प्रमुख सुर्खियां
- भारत में पांच और आर्द्रभूमियों को रामसर साइट्स अथवा अंतर्राष्ट्रीय महत्व वाली आर्द्रभूमियाँ घोषित किया गया है।
- देश में रामसर साइट्स की संख्या अब 49 से बढ़कर 54 हो गई है।
नए रामसर स्थलों के नाम
- साख्य सागर, मध्य प्रदेश
- करीकिली पक्षी अभ्यारण, तमिलनाडु
- पल्लिकरनई मार्श रिज़र्व फॉरेस्ट, तमिलनाडु
- पाला आर्द्रभूमि, मिजोरम
- पिचवरम मैंग्रोव, तमिलनाडु
रामसर साइट्स से जुड़े महत्वपूर्ण पॉइंट्स
- रामसर साइट रामसर कवेक्शन के मुताबिक अंतराष्ट्रीय महत्व वाली एक आर्द्रभूमि है, जिसे 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित किया गया था।
- इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है, जहाँ इस कन्वेक्शन के ऊपर हस्ताक्षर किए गए थे।
- रामसर साइट्स दुनिया भर में आर्द्रभूमि की एक पहचान है जिसे जलपक्षियों के लिए सुरक्षित रखा गया है।
- भारत की कुल 11,000 वर्ग किलोमीटर भूमि रामसर साइट्स के लिए आरक्षित है।
- भारत का सबसे बड़ा रामसर स्थल पश्चिम बंगाल का सुंदरबन है।
- भारत के कुल 18 राज्यों की भूमि पर रामसर स्थल बनाए गए हैं।
- भारत सबसे अधिक रामसर साइट्स वाला दक्षिण एशियाई देश है।
रामसर साइट्स का महत्व
- किसी भी आर्द्रभूमि के आगे रामसर टैग लग जाने से उस जगह को जलजीवों के लिए आरक्षित करने में आसानी होती है।
- इन स्थलों को जलजीवों के लिए आरक्षित करने के लिए सख्त नितमों के तहत दिशा निर्देश दिए जाते हैं।
आर्द्रभूमि क्या होती है?
- आर्द्रभूमि वह पारिस्थिक तंत्र होता है, जो मौसमी या स्थाई रूप में पानी से भरे होते हैं।
- इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ आदि आते हैं।
- इनकी गहराई 6 मीटर से अधिक नहीं होती।
- यह भू सतह के केवल 6 % भाग को ही कवर करते हैं।
आर्द्रभूमि का महत्व
- जलवायु परिवर्तन को रोकने में सहायक होते हैं
- बाढ़ और तूफ़ान जैसी आदाओं को कम करके समुद्र तटों की रक्षा करती हैं।
- कार्बन संग्रहण करती हैं।
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