Why are Resources Distributed Unequally Over the Earth in Hindi: पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से क्यों वितरित है? 

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Why are Resources Distributed Unequally Over the Earth in Hindi

पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से क्यों वितरित है?: क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ देशों के पास तेल के भंडार हैं, तो कुछ देशों में सोना पाया जाता है और कहीं ज़मीन बहुत उपजाऊ होती है? पूरी पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से क्यों वितरित है? यह सवाल जितना सामान्य लगता है, इसका उत्तर उतना ही जटिल और रोचक है। प्राकृतिक संसाधन वे वस्तुएँ हैं जो हमें प्रकृति से प्राप्त होती हैं, जैसे, जल, मिट्टी, खनिज, वन, कोयला, पेट्रोलियम आदि। इस ब्लॉग में पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से क्यों वितरित है? (Why are Resources Distributed Unequally Over the Earth in Hindi) इस विषय पर जानकारी दी गई है। इस बारे में अधिक जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

संसाधन क्या है?

पृथ्वी पर संसाधनों के असमान वितरण (Why are Resources Distributed Unequally Over the Earth in Hindi) के बारे में जानने से पहले यह समझना आवश्यक है कि संसाधन क्या होते हैं। प्राकृतिक संसाधन वे चीज़ें हैं जो हमें सीधे प्रकृति से प्राप्त होती हैं और हमारे जीवन में अत्यंत उपयोगी होती हैं। ये सभी संसाधन मानव जीवन, कृषि, उद्योग, परिवहन और ऊर्जा उत्पादन जैसी गतिविधियों के लिए बेहद जरूरी होते हैं। भूमि, जल, खनिज, वन, पर्वत, जीव-जंतु, सूर्य की ऊर्जा, कोयला, पेट्रोलियम आदि संसाधनों के उदाहरण हैं।

प्राकृतिक संसाधन दो प्रकार के होते हैं, पहला नवीकरणीय संसाधन वे संसाधन हैं जो समय के साथ पुनः उत्पन्न हो सकते हैं या कभी खत्म नहीं होते। उदाहरण के लिए हवा, जल, सूर्य की ऊर्जा, वनस्पति, पशु आदि। दूसरे अ-नवीकरणीय संसाधन वे संसाधन हैं जो सीमित मात्रा में होते हैं और एक बार उपयोग हो जाने के बाद दोबारा जल्दी से नहीं बनते। उदाहरण के लिए कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, खनिज आदि। इन संसाधनों की उपलब्धता और प्रकार हर स्थान पर अलग-अलग होते हैं।

पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से क्यों वितरित है? 

आइए अब इस सवाल का अर्थ जानते हैं कि पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से क्यों वितरित है? (Why are Resources Distributed Unequally Over the Earth in Hindi) पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से वितरित होने के कई कारण है जो निम्न प्रकार से है: 

भौगोलिक स्थिति

पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से वितरित होने का प्रथम कारण है उनकी भौगोलिक स्थिति में अंतर होना। किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति उस स्थान पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों के वितरण में अहम भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिए उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में स्थित देशों में तेल, गैस और खनिज जैसे संसाधन दूसरे संसाधनों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। यह भी देखा गया है कि ध्रुवीय क्षेत्रों में ये संसाधन सीमित होते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की जलवायु वनस्पतियों के विकास के लिए अनुकूल होती है। जलवायु वनस्पतियों के विकास के लिए अनुकूल होने के कारण वहाँ वन्यजीवों की संख्या भी अधिक होती है। यही जैव विविधता प्राकृतिक संसाधनों की अधिकता का एक बड़ा कारण बनती है।

जलवायु और मौसम पैटर्न

जलवायु और मौसम पैटर्न में अंतर होना भी पृथ्वी पर उपलब्ध संसाधनों के असामान्य वितरण का कारण माना जाता है। जलवायु और मौसम के पैटर्न भी संसाधनों के वितरण को प्रभावित करते हैं। वे देश जहाँ वर्षा संतुलित होती है, धूप पर्याप्त मिलती है और तापमान सामान्य रहता है, वहाँ प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता अधिक पाई जाती है। इसके विपरीत, जिन क्षेत्रों में लगातार सूखा, बाढ़ या तूफ़ान जैसी चरम मौसम स्थितियाँ होती हैं, वहाँ संसाधनों की मात्रा सीमित होती है। इसका कारण यह है कि अनुकूल मौसम वनस्पति की बेहतर वृद्धि को बढ़ावा देता है, जिससे पशु जीवन भी फलता-फूलता है और अंततः अधिक संसाधनों की खोज संभव होती है।

ह्यूमन फैक्टर्स

मानवीय गतिविधियां भी पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से उपलब्ध होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मानवीय गतिविधियां एक प्रमुख कारण है कि जनसंख्या घनत्व, तकनीकी प्रगति और आर्थिक स्थिरता जैसे पहलू यह तय करते हैं कि किसी देश में संसाधनों का कितना उपयोग और विकास हो पाएगा। एक उदाहरण से समझें तो अधिक जनसंख्या वाले देशों में संसाधनों की खोज और उनका उपयोग अधिक होता है, क्योंकि वहाँ कार्यबल और खोज की संभावनाएँ अधिक होती हैं। यह भी एक तथ्य है कि तकनीकी रूप से उन्नत देश संसाधनों को ज्यादा कुशलता से खोजने, निकालने और उपयोग में लाने में सक्षम होते हैं। पूरी दुनिया में जिन देशों की अर्थव्यवस्था मजबूत और स्थिर होती है, वे संसाधनों के खोज व दोहन पर अधिक निवेश कर सकते हैं, जिससे उनकी उपलब्धता भी अधिक होती है। यही कारण है कि भारत जैसे देश में इन संसाधनों के मिलने की संभावना बहुत अधिक है लेकिन अमेरिका और चीन जैसे देशों की तुलना में कम निवेश करने के कारण हम इन्हें प्राप्त नहीं कर पाते हैं ये इनका पता नहीं लगा पाते हैं।  

ऐतिहासिक और राजनीतिक कारक

ऐतिहासिक और राजनीतिक कारक भी पृथ्वी पर उपलब्ध आसमान संसाधनों के वितरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे देश जो अतीत में उपनिवेश बनाए गए थे, आज भी संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं, क्योंकि उपनिवेशवादियों ने इन क्षेत्रों के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन केवल अपने हितों के लिए किया था। जिन देशों में राजनीतिक अस्थिरता है, वहाँ संसाधनों की खोज और विकास में निवेश नहीं हो पाता, जिससे उनकी उपलब्धता प्रभावित होती है। अफ्रीका इसका प्रमुख उदाहरण है जहां कई देशों में ये संसाधन बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं लेकिन वहां देशों के राजनीतिक अस्थिरता जैसे कारणों की वजह से इन संसाधनों को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। 

संसाधनों के असमान वितरण के उदाहरण

जैसा कि आपको पता है पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधन हर जगह समान रूप से उपलब्ध नहीं हैं। आपने संसाधनों के असमान वितरण के बारे में तो समझ लिया है आइए अब पृथ्वी पर इनके वितरण के उदाहरण भी समझते हैं: 

मिडिल ईस्ट में उपलब्ध तेल का भंडार

मिडिल ईस्ट में और विशेष रूप से सऊदी अरब, इराक, कुवैत और ईरान जैसे देशों में तेल और प्राकृतिक गैस की बहुत अधिक मात्रा पाई जाती है। यह क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। इसकी वजह है वहाँ की भूगर्भीय संरचना और लाखों वर्षों में बनी चट्टानों में जमा हुआ कार्बन-आधारित पदार्थ। 

अमेज़न बेसिन में घने वन

अमेज़न बेसिन जो दक्षिण अमेरिका में स्थित है, पृथ्वी के सबसे बड़े वर्षावनों में से एक है। यहाँ जलवायु नम और गर्म है, जो वनस्पति के विकास के लिए आदर्श है। यही कारण है कि यहाँ जैव विविधता और लकड़ी जैसे प्राकृतिक संसाधन बहुत अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं। दूसरी ओर, शुष्क या रेगिस्तानी इलाकों में वनस्पति और वन संसाधनों की भारी कमी होती है।

भारत और चीन में कोयले की प्रचुरता

जब हम दुनिया भर के संसाधनों की बात करते हैं तो भारत को कैसे भूल सकते हैं। भारत और चीन जैसे देश कोयले के विशाल भंडारों से समृद्ध हैं। ये देश अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा कोयले से पूरा करते हैं। यह संसाधन वहाँ की भूगर्भीय परिस्थितियों के कारण लाखों वर्षों में विकसित हुआ है। 

अफ्रीका में जल संकट बनाम अमेज़न में जल की भरमार

अफ्रीका के कई हिस्सों में गंभीर जल संकट है, विशेषकर सहारा जैसे शुष्क क्षेत्रों में। वहाँ जल स्रोतों की कमी के कारण खेती, पशुपालन और जीवनयापन में समस्याएँ आती हैं। इसके बिलकुल विपरीत अमेज़न क्षेत्र में नदियों, झीलों और वर्षा की भरमार है, जिससे वहाँ पानी की कोई कमी नहीं है।

FAQs

संसाधनों को पृथ्वी पर असमान रूप से वितरित क्यों किया जाता है?

उत्तर: दुनिया भर में संसाधन असमान रूप से वितरित हैं क्योंकि दुनिया भर में विभिन्न भौतिक कारक व्यापक रूप से भिन्न होते हैं। प्राकृतिक संसाधनों का वितरण विभिन्न भौतिक कारकों जैसे ऊँचाई, जलवायु और भूभाग पर निर्भर करता है।

पृथ्वी के संसाधनों के असमान वितरण का क्या कारण है?

दुनिया भर में संसाधन अलग-अलग तरीकों से और अलग-अलग मात्रा में वितरित किए जाते हैं। अक्सर ज्वालामुखी गतिविधि या टेक्टोनिक आंदोलन जैसी पिछली भूगर्भीय प्रक्रियाओं का परिणाम, इस असमान वितरण का मतलब है कि कुछ संसाधनों की विभिन्न मात्राएँ केवल कुछ लोगों के लिए ही उपलब्ध हैं।

मानव संसाधन पृथ्वी पर समान रूप से वितरित क्यों नहीं हैं?

मानव संसाधन पूरी दुनिया में समान रूप से वितरित नहीं है क्योंकि ऐसा नहीं है कि हर जगह एक आदर्श जलवायु, रोजगार के अवसर, बुनियादी ज़रूरतें और भाईचारा हो। बहुत से लोग अपनी ज़रूरतों और इच्छाओं के कारण ही अपने मूल स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाते हैं।

भारत में संसाधनों का असमान वितरण क्यों है?

जलवायु जल, उपजाऊ मिट्टी और वनस्पति जैसे संसाधनों के वितरण को प्रभावित करती है। मानवीय गतिविधियाँ: वनों की कटाई, खनन और कृषि जैसे मानवीय हस्तक्षेप संसाधनों के वितरण को बदल सकते हैं।

असमान वितरण का क्या अर्थ है?

संसाधनों के असमान वितरण से तात्पर्य विभिन्न क्षेत्रों, आबादी और सामाजिक समूहों में परिसंपत्तियों, धन और अवसरों के असमान आवंटन से है।

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उम्मीद है यह ब्लॉग पढ़ने के बाद आपको पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से क्यों वितरित है? (Why are Resources Distributed Unequally Over the Earth in Hindi) के बारे में पता चला होगा। GK से संबंधित अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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