August Prastav | अगस्त प्रस्ताव क्या है और क्या रही इसकी भूमिका?

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August Prastav

अगस्त प्रस्ताव शब्द भारत की आजादी से पहले ही चलन में था। आजादी से पहले और बाद में कई प्रस्ताव सामने लाए गए और प्रतियोगी परीक्षाओं में इन प्रस्ताव के अलावा अगस्त प्रस्ताव के बारे में भी कई सवाल पूछे जाते हैं। इसलिए हमें अगस्त प्रस्ताव के बारे में विस्तृत जानना चाहिए, क्योंकि किसी भी टाॅपिक की अच्छी समझ ही हमारी सफलता की राह आसान करती है। इस ब्लाॅग में August Prastav के बारे में विस्तृत बताया गया है।

अगस्त प्रस्ताव क्या है?

अगस्त प्रस्ताव (August Prastav) 8 अगस्त 1940 को भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो द्वारा प्रकाशित बयान से संबंधित है। यह कांग्रेस सरकार को वायसराय की प्रतिक्रिया थी, जिन्होंने कहा था कि भारत में देश के लिए एक अलग संविधान सभा होनी चाहिए। यह पहली बार था जब नागरिकों के अधिकारों को मान्यता दी गई और राज्य द्वारा डोमिनियन स्टेटस का वादा किया गया था और इसमें यह भी शामिल था कि भारतीय संविधान के निर्माण का मुख्य रूप से भारतीयों द्वारा किया जाएगा।

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अगस्त प्रस्ताव का इतिहास क्या है?

August Prastav जानने के साथ ही इसका इतिहास जानना आवश्यक है, जोकि इस प्रकार हैः

  • 1939 के अंत में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया। जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण किया जिसके परिणामस्वरूप ब्रिटेन ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी और भारतीयों से परामर्श किए बिना, ब्रिटेन ने भारत के राजनीतिक समूहों को परेशान करते हुए भारत को युद्ध में खींच लिया।
  • इसके बाद 8 अगस्त 1940 को, भारत के वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने ब्रिटिश संसद की ओर से एक बयान दिया जिसे ‘अगस्त प्रस्ताव’ के रूप में जाना गया।
  • 1940 में गांधीजी ने व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया था।
  • 17 अक्टूबर 1940 को बिनोबा भावे ने युद्ध के विरोध में भाषण देकर सत्याग्रह किया था।

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अगस्त प्रस्ताव किसके द्वारा लाया गया?

8 अगस्त 1940 को वायसराय लार्ड लिनलिथगो द्वारा अगस्त प्रस्ताव पेश किया गया था। भारत के लिए इसका उद्देश्य डोमिनियन स्टेटस बनाना और भारतीय स्वशासन की दिशा में एक संकेत के रूप में भारतीय राजनीतिक प्रतिनिधियों को शामिल करने के लिए वायसराय की परिषद का विस्तार करने का प्रस्ताव था।

अगस्त प्रस्ताव की जरूरत क्या थी?

August Prastav की जरूरत क्या थी या अगस्त प्रस्ताव क्यों लाया गया के बारे में यहां प्वाइंट्स में बताया गया हैः

  • ब्रिटिश सरकार ने भारत के लिए एक उद्देश्य के रूप में डोमिनियन स्टेटस का प्रस्ताव रखा।
  • युद्ध के बाद देश के लिए संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक प्रतिनिधि भारतीय निकाय का गठन किया जाएगा।
  • वायसराय की परिषद का विस्तार किया जाएगा, जिससे भारतीयों को भाग लेने की अनुमति मिलेगी।
  • युद्ध के बाद एक सलाहकारी युद्ध परिषद का गठन किया जाएगा, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने पूर्ण स्वतंत्रता देने से इनकार कर दिया।
  • ब्रिटिश रक्षा, वित्त और गृह मामलों के साथ-साथ भारतीय गणराज्य की सभी सेवाओं पर नियंत्रण बनाए रखेंगे।
  • वायसराय ने आगे संकेत दिया कि किसी भी संवैधानिक सुधार से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) और मुस्लिम लीग के बीच असहमति को संबोधित किया जाएगा।
  • अल्पसंख्यकों को गारंटी दी गई कि भविष्य के संविधान में उनके विचारों को ध्यान में रखा जाएगा।

अगस्त प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य क्या था?

अगस्त प्रस्ताव के मुख्य उद्देश्य में पहली बार भारतीयों के अपना संविधान लिखने के अंतर्निहित अधिकार (inherent right) को मान्यता दी गई, और संविधान सभा की कांग्रेस की मांग को मंजूरी देना शामिल है। जुलाई 1941 में वायसराय की कार्यकारी परिषद का विस्तार किया गया, जिससे भारतीयों को पहली बार 12 में से 8 का बहुमत मिला। इसके अलावा एक राष्ट्रीय रक्षा परिषद की स्थापना की गई थी।

August Prastav के प्रमुख प्रावधान क्या थे?

किसी भी प्रस्तवा को लाने या सामने रखने के कुछ प्रावधान होते हैं, यहां August Prastav के कुछ प्रमुख प्रावधान बताए जा रहे हैंः

  • वायसराय की सलाहकार काउंसिल के विस्तार के अलावा कार्यकारिणी में भारतीय प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाना।
  • अल्पसंख्यकों को विश्व में लिए बिना किसी भी संवैधानिक परिवर्तन को लागू नहीं किया जा सकेगा।
  • युद्ध संबंधित सब्जेक्ट्स पर विचार के लिए ‘युद्ध परामर्श समिति’ का गठन किया जाएगा।
  • युद्ध के खत्म होने पर विभिन्न इंडियन पार्टीज के रिप्रेजेंटेटिव की सभा बुलाकर उनके साथ संवैधानिक विकास (constitutional development) पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

अगस्त प्रस्ताव और क्रिप्स मिशन

अगस्त प्रस्ताव पर चर्चा करते समय हमारे सामने क्रिप्स मिशन को लेकर भी कई सवाल आते हैं और कई बार असमंजस की स्थिति आ जाती है कि अगस्त प्रस्ताव और क्रिप्स मिशन क्या है और यह समान तो नहीं है, इसलिए यहां हम अगस्त प्रस्ताव और क्रिप्स मिशन के बीच अंतर जानेंगेः

  • क्रिप्स मिशन अगस्त प्रस्ताव की पुनर्पैकेजिंग थीं, लेकिन क्रिप्स मिशन में कुछ अलग प्रावधान थे।
  • क्रिप्स मिशन में प्रावधान था कि भारत का डोमिनियन राष्ट्रमंडल और संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ अपने संबंधों पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा।
  • क्रिप्स प्रस्ताव के तहत संविधान निर्माण की जिम्मेदारी भारतीयों को दी गई, जबकि अगस्त प्रस्ताव के तहत संविधान निर्माण की आंशिक जिम्मेदारी भारतीयों को दी गई।
  • क्रिप्स प्रस्ताव के अंतर्गत संविधान सभा की संरचना स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट (clearly specified) की गई थी। वहीं अगस्त प्रस्ताव के तहत संविधान सभा की संरचना स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट (specified) नहीं की गई थी।
  • क्रिप्स प्रस्ताव के तहत भारत को डोमिनियन स्टेटस का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ संबंध निर्धारित करने की स्वतंत्रता नहीं दी गई। वहीं अगस्त प्रस्ताव के तहत, भारत को केवल डोमिनियन स्टेटस का प्रस्ताव दिया गया था।

FAQs

अगस्त प्रस्ताव कौन लाया था?

लॉर्ड लिनलिथगो।

अगस्त प्रस्ताव भारत कब आया था?

1940 में।

अगस्त प्रस्ताव को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

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