भारत, इतिहास और संस्कृति की जीवंत धरोहर है। इसकी मिट्टी में हजारों साल पुरानी सभ्यताओं की कहानियाँ दबी हुई हैं, और हर इमारत, हर स्मारक, हर मंदिर अपने आप में एक इतिहास समेटे हुए है। भारत को विश्व धरोहर स्थलों के मामले में एक समृद्ध देश माना जाता है। यही कारण है कि यूनेस्को (UNESCO) ने भारत के कई ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक स्थलों को “विश्व धरोहर स्थल” (World Heritage Sites) का दर्जा दिया है। यह न केवल हमारे गौरवशाली अतीत की पहचान हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अनमोल धरोहर भी हैं। बता दें कि वर्तमान में भारत में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त 43 स्थल हैं, जो हमें हमारे गौरवशाली इतिहास के बारे में बताता है। इस लेख में आपके लिए भारत में कुल कितने विश्व धरोहर स्थल है, की विस्तृत जानकारी दी गई है।
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भारत में कुल कितने विश्व धरोहर स्थल है?
भारत में कुल 42 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं। जिनमें 33 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 2 मिश्रित विश्व विरासत स्थल हैं। आपको बता दें कि वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स इन इंडिया (UNESCO World Heritage Sites in India in Hindi) में सबसे पहले 1983 में अजंता की गुफाएं, एलोरा की गुफाएं, ताजमहल और आगरा के किले को शामिल किया गया था। इसी तरह के अन्य विश्व धरोहर स्थल के बारे में जानने के लिए नीचे दिए गए सूची को पढ़ें।
विश्व धरोहर स्थल | अधिसूचित वर्ष | राज्य |
ताजमहल | 1983 | आगरा, उत्तर प्रदेश |
आगरा का किला | 1983 | आगरा, उत्तर प्रदेश |
एलोरा गुफाएं | 1983 | महाराष्ट्र |
अजंता गुफाएं | 1983 | महाराष्ट्र |
सूर्य मंदिर | 1984 | ओड़ीसा |
महाबलीपुरम में स्मारकों का समूह | 1984 | तमिलनाडू |
काजीरंगा नेशनल पार्क | 1985 | असम |
केवलादेव नेशनल पार्क | 1985 | राजस्थान |
मानस वन्यजीव अभयारण्य | 1985 | असम |
गोवा के चर्च और कॉन्वेंट | 1986 | गोवा |
खजुराहो स्मारकों का समूह | 1986 | मध्यप्रदेश |
हम्पी में स्मारकों का समूह | 1986 | कर्नाटक |
फतेहपुर सीकरी | 1986 | आगरा उत्तरप्रदेश |
एलिफेंटा गुफाएं | 1987 | महाराष्ट्र |
ग्रेट लिविंग चोल मंदिर 13 | 1987 | तमिलनाडू |
पट्टडकल में स्मारकों का समूह | 1987 | कर्नाटक |
सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान | 1987 | बंगाल |
नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान | 1988 | पश्चिम बंगाल |
सांची में बौद्ध स्मारक | 1989 | मध्यप्रदेश |
हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली | 1993 | दिल्ली |
कुतुब मीनार और उसके स्मारक, दिल्ली | 1993 | दिल्ली |
भारत के पर्वतीय रेलवे | 1999 | दार्जिलिंग(पश्चिम बंगाल), कालका शिमला (हिमाचल प्रदेश), नीलगिरि (तमिलनाडु) |
बोधगया में महाबोधि मंदिर परिसर | 2002 | बिहार |
भीमबेटका के रॉक शेल्टर | 2003 | मध्यप्रदेश |
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस) | 2004 | महाराष्ट्र |
चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क | 2004 | गुजरात |
लाल किला परिसर | 2007 | दिल्ली |
जंतर मंतर, जयपुर | 2010 | दिल्ली |
पश्चिमी घाट | 2012 | कर्नाटक, केरल,तमिलनाडु,महाराष्ट्र |
राजस्थान के पहाड़ी किले | 2013 | राजस्थान |
पाटन, गुजरात में रानी-की-वाव (रानी की बावड़ी) | 2014 | गुजरात |
महान हिमालयी राष्ट्रीय उद्यान | 2014 | हिमाचल प्रदेश |
नालंदा, बिहार में नालंदा महाविहार का पुरातत्व स्थल | 2016 | बिहार |
कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान | 2016 | सिक्किम |
ले कोर्बुज़िए का वास्तुशिल्प कार्य, आधुनिक आंदोलन में एक उत्कृष्ट योगदान | 2016 | चंडीगढ़ |
अहमदाबाद ऐतिहासिक शहर | 2017 | अहमदाबाद |
मुंबई के विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको एन्सेम्बल | 2018 | मुंबई |
जयपुर शहर, राजस्थान | 2019 | जयपुर |
काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर, तेलंगाना | 2021 | तेलंगाना |
धोलावीरा: एक हड़प्पा शहर | 2021 | गुजरात |
शांतिनिकेतन | 2023 | पश्चिम बंगाल |
होयसल के पवित्र मंदिर समूह | 2023 | कर्नाटक |
अजंता की गुफाएँ
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित अजंता की गुफाएं भारतीय कला का एक शानदार नमूना है। यह भारत के सबसे प्रचीन ऐतिहासक स्थलों में से एक है। घोड़े की नाल के आकार में निर्मित अजंता गुफाओं में कुल 30 गुफा शामिल है जिनमें मुख्य रूप से बौद्ध धर्म की कला कृतियाँ देखने को मिलती है। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान में बौद्ध भिक्षु रहते थे और अध्ययन एवं प्रार्थना करते थे। 76 मी. तक की ऊंचाई वाले इन गुफाओं की खोज अंग्रेज इतिहासकार जॉन स्मिथ द्वारा की गई थी और वर्ष 1983 में यूनेस्को ने ‘विश्व विरासत स्थल’ की सूची में इसे शामिल कर लिया था।
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जंतर-मंतर
राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित जंतर-मंतर को कौन नहीं जानता। यह भारत के खूबसूरत ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है जिसका निर्माण सवाई जयसिंह II द्वारा 1724 से 1734 के बीच किया गया था। सवाई जयसिंह एक खगोलीय वैज्ञानिक थे जिन्होंने इस विशाल वेधशाला का निर्माण अंतरिक्ष और समय के बारे में जानकारी इकट्ठा करने और उसका अध्यन करने के लिए किया गया था। महाराजा जयसिंह II ने भारत में कुल 5 जंतर मंतर का निर्माण करवाया है, जिनमें से सबसे बड़ा जयपुर में है। जयपुर के अलावा उज्जैन, मथुरा, दिल्ली और वाराणसी में भी जंतर मंतर मौजूद है।
आगरा का किला
दिल्ली में से पहले आगरा का किला मुगल साम्राज्य के सम्राटों के लिए मुख्य निवास स्थान था। इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया था। यह फारसी और अरबी वास्तुकला को प्रभावित करता है।
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ताज महल
दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल का निर्माण मुग़ल शासक शाहजहाँ ने करवाया था। ताजमहल को मुमताज़ का मकबरा” भी कहा जाता है क्योंकि मुग़ल शासक शाहजहाँ ने इसे अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनाया था। इस ऐतिहासिक महल का निर्माण एक जटिल और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया थी जिसे पूरा करने में तकरीबन 20 वर्ष लगे। मुगल वास्तुकला की परंपराओं को ध्यान में रखते हुए, ताजमहल को सफेद संगमरमर से बनाया गया था। इस महान ऐतिहासिक इमारत की सुंदरता और महत्वता के कारण साल 1983 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। अब यह दुनिया भर के लोगों के लिए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
शांतिनिकेतन
1901 मे मशहूर कवी रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में एक ब्रह्मचर्य आश्रम की स्थापना की और बाद में उन्होंने इसका नाम शान्तिनिकेतन रखा। अपने अलग अंदाज, शांति और अपूर्व शिक्षा पद्धति को लेकर पहचान बनाने वाले शांतिनिकेतन ने यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में एक प्रतिष्ठित स्थान अर्जित किया है। इसकी घोषणा 18 सितम्बर 2023 को सऊदी अरब के रियाद में विश्व धरोहर समिति के 45वे सत्र में की गयी थी।
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विश्व धरोहर स्थलों का महत्व
विश्व धरोहर स्थलों की पहचान केवल ऐतिहासिक धरोहर के रूप में नहीं की जाती, बल्कि वे पर्यटन, सांस्कृतिक अध्ययन और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये स्थल न केवल भारत के अतीत को संरक्षित रखते हैं, बल्कि दुनिया भर से पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
विश्व धरोहर स्थल की श्रेणियाँ
भारत में यूनेस्को के अनुसार तीन मुख्य श्रेणियाँ, जिनकी जानकारी निम्नलिखित है –
- सांस्कृतिक धरोहर (Cultural Sites)
- प्राकृतिक धरोहर (Natural Sites)
- मिश्रित धरोहर (Mixed Sites – सांस्कृतिक + प्राकृतिक)
विश्व धरोहर स्थलों को संरक्षित करने की आवश्यकता क्यों है?
विश्व धरोहर स्थलों को संरक्षित करने की आवश्यकता को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है –
- इन धरोहर स्थलों को बचाने के लिए सरकार और स्थानीय लोगों की भूमिका।
- धरोहर संरक्षण के लिए उठाए गए प्रमुख कदम।
- पर्यटन और संरक्षण में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता।
- विश्व धरोहर स्थलों के माध्यम से आप अपनी संस्कृति को संरक्षित कर सकते हैं।
FAQs
यूनेस्को (UNESCO) के अनुसार, भारत में कुल 42 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें सांस्कृतिक, प्राकृतिक और मिश्रित धरोहर स्थल शामिल हैं।
भारत के प्रमुख सांस्कृतिक विश्व धरोहर स्थलों में ताजमहल, कुतुब मीनार, अजंता-एलोरा गुफाएं, खजुराहो मंदिर, और लाल किला शामिल हैं।
वे स्थल जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक या प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण होते हैं और जिनका संरक्षण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक होता है, उन्हें यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया जाता है।
भारत के प्रमुख प्राकृतिक धरोहर स्थलों में काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान, मानस वन्यजीव अभयारण्य और नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान शामिल हैं।
भारत में पहला विश्व धरोहर स्थल अजंता गुफाएं, एलोरा गुफाएं और आगरा का किला थे, जिन्हें 1983 में यूनेस्को द्वारा यह दर्जा दिया गया था।
किसी भी स्थान को विश्व धरोहर स्थल घोषित करने के लिए सरकार यूनेस्को को नामांकन भेजती है, विशेषज्ञों द्वारा मूल्यांकन किया जाता है, और फिर यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति उसे सूचीबद्ध करती है।
हाँ, किसी भी स्थल को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने से वहां पर्यटन बढ़ता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होता है और उसकी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्ता बढ़ जाती है।
हाँ, भारत के कई ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों को यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल किया गया है और भविष्य में और भी स्थानों को यह दर्जा मिल सकता है।
हाँ, यदि कोई विश्व धरोहर स्थल उचित देखभाल और संरक्षण नहीं करता या खतरे में आ जाता है, तो यूनेस्को उसे अपनी सूची से हटा सकता है।
विश्व धरोहर स्थलों के संरक्षण की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), राज्य सरकारों और केंद्र सरकार की होती है, जो यूनेस्को के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करते हैं।
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आशा है कि इस लेख में आपको भारत में कुल कितने विश्व धरोहर स्थल है, की विस्तृत जानकारी मिल गई होगी। वैश्विक धरोहर से जुड़े ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।