बजरंग पूनिया पहलवान:CWG गोल्ड मेडलिस्ट

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स्टार पहलवान बजरंग पूनिया

हरियाणा के इस छोरे बजरंग पूनिया ने CWG 2022 में लगातार दूसरा गोल्ड मैडल जीत भारत का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। कुश्ती की दुनिया में बजरंग पूनिया ने अपना दबदबा देखते-देखते ही कायम किया है। वो कहते है न मेहनत देर से ही सही, लेकिन मेहनत का फल देकर ज़रूर जाती है। 2018 में पहला गोल्ड मैडल जीत कर बजरंग पूनिया ने सबके दिलों में एक अलग जगह बनाई जिसे उन्होंने इस बार भी कायम रखा।

बजरंग पूनिया के व्यक्तित्व की बात करें तो इनके सामने आते ही सामने वाला पहलवान पहले ही आधा मैच हार जाता है। इस बार CWG 2022 में भारत को बजरंग से बहुत उम्मीदें थीं और वह इस पर खरे भी उतरे। आपको हम इस ब्लॉग में बजरंग पूनिया पहलवान के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।

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source : ABP Live

बजरंग पूनिया पहलवान का शुरूआती जीवन

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पहलवान बजरंग पुनिया का जन्म सन 1994 में 26 फरवरी को भारत के हरियाणा राज्य के झज्जर जिले के खुदन गांव में हुआ था। बजरंग पुनिया की माता का नाम ओम प्यारी है तथा इनके पिता का नाम बलवान सिंह पुनिया है। बता दें कि बजरंग पुनिया के पिताजी भी एक पेशेवर पहलवान रह चुके हैं। इनका एक भाई भी है जिनका नाम हरेंद्र पुनिया है और वह भी पहलवानी करते हैं। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। बजरंग के सपने पूरे करने के लिए इनके पिताजी ने बहुत से त्याग किए। सात साल की उम्र में कुश्ती शुरू की और उन्हें उनके पिता द्वारा बहुत सहयोग मिला था। जिसके बाद बजरंग ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। बजरंग पूनिया ने भारतीय रेलवे में टिकट चेकर (TTE) का भी काम किया। 

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बजरंग पूनिया पहलवान की शिक्षा

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पहलवान बजरंग पुनिया ने अपनी प्राइमरी एजुकेशन अपने गांव के विद्यालय से ही पूरी की है। इन्होंने सिर्फ 7 साल की उम्र में ही कुश्ती खेलना चालू कर दिया था, जिसमें इन्हें इनके पिता का काफी सहयोग भी प्राप्त हुआ था। बजरंग पुनिया ने अपनी ग्रेजुएशन महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से पूरी की। इसके साथ ही इन्होंने इंडियन रेलवे में टिकट चेकर का भी काम किया है। बजरंग पुनिया के कोच का नाम योगेश्वर दत्त है, जो 2012 के लंदन ओलंपिक में पदक जीत चुके हैं।

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बजरंग पूनिया पहलवान को मिले पुरस्कार

बजरंग पूनिया पहलवान
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  • कुश्ती पहलवान बजरंग पुनिया को साल 2015 में भारत सरकार की तरफ से अर्जुन अवार्ड दिया गया था।
  • बजरंग पुनिया को साल 2019 में सेंट्रल गवर्नमेंट की तरफ से पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
  • साल 2019 में ही 29 अगस्त को बजरंग पुनिया को राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड दिया गया था।
  • बजरंग पुनिया को साल 2013 में डेव स्चुल्ज़ मेमोरियल टूर्नामेंट मे सिल्वर पुरस्कार और साल 2015 में डेव स्चुल्ज़ मेमोरियल टूर्नामेंट मे फिर से सिल्वर का पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

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बजरंग पूनिया पहलवान का करियर

बजरंग पूनिया पहलवान
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साल 2013 में एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में बजरंग पुनिया ने पार्टिसिपेट किया था। यह चैंपियनशिप दिल्ली में हुई थी, इसमें बजरंग पुनिया सेमीफाइनल तक पहुंचने में सफल हुए थे, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद साल 2013 में ही वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनशिप बुडापेस्ट, हंगरी में बजरंग पुनिया ने 60 किलोग्राम वर्ग की कैटेगरी में अपने नाम कांस्य पदक हासिल किया था। इसके बाद आगे बढ़ते हुए साल 2014 में राष्ट्रमंडल खेल, ग्लास्गो जो कि स्कॉटलैंड में आयोजित हुआ था, वहां पर 61 किलोग्राम वर्ग की कैटेगरी में बजरंग पुनिया ने गोल्ड मेडल हासिल किया था।

2013 के आखिर तक कुश्ती की इंटरनेशनल फेडरेशन ने 60 और 66 किलोग्राम कैटेगरी को हटाकर 61 और 65 किलोग्राम की नई कैटेगरी बना दी। उसके बाद योगेश्वर ने 61 किलोग्राम वाली कैटेगरी अपने एक साथी पहलवान छोड़ दी थी और खुद 65 किलोग्राम में लड़ने लगे। इससे बजरंग को 2014 एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेने का मौका मिला, जहां दोनों जगह उन्हें सिल्वर मिला।

दक्षिण कोरिया में आयोजित हुए एशियाई खेल में बजरंग पुनिया ने फिर से गोल्ड मेडल अपने नाम किया था, वहीं साल 2017 में दिल्ली में आयोजित हुए एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में बजरंग पूनिया ने एक बार फिर से गोल्ड मेडल पर हाथ साफ किया था। इसके बाद आगे बढ़ते हुए साल 2018 में राष्ट्रमंडल खेल में फिर से बजरंग पूनिया ने गोल्ड मेडल जीता। और इसी वर्ष 2021 में ही बजरंग पुनिया ने एक बार फिर से एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। इस प्रकार पहलवान बजरंग पूनिया ने अभी तक 3 ब्रॉन्ज मेडल, 4 सिल्वर मेडल और 5 गोल्ड मेडल अलग-अलग गेम्स में जीते हैं।

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बजरंग पूनिया हैं देसी खाने के दीवाने

बजरंग बताते हैं कि “मेरा परिवार पिछले 4-5 साल से सोनीपत में रहता है और लॉकडाउन के कारण, मैं उनके पास नहीं जा सका। मैं घर से 3-4 किमी दूर अपनी ट्रेनिंग कर रहा हूं। जब भी मुझे मां की याद आती है, मैं उसे फोन कर लेता हूं”।

हरियाणा में तो हर घर में शुद्ध घी मिलता है। यदि कोई मेरे से डाइट की सलाह लेना चाहता है, तो मैं उसे यही सलाह दूंगा कि घर का बना खाना और डेयरी प्रोडक्ट डाइट में शामिल करें। 

मुझे विश्वास है इससे ताकत बढ़ाने में मदद मिलेगी। क्योंकि मैं भी दूध, दही, घी और घर का बना खाना ही खाता हूं।

मां के हाथ के बने खाने का मजा ही कुछ और है। इसलिए जो लोग अभी घर पर हैं वो घर के खाने का मजा लें। उनका भाई भी उनके लिए रोज घर का खाना लेकर आता है। फिट रहने के लिए शराब और सिगरेट से दूर रहना होगा।

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बजरंग पूनिया पहलवान के पिता ने क्यों छोड़ी पहलवानी

बजरंग के पिता बलवान पूनिया भी अपने समय के बड़े रेसलरों की गिनती में शुमार हो सकते थे, लेकिन गरीबी और घर की जिम्मेदारी कंधों पर होने के चलते उन्हें अपना यह शौक बीच में छोड़ना पड़ा। बलवान को अखाड़े की मिट्टी छोड़ खेतों की मिट्टी के साथ कसरत शुरू करनी पड़ी।

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बजरंग पूनिया की नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर पहचान

Source – SportsKeeda
  • 2006 में महाराष्ट्र के लातूर में हुई स्कूल नेशनल चैंपियनशिप में बजरंग ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। उसके बाद बजरंग ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बाद में लगातार 7 साल तक उन्होंने स्कूल नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता।
  • 2009 में बजरंग ने दिल्ली में बाल केसरी का खिताब जीता। जिसके बाद इंडियन रेसलिंग फेडरेशन ने 2010 में थाईलैंड में हुई जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप के लिए बजरंग का सेलेक्शन किया। बजरंग ने पहली बार विदेशी धरती पर अपनी ताकत दिखाई और गोल्ड मेडल जीता।
  • 2011 में वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में भी बजरंग ने गोल्ड जीता।
  • 2013 में नई दिल्ली में आयोजित एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में 60 किलोग्राम कैटेगरी में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता।
  • 2013 में हंगरी के बुडापेस्ट में आयोजित वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में बजरंग ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया।
  • 2014 में स्कॉटलैंड के ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में बजरंग ने 61 किलोग्राम कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता।
  • 2014 में साउथ कोरिया के इंचियोन में आयोजित एशियन गेम्स में बजरंग ने 61 किलोग्राम कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता।
  • 2014 में कजाख़िस्तान के अस्ताना में आयोजित एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में बजरंग ने 61 किलोग्राम कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता।
  • 2017 में दिल्ली में आयोजित एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में बजरंग ने गोल्ड मेडल जीता।
  • ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में बजरंग पूनिया को गोल्ड मैडल मिला था।
  • CWG 2022 में भी बजरंग पूनिया ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

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बजरंग पूनिया की मनपसंद चीज़ें

बजरंग पूनिया को खेलों में बास्केटबॉल खेलना, फुटबॉल खेलना और रिवर राफ्टिंग करना अच्छा लगता है। इनका मनपसंद भोजन चूरमा है। कप्तान चंद्रुप्त और योगेश्वर दत्त बजरंग पुनिया के पसंदीदा पहलवान रहे हैं।

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बजरंग पूनिया का बाहुबल दिलाएगा सोना!

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पुरुष वर्ग में भारतीय चुनौती की अगुआई बजरंग करेंगे जो विश्व स्तर पर काफी सम्मानित पहलवान हैं। बजरंग ने अपने पिछले 11 अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में सात स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य पदक जीता है। बजरंग का स्टेमिना उनका पलड़ा भारी करता है।

टोक्यो ओलंपिक में जीता ब्रॉन्ज मेडल

भारत के धाकड़ कुश्ती पहलवान ने देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता है. 65 किलोग्राम वर्ग में बजरंग का सामना कजाकिस्तान के दौलत नियाबेकोव से था. बजरंग ने इस मुकाबले को 8-0 से एक तरफा इस मैच को अपने नाम किया. इससे पहले बजरंग सेमीफाइनल में अजरबैजान के हाजी अलीयेव से हार गए थे, जिससे उनका गोल्ड जीतने का सपना अधुरा रह गया था.

आशा करते हैं कि बजरंग पूनिया पहलवान का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। हमारे Leverage Edu में आपको ऐसे कई प्रकार के ब्लॉग मिलेंगे जहां आप अलग-अलग विषय की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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