Indian War History In Hindi: भारत का एक गौरवशाली इतिहास रहा है इसके साथ ही भारत अनेक युद्धों का गवाह भी रहा है। भारत के इतिहास में बहुत से ऐतिहासिक युद्ध दर्ज है। भारत का युद्ध इतिहास वीरता और रणनीति का समृद्ध ताना-बाना है जो सदियों तक फैला हुआ है। महाभारत और मौर्य साम्राज्य की विजय जैसी प्राचीन लड़ाइयों से लेकर मुगलों, राजपूतों और मराठों से जुड़े मध्ययुगीन संघर्षों तक भारत ने उल्लेखनीय सैन्य कारनामों को देखा है। औपनिवेशिक युग में ब्रिटिश शासन के खिलाफ भयंकर प्रतिरोध देखा गया, जिसकी परिणति 1947 में स्वतंत्रता के रूप में हुई। स्वतंत्रता के बाद भारत ने पड़ोसी देशों के साथ युद्धों का सामना किया था जिसमें उसने साहस और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया। इस ब्लॉग में Indian War History In Hindi के सभी ऐतिहासिक युद्धों के बारे में बताया जा रहा है।
युद्ध का नाम | वर्ष | मुख्य पक्ष/दलों के बीच युद्ध |
कलिंग युद्ध | 261 ईसा पूर्व | मौर्य साम्राज्य बनाम कलिंग |
प्रथम तराइन का युद्ध | 1192 ईस्वी | पृथ्वीराज चौहान बनाम मोहम्मद गोरी |
पानीपत का प्रथम युद्ध | 1526 ईस्वी | बाबर बनाम इब्राहिम लोदी |
पानीपत का द्वितीय युद्ध | 1556 ईस्वी | अकबर बनाम हेमू |
पानीपत का तृतीय युद्ध | 1761 ईस्वी | मराठा बनाम अहमद शाह अब्दाली |
प्लासी का युद्ध | 1757 ईस्वी | ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी बनाम सिराजुद्दौला |
बक्सर का युद्ध | 1764 ईस्वी | ब्रिटिश बनाम बंगाल, अवध और मुगल |
1857 का स्वतंत्रता संग्राम | 1857 ईस्वी | भारतीय सिपाही बनाम ब्रिटिश |
भारत-पाक युद्ध (प्रथम) | 1947-1948 | भारत बनाम पाकिस्तान |
भारत-चीन युद्ध | 1962 ईस्वी | भारत बनाम चीन |
भारत-पाक युद्ध (द्वितीय) | 1965 ईस्वी | भारत बनाम पाकिस्तान |
भारत-पाक युद्ध (तृतीय) | 1971 ईस्वी | भारत बनाम पाकिस्तान |
कारगिल युद्ध | 1999 ईस्वी | भारत बनाम पाकिस्तान |
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कलिंग का युद्ध (261-262 ईसा पूर्व)
Indian War History In Hindi में सबसे पहला युद्ध है कलिंग का युद्ध यह भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण युद्ध था, जो मौर्य सम्राट अशोक और कलिंग राज्य के बीच हुआ था। यह युद्ध कलिंग (वर्तमान उड़ीसा) के राजा राजा अनंतवर्मन के खिलाफ लड़ा गया था। इस युद्ध में अशोक की सेना ने कलिंग के खिलाफ हमला किया और अपनी जीत दर्ज की। लेकिन अशोक ने युद्ध के बाद, बौद्ध धर्म अपना लिया और आजीवन शांति और धर्म का प्रचार करने में अपना जीवन व्यतीत किया।
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तराइन का युद्ध (1192 ईसा पूर्व)
इस युद्ध में मुहम्मद ग़ोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराया और ‘दिल्ली सल्तनत’ का आरंभ किया। तराइन का युद्ध भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण संघर्षों में से एक था। मुहम्मद ग़ोरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच यह ऐतिहासिक युद्ध हुआ था। जिसके अंत में मुहम्मद गोरी की जीत हुई और मुगल साम्राज्य की नींव रखी गई।
पानीपत का प्रथम युद्ध (1526)
बाबर और इब्राहीम लोदी के बीच लड़ी गई इस लड़ाई में बाबर ने विजय प्राप्त की और मुगल साम्राज्य की नींव रखी। यह युद्ध 21 अप्रैल 1526 को पानीपत, हरियाणा में लड़ा गया था। बाबर ने अपनी विशाल फौज और बंदूकों व तोपों की मदद से इब्राहीम लोदी की फौज को हराया। इस युद्ध ने बाबर को भारत में कब्ज़ा करने का अवसर प्रदान किया और मुगल साम्राज्य की नींव रखी।
पानीपत का द्वितीय युद्ध (1556)
अकबर और सम्राट हेम चंद्र विक्रमादित्य के बीच यह युद्ध हुआ था, जिसमें अकबर ने जीत हासिल की और मुगल साम्राज्य को मजबूती से आगे बढ़ाया। पानीपत का द्वितीय युद्ध भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण संघर्ष था, जिसमें मुगल ‘बादशाह अकबर’ और ‘सम्राट हेम चंद्र विक्रमादित्य’, बिहार के राजा, के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध 5 नवंबर 1556 को पानीपत, हरियाणा में लड़ा गया था। इस युद्ध में अकबर ने अपनी विशाल फौज और तोपों की मदद से, सम्राट हेम चंद्र की फौज को हराया था। इस युद्ध से अकबर को भारत में मुगल साम्राज्य को मजबूती से स्थापित करने का अवसर मिला।
पानीपत का तीसरा युद्ध- 1761 ई.
14 जनवरी, 1761 को लड़ी गई पानीपत की तीसरी लड़ाई भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह हरियाणा के पानीपत के पास मराठा साम्राज्य और अहमद शाह अब्दाली के नेतृत्व वाले दुर्रानी साम्राज्य के बीच हुई थी। यह लड़ाई 18वीं सदी में लड़ी गई सबसे बड़ी और सबसे खूनी लड़ाइयों में से एक थी, जिसमें 100,000 से ज़्यादा सैनिक शामिल थे। अपनी बहादुरी के बावजूद, मराठों को अब्दाली की बेहतर रणनीति और रोहिल्ला और अवध के नवाब जैसी भारतीय शक्तियों के साथ गठबंधन के कारण विनाशकारी हार का सामना करना पड़ा। इस लड़ाई ने मराठा शक्ति के पतन को चिह्नित किया और एक राजनीतिक शून्य पैदा किया जिसे बाद में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भरा।
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प्लासी का प्रथम युद्ध (1757)
यह युद्ध ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और सिराज-उद-दौला के बीच हुआ था, जिसमें ब्रिटिश हुकूमत ने जीत हासिल की और बंगाल को अपने अधिकार में ले लिया। प्लासी की लड़ाई भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब सिराज-उद-दौला के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध 23 जून 1757 को प्लासी, बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) में लड़ा गया था। ब्रिटिश कंपनी की सेना, जिनके प्रमुख थे रॉबर्ट क्लाइव, ने दावा किया कि वे व्यापार के लिए यहाँ आए थे, लेकिन उनका वास्तविक उद्देश्य बंगाल को कंपनी के अधीन करना था। सिराज-उद-दौला की हार के बाद, ब्रिटिश कंपनी ने बंगाल को अपने अधिकार में ले लिया जिसके कारण भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव स्थापित हो गई।
प्लासी का द्वितीय युद्ध (1764)
यह युद्ध ब्रिटिश हुकूमत और मीर कासिम (जो वर्ष 1763 तक बंगाल का नवाब रहा था) के बीच हुआ था, जिसमें ब्रिटिश ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ जीत हासिल की और उपयुक्त कैलकट्टा से किंगडम ऑफ बंगाल की शुरुआत की। प्लासी की लड़ाई भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण घटनाक्रम था, जिसमें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और नवाब शुजाउद्दौला के बीच लड़ाई हुई थी। यह युद्ध 23 जून 1764 को भारत के प्लासी, वर्धा जिले में लड़ा गया था।
ब्रिटिश कंपनी की सेना, जिसके प्रमुख थे रॉबर्ट क्लाइव, ने शुजाउद्दौला की बड़ी सेना को हराया। इस युद्ध के परिणामस्वरूप, कंपनी ने बंगाल, बिहार, और उड़ीसा के प्रशासन का नियंत्रण प्राप्त किया और इससे भारतीय साम्राज्य ब्रिटिश हुकूमत के अधीन आ गया, जिससे भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का आगमन हो गया।
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1857 का स्वतंत्रता संग्राम (1857-1858)
यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत का प्रारंभ था, जिसमें सिपाहियों ने ब्रिटिश कंपनी के खिलाफ बगावत की और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। सिपाही म्यूटिनी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण प्रारंभ था। यह युद्ध 1857 में भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के औद्योगिक सिपाहियों और भारतीय जनता के बीच हुआ था। यह युद्ध मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, बहादुर शाह जफर, और अन्य नेताओं के प्रेरणास्पद नेतृत्व में लड़ा गया था। इस युद्ध के बाद से ही ब्रिटिश कंपनी के खिलाफ विभिन्न क्षेत्रों में विद्रोह उत्पन्न हुआ था।
भारत-पाक युद्ध (प्रथम) – 1947-1948
भारत-पाकिस्तान का पहला युद्ध 1947-48 में कश्मीर मुद्दे को लेकर हुआ। पाकिस्तान समर्थित कबायली घुसपैठियों ने कश्मीर पर हमला किया, जिसके बाद महाराजा हरि सिंह ने भारत से सहायता मांगी और कश्मीर भारत में विलय हो गया। भारतीय सेना ने दुश्मन को खदेड़ा, लेकिन संघर्षविराम के बाद कश्मीर का एक हिस्सा (POK) पाकिस्तान के नियंत्रण में चला गया। यह युद्ध कश्मीर विवाद की शुरुआत थी, जो आज भी दोनों देशों के बीच तनाव का मुख्य कारण है।
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भारत-चीन युद्ध – 1962
भारत-चीन युद्ध अक्टूबर-नवंबर 1962 में हुआ, जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के क्षेत्रों पर हमला किया। सीमा विवाद, विशेष रूप से अक्साई चिन और मैकमोहन रेखा, इस युद्ध का मुख्य कारण थे। भारतीय सेना ने वीरता से संघर्ष किया, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण हार का सामना करना पड़ा। चीन ने युद्धविराम की घोषणा करते हुए कब्जाए क्षेत्र को अपने पास रखा। यह युद्ध भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य और राजनीतिक झटका साबित हुआ।
भारत-पाक युद्ध (द्वितीय) – 1965
1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध कश्मीर को लेकर हुआ था। पाकिस्तान ने “ऑपरेशन जिब्राल्टर” के तहत कश्मीर में घुसपैठ की, लेकिन भारतीय सेना ने आक्रमण को विफल कर दिया। दोनों देशों के बीच भारी युद्ध हुआ, जिसमें भारतीय सेना ने लाहौर और सियालकोट के करीब तक बढ़त बनाई। युद्ध ताशकंद समझौते (1966) के साथ समाप्त हुआ। यह युद्ध भारतीय सेना की ताकत और पाकिस्तान की सीमित सैन्य क्षमताओं को स्पष्ट रूप से उजागर करने वाला साबित हुआ।
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भारत-पाक युद्ध (तृतीय) – 1971
1971 का भारत-पाक युद्ध बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए लड़ा गया। पाकिस्तान सेना द्वारा पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में अत्याचारों के कारण भारत ने हस्तक्षेप किया। 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना ने ढाका में जीत हासिल की, और पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया। यह युद्ध पाकिस्तान के विभाजन और बांग्लादेश के जन्म के साथ समाप्त हुआ। भारत की यह ऐतिहासिक जीत उसकी सैन्य शक्ति और रणनीतिक कुशलता का प्रतीक है।
भारत-पाक युद्ध (प्रथम) – 1947-1948
भारत-पाकिस्तान का पहला युद्ध 1947-48 में कश्मीर मुद्दे को लेकर हुआ। पाकिस्तान समर्थित कबायली घुसपैठियों ने कश्मीर पर हमला किया, जिसके बाद महाराजा हरि सिंह ने भारत से सहायता मांगी और कश्मीर भारत में विलय हो गया। भारतीय सेना ने दुश्मन को खदेड़ा, लेकिन संघर्षविराम के बाद कश्मीर का एक हिस्सा (POK) पाकिस्तान के नियंत्रण में चला गया। यह युद्ध कश्मीर विवाद की शुरुआत थी, जो आज भी दोनों देशों के बीच तनाव का मुख्य कारण है।
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कारगिल युद्ध – 1999
कारगिल युद्ध मई-जुलाई 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में हुआ। पाकिस्तान सेना और घुसपैठियों ने भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश की। भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत उन्हें खदेड़ दिया। दुर्गम पहाड़ियों और प्रतिकूल परिस्थितियों में भारतीय सैनिकों ने अद्वितीय साहस दिखाया। यह युद्ध भारत की विजय और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना के साथ समाप्त हुआ। कारगिल युद्ध भारतीय सेना की वीरता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
FAQs
भारत ने आज़ादी के बाद कुल पाँच युद्ध लड़े हैं।
भारत के इतिहास का सबसे खतरनाक युद्ध कौनसा था?
कलिंग युद्ध भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी और घातक लड़ाइयों में से एक थी। यह अशोक द्वारा सिंहासन पर बैठने के बाद लड़ा गया एकमात्र प्रमुख युद्ध था।
सन 1576 में अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी का युद्ध हुआ। यह भारतीय इतिहास की सबसे छोटी लड़ाई मानी जाती है।
मुगल काल में पानीपत की लड़ाई (1526, 1556, 1761) जैसे महत्वपूर्ण युद्ध हुए, जिसने भारतीय इतिहास को आकार दिया। अन्य उल्लेखनीय संघर्षों में चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी (1568) और दक्कन अभियान शामिल हैं, क्योंकि मुगलों ने राजपूतों, मराठों और क्षेत्रीय राज्यों के खिलाफ अपने साम्राज्य का विस्तार करने की कोशिश की थी।
प्लासी की लड़ाई ने भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की शुरुआत को चिह्नित किया। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच लड़ी गई इस लड़ाई में जीत ने बंगाल में ब्रिटिश प्रभुत्व स्थापित किया और आगे की विजय की नींव रखी।
1857 का विद्रोह, जिसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में भी जाना जाता है, ब्रिटिश नीतियों, सांस्कृतिक हस्तक्षेप और आर्थिक शोषण के खिलाफ आक्रोश के कारण हुआ था। हालाँकि यह स्वतंत्रता प्राप्त करने में विफल रहा, लेकिन इसने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में एक महत्वपूर्ण कदम को चिह्नित किया।
शिवाजी और बाद में पेशवा जैसे नेताओं के नेतृत्व में मराठों ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ा। उनके प्रतिरोध ने मुगल नियंत्रण को कमजोर कर दिया और 18वीं शताब्दी में मराठों को एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित किया, जिसने भारत के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया।
मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने 18वीं शताब्दी के अंत में दक्षिण भारत में ब्रिटिश विस्तार का जमकर विरोध किया। मैसूर के बाघ के रूप में जाने जाने वाले, उन्होंने चार एंग्लो-मैसूर युद्ध लड़े और उन्हें उनके सैन्य नवाचारों और गठबंधन बनाने के प्रयासों के लिए याद किया जाता है।
एंग्लो-सिख युद्ध (1845-1846, 1848-1849) के कारण पंजाब पर अंग्रेजों का कब्ज़ा हो गया। इन युद्धों ने सिख साम्राज्य के अंत को चिह्नित किया और उत्तरी भारत में ब्रिटिश नियंत्रण का विस्तार किया, जिससे क्षेत्र का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया।
भारतीय सैनिकों ने यूरोप, अफ्रीका और एशिया में लड़ते हुए दोनों विश्व युद्धों में बहादुरी से सेवा की। प्रथम विश्व युद्ध में 1.3 मिलियन से अधिक भारतीयों ने भाग लिया, और द्वितीय विश्व युद्ध में 2.5 मिलियन से अधिक लोगों ने मित्र देशों की शक्तियों के लिए अपनी बहादुरी और रणनीतिक महत्व का प्रदर्शन किया।
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