Chandra Shekhar Azad Essay: चंद्रशेखर आजाद पर छात्र इस तरह लिख सकते हैं निबंध

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Chandra Shekhar Azad Essay in Hindi

चंद्रशेखर आज़ाद, एक महान स्वतंत्रता सेनानी एक ऐसे महान क्रांतिकारी थे जिन्होंने मातृभूमि को स्वतंत्र कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया। चंद्रशेखर आज़ाद का संपूर्ण जीवन माँ भारती को गुलामी की बेड़ियों से स्वतंत्र कराने और युवाओं को अपने क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित करने के लिए समर्पित रहा। कई बार विद्यालयों में विद्यार्थियों से चंद्रशेखर आज़ाद पर निबंध लिखवाए जाते हैं, जिसके बारे में विद्यार्थियों को इस ब्लॉग से प्रेरणा मिल सकती है। चंद्रशेखर आजाद ने भारत की स्वतंत्रता के लिए युवाओं को जागरूक करने के साथ-साथ, उनकी प्रेरणा बनने का भी कार्य किया। इस ब्लॉग में आपको चंद्रशेखर आजाद के बारे में 100, 200 और 500 शब्दों में निबंध लिखने का आईडिया मिलेगा। चंद्रशेखर आजाद पर निबंध (Chandra Shekhar Azad Essay in Hindi) पढ़ने के लिए आपको इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना पड़ेगा। 

चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय हिंदी में

चन्द्रशेखर आजाद शायरी पढ़कर आप क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद को श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकते हैं। चन्द्रशेखर आजाद शायरी पढ़ने से पहले आपको महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय अवश्य पढ़ लेना चाहिए। इतिहास के जीवन पर प्रकाश डाला जाए तो आप जानेंगे कि ‘आजाद’ ने प्रण लिया था कि वह कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे और उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी की हुकूमत से खुद को आखिरी सांस तक आजाद रहने के प्रण लिया था, जिसको उन्होंने बखूबी निभाया भी था।

चंद्रशेखर का वास्तविक नाम ‘चंद्रशेखर तिवारी’ था। चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम सीताराम तिवारी और माता का नाम जगरानी देवी था। आजाद का प्रारंभिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरा गाँव में ही बीता। बालावस्था में ही आजाद ने भील बालकों के साथ मिलकर निशानेबाजी और धनुर्विद्या सिखी ली थी।

13 अप्रैल 1919 को ‘जलियांवाला बाग कांड’ के समय आजाद बनारस में पढ़ाई कर रहे थे। इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया वहीं बालक आजाद को अंदर से झकझोर दिया। जिसके बाद वह भी स्वतंत्रता आंदोलन में जुड़ गए और वर्ष 1921 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भी अपनी भूमिका निभाई।

वर्ष 1922 में ‘चौरी चौरा’ की घटना के बाद गांधीजी ने अपना ‘असहयोग आंदोलन’ वापस ले लिया तो आज़ाद का कांग्रेस से मोहभंग हो गया। इसके बाद आज़ाद, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल और शचीन्द्रनाथ सान्याल, योगेश चन्द्र चटर्जी जैसे क्रांतिकारियों के संपर्क में आए। उस समय बनारस क्रान्तिकारियों का गढ़ था और वह 1924 में गठित ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HRA) से जुड़ गए।

27 फरवरी 1931 को जब ‘आजाद’ इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आगामी योजना बना रहे थे। जिसकी खबर अंग्रेजों को जैसे ही लगी उन्होंने आजाद को चारो ओर से घेरकर उन पर हमला कर दिया, सैकड़ों पुलिस वालों के सामने करीबन 20 मिनट तक लड़ने के बाद अपने प्रण को पूरा करने के उद्देश्य से उन्होंने अपनी पिस्तौल की आखिरी गोली खुद के मारी और मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया।

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चंद्रशेखर आजाद पर निबंध 100 शब्दों में – Chandra Shekhar Azad Essay in Hindi

चंद्रशेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी थे। उन्होंने ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आसोसिएशन’ की स्थापना की और स्वतंत्रता संग्राम में अपनी शौर्यगाथाओं से लोगों को प्रेरित किया। आजाद की शहादत ने स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती दी और उन्हें ‘आजाद’ के नाम से याद किया जाता है।

चंद्रशेखर आजाद का अद्वितीय संघर्षशील और निष्ठावान व्यक्तित्व था। उन्होंने अपने आदर्शों के लिए जीवन की बलिदान की और उनकी निष्ठा और समर्पण का प्रतीक बना। उनकी शौर्यगाथाएं हमें स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्णीयता को याद दिलाती हैं। चंद्रशेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर योद्धा हैं, जिनका समर्पण और बलिदान हमें आजादी की महत्वपूर्णीयता को समझाते हैं।

तो यह था 100 शब्दों में चंद्रशेखर आजाद पर निबंध।

चंद्रशेखर आजाद पर निबंध 200 शब्दों में – Chandra Shekhar Azad Essay in Hindi

चंद्रशेखर आजाद पर निबंध 200 शब्दों में कुछ इस प्रकार है –

चंद्रशेखर आजाद, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी और योद्धा थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अद्वितीय प्रतीक ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आसोसिएशन’ की स्थापना की और स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में अपनी शौर्यगाथाएं दिखाई।

आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) जिले में हुआ था। उनका नाम पहले ‘चंद्रशेखर तिवारी’ था, लेकिन वे स्वतंत्रता संग्राम में ‘आजाद’ नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने बचपन से ही स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उत्साह दिखाया और गांधीजी के नेतृत्व में भाग लिया।

आजाद ने अपनी निष्ठा और संकल्प के साथ स्वतंत्रता संग्राम के लिए संघर्ष किया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विभाजन और आंदोलनों में भाग लिया, जैसे कि नमक सत्याग्रह और असहमति आंदोलन। उन्होंने अलगाववाद की विचारधारा को अपनाकर आगे बढ़ने का प्रयास किया।

चंद्रशेखर आजाद ने अपने वीरता और संघर्षशीलता के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने ब्रिटिश पुलिस से बचकर खुदकुशी कर ली, ताकि वे ब्रिटिश साम्राज्य के हाथ से नहीं गिर सकें। उनकी शहादत ने स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया और उन्हें याद किया जाता है एक अद्वितीय योद्धा के रूप में।

चंद्रशेखर आजाद पर निबंध 500 शब्दों में – Chandra Shekhar Azad Essay in Hindi

चंद्रशेखर आजाद पर निबंध 500 शब्दों में कुछ इस प्रकार हैं –

प्रस्तावना 

चंद्रशेखर आजाद, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी और वीर योद्धा थे, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर भारतीय राष्ट्रीय आजादी के लिए अपने आत्मा को समर्पित किया। उनका जन्म 23 जुलाई 1906 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) जिले के आवसरा गांव में हुआ था। उनका असली नाम ‘चंद्रशेखर तिवारी’ था, परन्तु उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी पहचान ‘आजाद’ के नाम से बनाई।

आजाद ने बचपन से ही राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रति आवश्यक उत्साह और उत्कृष्ट बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रायगराज में पूरी की और फिर वाराणसी के किशोरीलाल विद्या मंदिर से स्नातक की डिग्री हासिल की।

आजाद का योगदान स्वतंत्रता संग्राम में बेहद महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आसोसिएशन’ की स्थापना की जो संगठन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा देने का प्रयास करता था। उन्होंने यह संगठन सहित अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अद्वितीय संघर्ष किया।

चंद्रशेखर आजाद और उनका योगदान 

आजाद का विशेष योगदान उनकी वीरता और दृढ़ संकल्प में प्रकट होता है। उन्होंने कई बार ब्रिटिश पुलिस से बचने के लिए खुदकुशी के लिए जान की परवाह नहीं की और आखिरकार 27 फरवरी 1931 को अल्लाहाबाद के चांदी चौक पर ब्रिटिश पुलिस से मुकाबले में आत्महत्या कर ली।

चंद्रशेखर आजाद की शहादत ने उनके साहस, निष्ठा और आत्मा की अद्वितीयता को स्पष्ट किया। उनकी वीरता, उत्कृष्ट दिल्ली की राजघाट पर स्थित ‘आजादी की दिल्ली’ वीर स्मारक में प्रतिष्ठित है। आजाद की यादें हमें उनके संघर्ष, समर्पण, और देशभक्ति की प्रेरणा देती हैं और उनके योगदान को सदैव याद रखने के लिए प्रेरित करती हैं। वे हमारे राष्ट्रीय गौरव के स्रोत हैं और हमें स्वतंत्रता, समर्पण और साहस की महत्वपूर्ण शिक्षा देते हैं।

चंद्रशेखर आज़ाद की वीरता 

चंद्रशेखर आजाद की वीरता और अद्वितीय संघर्षशीलता ने उन्हें एक महान स्वतंत्रता सेनानी बनाया। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अपने बलिदानी क्रियाकलापों से भारतीय जनता को प्रेरित किया।

चंद्रशेखर आजाद का संघर्ष सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और आदर्शों से भरपूर भी था। उनका निष्ठावान स्वभाव, वीरता और दृढ़ संकल्प आजादी के लिए संघर्ष करने वाले युवा पीढ़ियों को प्रेरित करता है।

उन्होंने संघर्ष के दौरान अपने साथियों के साथ दृढ़ता से काम किया और उनके साथ मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ साहसपूर्ण प्रतिरोध किया। उन्होंने ब्रिटिश पुलिस के सामने हमेशा बलिदान के भाव से खड़े रहकर दिखाया कि वे आजादी के लिए कितने समर्पित हैं।

निष्कर्ष 

चंद्रशेखर आजाद की शौर्यगाथाएं हमें यह सिखाती हैं कि आजादी प्राप्त करने के लिए हमें संघर्ष में खड़े होना होगा, और यह संघर्ष सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और आत्मिक भी होना चाहिए।

चंद्रशेखर आजाद की शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण चरणों में से एक को पूरा किया। उनका बलिदान हमारे राष्ट्रीय गौरव का हिस्सा बना है और हमें उनकी महानता को सदैव याद रखने के लिए प्रेरित करता है।

चंद्रशेखर आजाद का योगदान हमारे राष्ट्रीय इतिहास में अमूल्य है। उनके अद्वितीय संघर्ष और साहस को याद रखकर हमें भारतीय समर्पण और आत्मसमर्पण की महत्वपूर्णता का अनुभव होता है। आजाद ने हमें यह सिखाया कि स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन की बलिदानी प्राथमिकता को देने की आवश्यकता होती है, और हमें उनके उदाहरण से प्रेरित होकर देश की सेवा करनी चाहिए।

चंद्रशेखर आजाद के बारे में 10 लाइन

चंद्रशेखर आज़ाद के बारे में 10 लाइन कुछ इस प्रकार हैं –

चंद्रशेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख योद्धा और नेता थे।

उनका जन्म 23 जुलाई 1906 को प्रयागराज (इलाहाबाद) में हुआ था।

उन्होंने ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आसोसिएशन’ की स्थापना की जो स्वतंत्रता संग्राम के संघर्षी रूप को बदलने का प्रयास करता था।

आजाद ने अपने बलिदानी क्रियाकलापों के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया।

उनकी शौर्यगाथाएं उनके संघर्ष और समर्पण के प्रतीक हैं।

उन्होंने आलाहाबाद के चांदी चौक पर ब्रिटिश पुलिस के साथ मुकाबले में आत्महत्या कर ली।

उनकी शहादत ने स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

उनका संघर्षी और निष्ठावान व्यक्तित्व आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

‘आजाद’ के नाम से वे महान स्वतंत्रता सेनानी और योद्धा के रूप में याद किए जाते हैं।

चंद्रशेखर आजाद की यादें हमें देशभक्ति, साहस और समर्पण की महत्वपूर्णीयता को समझाती हैं।

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चन्द्रशेखर आजाद के विचार – Chandra Shekhar Azad Quotes in Hindi

आइये देखें कुछ बेस्ट Chandra Shekhar Azad Quotes in Hindi –

“स्वतंत्रता संग्राम के लिए मैं तैयार हूँ अपनी आखिरी सांस तक।”

“जब तक हम अपने लक्ष्य में सफल नहीं होते, हमें हारने का कोई हक नहीं है।”

“जो आज़ादी के लिए लड़ते हैं, वे जीवन में आज़ाद रहते हैं।”

“स्वतंत्रता संग्राम में जीत के लिए ना तो हमें सोना चाहिए और ना ही सोने की ज़रूरत है।”

“देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देना सर्वोत्तम कर्तव्य है।”

“हमें अपने उद्देश्यों के प्रति अदृश्य बनकर आगे बढ़ना चाहिए।”

“अपने लक्ष्य को पाने के लिए अगर हमें मौका नहीं मिलता तो हमें उसे खुद बनाना होगा।”

“जीवन में सफलता तब मिलती है जब हम अपने मार्ग पर अकेले चलते हैं, चाहे राह कितनी भी कठिन क्यों ना हो।”

“समय के मानव द्वारा ही नहीं, समय के साथ ही चलता है।”

“हमारे पास सिर्फ एक ही देश है और उसका नाम भारत है।”

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चंद्रशेखर आजाद से जुड़े कुछ तथ्य 

आइये जानते हैं चंद्रशेखर आज़ाद से जुड़े कुछ रोचक तथ्य-

चन्द्रशेखर आज़ाद को लोकप्रिय रूप से आज़ाद के नाम से जाना जाता था।

उनकी मां चाहती थीं कि वह पढ़ाई करें और एक महान संस्कृत विद्वान बनें।

वर्ष 1919 में हुआ जलियांवाला बाग का नरसंहार तब हुआ जब उन्होंने 1920 में महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले असहयोग आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया।

आज़ाद केवल 15 वर्ष के थे जब उन्हें गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल होने के कारण पहली बार गिरफ्तार किया गया था।

कहा जाता है कि जज के सामने पेश किये जाने पर उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम ‘स्वतंत्रता’ और निवास स्थान ‘जेल’ बताया।

वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) के मुख्य रणनीतिकार थे।

1925 में काकोरी ट्रेन डकैती और 1928 में सहायक अधीक्षक सॉन्डर्स की हत्या के बाद वह बहुत लोकप्रिय हो गए।

आज़ाद ने प्रतिज्ञा की थी कि पुलिस उन्हें कभी भी जीवित नहीं पकड़ेगी।

लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद, भगत सिंह अंग्रेजों से लड़ने के लिए आज़ाद के साथ शामिल हो गए।

वह खर्चों को लेकर बहुत सजग थे और हर लेन-देन पर नजर रखते थे।

आज़ाद का हमेशा मानना ​​था कि लोगों द्वारा उनकी पार्टी को दान दिया गया पैसा पूरी तरह से देश के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

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FAQs

चंद्रशेखर आजाद का पूरा नाम क्या था?

चंद्रशेखर आजाद का पूरा नाम चंद्रशेखर सीताराम तिवारी था। 

चंद्रशेखर आजाद के पिता का नाम क्या था?

चंद्रशेखर आजाद के पिता का नाम सीताराम तिवारी था। 

चंद्रशेखर आजाद की माता का नाम क्या था?

चंद्रशेखर आजाद की माता का नाम जागरानी देवी था। 

चंद्रशेखर आज़ाद की मृत्यु के समय उम्र क्या थी?

जब चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु हुई उस समय उनकी उम्र महज 24 वर्ष थी। 

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Chandra Shekhar Azad Essay in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य निबंध से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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