आजाद हिंद फौज: जानिए भारत की आज़ादी में क्या थी इस संगठन की भूमिका

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आजाद हिंद फौज

भारत देश को अंग्रेजों की हुकूमत से आज़ादी पाने के लिए लगभग 200 वर्षों तक संघर्ष करना पड़ा था। इसी आजादी से जुड़ी कई ऐसी तमाम घटनाएं हैं, जो आज एक इतिहास बन चुकी हैं। इन्‍हीं में से एक है, आजाद हिंद फौज। इस ब्लॉग के माध्यम से आप जान पाएंगे कि आज़ाद हिंद फ़ौज कैसे अस्तित्व में आयी और गुलाम भारत को आजाद करवाने में इसकी क्या भूमिका थी? यह जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें। 

आजाद हिंद फौज का गठन

आज़ाद हिंद फ़ौज या इंडियन नेशनल आर्मी ने भारत की आज़ादी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस फ़ौज की स्थापना 1942 में भारत के एक क्रांतिकारी नेता ‘रासबिहारी बोस’ द्वारा टोक्यो (जापान) में की गयी थी और 21 अक्तूबर 1943 को इस फौज का नेतृत्व ‘सुभाष चंद्र बोस’ को सौंप दिया गया। कहा जाता है कि जब नेताजी ने इस फौज की कमान संभाली, तब इसमें लगभग 45,000 सैनिक थे और सन 1944 तक आते-आते इस फ़ौज में सैनिकों की संख्या 85,000 हो गई थी।  

इसी फ़ौज में एक महिला यूनिट भी शमिल थी, जिसकी कप्तान ‘लक्ष्मी सहगल’ थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस फ़ौज को जापान का काफी सहयोग मिला था। क्योंकि इस फौज में ज्यादातर वही सैनिक शामिल थे, जिन्हें जापान ने बंदी बना लिया था, बाद में दूसरे देशों के सैनिक भी इससे जुड़ गए थे। 

भारत की स्वतंत्रता में आजाद हिंद फौज का योगदान 

आजाद हिंद फौज का प्रमुख उद्देश्य भारत की आज़ादी के लिए अंग्रेजों से लड़ना था। प्रासंगिक रूप से, आज़ादी की लड़ाई को आवश्यक गति प्रदान करने में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 30 दिसंबर 1943 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा फहरा कर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को ब्रिटिश राज से मुक्त होने वाला पहला भारतीय क्षेत्र घोषित किया था। इसके बाद अप्रैल 1944 में ‘कर्नल शौकत मलिक’ के नेतृत्व में इसने मणिपुर के ‘मोइरांग’ में तिरंगा फहराया था। 

आजाद हिंद फौज का अंत 

दूसरे विश्व युद्ध में जापान की सेनाओं के साथ आजाद हिंद फौज को भी हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद अंग्रेज़ों ने 1945 ई. में इसके सैनिक एवं अधिकारियों को गिरफ़्तार कर लिया और उसी समय 18 अगस्त, 1945 ई. में एक हवाई दुर्घटना में सुभाषचन्द्र बोस की भी मृत्यु हो गई और इस तरह इसका का अंत हो गया। लेकिन आजाद हिंद फौज को देखकर ही भारत छोड़ो आंदोलन जैसे विभिन्न आंदोलन शुरू किए गए। ऐसे में ब्रिटिश सरकार की हार और भारत की स्वतंत्रता का श्रेय आजाद हिंद फौज को भी दिया जाता है।

FAQs

आजाद हिन्द फौज की स्थापना किसने और कब की?

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सन 1943 में जापान की सहायता से टोकियो में रासबिहारी बोस ने भारत को अंग्रेजों के कब्जे से स्वतन्त्र कराने के लिये आजाद हिन्द फौज या इंडियन नेशनल आर्मी (INA) नामक सशस्त्र सेना का गठन किया।

आजाद हिन्द फौज के संस्थापक कौन थे?

आजाद हिंद फौज की शुरुआत रासबिहारी बोस ने की थी। 

कितने देश आजाद हिंद फौज का समर्थन करते थे?

बता दें कि जर्मनी, जापान, फिलिपींस, कोरिया, चीन, इटली, आयरलैंड समेत 9 देश आजाद हिंद फौज का समर्थन करते थे। 

आजाद हिंद फ़ौज की पहली महिला कप्तान कौन थी?

आजाद हिंद फ़ौज की पहली महिला कप्तान लक्ष्मी सहगल थीं। 

आजाद हिंद फौज का गठन कब हुआ था?

आजाद हिंद फौज का गठन अगस्त 1943 में जापान में हुआ था।

आजाद हिंद फौज का मुख्य उद्देश्य क्या था?

आज़ाद हिंद फ़ौज जिसे भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के नाम से भी जाना जाता है, का उद्देश्य ब्रिटिश शासन से भारतीय स्वतंत्रता को सुरक्षित करना था।

आशा है इस ब्लॉग से आपको आज़ाद हिंद फ़ौज और इससे जुड़ी अहम घटनाओं के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त हुई होगी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और इतिहास से संबंधित ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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