विदेशों में पढ़ाई करने के लिए लाखों भारतीय छात्र जाते हैं। बीते 2 वर्षों में कोरोना महामारी की वजह से काफी देशों ने अपनी सीमाएं बंद की हुई थी, जिस का वैश्विक शिक्षा प्रणाली पर अत्यंत नेगेटिव प्रभाव पड़ा था। लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और अन्य देशों में जाने-माने अध्ययनों के हालिया स्टेटस बताते हैं कि इस साल अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।
इंडियन ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन के अनुसार भारतीय छात्रों ने अपने अंतरराष्ट्रीय कॉलेज करियर को लॉन्च करने के लिए महामारी के बाद के अवसरों का पूरा फायदा उठाया है। 2021 में और 2022 की पहली तिमाही (quarter) में क्रमशः 1,33,135 और 4,44,553 छात्र विदेश में अपनी उच्च शिक्षा के लिए विदेश रवाना हुए।
अमेरिकी दूतावास ने 2021 में सबसे अधिक 62,000 वीजा दिए थे। 2022 के लिए यह अनुमान है कि संख्या दो गुना हो सकती है। जनवरी और सितंबर 2021 के बीच 1,15,000 भारतीय छात्रों को कनाडा में अध्ययन करने की अनुमति दी गई थी। साथ ही आपको बता दें कि पिछले पांच वर्षों में भारतीयों के लिए PGWPP अनुमोदन दर 95% रहा है।
Leverage Edu के संस्थापक अक्षय चतुर्वेदी कहते हैं कि “सितंबर 2020 और सितंबर 2021 के बीच हमारे अपने स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म पर छात्र 21 गुना बढ़ गए हैं। इस साल छात्रों की रुचि में वृद्धि के साथ-साथ ही हमारी कंपनी ने पिछले 1-2 वर्षों में तेज़ी से ग्रोथ की है।”
Higher Education Statistics Agency की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में कुल मिलाकर 220% की वृद्धि हुई है। German Academic Exchange Service (DAAD) के ताज़ा डेटा भी विदेशी छात्रों की संख्या में वृद्धि दिखाते हैं, जिनमें से 3,30,000 छात्र वर्तमान में जर्मन विश्वविद्यालयों में नामांकित हैं। डेटा के मुताबिक जर्मनी को अपने पसंदीदा गंतव्य के रूप में चुनने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। साथ ही, भारत से नए छात्र नामांकन की संख्या में 10% की वृद्धि हुई है।
छात्र अब Leverage Edu जैसे ऍप्लिकेशन्स का उपयोग करके दुनिया भर के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में आवेदन कर सकते हैं, और वे विदेशों में अध्ययन के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।