I2U2 Kya Hai: I2U2 (इजरायल, भारत, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका) एक नया अंतरराष्ट्रीय मंच है, जो चार देशों के बीच सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। इस समूह का मुख्य ध्यान आर्थिक विकास, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, स्वच्छ ऊर्जा और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर है। I2U2 का गठन, इन देशों के बीच सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देने और वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए किया गया है।
UPSC परीक्षा में I2U2 समूह एक महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि यह वैश्विक राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों से संबंधित है, जो परीक्षा में बार-बार पूछे जाते हैं। इसलिए इस ब्लॉग में आपको I2U2 समूह (I2U2 Kya Hai) के बारे में विस्तार से बताया गया है।
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I2U2 क्या है? – I2U2 Kya Hai
I2U2 चार देशों—भारत, इज़रायल, UAE और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा गठित एक नया समूह है। इसे ‘आर्थिक सहयोग के लिये अंतर्राष्ट्रीय मंच’ का नाम दिया गया था। I2U2 का नाम चार देशों के नाम के पहले अक्षरों से बना है, जहां I2 का मतलब भारत और इज़राइल है, और U2 का मतलब UAE और अमेरिका है। इसका उद्देश्य एक साथ मिलकर कृषि, व्यापार, ऊर्जा और तकनीक जैसे क्षेत्रों में काम करना है। यह साझेदारी सभी देशों की तरक्की और मदद के लिए बनाई गई है। यह समूह 2021 में अस्तित्व में आया और इसे ‘वेस्ट एशिया क्वाड’ के रूप में भी जाना जाता है।
आपको बता दें कि I2U2 समूह का मुख्य फोकस खाद्य सुरक्षा, जल प्रबंधन, ऊर्जा, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास जैसे क्षेत्रों पर है। उदाहरण के लिए, UAE खाद्य सुरक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है, भारत अपनी कृषि विशेषज्ञता साझा करता है, और अमेरिका व इज़राइल अपनी उन्नत तकनीक का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, हरित ऊर्जा परियोजनाओं और व्यापार को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय विकास में योगदान दिया जा रहा है।
I2U2 की स्थापना और पृष्ठभूमि
अक्टूबर 2021 में, I2U2 मंच की स्थापना इज़राइल और यूएई के बीच अब्राहम समझौते (Abraham Accords) के बाद की गई थी। इसका उद्देश्य क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, बुनियादी ढांचे और परिवहन से जुड़ी समस्याओं को हल करना था। इसका पहला नाम ‘अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग मंच’ था, और इसे ‘पश्चिम एशियाई क्वाड’ के नाम से भी जाना जाता था। I2U2 पहल के तहत, भारत, इज़राइल, यूएई और अमेरिका ने जुलाई 2022 में अपना पहला वर्चुअल शिखर सम्मेलन आयोजित किया था।
I2U2 के उद्देश्य
I2U2 के उद्देश्य (I2U2 kya hai) इस प्रकार हैं:
- अमेरिका, भारत, इजराइल और यूएई के बीच साझेदारी को मजबूत करना और आपसी सहयोग बढ़ाना।
- खाद्य सुरक्षा और समुद्री सहयोग जैसे जरूरी क्षेत्रों में साथ काम करना।
- आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाना और जैव प्रौद्योगिकी पर ध्यान देना।
- प्रौद्योगिकी, जलवायु, कोविड-19, व्यापार और सुरक्षा जैसे विषयों में एक-दूसरे की विशेषज्ञता का उपयोग करना।
- नए गठबंधन के तहत सुरक्षा सहयोग के लिए नए रास्ते खोजना।
भारत के लिए I2U2 का क्या महत्त्व है?
भारत के लिए I2U2 का महत्त्व निम्नलिखित है:
- भारत, UAE और अन्य अरब देशों से अपने रिश्ते खराब किए बिना, अब्राहम समझौते (Abraham Accords) से इजरायल के साथ संबंध मजबूत कर सकता है।
- I2U2 समूह भारत को जलवायु, स्वच्छ ऊर्जा जैसे मुद्दों में वैश्विक नेता बनने में मदद करेगा।
- भारत के ऑटोमोटिव उद्योग से अन्य देशों में व्यापार के नए अवसर मिलेंगे।
- भारत SCO, क्वाड और I2U2 का हिस्सा है, जिससे उसकी स्वतंत्रता बनी रहती है।
- हाल ही में UAE ने भारत में 2 बिलियन डॉलर का निवेश करने का वादा किया है, जो खाद्य पार्क बनाने में मदद करेगा।
- I2U2 समूह ने व्यापार समझौतों के बजाय स्वैच्छिक आर्थिक पहल पर जोर दिया है।
- “क्वाड” से भारत को इजरायल और खाड़ी देशों से जुड़ने में ज्यादा स्वतंत्रता मिलेगी।
- I2U2 भारत की द्विपक्षीय नीति से बाहर जाकर, क्षेत्रीय कूटनीति अपनाने में मदद करेगा।
I2U2 के निर्माण में सहायक कारक
I2U2 के निर्माण में निम्नलिखित कारक सहायक रहे:-
- अब्राहम समझौता (2020): यूएई, बहरीन, सूडान और मोरक्को ने अब्राहम समझौते के तहत इजरायल के साथ औपचारिक संबंध स्थापित किए। इस पहल को ट्रम्प प्रशासन ने बढ़ावा दिया, जिससे इजरायल और यूएई के बीच राजनयिक संबंध बहाल हुए और इस नए गठबंधन की नींव रखी गई।
- चीन के प्रभाव को संतुलित करना: यह पहल चीन के बढ़ते प्रभाव और उसकी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजनाओं का मुकाबला करने के लिए बनाई गई है।
- आर्थिक सहयोग पर प्राथमिकता: I2U2 चारों देशों के बीच व्यापार एवं वाणिज्य की प्रणाली को पुनर्जीवित और पुनःप्रेरित करने में योगदान दे सकता है।
I2U2 के संचालन के क्षेत्र क्या हैं?
- I2U2 समूह का उद्देश्य इज़रायल, भारत, यूएई और अमेरिका के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाना है।
- I2U2 जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा जैसे छह क्षेत्रों में संयुक्त निवेश को बढ़ावा देने की कोशिश करता है।
- इसका उद्देश्य उद्योगों के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे और कम-कार्बन विकास मार्गों को बनाने, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार लाने और हरित प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र की मदद लेना है।
- I2U2 का लक्ष्य मध्य पूर्व क्षेत्र के देशों के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना है।
- चारों देश स्टार्टअप को I2U2 निवेश से जोड़ने का प्रयास करेंगे।
- सभी सदस्य देश जलवायु पहल के तहत कृषि नवाचार मिशन (AIM for Climate) का हिस्सा हैं।
I2U2 की मुख्य गतिविधियाँ
I2U2 की मुख्य गतिविधियाँ इस प्रकार है:
- नई तकनीकों का उपयोग करके खेती को बेहतर बनाना और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना।
- स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना और सौर ऊर्जा जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम करना।
- आधुनिक और टिकाऊ परियोजनाओं में निवेश करना।
- चारों देशों के बीच व्यापार बढ़ाना और नई आर्थिक संभावनाएं खोजना।
- नई तकनीकों और शोध को प्रोत्साहन देकर विकास के रास्ते खोलना।
- जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा की कमी और खाद्य संकट जैसी समस्याओं पर मिलकर काम करना।
I2U2 की चुनौतियाँ क्या हैं?
I2U2 की चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
भारत के लिए
- I2U2 का सदस्य होने से भारत के लिए ‘शंघाई सहयोग संगठन’ (SCO) जैसे अन्य संगठनों के साथ संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
- I2U2 में भारत की भागीदारी इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में भारत की तटस्थता को प्रभावित कर सकती है।
- I2U2 जैसे समूह भारत के रिश्तों को रूस और चीन के साथ कमजोर कर सकते हैं।
- I2U2 में अमेरिका को शामिल करने से भारत पश्चिम एशिया के मामलों में अमेरिका की भूमिका को स्वीकार करता है।
I2U2 के लिए
- अब्राहम समझौते जैसी पहल महत्वपूर्ण हैं, लेकिन अन्य देश अभी भी इज़राइल के साथ अच्छे रिश्ते बनाने में संकोच करते हैं।
- इससे नए क्षेत्रीय ध्रुवीकरण हो सकते हैं, जैसे चीन, पाकिस्तान, रूस, ईरान और तुर्की एक ओर, और भारत, इजरायल, अमेरिका और यूएई दूसरी ओर।
- I2U2 समूह के सदस्य अपने-अपने राष्ट्रीय हितों पर ज्यादा ध्यान देते हैं, जिससे क्षेत्रीय समस्याओं को हल करने में कठिनाई हो सकती है।
FAQs
12U2 शिखर सम्मेलन (I2U2 Summit) चार देशों – भारत, इजराइल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात का एक प्रमुख गठबंधन है। यह मध्य-पूर्व और एशिया में आर्थिक और राजनीतिक सहयोग के विस्तार पर केंद्रित है, जिसके अंतर्गत व्यापार, जलवायु परिवर्तन से मुकाबला, ऊर्जा सहयोग और अन्य महत्त्वपूर्ण साझा हितों पर समन्वय करना शामिल है।
I2U2 का मुख्य उद्देश्य चार देशों के बीच आर्थिक सहयोग, प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान, और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है। यह जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, और अन्य वैश्विक समस्याओं पर काम करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
I2U2 चार देशों—भारत, इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा गठित एक नया समूह है।
क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) एक सुरक्षा-आधारित समूह है, जबकि I2U2 का मुख्य फोकस आर्थिक सहयोग और सामाजिक विकास पर है।
I2U2 से चारों देशों को आर्थिक विकास, प्रौद्योगिकी नवाचार, और सामाजिक सुधार में लाभ मिलेगा। इसके साथ ही यह वैश्विक समस्याओं जैसे जलवायु परिवर्तन और खाद्य संकट का समाधान ढूंढने में मदद करेगा।
I2U2 की पहली शिखर बैठक 14 जुलाई, 2022 को वर्चुअल माध्यम से आयोजित की गई थी।
I2U2 का गठन अब्राहम समझौते (2020) के बाद हुआ, जिसमें इजराइल और यूएई ने अपने कूटनीतिक संबंधों को बहाल किया। I2U2 इन दो देशों के बीच बढ़ते रिश्तों को और मजबूत करने का एक कदम है, साथ ही यह भारत और अमेरिका को भी इसमें शामिल करता है।
भारत को I2U2 के माध्यम से आर्थिक अवसर, प्रौद्योगिकी में नवाचार, नवीन ऊर्जा परियोजनाएं, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भागीदारी का लाभ मिलेगा।
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