए | सन 2004 |
घर का जोगी जोगड़ा | सन 2007 |
नाटक
नाटक | प्रकाशन |
घोआस | सन 1982 |
शोध-समीक्षा
शोध-समीक्षा | प्रकाशन |
हिंदी में संयुक्त क्रियाएँ | सन 1976 |
आलोचना भी रचना है | सन 1996 |
आलोचना
आलोचना | प्रकाशन |
लेखक की छेड़छाड़ | सन 2013 |
साक्षात्कार
साक्षात्कार | प्रकाशन |
गपोड़ी से गपशप | सन 2013 |
संपादन
- परिवेश
- काशी के नाम
पुरस्कार एवं सम्मान
काशीनाथ सिंह (Kashinath Singh Biography in Hindi) को आधुनिक हिंदी कथा-साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
- समुच्चय सम्मान
- भारत भारती पुरस्कार
- शरद जोशी सम्मान
- कैफ़ी आज़मी अवार्ड
- कथा सम्मान
- साहित्य भूषण सम्मान
- रचना समग्र पुरस्कार’
पढ़िए हिंदी साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ हिंदी के शीर्ष कथाकार काशीनाथ सिंह का जीवन परिचय (Kashinath Singh Biography in Hindi) के साथ ही हिंदी साहित्य के अन्य साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
काशीनाथ सिंह का जन्म 01 जनवरी 1937 को उत्तर प्रदेश के बनारस जिले में जीयनपुर नामक गाँव में हुआ था।
यह हिंदी कथा साहित्य के विख्यात रचनाकार काशीनाथ सिंह का बहुचर्चित उपन्यास है।
बता दें कि ‘रेहन पर रग्घू’ उपन्यास के लिए काशीनाथ सिंह को ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
‘घोआस’ काशीनाथ सिंह का नाटक है, जिसका प्रकाशन वर्ष 1982 में हुआ था।
बता दें कि काशीनाथ सिंह ने ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ में अध्यापन कार्य किया था।
आशा है कि आपको हिंदी के शीर्ष कथाकार काशीनाथ सिंह का जीवन परिचय (Kashinath Singh Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।