बायोडाइवर्सिटी को पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों के समुदाय या प्रजातियों और इकोसिस्टम में विविधता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। UPSC एग्जाम में बायोडाइवर्सिटी के बारे में अक्सर पूछा जाता है, इस एग्जाम अपडेट में आप बायोडाइवर्सिटी पर इम्पोर्टेन्ट नोट्स के बारे में जानेंगे।
बायोडाइवर्सिटी किसे कहते हैं?
बायोडाइवर्सिटी को पृथ्वी पर किसी विशेष क्षेत्र या क्षेत्र में प्रजातियों की कुल संख्या और विविधता के रूप में परिभाषित किया जाता है। बायोडाइवर्सिटी के माध्यम से जीवों की प्रजातियों के भीतर या प्रजातियों के बीच, इकोसिस्टम में डाइवर्सिटी के बारे में जानने को मिलता है।
बायोडाइवर्सिटी शब्द को पहली बार वाल्टर जी रोसेन द्वारा वर्ष 1986 में बायोडाइवर्सिटी के मापन के रूप में गड़ा गया था, जहाँ बायोडाइवर्सिटी के घटकों को पहली बार परिभाषित किया गया था। बायोडाइवर्सिटी इकोलॉजिकल और इकोनॉमिक महत्व को भी खुद में समेटकर रखती है।
दरअसल बायोडाइवर्सिटी द्वारा हम पोषण, आवास, ईंधन, कपड़े और कई अन्य प्रकार के संसाधन को प्राप्त कर पाते हैं। इसके माध्यम से पर्यटन के माध्यम से आप मौद्रिक लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं, इसीलिए स्थायी आजीविका के लिए बायोडाइवर्सिटी का अच्छा ज्ञान होना अति आवश्यक है।
बायोडाइवर्सिटी के घटक
बायोडाइवर्सिटी में मूलतः दो घटक पाए जाते हैं-
- प्रजाति समृद्धि (Species Richness)
- प्रजाति समता (Species Evenness)
प्रजातियों की समृद्धि (Species Richness)
प्रजातियों की समृद्धि को ही एक समुदाय के भीतर प्रजातियों की विविधता (स्पीशीज डाइवर्सिटी) माना जाता है। इसे मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया जाता है।
- अल्फा विविधता
- बीटा विविधता
- गामा विविधता
प्रजाति समता (Species Evenness)
प्रजाति समता को मुख्यतः किसी भी दिए गए प्रजातियों के अनुपात का माप कहा जाता है, यह बायोडाइवर्सिटी का एक मुख्य घटक माना जाता है। प्रजाति समता में अधिकता वहाँ देखने को मिलती है, जहाँ समान प्रजातियों की अधिक संख्या होती है।
बायोडाइवर्सिटी के प्रकार
यह मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-
- आनुवंशिक विविधता (जेनेटिक बायोडाइवर्सिटी)
- प्रजातीय विविधता (स्पीशीज डाइवर्सिटी)
- पारिस्थितिक तंत्र विविधता (इकोसिस्टम डाइवर्सिटी)
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