उत्तर प्रदेश के मेले कौन से हैं और जानें क्या है मेला का इतिहास?

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उत्तर प्रदेश के मेले

भारत का सबसे अधिक आबादी वाला और चौथा सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश है और इस राज्य का गठन 26 जनवरी 1950 को हुआ था। उत्तर प्रदेश अपनी कई प्रसिद्धि के साथ मेले के लिए भी जाना जाता है और मेला इसकी संस्कृति को भी दर्शाते हैं। उत्तर प्रदेश के मेलों और उनके इतिहास के बारे में कई प्रतियोगी परीक्षाओं और इंटरव्यू में प्रश्न पूछे जाते हैं, इसलिए इस ब्लाॅग में हम उत्तर प्रदेश के मेले के बारे में विस्तार से जानेंगे। 

मेला के बारे में

मनोरंजन या व्यावसायिक गतिविधियों के लिए लोगों के जमावड़े को मेला कहा जाता है। मेले आम तौर पर अस्थायी होते हैं और इनका निर्धारित समय कई हफ्तों तक हो सकता है। मेले में वस्तुओं और उत्पादों की श्रृंखला का प्रदर्शन करते हैं। मेला में प्रतियोगिताएं, प्रदर्शनियां और शैक्षिक गतिविधियां भी शामिल रहती हैं। भारत के लगभग हर राज्य में मेलों का आयोजन होता है और इनमें कई बड़े और छोटे मेले शामिल हैं। 

उत्तर प्रदेश के मेले

उत्तर प्रदेश के मेले कौन से हैं?

उत्तर प्रदेश में कई वैदिक ग्रंथों और भजनों की रचना की गई है। राज्य में हिंदी भाषा की विशाल साहित्यिक एवं लोक परंपरा है। आंकड़ों और रिपोर्ट्स के मुताबकि राज्य में हर वर्ष लगभग 2,000 मेलों का आयोजन होता है, जिनमें से कुछ का काफी महत्व है। यहां उत्तर प्रदेश के प्रमुख मेलों के बारे में बताया जा रहा है।

रथ मेला

उत्तर प्रदेश में रथ मेला का काफी महत्व है और इसका आयोजन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृन्दावन में चैत्र माह में किया जाता है। यह मेला भगवान रंगनाथ के सम्मान में आयोजित किया जाता है।

माघ मेला

उत्तर प्रदेश में माघ मेला को काफी प्राथमिकता दी गई है। माघ मेला जनवरी या फरवरी के दौरान तीन नदियों-गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम के पास प्रयागराज में आयोजित किया जाता है, हालांकि उत्तर प्रदेश में माघ मेले का आयोजन अन्य स्थानों पर भी होता है। 

कुंभ मेला

उत्तर प्रदेश के कुंभ मेला की प्रसिद्धि दूसरे राज्यों तक है। कुंभ मेला 12 वर्षों में 2 बार आयोजित किया जाता है, यह पवित्र नदियों पर चार तीर्थ स्थानों के बीच घूमने वाला स्थल है। यह दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। कुंभ का पूर्ण आयोजन हर 12 साल में एक बार प्रयागराज (जिसे मूल रूप से इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था) में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर होता है।

बटेश्वर मेला

बटेश्वर मेला एक वार्षिक उत्सव है जो नवंबर में बटेश्वर में लगता है। बटेश्वर आगरा के करीब स्थित है। त्योहार का प्राथमिक फोकस एक पशु मेला है। इसके अलावा मेले में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, भोजन स्टॉल और मनोरंजन की गतिविधियां और झूलें आदि आकर्षक रहते हैं। 

उत्तर प्रदेश के मेले

नौचंदी मेला

उत्तर प्रदेश के मेरठ में हर वर्ष अप्रैल को नौचंदी मेला का आयोजन होता है। यह उत्सव नौचंदी मैदान पर होता है और इसी नाम से जाना जाता है, इसमें खाने-पीने की चीजों के अलावा घूमने व झूले और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। मेले का इतिहास मुगल सम्राटों के समय का है।

गढ़मुक्तेश्वर मेला

गढ़मुक्तेश्वर मेला उत्तर प्रदेश के प्रमुख आयोजनों में से एक है और यह यह कार्तिक महीने (अक्टूबर-नवंबर) में हापुड़ में लगता है, जो मेरठ के करीब स्थित है। यह आयोजन भगवान शिव के सम्मान में आयोजित किया जाता है, और मुख्य आकर्षण एक विशाल शिव लिंग है जो गंगा के तट पर पाया जा सकता है। यह मेला सवारी और भोजन बूथों के अलावा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भरा रहता है।

ढाई घाट मेला

उत्तर प्रदेश के मेले अपनी संस्कृति की छाप छोटे-बड़े जिलों से छोड़ते हैं और इसी का उदाहरण ढाई घाट मेला है। यह मेला कार्तिक महीने के दौरान शाहजहांपुर में आयोजित होता है और यह किसी त्योहार से कम नहीं होता है। इसमें फूड स्टाॅल और सांस्कृतिक कार्यक्रम और झूले आदि शामिल रहते हैं। 

मकर संक्रांति मेला

मकर संक्रांति मेले का आयोजन लगभग सभी राज्यों में होता है, लेकिन उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति मेला वर्ष में एक बार होता है और इसकी जगह फर्रुखाबाद है। इस मेले में घूमने के अलावा पतंग उड़ाने, सांस्कृतिक गतिविधियों और भोजन स्टालों के लगने से उत्सव की झलक दिखती है।

गोला गोकर्णनाथ मेला

गोला गोकर्णनाथ उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की प्रसिद्ध है और यहां गोला गोकर्णनाथ मेला हर साल नवंबर के महीने में आयोजित होता है। यह कार्यक्रम भगवान शिव के सम्मान में आयोजित किया जाता है और इसमें सवारी और भोजन स्टालों के अलावा विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं।

देवा शरीफ मेला

देवा शरीफ हर साल कार्तिक माह के दौरान उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के पास एक स्थान (महान सूफी संत वारिस अली शाह की दरगाह) पर आयोजित किया जाता है और इस दौरान यहां काफी भीड़ लगती है।

शाकुम्भरी मेला

शाकुम्भरी मेला भी उत्तर प्रदेश के प्रमुख मेलों में शामिल है और इसका आोजन उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में वर्ष में 2 बार नवरात्रि के दौरान किया जाता है। शाकुम्भरी मेला के दौरान यहां काफी भीड़ लगती है और भक्ति की धूम भी चारों ओर रहती है।

गौ चारण मेला

गौ चारण मेला उत्तर प्रदेश के बृज क्षेत्र के प्रसिद्ध मेलों में से एक है। यह कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को मथुरा में आयोजित होता है और ऐसा कहा जाता है इस दिन यहां लोगों की भीड़ अनियंत्रित हो जाती है। इस मेले में गाय की पूजा की जाती है।

यम द्वितीय मेला

उत्तर प्रदेश में यम द्वितीय मेला का आयोजन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को किया जाता है। इसका महत्व भाईदूज त्योहार से भी जुड़ा हुआ है। यह मेला बहनों और उनके भाइयों के बीच विश्वास, सम्मान का प्रतीक है।

उत्तर प्रदेश के मेले

उत्तर प्रदेश के अन्य मेलों की लिस्ट इस प्रकार हैः

मेला का नामस्थान
कालिंजर मेलाबांदा
देवी पाटन मेलाबलरामपुर
लखनऊ महोत्सवलखनऊ
देव मेलाबाराबंकी
माकनपुर मेलाफर्रुखाबाद
बाल सुंदरी देवी मेलाअनूपशहर
वाराणसी पर्यटन उत्सववाराणसी
गंगा महोत्सववाराणसी
त्रिवेणी महोत्सवइलाहाबाद
होली उत्सवमथुरा
कबीर मेलामगहर (संत कबीर नगर)
परिक्रमा मेलाअयोध्या
रामायण मेलाचित्रकूट
कैलाश मेलाआगरा
सोरों मेलाकासगंज
खिचड़ी मेलागोरखपुर
गोविंद सागर मेलाअम्बेडकर नगर
राम बरातआगरा
रामनवमी मेलाअयोध्या
आयुर्वेद महोत्सवझांसी
बिटुर गंगा महोत्सवकानपुर
कजली महोत्सवमहोबा
रामनगरिया मेलाफर्रुखाबाद
श्रावणी मेलाफर्रुखाबाद

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FAQs

कुंभ मेला कहां स्थित है?

कुंभ मेले का आय़ोजन प्रयागराज में होता है।

मेरठ में कौन सा मेला लगता है?

मेरठ में नौचन्दी मेला लगता है।

2023 में कुंभ का मेला कब लगेगा?

2023 में कुंभ मेले की शुरुआत जनवरी में हुई थी।

कुंभ मेला कितने साल बाद लगता है?

कुंभ मेला 12 वर्ष बाद लगता है।

उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको उत्तर प्रदेश के मेले के बारे में जानकारी मिल गई होगी। अपनी परीक्षाओं की तैयारी और बेहतर करने और उत्तर प्रदेश जीके से जुड़े अन्य ब्लाॅग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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