Holika Dahan Par Kavita: होलिका दहन से जुड़ी कुछ रंगबिरंगी कविताएं

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Holika Dahan Par Kavita

Holika Dahan Poem in Hindi: भारत में होली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 14 मार्च को शुक्रवार के दिन होली मनाई जाएगी। वहीं, होली एक ऐसा पर्व है जिसे सभी लोग अनेक प्रकार से मनाते हैं। कहीं लठमार होली खेली जाती है जिसके पीछे गुस्सा और गुस्से में छिपा प्रेम होता है, कहीं फूलों के साथ होली खेली जाती है जिसके पीछे समर्पण भाव छिपा होता है, कहीं गीतों के माध्यम से होली मनाई जाती है जिसके पीछे भक्ति भाव छिपा होता है तो कहीं रंगों से होली खेली जाती है जिसके पीछे प्रेम भाव छिपा होता है।

ठीक उसी प्रकार कवियों और शायरों का होली महोत्सव एक अलग ही प्रकार से मनाया जाता है, जिसके पीछे वीर रस, हास्य रस और प्रेम रस आदि को व्यक्त करने के लिए कवियों द्वारा शब्दों को माध्यम बनाया जाता है। इसलिए इस ब्लॉग में आपके लिए होलिका दहन पर कविता और होली पर प्रेरणादायक कविता (Holika Dahan Par Kavita) दी गई हैं।  

“कवियों के शब्दों से ही जागता समाज है, हर अनोखी रीति का बनता नया रिवाज़ है
 होली के रंगों में जो खुशियों को टटोलती, दुखों पर दहाड़ती वह कवि की आवाज़ है…”
-मयंक विश्नोई

होलिका दहन से जुड़ी कुछ अनोखी कविताएं और गज़ल

होलिका दहन पर कविता

होलिका दहन पर कविता (Holika Dahan Poem in Hindi) इस प्रकार हैं;-

तेरे इंतज़ार में गुलाल

“कोई प्रथा नहीं प्रेम का प्रकार है
तुम्हारे इंतज़ार में ये गुलाल बेक़रार है
होलिका दहन के बाद
मेरे मन में रात भर
एक ही ख्याल आया
काली करके सारी रात
नींदों को त्याग कर
वो ख्याल बड़ा कमाल आया
प्रेम किया है, कहाँ इससे इंकार है
तुम्हारे इंतज़ार में ये गुलाल बेक़रार है
सोचता रहा मैं मौन रहा
हँसता रहा, न जाने कौन रहा
तुम्हारी आहट को कैसे ढूंढूं मैं?
कभी इधर भटका, कभी उधर भटका
कभी आँखें झपकी, कभी तारों को देखता रहा
तुम्हारा पता किस से पूंछू मैं?
संग खेलेंगे होली, होनी खुशियों की बौछार है
तुम्हारे इंतज़ार में ये गुलाल बेक़रार है…”

 -मयंक विश्नोई

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होलिका दहन से जुड़ी कुछ अनोखी कविताएं और गज़ल

होली पर प्रेरणादायक कविता

होली पर प्रेरणादायक कविता (Holika Dahan Par Kavita) इस प्रकार हैं;-

रंग बिरंगे मेरे यार

“संकट के समय साथ रहते है हर बार
होली के रंगों से रंग बिरंगे मेरे यार
पूछ न ले परेशानी पता मेरा मुझसे
है खुशियों का ठिकाना, रंग बिरंगे मेरे यार
कोई साथ दे या बस नकार दें मुझे
मुझे सँभालने को तैयार, रंग बिरंगे मेरे यार
बचपने को मेरी मासूमियत समझकर
गुलाल की महक से महकते, रंग बिरंगे मेरे यार
जहाँ खड़ा है ‘मयंक’ आज जिस भी मुकाम पर
मेरी सफलता का श्रेय, है रंग बिरंगे मेरे यार…”

-मयंक विश्नोई 

Holi ke rang aur unke adbhut prabhav kavitaon ke madhyam se

होली कैसे मनाऊं मैं?

“एक तरफ है भुखमरी और दूसरी तरफ है धोखेबाज़ी
इन दोनों के बीच खड़ा हो होली कैसे मनाऊं मैं?
किसी के सिर पर छत नहीं, और कोई जमीं से मोहताज़ है
दोनों में फ़र्क जानकर, भला होली कैसे मनाऊं मैं?
कथनी और करनी है किन कर्मों की कारिस्तानी
कोई बताये कि आंशुओं को कहा जाकर बहाऊं मैं?
यह समाज क्यों निकालता है खामियों को मेरी
खूबियां है मुझमें भी अब यह किसको बताऊं मैं?
सियासत झलकती है साफ़ सबकी निगाहों में
रंगों की रंगते परख, अब होली कैसे मनाऊं मैं?
जख़्मी, हालात का मारा और बेचारा है ‘मयंक’
फाल्ग ही बताये, अकेला होली कैसे मनाऊं मैं?

मयंक विश्नोई 

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होलिका दहन पर अनमोल विचार

होलिका दहन पर कुछ अनमोल विचार इस प्रकार हैं;-

  • होलिका दहन प्रतीक है अधर्म के नाश का और धर्म की जयकार का।
  • अपने अंतर्मन में व्याप्त कुरीतियों को होलिका दहन की पवित्र अग्नि में जलाकर भस्म कर दें।
  • होलिका दहन से उठा प्रकाश मानव को साहसी बनाए और मानव का मार्गदर्शन करे।
  • होलिका दहन के अवसर पर विश्व में शांति का आगमन हो।
  • होलिका दहन की शाम विद्यार्थियों को नए सपने देखना सिखाती है।

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आशा है कि आपको होलिका दहन पर कविता और होली पर प्रेरणादायक कविता (Holika Dahan Par Kavita) का यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही होली और ट्रेंडिंग इवेंट्स से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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