भारत की खूबसूरती, संस्कृति और आध्यात्मिकता की चर्चा पूरे दुनियाभर में फैली हुई हैं। यहाँ एक से बढ़कर एक, विशाल व प्राचीन मंदिर, स्मारक, किले, महल और प्राकृतिक सुंदरता के अद्भुत नज़ारे देखने को मिलते हैं। जैसे ताजमहल, लाल किला, अजंता और एलोरा की गुफाएं, काशी विश्वनाथ मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर आदि। इन्हीं में से एक है हुमायूँ का मकबरा। हुमायूँ का मकबरा मुगल वास्तुकला का एक प्रारंभिक उदाहरण है जो अपनी मनोरम वास्तुकला, समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। हुमायूं के मकबरे में बारे में अधिक जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। यहाँ हम हुमायूं के मकबरा का इतिहास, वास्तुकला और सांस्कृतिक महत्व को विस्तार से जानेंगे।
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हुमायूं के मकबरे के बारे में
भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित हुमायूं का मकबरा मुगल साम्राज्य की भव्यता और शानदार वास्तुकला की झलक पेश करता है। यह उन स्मारकों में से एक है जिसे एक महिला द्वारा अपने पति के लिए बनवाया गया था। हुमायूं के मकबरे का निर्माण कब हुआ था इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन कुछ इतिहासकारों के मुताबिक, यह मकबरा हुमायूँ की पहली पत्नी – बेगा बेगम (हाजी बेगम) द्वारा 1572 में बनवाया गया था। वहीं मिराक मिर्ज़ा घियास और उनके बेटे सय्यद मुहम्मद द्वारा इसे डिजाइन किया था। अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध यह मकबरा लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से निर्मित है। इसमें चार मीनारें हैं और मकबरे के चारों ओर चार बाग हैं, जिन्हें “चारबाग” कहा जाता है।
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हुमायूं के मकबरे का इतिहास
इस ऐतिहासिक इमरतर का इतिहास मुगल साम्राज्य से गहराई से जुड़ा हुआ है। बता दें कि इस भव्य और बेहतरीन मकबरे का निर्माण सम्राट हुमायूँ की पहली पत्नी बेगम बेगा उर्फ हाजी बेगम ने करवाया था। उन्हें अपने पति हुमायूँ की याद में इस मकबरे का निर्माण करवाया था। आपको बता दें कि मुग़ल शासक हुमायूँ की मृत्यु 1556 में हुई थी और इस ईमारत का निर्माण 1565 में शुरू हुआ और इसे पूरा होने में लगभग आठ साल लगे। ऐसे में यह 1572 में बनकर तैयार हुआ। आपको यह भी बता दें कि इस मकबरे के मुख्य वास्तुकार मिराक मिर्ज़ा गियास थे, जो एक फ़ारसी वास्तुकार थे।
हुमायूं के मकबरे की स्थापत्य विशेषताएं
हुमायूं का मकबरा अपनी आश्चर्यजनक वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यह ऐतिहासिक ईमारत फारसी और भारतीय शैलियों के तत्वों को जोड़ता है। बता दें कि यह विशाल मकबरा है मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से निर्मित है। 154 फीट की ऊंचाई और 299 फीट की चौड़ाई वाला यह विशाल मकबरा चार छोटे गुंबदों से घिरा हुआ है, जो देखने में बहुत ही आकर्षक लगता है। मकबरे की संरचना के आसपास फ़ारसी शैली का उद्यान है, जिसे चार बाग गार्डन
मकबरा चार बाग़ कहा जाता है। इसके अलावा मकबरे के परिसर में दक्षिण और पश्चिम की ओर भव्य प्रवेश द्वार हैं। दक्षिणी प्रवेश द्वार, को बू हलीमा गेटवे के नाम से और पश्चिमी प्रवेश द्वार को बारा गेटवे के नाम से जाना जाता है। मकबरे के परिसर में कई छोटी कब्रें भी शामिल हैं।
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हुमायूँ के मकबरे का सांस्कृतिक महत्व
हुमायूँ के मकबरे का सांस्कृतिक महत्व निम्नलिखित है-
- हुमायूँ का मकबरा, भारत के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसने ताजमहल जैसे कई अन्य मकबरों को प्रेरित किया है।
- फ़ारसी और भारतीय स्थापत्य शैली के मिश्रण से निर्मित हुमायूँ का मकबरा भारत में मुगल वास्तुकला का पहला उदाहरण है।
- यह ईमारत बेगा बेगम ने अपने पति हुमायूँ की स्मृति को संरक्षित करने और इतिहास में उनका स्थान सुनिश्चित करने के लिए बनवाया था।
- 1993 में, इसे UNESCO की विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था और यूनेस्को द्वारा कहे गए कथन के मुताबिक यह मकबरा “भारतीय उपमहाद्वीप का पहला उद्यान-मकबरा ‘ माना गया।
- यह दिल्ली के शीर्ष पर्यटक आकर्षणों में से एक है, जो दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है।
विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल
भारत के ऐतिहासिक स्थलों में से एक हुमायूं का मकबरा अपनी कई खासियत के चलते वर्ष 1993 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। विश्व धरोहर सूची में शामिल होना इस मकबरे को विश्व के सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों में स्थापित करता है। आपको बता दें कि अभी तक भारत में कुल 41 विश्व धरोहर स्थल है जिसमें से 33 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक स्थल और 1 मिश्रित विश्व विरासत स्थल हैं। यह भी बता दें कि वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स इन इंडिया में सबसे पहले 1983 में अजंता की गुफाएं, एलोरा की गुफाएं, ताजमहल और आगरा के किले को शामिल किया गया था। उसके बाद धीरे धीरे कई स्थल जुड़ते चले गए। वहीं हाल ही में शांतिनिकेतन और होयसल के पवित्र मंदिर समूह को वैश्विक धरोहर की सूची में शामिल किया गया है।
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FAQs
हुमायूं के मकबरे का निर्माण 1565 में हुमायूं की पत्नी हाजी बेगम द्वारा शुरू करवाया था, जो 1572 में पूरा हुआ।
हुमायूं का मकबरा भारत की राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन पूर्व क्षेत्र में स्थित है। यह दिल्ली में सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है।
हुमायूं का मकबरा घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का है। इस समय मौसम सुहावना होता है और पर्यटकों भी भीड़ कम होती है।
आशा है कि आपको हुमायूं का मकबरा, विषय से जुड़ी सभी जानकारी इस लेख में मिल गयी होगी। वैश्विक धरोहर से जुड़े ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।